जनज्वार डॉटकॉम खुद को मुख्यधारा का शिक्षित, जागरूक और सभ्य कहने वाले समाज ने आदिवासियों को बोलकर एवं लिखकर इतना ज्यादा कुंठित बना दिया है कि उन्हें खुद को आदिवासी कहने में ग्लानि महसूस होती है. वे ‘आदिवासी के घेरे’ से बाहर निकालने के वास्ते अपनी ही भाषा, संस्कृति से बेदखल हो रहे
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