सराकर यूपी के समाजवादियों की हो या उत्तराखण्ड के कांग्रेसियों की,या फिर छत्तीसगढ़ में भाजपा की रेत व खनन माफियाओं से सभी के रिश्ते एक जैसे हैं l
माफिया पर कारवाई करने पर सस्पेंड हुई नोएडा की आईएएस एसडीएम सुश्री दुर्गा शक्ति नागपाल का नाम भूले से चर्चा में आ गया, इसी प्रकार से उत्तराखण्ड में भी माफिया के इशारे पर अफसरों पर गाज गिरती रही है, बस फर्क इतना कि वह मीडीया की चर्चा में नहीं आ पाया ! क्योंकि यहाँ पर सरकार कांग्रेस की है और विपक्ष भाजपा का, और इनके नेताओं के खनन और रेता व्यवसाय में आपस की रिश्तेदारी किसी से छिपी नहीं है, और शायद यही कारण है कि किसी अधिकारी पर इस प्रकार की कारवाई किये जाने पर कभी राज्य में हो हल्ला भी नहीं मचता ! अभी कुछ महीने पहले उधमसिंह नगर जिले के बाजपुर में खनन माफिया के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने पर क्षेत्र से राज्य सरकार में भारी भरकम विभागों के केबिनेट मंत्री ने उस कड़क पुलिस अधिकारी का तबादला करवाने को पूरी की पूरी पुलिस रेंज ही खत्म करवा दी, और लगे हाथ वरिष्ठ आईपीएस संजय गुंज्याल का तबादला भी ऐसी जगह करवा दिया, जहाँ किसी नये आईपीएस अधिकारी को भेजा जाना चाहिए था ? हरिद्वार के एसएसपी ने खनन कारोबारियों पर हाथ डाला तो उनका भी तबादल कर उन्हें ऐसी जगह पदस्थापित किया गया जहाँ किसी ट्रेनी आईपीएस को तैनात किया जाता है !
दरअसल खनन का यह काला कारोबार प्रभावशाली नेताओं के चेले-चपाटों और नेताओं के पार्टनरों के हाथ में है, इसलिए इन पर जो हाथ डालेगा उनका यही अंजाम होगा, दुर्गा शक्ति का मामला कोई नया नहीं है, खनन रोकने को जिम्मेदार विभाग के ईमानदार अफसर रोज इन नेताओं के चेले चपाटो की धोंसों से दो चार होते हैं ? हल्द्वानी की गौला नदी में गौरा पड़ाव से लेकर रानीबाग तक खच्चरों के जरिये खुलेआम ढोए जाने वाले रेता से इसकों समझा जा सकता है l
यह दोष हमारे नेता चुनने का हैं, सरकार बनवाने का है,वर्तमान में सत्ता सभाले या संभालने का ख्वाब देखने वाले राजनैतिक दलों के नेताओं का असली चरित्र भी यही है कि एक बार सत्ता पाओ और जिंदगी भर का एक साथ जोड़ ले जाओ, चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े, कुछ भी ? यकीन ना हो अपने शहर में नए नए पैदा हुए इन दलों के नेताओं की कुंडली खंगाल लो हकीकत भी दिखाई दे जायेगी ?
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