| Monday, 14 May 2012 12:58 |
अदालत शेखर द्वारा दाखिल ताजा याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अदालत से कहा था कि वह तिवारी को डीएनए परीक्षण के लिए अपने रक्त का नमूना देने के लिए कहे ताकि यह मालूम हो सके कि वह शेखर का जैविका पिता है या नहीं। वयोवृद्ध नेता को इस मामले में हाल ही में उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय से कोई राहत नहीं मिल पाई। दोनो ही अदालतों को रक्त का नमूना न देने की उनकी मंशा को मानने से इंकार कर दिया। उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने कहा था कि तिवारी को रक्त का नमूना देने पर मजबूर करने में पुलिस बल का इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि न्यायिक आदेशों का पालन न होने से अदालतों की ''जगहंसाई'' होगी। इस आदेश के खिलाफ तिवारी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिल पाई। शेखर ने अपनी याचिका में कहा था कि अदालत के 27 अप्रैल के आदेश की अनुपालना के लिए अदालत को एक आयुक्त की नियुक्ति करनी चाहिए ताकि पुलिस की सहायता से तिवारी के रक्त का नमूना लिया जा सके। उन्होंने अदालत से कहा था कि वह तिवारी को देश से बाहर जाने से रोकें ताकि अदालत के आदेश का पालन हो सके। शेखर ने 2008 में दाखिल पितृत्व मामले में कहा था कि तिवारी उनके पिता हैं और अदालत उन्हें उनका जैविक पिता घोषित करे। उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश और खंडपीठ ने इस मामले में डीएनए परीक्षण के लिए रक्त का नमूना देने को कहा था। |
Monday, May 14, 2012
हाईकोर्ट ने खून का नमूना देने के लिए तिवारी को दिया दो दिन का समय
हाईकोर्ट ने खून का नमूना देने के लिए तिवारी को दिया दो दिन का समय
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