Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Saturday, November 9, 2013

आलू रोकने की जवाबी कार्रवाई, बंगाल की नाकेबंदी शुरु,अभूतपूर्व खाद्य संकट के सम्मुखीन राज्यवासी! ওড়িশা সীমান্তে আটকে দেওয়া হল এ রাজ্যে আসা মাছ আর পিঁয়াজ ভর্তি ট্রাক,আলুর দাম ১৭ বলতেই রেগে গেলেন মুখ্যমন্ত্রী

आलू रोकने की जवाबी कार्रवाई, बंगाल की नाकेबंदी शुरु,अभूतपूर्व खाद्य संकट के सम्मुखीन राज्यवासी!

ওড়িশা সীমান্তে আটকে দেওয়া হল এ রাজ্যে আসা মাছ আর পিঁয়াজ ভর্তি ট্রাক,আলুর দাম ১৭ বলতেই রেগে গেলেন মুখ্যমন্ত্রী


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

संकेत पहले से मिल रहे थे। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज्य से बाहर आलू भेजने पर रोक के अभूतपूर्व फैसले से नाराज अभूतपूर्व आलू संकट से जूझ रहे देश के बाकी राज्यों में देश के संघीय ढांचे का हवाला देकर जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी जा रही थी।अब मछलियों और प्याज की आवक ओड़ीशा में ट्रकों के रोक दिये जाने से बंद हो गयी है। यह संकट दूसरे राज्यों में भी नाकेबंदी से गहरा जायेगा।नतीजतन आलू संकट बहुत जल्द भारी खाद्य संकट में तब्दील होने जा रहा है। खासकर गेंहू,दलहन और तिलहन के उत्पादन में बंगाल बहुत पीछे होने की वजह से बाहरी राज्यों से होने वाली आवक परही निर्भर है बंगाल।दाम बांधने से बाजार पर नियंत्रण होगा नही क्योंकि बाजार में माल आयेगा,तभी न रेट लगेगी।गौरतलब है कि ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल से आलू की सप्लाई रोकने के फैसले के कारण उड़ीसा, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश और पूरे उत्तर पूर्व में आलू आम आदमी की पहुंच से दूर हो गया है। इनमें से ज्यादातर राज्यों में आलू की कीमतों में तेजी आई है।छत्तीसगढ़ में भी आलू की सप्लाई उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, कानपुर, आगरा और पश्चिम बंगाल से होती है।


समुद्री तूफान पिलिन से आंध्र  और ओडीशा के अलावा बंगाल के कई हिस्सों में खेती को भारी नुकसान हुआ है। समुद्री तूफान और बाढ़ की दोहरी मार झेल रहे ओडीशा के लोग बंगाल की रोक की वजह से खासा नाराज हैं। नतीजतन शनिवार को बंगाल ओडीशा सीमा पर राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 60 पर लोगों ने प्याज और मछलियां लदे ट्रक बंगाल आने से रोक दिया। सुबह आठ बजे से लेकर शाम तीन बजे तक यह नाकेबंदी हालांकि प्रशासनिक हस्तक्षेप से टल गया है ,लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि ओडीशा या फिर किसी दूसरे पड़ोसी राज्य में इस वारदात की पुनरावृत्ति नही होगी।



इस बीच भैय्या दूज को लापता ज्योति आलू बाजार में फिर उपलब्ध होने लगा है और किराने की दुकान पर भी आलू बिकने लगा है सरकारी रेट पर। केंद्र सरकार ने भी दीदी के आलू बाहर भेजने पर रोक के कदम का समर्थन करके कह दिया कि राज्य से बाहर भेजे जाने की वजह से ही बंगाल में आलू संकट हुआ है। कृषि विपणन विभाग की बागडोर खुद संभालकर दीदी ने बंगालियों की रसोई में आलू तो बहाल कर दिया,लेकिन हाट बाजार में सन्नाटा है। किराना वालों का कहना है कि सरकारी आदेश है,इसलिए घाटा उठाकर सरकारी रेट पर ही आलू बेच रहे हैं। लेकिन कारोबार घाटा उठाकर चलाना संभव नहीं है।इसलिए जिन चीजों के दाम बंधे नहीं हैं,उनके मार्फत मुनाफे के रास्ते लौटने की मजबूरी है। सब्जी बाजारों और हाटों से यक ब यक विक्रेता गायब हो गये हैं,जो हैं उनके वहां भी माल नही ंहै।जो है,उसकी कीमत आसमान चूम रही है।आम जनता  की शिकायत है कि सरकार को सिर्फ आलू की फिक्र है ,जाड़े की तमाम सब्जियां अंगार हो गयी हैं और उन्हें छूने का भी उपाय नहीं है।


प्याज की कीमत पचास रुपये तक गिर गयी थी,लेकिन आलू संकट की आड़ में फिर प्याज की कीमतें बढ़ने लगी है। कोलकाता के बाजारों में सबसे ज्यादा निगरानी है ौर खुद मुख्यमंत्री बाजारों में बिना नोटिस पहुंच रही हैं।टासक फोर्स अलग से है।जबकि शनिवार को ही खास कोलकाता के बाजारों में सरकारी रेट के विपरीत ज्योति आलू 16 से 18 रुपये किलो भाव बिकता दिखा। उपनगरों में सर्वत्र खुले बाजार में ज्योति आलू 16 - 18 रुपये किलो बिक रहा है।चंद्रमुखी आलू बीस से कम कहीं नहीं मिल रहा है। दुकानदार तक शिकायत कर रहे हैं कि सरकारी आलू सड़ा गला है। एक बोरी में दो तीन किलो तक आलू दुकानदार को ही फेंकना पड़ रहा है। उपभोक्ताओं को सरकारी आलू छांटने की आजादी नहीं है। जाहिर है कि लोग 16-18- 20 के भाव से बेहतर आलू खरीद रहे हैं।


इसीतरह प्याज का सरकारी दाम 36 रुपये प्रति किलो है जबकि शनिवार को ही कोलकाता में प्याज का भाव 70-80 रुपे किलो रहा।


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लेकिन यह कतई मानने को तैयार नही ंहै कि कहीं कहीं आलू 13 रुपये और प्याज 36 रुपये भाव से ज्यादा महंगा बिक रहा है।शनिवार को नवान्न की लिफ्ट के सामने पत्रकारों ने जब शिकायत की कि कहीं भी तेरह रुपये भाव आलू और 36 रुपये भाव प्याज जनता को नहीं मिल रहा है,तो वे सख्त नाराज हो गयीं।


मुखयमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें खबर है कि ज्योति आलू तेरह रुपये भाव ही बिक रहा है और प्याज 36रुपये भाव। पत्रकार जब उन्हें बाजार भाव बताने लगे तो उन्होंने कपूचा कि तुम लोगो ं काकहा ही सच होगा क्या।तुम लोगों की सूचना सिरे से गलतहै।इसके बाद वे पत्रकारों से फिर कोई बात किये बिना लिफ्ट में दाखिल हो गयीं।


महानगर व पासपड़ोस के जिलों के विभिन्न बाजारों में ज्योति आलू देखने को भी नहीं मिल रहा है। कई बाजारों में सरकार की ओर से भेजे गए आलू कुछ कुछ ही देर में समाप्त हो गया।खुदरा आलू विक्रेता थोक साहूकार से 13 रुपये से अधिक दर पर आलू खरीद रहे हैं और उस पर लाभ लेकर बेच 16 -18 रुपये किलो बेच रहे हैं। फिर कार्रवाई व नुकसान के डर से खुदरा आलू बेचने वाले दुकानदार दुकान बंद कर गायब हो रहे हैं।जाहिर है कि मुख्यमंत्री द्वार निर्धारित दर से आम लोगों को खुले बाजार में आलू मिलना चाहिए था लेकिन वह पर्व-त्यौहार के मौके पर लोगों नहीं मिला। इससे मुख्यमंत्री क्षुब्ध हुईं और उन्होंने आलू व्यवसायियों के खिलाफ कड़ा कदम उठाने का निर्णय किया। उन्होंने महानगर के कुछ बाजारों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। बाजारों मे खुद घूम कर स्थिति की समीक्षा करने के बाद उन्हें पता चला कि सरकार द्वारा निर्धारित दर पर लोगों को आलू नहीं मिला। इस पर उन्होंने खेद जताया और कहा कि आलू व्यवसायियों ने उनके साथ विश्वासघात किया है। जनता को सस्ते दर पर आलू उपलब्ध कराने के वादा कर व्यवसायियों ने उसे पूरा नहीं किया। उन्होंने बाजार में कृत्रिम संकट पैदा करनेवाले व्यापारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। साथ ही कृषि विपणन विभाग की जिम्मेदारी खुद संभाल ली ताकि व्यवसायियों में भय पैदा हो सके।


मुख्यमंत्री ने स्वीकार भी किया है कि जिन व्यवसायियों ने बाजार में आलू का कृत्रिम संकट पैदा किया वे फरार हैं। उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। उनके व्यवसाय का लाइसेंस भी रद किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने 30 नवंबर तक सभी कोल्ड स्टोरेजों से आलू निकालने का निर्देश दिया है। व्यवसायी कोल्ड स्टोरेज से आलू निकलाने को तत्पर नहीं हुए तो सरकार खुद हिमघरों को खाली कराने की दिशा में कदम बढ़ाएगी।


इसी के मध्य कोलकाता, हावड़ा और उपनगरों के बाजारों में राजनीतिक कार्यकर्ता धावा बोल रहे हैं और सरकारी रेट से ज्यादा कीमत पर आलू प्याज की बिक्री देखकर हंगामा बरपा रहे हैं। जनपदों में बाजारों तक पुलिस नहीं पहुंच रही है और कारोबारी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।


बाकी राज्यों में आलू संकट गहरा रहा है,इसका असर बंगाल को जरुरी चीजों की आवक पर पड़ सकता है, जैसा कि ओडीशा में दिखा। केंद्र सरकार जहां ममता के कदम की सराहना कर रही है,वहीं राजधानी नयी दिल्ली में प्याज औैर टमाटर के बाद अब महंगा होने की बारी आलू की है। आलू का स्टॉक तो पिछले साल की तुलना में ज्यादा है लेकिन नई फसल की आवक में देरी और बाहर आलू भेजने पर पश्चिम बंगाल की पाबंदी से दाम बेकाबू हो गए हैं। बंगाल आलू पैदा करने वाला सबसे बड़ा राज्य है।दिल्ली वासी इस आलू संकट के लिए ममता दीदी कोजिम्मेदार ठहरा रहे हैं।दिल्ली के खुदरा बाजार में आलू 30 से 40 रुपये प्रति किलो के भाव बिक रहा है, जबकि पिछले साल का करीब 10 से 12 फीसदी आलू अभी कोल्ड स्टोरेज से नहीं निकला है। इस साल बारिश के चलते खरीफ की बुवाई में देरी हुई, जिससे पंजाब से नई फसल का आलू मंडियों में देर से पहुंच रहा है। प. बंगाल सरकार ने कीमतें बढ़ने की आशंका में राज्य से आलू बाहर भेजने पर पाबंदी लगा दी। इससे कर्नाटक, ओडिशा, असम समेत यूपी और दिल्ली से आलू की मांग बढ़ने से भाव बढ़ गए। राष्ट्रीय बागवानी एवं अनुसंधान विकास प्रतिष्ठान के निदेशक आरपी गुप्ता ने बताया कि बारिश से नए आलू की बुवाई में 20 से 25 दिन की देरी हुई है। बाजार में पहुंचने वाले नए आलू की आवक कम रही है। प. बंगाल में लगी रोक से कई राज्यों में आलू की किल्लत होने लगी है। इससे व्यापारियों को दाम बढ़ाने का मौका मिल गया।


यही हाल पड़ोसी राज्य झारखंड में है ।जमशेदपुर शहर में पश्चिम बंगाल से आलू की आवक लगभग रुक गयी है। वहां आलू का थोक मूल्य 28 रुपये किलो तक चला गया । झारखंड सरकार ने कोई पहल नहीं की और आलू 40 रुपये किलो तक बिकने लगा। थोक व्यापारी दूसरे राज्यों से आलू मंगाने में हिचक रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों को बंगाल का आलू अधिक पसंद है। सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को त्रहिमाम पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि इससे महंगाई बढ़ रही है। बंगाल से ही आलू आता है। रोक लग जाने से आपूर्ति पूरी तरह प्रभावित हो गयी है। इसको देखते हुए सरकार को पहल करनी चाहिए।


देशभर में सर्वत्र कमोबेश यही हाल है।प्याज के बाद अब टमाटर और आलू की कीमतों में उछाल आया है। करीब एक महीने से महंगे प्याज के रेट को लेकर हाय-तौबा मची है। नतीजतन प्याज सलाद से गायब होकर तड़के तक सिमट गया। इस शोरगुल के बीच आलू और टमाटर ने तेवर तीखे कब कर लिए, पता ही नहीं चला। 10 रुपये प्रति किलो का आलू 35-40 का हो गया।सिर्फ एक महीने पहले 25 रुपये प्रति किलो बिकने वाला टमाटर का भाव दिल्ली में 85 रुपये तक पहुंच गया है। वहीं, 60 रुपये किलो में मिलने वाले प्याज के लिए अब लोग दे रहे हैं 75 रुपये।


प्याज और टमाटर के बिना तो काम चल सकता है, लेकिन आलू के दाम आसमान पर पहुंचने से लोग हैरान हैं। आलू के भाव 45 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। जबकि, सिर्फ एक महीने पहले इसका भाव 20 रुपये था। इसके अलावा गोभी, बैंगन, मटर की कीमतों में भी तेज उछाल आया है। 40 रुपये किलो बिकने वाले गोभी-बैगन के लिए 60 रुपये देने पड़ रहे हैं। वहीं मटर की कीमतों में भी एक महीने में 10 रुपये का उछाल आया है।






আলুর রফতানি বন্ধ বুমেরাং হয়ে ফিরে এল রাজ্যের কাছে, ওড়িশা সীমান্তে আটকে দেওয়া হল এ রাজ্যে আসা মাছ আর পিঁয়াজ ভর্তি ট্রাক

আলু রফতানি বন্ধ করা বুমেরাং হয়ে ফিরে আসল রাজ্যের কাছে। আলুর বদলা পেঁয়াজে, মাছে নিলেন ওড়িশার বাসিন্দারা। এরাজ্যে মাছ, পিঁয়াজ আমদানীতে বাধা দিলেন তাঁরা। ভিন রাজ্যে আলু রফতানির নিষেধাজ্ঞার জেরে,  ওড়িশা সীমান্তে ৬০ নম্বর জাতীয় সড়কে পেঁয়াজ ও মাছ ভর্তি ট্রাক আটকে দেয় ওড়িশার বাসিন্দারা। সকাল আটটা থেকে বিকেল তিনটে পর্যন্ত, পশ্চিম মেদিনীপুরের দাঁতনের কাছে ওড়িশার লক্ষ্ণণনাথ এলাকায় ৩০-৪০টি ট্রাক আটক করে রাখে ওই অঞ্চলের স্থানীয় বাসিন্দারা। ট্রাকগুলিতে মাছ, পেঁয়াজ ও চাল আসছিল রাজ্যে।


পরে অবশ্য প্রশাসনিক অনুরোধে অবরোধ তুলে নেন স্থানীয় বাসিন্দারা।

http://zeenews.india.com/bengali/nation/bumerang-decision_17726.html


আলুর দাম ১৭ বলতেই রেগে গেলেন মুখ্যমন্ত্রী

এই সময়: এক দিকে পুলিশের হুমকি, অন্য দিকে অতি উত্‍সাহী তৃণমূল কর্মীদের জুলুমবাজি৷ এই দু'য়ের সাঁড়াশি আক্রমণে ফের বাজার থেকে আলু উধাও হয়ে যেতে পারে বলে ব্যবসায়ীদের আশঙ্কা৷ সরকার আলু সরবরাহের কাজ শুরু করায় বাজার কিছুটা চাঙ্গা হয়েছিল৷ কিন্ত্ত ফের সিঁদুরে মেঘ উঁকি মারছে৷ এর সঙ্গে শুরু হয়েছে রাজ্যের প্রাক্তন ও বর্তমান মুখ্যমন্ত্রীর চাপানউতোর৷



সরকার জ্যোতি আলুর খুচরো দাম কিলোপ্রতি ১৩ টাকা এবং পেঁয়াজের দাম ৩৬ টাকা বেঁধে দিলেও ব্যবসায়ীদের একটা বড় অংশ তাকে বুড়ো আঙুল দেখাচ্ছেন৷ সরকারি নিষেধাজ্ঞা সত্ত্বেও শনিবার শহরের বিভিন্ন বাজারে জ্যোতি আলু বিক্রি হয়েছে ১৬-১৮ টাকা কিলো দরে৷ চন্দ্রমুখী আলু বিক্রি হয়েছে ২০ টাকা কিলোয়৷ পেঁয়াজ বিক্রি হয়েছে ৭০-৮০ টাকা দরে৷ তার মধ্যেই কলকাতার বিভিন্ন বাজারে শাসক দলের নেতা-কর্মীরা ১৩ টাকা দরে আলু বিক্রি করার জন্য দোকানদারদের চাপ দিচ্ছেন৷ দাম বাড়ালে ব্যবসা বন্ধ করে দেওয়ারও হুমকি শুনতে হচ্ছে ব্যবসায়ীদের৷ তাঁদের যুক্তি, বেশি দামে আলু কিনে তা ১৩ টাকায় বিক্রি করা সম্ভব নয়৷ একই ভাবে চাপ দিচ্ছে পুলিশও৷


মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় অবশ্য মানতে রাজি নন যে, বাজারে ১৩ টাকায় আলু মিলছে না৷ শনিবার দুপুরে নবান্নতে লিফটে ওঠার সময় সাংবাদিকরা মুখ্যমন্ত্রীকে জানান, বাজারে ১৩ টাকা দরে আলু পাওয়া যাচ্ছে না৷ মুখ্যমন্ত্রী তাঁদের পাল্টা বলেন, 'আমার কাছে খবর আছে, জ্যোতি আলু ১৩ টাকা করেই বিক্রি হচ্ছে৷' সাংবাদিকরা ফের তাঁকে জানান, এ দিনই দক্ষিণ কলকাতার বিভিন্ন বাজারে ১৭ টাকায় জ্যোতি এবং ২০ টাকায় চন্দ্রমুখী আলু বিকিয়েছে৷ মুখ্যমন্ত্রী তখন রেগেমেগে বলেন, 'তোমরা যা বলবে, সেটাই হবে নাকি? তোমাদের ইনফরমেশন ঠিক নয়৷ আমার কাছে খবর, সব জায়গায় ১৩ টাকা করেই জ্যোতি আলু বিক্রি হচ্ছে৷' এ কথা বলেই তিনি সোজা লিফটের দিকে হাঁটা দেন৷ যাওয়ার সময় কর্তব্যরত পুলিশ অফিসারদের উদ্দেশে বলেন, 'এখানে এত ভিড় কেন?' তাতে মুখ শুকিয়ে যায় পুলিশ কর্তাদের৷ মুখ্যমন্ত্রী লিফটে ঢুকে যাওয়ার পর পুলিশ অফিসাররা সাংবাদিকদের বলেন, 'আপনাদের জন্য আমাদের কথা শুনতে হল৷'


এ দিনই বিকেলে উত্তর ২৪ পরগনায় সিপিএমের এক জনসভায় প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য আলু-সহ সমস্ত সব্জির দাম বৃদ্ধির জন্য মমতার সরকারকে কাঠগড়ায় দাঁড় করান৷ তিনি বলেন, 'রাজ্য সরকারের অপদার্থতার জন্যই সব জিনিসের দাম বাড়ছে৷ এই সরকারের যে কী কাজ, সেটাই কেউ জানে না৷ রোজ রোজ উনি (পড়‌ুন মুখ্যমন্ত্রী) ভাষণ দিচ্ছেন, আর রোজ রোজ জিনিসের দাম বাড়ছে৷ আমরা চিনির দাম নিয়ন্ত্রণে রেখেছিলাম৷ ওরা আলু-পেঁয়াজের দাম বেঁধে পরিস্থিতি আরও জটিল করে দিয়েছে৷ আলু নিয়ে ছেলেখেলা হচ্ছে৷ শুধু জলসা করছে, আর ক্লাবগুলিকে টাকা দিচ্ছে৷'


পুলিশি ধড়পাকড়ের ভয়ে শহরের অনেক আলু বিক্রেতা এ দিন দোকানই খোলেননি৷ হাতেগোনা যে ক'জন ব্যবসায়ী সরকারি দরে আলু, পেঁয়াজ বিক্রি করেছেন, তাঁরা ক্রেতাদের বাছাই করার কোনও সুযোগ দেননি৷ ফলে পচা, কাটা বাতিল আলু নিয়ে সন্ত্তষ্ট থাকতে হয়েছে সাধারণ মানুষকে৷ আলু সরবরাহের কাজে নিযুক্ত সরকারি আধিকারিকদের আশঙ্কা, শনিবার থেকে খুচরো বাজারে যে ভাবে পুলিশি অভিযান শুরু হয়েছে তাতে রবিবার থেকে অনেক আলু বিক্রেতা আর দোকান খোলারই সাহস পাবেন না৷ তাতে শহরের বাজারে আলু ও পেঁয়াজ ফের দুর্লভ হয়ে উঠতে পারে৷ তার ইঙ্গিতও মিলতে শুরু করেছে৷ গত কয়েক দিনের মতো শনিবারও কলকাতা পুরসভার উদ্যোগে শহরের বিভিন্ন বাজারে আলু-পেঁয়াজ সরবরাহ করা হলেও মোট ২৩টি বাজারে ব্যবসায়ীরা আলু নেননি৷ তার মধ্যে শুধু যাদবপুর এলাকাতেই মোট ২০টি বাজারে একটিও আলুর বস্তা নামেনি৷ বেহালার জ্যোতিষ রায় মার্কেট, শিলপাড়া এবং নিউ আলিপুর বাজারের ব্যবসায়ীরাও সরকারি আলু নিতে অস্বীকার করেছেন বলে পুরসভার মেয়র পারিষদ সদস্য (বাজার) তারক সিং জানিয়েছেন৷


মুখ্যমন্ত্রী ১৩ টাকা কিলো দরে আলু বিক্রি হচ্ছে বলে দাবি করলেও শহরের বিভিন্ন বাজার ঘুরে অন্য ছবি ধরা পড়েছে৷ সকাল সাড়ে ১০টা নাগাদ বাঘাযতীন স্টেশন রোড বাজারে গিয়ে দেখা গেল, জ্যোতি আলু বিক্রি হচ্ছে ১৬ টাকায়, চন্দ্রমুখী ২০ টাকায়৷ পেঁয়াজের দাম ৭০-৮০ টাকা৷ সরকারি দরে আলু বিক্রি হচ্ছে কি না, তার উপর নজর রাখতে ঘুরে ঘুরে দেখছেন পুলিশকর্মীরা৷ তীক্ষ্ণ নজর রাখছেন স্থানীয় তৃণমূল কর্মীরাও৷ কিন্ত্ত তাতে আখেরে যে কোনও লাভ হচ্ছে না, তা ক্রেতাদের কথাতেই স্পষ্ট৷ আলু কিনতে আসা এক মাঝবয়সী মহিলা অনুযোগের সুরে বললেন, 'পুলিশ দেখলেই বিক্রেতারা বলছেন, সব মাল বিক্রি হয়ে গেছে৷ ১৩ টাকা দিয়ে কিনলে কাটা, ফাটা আলুই নিতে হবে৷ বেছে নেওয়া যাবে না৷ সরকার বলছে, ৩৬ টাকায় নাকি পেঁয়াজ বিক্রি হচ্ছে৷ কিন্ত্ত সেই পেঁয়াজ গোরু-ছাগলেও খাবে না৷ ভালো পিঁয়াজের দাম নিচ্ছে ৭০ টাকা৷' যাঁর বিরুদ্ধে এই অভিযোগ, সেই আলু বিক্রেতা অবশ্য এসব নিয়ে বিন্দুমাত্র বিচলিত নন৷ হুমকি ছেড়ে তিনি বলেন, 'মামার বাড়ির আবদার নাকি! ১৩ টাকায় আলু কিনে ১৩ টাকাতেই দেব? ৫৬ টাকায় পেঁয়াজ কিনেছি, আর পুলিশ বলে যাচ্ছে, ৩৬ টাকায় দিতে হবে৷ কাল থেকে আর বাজারে কেউ আলু নিয়ে বসবে না৷ তখন বুঝতে পারবে, কত ধানে কত চাল৷'



পড়শি রাজ্যে আলু বন্ধে সায় কেন্দ্রের

অনমিত্র সেনগুপ্ত • নয়াদিল্লি

ভিন্ রাজ্যের রসনা তৃপ্ত করতে গিয়েই আলু নিয়ে সঙ্কটে পড়েছে পশ্চিমবঙ্গ সম্প্রতি রাজ্যের বাজার থেকে আলু উধাও হওয়ার কারণ বিশ্লেষণ করতে গিয়ে এমনটাই মনে করছে কেন্দ্রীয় কৃষি মন্ত্রক। মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের সরকার যে ভিন্ রাজ্যে আলু যাওয়ার উপরে আপাতত নিষেধাজ্ঞা চাপিয়েছে, তাকেও প্রকারান্তরে সমর্থনই করেছে দিল্লি।

কেন্দ্রের কাছে গোটা ঘটনায় খলনায়ক হচ্ছে 'পিলিন'। এই ঘূর্ণিঝড়ে ওড়িশা-সহ দক্ষিণ ভারতে তো বটেই, প্রবল বৃষ্টি হয়েছে বিহার এবং ঝাড়খণ্ডেও। আর এই অসময়ের বৃষ্টিতেই মার খেয়েছে আলুর ফলন। ফলে বেড়ে গিয়েছে পশ্চিমবঙ্গের আলুর চাহিদা। রাজ্যে এ বার আলুর ফলনও ভাল হয়েছে। কেন্দ্রীয় কৃষি মন্ত্রক মনে করছে, তাই বাড়তি লাভের আশায় ওই সব রাজ্যে আলু পাঠাতে বেশি আগ্রহী পশ্চিমবঙ্গের আলু ব্যবসায়ীরা। আজ নাসিক থেকে ন্যাশনাল হর্টিকালচারাল রিসার্চ অ্যান্ড ডেভলপমেন্ট ফাউন্ডেশনের অধিকর্তা বি আর গুপ্ত বলেন, "গত মাসে ওড়িশা ও অন্ধ্রপ্রদেশে ঘূর্ণিঝড়ের কারণে আলু-সহ অন্যান্য সব্জির ফলন নষ্ট হয়েছে। এর ফলে এক দিকে চাহিদা তৈরি হয়েছে। আবার ভবিষ্যৎ চাহিদার কথা মাথায় রেখে বেশি লাভের আশায়ও আলু মজুত করার পথে হাঁটতে পারেন ব্যবসায়ীরা। সম্ভবত ওই দুই কারণেই রাজ্যের মানুষের পাতে বাড়ন্ত আলু।"

পশ্চিমবঙ্গ প্রশাসনও এই যুক্তিতেই ভিন্ রাজ্যে আলু পাঠানো বন্ধ করে। রাজ্যের বক্তব্য, বাড়তি লাভের আশায় ব্যবসায়ীদের একটি বড় অংশ অন্য রাজ্যে আলু পাঠাতে উৎসাহী। তাই আলু ভর্তি কোনও ট্রাক যাতে পশ্চিমবঙ্গের সীমানা পার হতে না পারে, সে জন্য আন্তঃরাজ্য সীমানা সিল করার সাময়িক নির্দেশ দিয়ে রেখেছেন খোদ মুখ্যমন্ত্রী।

এখন প্রশ্ন উঠেছে, সীমানা বন্ধের এই সিদ্ধান্ত কি সঠিক?

এর বিরুদ্ধে সরব আলু ব্যবসায়ীদের একাংশ। তাঁদের বক্তব্য, রাজ্য প্রশাসনের ওই নিয়ম অগণতান্ত্রিক। সিদ্ধান্তটি তোলার জন্য মমতার কাছে আর্জি জানিয়েছেন বিহার ও ওড়িশার মুখ্যমন্ত্রী নীতীশ কুমার এবং নবীন পট্টনায়ক। তাঁরা বলছেন, তাঁদের রাজ্যে বাড়তি চাহিদা মেটানোর মতো আলুর ফলন হয়নি। তাই পশ্চিমবঙ্গ থেকে এখনই আলু না এলে বড় সঙ্কট তৈরি হবে। বিষয়টি নিয়ে কেন্দ্রীয় কৃষি মন্ত্রকের দ্বারস্থ হওয়ার কথাও ভাবছেন তাঁরা। প্রদেশ কংগ্রেস সভাপতি প্রদীপ ভট্টাচার্যও সীমানা বন্ধের এই সিদ্ধান্তের বিরোধিতা করেছেন। বলেন, আলু অন্য রাজ্যে যেতে না দেওয়ার সিদ্ধান্ত ঠিক নয়। তাঁর দাবি, আলু ব্যবসায়ীদের সঙ্গে ক'জন তৃণমূল নেতার ষড়যন্ত্রের ফলেই রাজ্যে এই আলু-সঙ্কট।

পশ্চিমবঙ্গের সাময়িক সীমানা বন্ধের ব্যাপারে কেন্দ্রীয় কৃষি মন্ত্রক কী ভাবছে? কেন্দ্রীয় মন্ত্রক জানাচ্ছে, অত্যাবশ্যকীয় পণ্য আইনে আলুর কথা বলা নেই। তাই মন্ত্রকের ব্যাখ্যা, রাজ্য চাইলে সেই নিষেধাজ্ঞা আলুর উপরেও বলবৎ হতে পারে।

কমিশন ফর এগ্রিকালচার কস্ট অ্যান্ড প্রাইস-র চেয়ারম্যান অশোক গুলাটির বক্তব্য, "অত্যাবশ্যক পণ্য আইনটি কেন্দ্রীয় আইন হলেও তা রূপায়ণ করার দায়িত্বে থাকে রাজ্য সরকারগুলি। তাই কোনও রাজ্য চাইলে প্রয়োজনে কোনও পণ্যকে অর্ন্তভুক্ত করতে পারে বা বাদ দিতে পারে।" এই সূত্রে উদাহরণ দিয়ে মন্ত্রক সূত্রে বলা হয়, সম্প্রতি দক্ষিণ ভারতের একটি রাজ্য চালের ক্ষেত্রে একই রকম বাধানিষেধ আরোপ করে।

রাজ্য সরকার আজ কেন্দ্রীয় কৃষি মন্ত্রককে জানিয়েছে, এত দিন উৎসবের মরসুম চলায় শ্রমিক অমিল ছিল। তাই হিমঘরগুলি থেকে মাল খালাসেও ভাটা পড়েছিল। বাজারে আলু পাঠাতে সমস্যা হচ্ছিল ব্যবসায়ীদের। তা ছাড়া বাজারে হঠাৎ করে যে আলুর চাহিদা তৈরি হবে, সে সম্পর্কে রাজ্যের কাছে কোনও পূর্বাভাস ছিল না। পচে যাওয়ার ভয়ে যে কোনও হিমঘরে প্রায় ২ ডিগ্রি সেন্টিগ্রেডের কাছাকাছি তাপমাত্রায় আলু সংরক্ষণ করা হয়। সেখান থেকে আলুকে স্বাভাবিক তাপমাত্রায় এনে তা বাজারে বিক্রি করতে হলে কয়েক দিন সময় লেগে যায়।

রাজ্য প্রশাসনের বক্তব্য, সেই সময়টুকু পার হতেই বাজারে আলুর জোগান বাড়তে শুরু করেছে। আজ দিল্লিকে রাজ্য সরকার যে বার্তা পাঠিয়েছে, সেখানে বলা হয়েছে, চলতি সমস্যাটির দেখভাল করছেন খোদ মুখ্যমন্ত্রী। তাঁর তত্ত্বাবধানে রাজ্য একাধিক পদক্ষেপ করেছে। ফলে পরিস্থিতি ধীরে ধীরে স্বাভাবিক হওয়ার পথে।

http://www.anandabazar.com/9desh1.html

আলুর জন্য হাহাকার, মুখ্যমন্ত্রী দাম বেঁধে দিয়েছেন আলুর, মহার্ঘ্য অনান্য সবজির ব্যাপারে কেন উদাসীন সরকার, প্রশ্ন আমজনতার

আলুর জন্য হাহাকার বাজারজুড়ে। দাম বেঁধে দেওয়ার পর রাজ্যজুড়ে আলুর আকাল। মুখ্যমন্ত্রী নিজে বেঁধে দিয়েছেন আলুর দাম। কিন্তু অন্যান্য সবজি কী দোষ করল? প্রশ্ন আমজনতার। গত প্রায় ছয় মাস ধরে সবজি ও মাছের যা দাম, তা বারবার সংকটে ফেলেছে মধ্যবিত্তকে। সেগুলির দাম কমানোর ব্যাপারে সেভাবে কোনও সরকারি উদ্যোগও নেই। তাহলে কি দাম আর কোনওদিনই কমবে না?


আশঙ্কায় রাজ্যবাসী। আলুর দামে রাশ টানার মরিয়া চেষ্টায় সরকার। বাকি সবজির ক্ষেত্রে সরকার নিশ্চুপ কেন? প্রশ্ন আমজনতার। সবজির দামে আগুন লেগেছে বছরখানেক আগে।  হাতে গোণা সরকারি কাউন্টার থেকে সাকুল্যে তিন-চার দিন সবজি বিক্রি হয়েছে। কিন্তু তারপর আর কোনও উদ্যোগই চোখে পড়েনি। বাজারে এনফোর্সমেন্টের অফিসাররা এসে আলুর দাম নিয়ে খবরদারি করছেন। কিন্তু সবজির চড়া দাম সত্ত্বেও তাঁরা নীরব।

শেখ হাসিমুল, সবজি বিক্রেতা, মানিকতলা বাজার

২৯১২-এর নভেম্বরের সঙ্গে ২০১৩-এর নভেম্বরের সবজির দামের তুলনা করলেই বোঝা যায়, সবজির দাম নিয়ন্ত্রণ নিয়ে সরকারের তেমন মাথাব্যাথা নেই।

গত বছর পটল ছিল ২৫ টাকা। এবছর ৫০।

ঢ্যাঁড়শ ছিল ৩০। বাড়তে বাড়তে ৮০।

লাউ ছিল ৩০। বেড়ে ৬০।

পেঁপে ১০ থেকে বেড়ে ১৫।

উচ্ছে ৪০ থেকে বেড়ে ৭০।

লঙ্কা ৪০ থেকে বেড়ে ১০০ ছুঁয়ে এখন ৭০।

টমেটো ছিল ৩০। এখন ৬০।

বেগুন ২০ টাকা থেকে একলাফে ৫০।

শসা ১০ থেকে বেড়ে ২০।

মাছেভাতে বাঙালির পাতেও আমিষ বাড়ন্ত। চড়া দামের ঠেলায় মাছের বাজারে ঢোকাই দায়।

বাপ্পা সাঁতরা, মাছ বিক্রেতা, মানিকতলা বাজার

গতবছর রুই মাছ ছিল ২৫০ টাকা। এবছর ৪০০।

কাতলা ২৫০ টাকা থেকে বেড়ে ৪০০।

পাবদা ৩০০ থেকে বেড়ে ৫০০।

ট্যাংরা ৩৫০ থেকে বেড়ে ৫০০।

পমফ্রেট ছিল ৪০০। এখন ৬৫০।

পারশে ৩০০ থেকে বেড়ে ৪০০।

আড় ৩০০ থেকে বেড়ে ৪০০।

তেলাপিয়া ৮০র বদলে এখন ১২০।

মনোজ মজুমদার, ক্যাটারিং ব্যবসায়ী

এই দুর্মূল্যের বাজারে বিশ্বাসঘাতকতা করেছে ডিমও।

গতবছর পোলট্রির ডিমের দাম ছিল ২ টাকা ৫০। এখন ৫ টাকা।

দেশি মুরগির ডিম ৫ থেকে বেড়ে ৭।

হাঁসের ডিমও ৫ থেকে বেড়ে ৭।

http://zeenews.india.com/bengali/kolkatta/excessive-price-hike-of-winter-vegetables-and-fishes_17725.html


হিমশিম খাচ্ছেন নেতারাও

নেই তাই কুড়ি, পুলিশ এলেই লোকসান বাঁধা

নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা

বুধবারই আলুর দাম নিয়ন্ত্রণে কৃষি বিপণন দফতরের ভার অরূপ রায়ের হাত থেকে নিজের হাতে নিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। বৃহস্পতিবার পোস্তা বাজার মার্চেন্টস অ্যাসোসিয়েশনের জগদ্ধাত্রী পুজোর উদ্বোধনে এসে মঞ্চের নীচে সামনের সারিতে বসে থাকা আলু ব্যবসায়ী গুরুপদ সিংহের দিকে আঙুল তুলে তিনি বললেন, "ওই তো গুরুপদ ওখানে বসে রয়েছে। তিন দিন আলু ছিল না। আলু না বেচে ও (গুরুপদ) ঘাটশিলায় পালিয়ে গিয়েছিল। তিন দিন ও যে লাভ করেছে, তাতে সাধারণ মানুষ, সরকার লোকসানে ছিল। আমি তিন দিন ওর লোকসান করাব।" গুরুপদবাবুর মতো বড় ব্যবসায়ী না হলেও ঘটনাচক্রে বৃহস্পতিবারই আলু বেচতে গিয়ে লোকসানের মুখে পড়েছেন সল্টলেকের ফাল্গুনী বাজারের জনা কয়েক খুচরো বিক্রেতা। এ দিন সকালে ২০ টাকা কেজি দরে চন্দ্রমুখী আলু বিক্রি করছিলেন তাঁরা। আচমকা পুলিশ এসে জানায়, ১৫ টাকা কেজি দরে বেচতে হবে। বিক্রেতারা বলেন, ''আড়তদারদের কাছ থেকে ৫০ কেজির বস্তা কিনেছি ৮৫০ টাকা দিয়ে। মানে কেজি-পিছু ১৭ টাকা। ১৫ টাকায় বেচব কী করে?" অভিযোগ, সেই যুক্তি না শুনে ১৫ টাকাতেই আলু বেচতে বাধ্য করেছে পুলিশ। প্রায় দু'শো টাকা লোকসান দিয়ে ভেঙে পড়া বাসন্তী বিশ্বাস কাঁদতে কাঁদতে বললেন, "পুলিশকে বললাম, আলু বিক্রি করব না। এখনই মাল নিয়ে ফেরত দেব আড়তদারের কাছে। এ বারের মতো ছেড়ে দিন। কিন্তু ওঁরা জোর করে বস্তা থেকে আলু ঢেলে বেচে দিলেন।" আর এক বিক্রেতা শিবদেবী সাউয়ের কথায়, "এ তো জুলুম! ভোর তিনটেয় উঠে বাজারে গিয়ে মাল কিনেছি। আমাদের মতো খুচরো বিক্রেতাদের মেরে কী লাভ? বড় ব্যবসায়ীদের তো কিছু করতে পারছে না সরকার!"

ফাল্গুনী বাজারে যখন পুলিশ ১৫ টাকা দরে চন্দ্রমুখী আলু বিক্রি করাচ্ছে, তখন ঢিল ছোড়া দূরের এফ ডি ব্লক বাজারে জ্যোতি আলু বিক্রি হচ্ছে ১৮ টাকায়। পুলিশের টিকিরও দেখা নেই। বাগুইহাটিতে যত ক্ষণ দোকানের সামনে পুলিশ হাজির, তত ক্ষণ জ্যোতি আলুর দর ১৩ টাকা কেজি। পুলিশ সরে যেতেই ২০।

*

আলুর আকালের মধ্যে হাওড়ার বাজারে পচা আলু নিয়েই পসরা দোকানির। ছবি: দীপঙ্কর মজুমদার।

পাড়ায়-পাড়ায় বাজারে-বাজারে নজরদারি যে কার্যত অসম্ভব, তা কবুল করছেন পুলিশ কর্তারাই। এক কর্তার কথায়, "সব কাজ ফেলে কত জায়গায় একসঙ্গে পাহারা দেব? আলু বিক্রি করতে গিয়ে হিমশিম খেতে হচ্ছে। কী করব বুঝতে পারছি না।"

বিপাকে শাসক দলের নেতারাও। মনোহরপুকুর এলাকার বাসিন্দাদের জন্য ১০০ বস্তা আলু তুলেছিলেন কলকাতা পুরসভার মেয়র পারিষদ দেবাশিস কুমার। কিন্তু ওই এলাকায় কোনও সব্জি বাজার নেই। ফলে শেষ পর্যন্ত স্থানীয় ক্লাবের ছেলেদের লাগিয়ে বিক্রির ব্যবস্থা করতে হয়েছে তাঁকে। আর এক মেয়র পারিষদ সুশান্ত ঘোষ পড়েছেন আরও ফ্যাসাদে। কসবায় তাঁর এলাকায় চার-চারটি বাজার। আলু ঠিক মতো পৌঁছেছে কি না, দেখতে চারটি বাজারে চরকির মতো ঘুরতে হয়েছে তাঁকে। বস্তুত, শাসক দলের প্রায় সব কাউন্সিলরই এ দিন অন্য সব কাজ ফেলে আলু বিক্রি নিয়ে ব্যস্ত থেকেছেন। নাম প্রকাশ না-করার শর্তে তাঁদের অভিযোগ, চাহিদার তুলনায় জোগান ছিল যৎসামান্য। প্রশ্ন উঠেছে সরকারি তত্ত্বাবধানে আসা আলুর গুণমান নিয়েও। এ দিন ভোররাতে হাওড়ার কালীবাবুর বাজার, শিবপুর বাজার, রামরাজাতলা বাজার ও কদমতলা বাজারে চার ট্রাক আলু আসে। পুলিশি পাহারায় তা ১৩ টাকা কেজি দরে বিক্রি করেন আড়তদাররা। কিন্তু তাঁদের অভিযোগ, বেশির ভাগ আলুই পচা এবং প্রায় ছ'মাসের পুরনো। সে কথা স্বীকার করে হাওড়ার জেলাশাসক শুভাঞ্জন দাস বলেন, "এ দিন যে আলু এসেছিল তা ভিজে ছিল। তাই আমরা হুগলি থেকে শুকনো আলু আনার চেষ্টা করছি।"

এর পরেও অবশ্য আলু বিক্রি থেকে পিছিয়ে আসছে না সরকার। মুখ্যমন্ত্রীর কৃষি উপদেষ্টা প্রদীপ মজুমদার এ দিন বলেন, "যত দিন না বাজার স্বাভাবিক হচ্ছে, তত দিন আমরা সমস্ত জায়গায় আলু সরবরাহ করব। আশা করছি, আজ, শুক্রবার থেকে পরিস্থিতি স্বাভাবিক হবে।"

আলু নিয়ে বেহাল পরিস্থিতির জন্য এ দিন মুখ্যমন্ত্রীকেই দায়ী করেছেন বিরোধী দলনেতা সূর্যকান্ত মিশ্র। তিনি বলেন, "মুখ্যমন্ত্রী যেখানে হাত দিচ্ছেন, সেখানেই সমস্যা। মুখ্যমন্ত্রী আলুতে হাত দিয়েছেন। বাজার থেকে আলু হাওয়া হয়ে গিয়েছে।" আলু ব্যবসায়ীরা ভোটের সময় তৃণমূলকে টাকা দিয়েছে, তাই ওরা এখন বেশি দামে আলু বেচে সেই টাকা তুলছে এই অভিযোগ করে সূর্যবাবু বলেন, "মুখ্যমন্ত্রী বলছেন, আলু ব্যবসায়ীরা তাঁকে প্রতারণা করেছে। আবার ব্যবসায়ীরা বলছেন, সরকার তাঁদের প্রতারণা করেছে। কে কাকে প্রতারণা করেছে বোঝা মুশকিল।" বাম আমলে ৪০০টি হিমঘর তৈরি হয়েছে দাবি করে সূর্যবাবুর অভিযোগ, তৃণমূলের আড়াই বছরে একটি হিমঘরও তৈরি হয়নি। তাঁর প্রশ্ন, "বাম আমলে হিমঘরে কৃষি বিপণন দফতর আলু রাখত। কিন্তু তৃণমূল সরকার তা করেনি কেন?"

http://www.anandabazar.com/archive/1131108/8raj2.html



বাজারে ফিরল জ্যোতি, তবু স্বস্তি নেই

নিজস্ব প্রতিবেদন

ভাইফোঁটা থেকে বাজারে প্রায় গায়েব হয়ে গিয়েছিল যে জ্যোতি আলু, সপ্তাহের শেষ দিকে এসে সে ফের মুখ দেখাল। কিন্তু সেই মুখে বেশ কিছু ফাটা-পচা থাকায় অনেকেরই মনে ধরল না। পাশাপাশি দাম নিয়ে অশান্তিও এড়ানো গেল না।

রাজ্য সরকারের চাপে বড় বাজারগুলিতে আলুর দাম নাগালে এলেও ছোট-ছোট বাজারে অবশ্য এখনও তেমন নিয়ন্ত্রণ নেই। বেশি দামে আলু বিক্রি হওয়ায় শুক্রবার উত্তর ২৪ পরগনার দেগঙ্গায় গোলমাল বাধে। শেষ পর্যন্ত সেখানকার ব্যবসায়ীরা সরকারের বেঁধে দেওয়া ১৩ টাকা কেজি দরেই জ্যোতি আলু বেচতে বাধ্য হন। কিন্তু তাতেও সমস্যা মিটছে কই? যেখানেই সরকারের বেঁধে দেওয়া দরে আলু মিলেছে, সেখানেই অবধারিত ভাবে প্রশ্ন উঠেছে মান নিয়ে। ভাল আলু কিনতে কেজি প্রতি ১৬ থেকে ২০ টাকা খরচ করতে হয়েছে অনেককেই। আর বেশি দামের চন্দ্রমুখী আলু তো কার্যত উধাও!

বাজারে আলুর জোগান ঠিক রাখতে গত কয়েক দিন ধরেই হিমঘর ও ব্যবসায়ীদের উপরে চাপ বাড়াচ্ছে সরকার। ৩০ নভেম্বরের মধ্যে হিমঘর থেকে সব আলু বের করে দিতে হবে বলে বিজ্ঞপ্তিও দেওয়া হয়েছে। দুই প্রধান আলু উৎপাদক জেলা বর্ধমান ও হুগলি থেকে এ দিন রাজ্যের বিভিন্ন এলাকায় প্রচুর আলু পাঠানো হয়। বর্ধমানের কৃষি বিপণন দফতরের হিসেবে, সেখানে শ'খানেক হিমঘরে এখনও প্রায় আড়াই লক্ষ মেট্রিক টন আলু মজুত রয়েছে। এ দিন কলকাতায় ১২ ট্রাক এবং আসানসোল ও দুর্গাপুরে ৬ ট্রাক করে আলু পাঠানো হয়েছে। বৃহস্পতিবার শুধু কলকাতাতেই ২৮ ট্রাক আলু পাঠানো হয়। হুগলির হিমঘর থেকে বেরিয়েছে লাখখানেক আলুর প্যাকেট (৫০ কেজির)। শুধু সিঙ্গুর থেকেই পাঠানো হয় প্রায় সাড়ে ১৬ হাজার প্যাকেট। বাঁকুড়া, বীরভূম ও জলপাইগুড়ির হিমঘর থেকেও আলু বেরিয়েছে।

*

মনোহর পুকুর রোডে ১৩ টাকা কেজি দরে আলু বিক্রির ব্যবস্থা করেছে রাজ্য।

সেখানে নামানো হচ্ছে আলুর বস্তা। শুক্রবার। ছবি: শুভাশিস ভট্টাচার্য।

এর ফলে রাজ্যের প্রায় সর্বত্রই এ দিন আলুর দেখা মিলেছে। কিন্তু দাম ও মান নিয়ে অশান্তি এড়ানো যায়নি। দেগঙ্গা বাজারে সকালে ১৬-১৮ টাকা কেজি দরে আলু বিক্রি হচ্ছিল। সকাল ৯টা নাগাদ সিঙ্গুরের রতনপুর থেকে তিন লরি আলু এলেও তা বাজারে না ঢুকিয়ে আড়তদারেরা গুদামে নিয়ে যান। খবর ছড়াতেই খুচরো বিক্রেতা এবং ক্রেতাদের মধ্যে আলুর দাম নিয়ে বচসা-হাতাহাতি বেধে যায়। জড়িয়ে পড়েন আড়তদারেরাও। ক্রেতারা দাবি করতে থাকেন, সরকারি দরেই আলু দিতে হবে। খুচরো ব্যবসায়ীরা পাল্টা বলেন, আড়তদারেরা ১৫.৬০ টাকা কেজি দরে আলু দিচ্ছে। তার মধ্যে পচাও থাকছে। কী ভাবে ১৩ টাকা কেজি দরে আলু বিক্রি সম্ভব?

দেগঙ্গার আড়তদার গোপাল সর্দার দাবি করেন, "রতনপুর থেকে আমরা ১৩ টাকা কেজি দরে আলু কিনেছি। এর পরে গাড়ি ভাড়া, গুদাম ভাড়া, আলু নামানোর খরচ তো আছেই।" হুগলি জেলা প্রশাসনের এক কর্তা অবশ্য বলেন, "হিমঘর থেকে আলু বের করার সময়ে সরকারের বেঁধে দেওয়া দরের বেশি দিতে হচ্ছে, এই অভিযোগ ঠিক নয়। পুলিশি নজরদারি রয়েছে। কিছু লোক বিশেষ উদ্দেশ্যে এই সব রটাচ্ছেন।" বর্ধমান থেকেও জানানো হয়েছে, সমস্ত হিমঘর থেকেই ১০.৫০ টাকা কেজি অর্থাৎ ১০৫০ টাকা কুইন্টাল দরে আলু বিক্রি করা হচ্ছে। দেগঙ্গার আড়তদারেরা পুলিশের কাছে আলু কেনার কোনও রসিদ দেখাতে পারেননি। শেষ পর্যন্ত ১৩ টাকা কেজি দরেই তাঁরা আলু বেচতে বাধ্য হন।

কলকাতায় এ দিন আলু পৌঁছয় বেশ বেলা করে। সকাল থেকেই বিভিন্ন বাজারে লম্বা লাইন পড়ে। দক্ষিণ কলকাতায় অধিকাংশ বাজারে সরকারি দরে আলু মিললেও উত্তর ও মধ্য কলকাতায় বেশি সমস্যা হয়। পুরসভার মেয়র পারিষদ (বাজার) তারক সিংহ জানান, তাঁদের গাড়ি মহানগরের ৭৯টি বাজারে প্রায় ২৫৬ মেট্রিক টন আলু সরবরাহ করেছে। কলেজ স্ট্রিট, মানিকতলা, হাতিবাগান, শোভাবাজার, শ্যামবাজারের মতো কয়েকটি বাজারে ১৩ টাকা দরে আলু পাওয়া গেলেও পাড়ার ছোটখাটো দোকানে ১৬ থেকে ২০ টাকা কেজি দরেই আলু বিক্রি হয়েছে। যেখানে সরকারি দরে আলু পাওয়া গিয়েছে, সেখানে আবার বেছে কিনতে দেওয়া হয়নি। এক খুচরো ব্যবসায়ীর কথায়, "আমরা তো বেছে বেছে আলু কিনতে পারছি না। আপনাদের তা হলে বাছতে দেব কী ভাবে?" যাদবপুরের শ্রীকলোনির বাসিন্দা অনিল রায়ের আক্ষেপ, "সমস্ত দোকানে সরকারি দরে আলু ছিল। কিন্তু তার মধ্যে অনেক ফাটা-পচা। তাই আর কিনতে পারলাম না।"

শিলিগুড়িতে আলুর অপ্রতুলতা রুখতে হিমঘরগুলিতে ২৪ ঘণ্টা কড়া নজরদারির নির্দেশ দিয়েছেন উত্তরবঙ্গ উন্নয়ন মন্ত্রী গৌতম দেব। তাঁর দাবি, "এক শ্রেণির ব্যবসায়ী বাজারে কৃত্রিম অভাব তৈরি করছেন। টাস্ক ফোর্স বিষয়টি দেখছে। জলপাইগুড়ির ৬৬টি হিমঘরে আলুর মজুত যথেষ্ট।" দাম নিয়ন্ত্রণে রাখতে খুচরো ব্যবসায়ীদের আলুর জোগান দিচ্ছে মালদহ জেলা প্রশাসন। কোচবিহারের রায়গঞ্জ, তুফানগঞ্জ, দিনহাটা এবং মাথাভাঙায় ১৩ টাকা কেজি দরে আলু বিক্রি শুরু হয়েছে। বালুরঘাটে অবশ্য অভাব অব্যাহত। অন্য জেলা থেকে লরি ঢোকায় পুরুলিয়ার বাজারেও এ দিন আলুর খরা কেটেছে।

এই পরিস্থিতিতে থেমে নেই রাজনৈতিক তরজাও। উত্তর ২৪ পরগনার আমডাঙায় একটি জনসভায় বামফ্রন্ট চেয়ারম্যান বিমান বসু মন্তব্য করেন, "আলু নিয়ে সরকারের আলুথালু অবস্থা! হিমঘর মালিকদের স্বার্থ দেখতে গিয়েই সরকার সমস্যায় জড়িয়ে পড়েছে।" বন্যা থেকে আলুর 'নজিরবিহীন সঙ্কট', সব ক্ষেত্রেই ব্যর্থতার অভিযোগ তুলে বৃহস্পতিবার রাজ্য সরকার তথা মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে সরাসরি দায়ী করেছিলেন বিধানসভার বিরোধী দলনেতা সূর্যকান্ত মিশ্র। এ দিন কামদুনি স্কুলমাঠে পুলিশ আয়োজিত ফুটবলের সমাপ্তি অনুষ্ঠানে গিয়ে পরিবহণমন্ত্রী মদন মিত্রের পাল্টা তোপ, "সূর্যকান্তবাবু ম্যান মেড বন্যার মতো ম্যান মেড আলু করার চেষ্টা করেছিলেন। ডোজটা কড়া হয়ে গিয়েছিল। মুখ্যমন্ত্রী তা সামাল দিয়েছেন।"

বুধবার রাতে বর্ধমান মেডিক্যাল কলেজ হাসপাতালে কীটনাশক খেয়ে মৃত্যু হয়েছিল এক আলু ব্যবসায়ীর। আলুর ব্যবসায় ধাক্কা খেয়েই তিনি আত্মহত্যা করেন বলে অভিযোগ ওঠে। এ দিন রাজ্য পুলিশের আইজি (আইন-শৃঙ্খলা) অনুজ শর্মা অবশ্য বলেন, "তিন বছর ধরে আলুর ব্যবসায় লাভের মুখ দেখেননি ওই ব্যবসায়ী। মাস দেড়েক ধরে মানসিক অবসাদে ভুগছিলেন। পারিবারিক অশান্তিও ছিল।

সেই কারণেই উনি বিষ খেয়ে আত্মঘাতী হয়েছেন।"

http://www.anandabazar.com/9raj1.html

আলুর সঙ্গে পাল্লা দিয়ে মর্হাঘ্য শীতের সবজিও, মাথায় হাত মধ্যবিত্তর



বাজারে সবজি যে নেই তা নয়। তবে গত কয়েক দিনে যেন লাফিয়ে লাফিয়ে বেড়ে গিয়েছে সবজির দাম।

আগুন দামে বিক্রি হচ্ছে উচ্ছে, বেগুন, পটল, লাউ।

লাউয়ের দাম কেজি প্রতি  ৪০ থেকে ৬০ টাকা। বাঁধাকপি ৩৭ টাকা। ফুল কপি কেজি ৪০ টাকা। পটল ৪০ টাকা। বেগুনের দাম ৪০  থেকে ৫০ টাকার মধ্যে ঘোরাফেরা করছে।

সবজির আগুন দামের কথা মেনে নিচ্ছেন বিক্রেতারাও।

পুজোর মরশুম কাটলে দাম কমার আশ্বাস দিচ্ছেন বিক্রেতারা। যদিও পুজোর পর বাজারে আসা শীতকালীন শাক-সবজির আকাশ ছোঁয়া দাম কিন্তু অন্য কথা বলছে। সবমিলে একদিকে যখন আলুর জন্য হাহাকার চলছে। তখন মহার্ঘ সবজি মধ্যবিত্তের মাথাব্যাথা আরও বাড়িয়ে দিচ্ছে।

http://zeenews.india.com/bengali/zila/price-hike-of-winter-vegetables_17708.html




আলু সমস্যা সমাধানের পথে


সঞ্চয়ন মিত্র, এবিপি আনন্দ

Saturday, 09 November 2013 15:01

একদিকে কঠোর মনোভাব, অন্যদিকে আন্তরিক প্রচেষ্টা৷ সরকারের এই দুই পদক্ষেপের মিশেলেই মিটতে চলেছে আলুর আকাল৷ কলকাতা সহ গোটা রাজ্যেই এখন কিছুটা হাঁফছাড়া পরিস্থিতি৷

লাগামছাড়া আলুকে নিয়ন্ত্রণে আনতে বাজারে বেরিয়েছেন রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রী৷ পরিস্থিতি সামাল দিতে সাময়িক সময়ের জন্য কৃষি বিপণন দফতরের দায়িত্বও নিয়েছেন৷ পাশাপাশি চলছে, পুলিশ ও এনফোর্সমেন্ট ব্রাঞ্চের অভিযান৷ দিন যত গড়াচ্ছে ততই মিলছে সুফল৷ বদলাচ্ছে বাজারের পরিস্থিতি৷

কিন্তু এই পরিবর্তনের শিকড় কোথায়? ব্যবসায়ীরা জানাচ্ছেন, বাজারগুলিতে সরকারি আলুর ব্যাপক জোগান থাকাতেই ধীরে ধীরে আলুর সঙ্কট কাটছে৷ শনিবারও শহরের বিভিন্ন বাজারে ঢুকেছে সরকারি আলুর ট্রাক৷ কোথাও সরাসরি লাইনে দাঁড়িয়েই আলু কিনেছেন ক্রেতারা৷ কোথাও আবার পাইকারি দামে আলু কিনে তা বিক্রি করেছেন খুচরো বিক্রেতারা৷ সব মিলিয়ে ক্রমশ পরিস্কার হচ্ছে আলুর সঙ্কট-মুক্তির পথ৷

গত কয়েকদিন ধরে বাজারগুলিতে ছিল হাহাকারের ছবি৷ কোথাও আবার তা গড়িয়েছে হাতাহাতি পর্যন্ত৷ কিন্তু শনিবার তাতে অনেকটাই বদল এসেছে৷ সরকারি আলুর সরবরাহে খুশি ক্রেতারা৷

ব্যবসায়ীরা বলছেন, আগামী কয়েকদিন সরকারি আলুর জোগান এরকম স্বাভাবিক থাকলে খুব দ্রুত মিটবে আলুর সমস্যা৷ সাধারণ মানুষও তাকিয়ে সে দিকেই৷


No comments: