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Sunday, July 10, 2011

Fwd: Latest MPLAD data of Lok Sabha MPs



---------- Forwarded message ----------
From: Vote For India <voteforindia.co.in@gmail.com>
Date: 2011/7/10
Subject: Fwd: Latest MPLAD data of Lok Sabha MPs
To:



बेवजह ही केन्द्र ने बढ़ाई सांसद निधि

·                     14 सांसदों ने नहीं खर्चा धेला भी

·                     सुषमा और मप्र के सांसद खर्चने में आगे

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सासंदों को हर साल जारी होने वाली स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एमपीलेड) की राशि को भले ही बढ़ाकर 5 करोड़ कर दिया है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि बड़ी संख्या में सांसद इस राशि का खर्च ही नहीं कर सके हैं।

 

सांसद विकास निधि के इस्तेमाल के विषय में सांसदों की लापरवाही किसी से छिपी नहीं है. हमारे सांसद पिछले दो सालों में कुल सांसद विकास निधि का 38% भाग ही खर्च कर सके है. आधे से ज्यादा सांसदों ने ढंग से इस पैसे का उपयोग ही नहीं किया.यह बात अलग है कि इसके बाद भी सांसद निधि की राशि बढ़ा दी गयी है. चंद सांसदों ने ही इस निधि का अपने क्षेत्र के विकास में पूरी तरह इस्तेमाल किया है. गैर सरकारी संगठन 'मास फॉर अवेयरनेस' के अभियान 'वोट फॉर इंडिया' की पड़ताल में पता चला है कि 14 संसद सदस्य ऐसे हैं जिन्होंने 15वीं लोकसभा के 30 जून तक इस मद में जारी राशि में से धेला भी खर्च नहीं किया है। इनमें केंद्रीय मंत्री डा. सीपी जोशी, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, कांग्रेस महासचिव वी. नारायणसामी, जैसे बड़े नाम शामिल हैं। भाजपा से सांसद और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, जद(यू) अध्यक्ष शरद यादव, शाहनवाज हुसैन, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के सांसद पुत्र संदीप दीक्षित, केंद्रीय राज्यमंत्री जितिन प्रसाद कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने अब तक आवंटित कुल छह करोड़ की राशि में से दस लाख से भी कम खर्च किया है। संगठन के नीरज गुप्ता के अनुसार अगले माह सभी सांसदों को बढ़ी हुई सांसद निधि की राशि तीन करोड़ रूपए और जारी हो जाएगी। इसके बाद इन सांसदों को इस मद में कुल 9 करोड़ रूपए खर्च करने का अधिकार हासिल हो जाएगा। आंकड़ों के मुताबिक सांसद निधि खर्चने के मामले में कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश के भाजपा सांसद राजन सुशांत सबसे अव्वल हैं। उन्होंने इस साल 30 जून तक अपनी निधि की शत-प्रतिशत राशि खर्च की। इसी कड़ी में पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस सांसद दिनेश त्रिवेदी, केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय और सांसद सीएल रूपाला भी सुशांत की तर्ज पर अपनी पूरी सांसद निधि खर्च कर चुके हैं। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के पास इस मद में अब केवल 4 लाख रूपए ही शेष बचे हैं। उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए मध्यप्रदेश से कांग्रेस के गजेन्द्र सिंह राजूखेड़ी, राजेश नंदिनी सिंह बसपा के देवराज सिंह, भाजपा के भूपेन्द्र सिंह और यशोधरा राजे सिंधिया ऐसे सांसद रहे हैं जिन्होंने 4 करोड़ की राशि में से साढ़े तीन करोड़ या उससे अधिक का उपयोग 30 जून तक कर लिया है। मप्र के कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डु, केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, पटियाला से कांग्रेस की परनीत कौर, नवजोत सिंह सिध्दू, केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल, एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर, वरुण गांधी, मप्र से कांग्रेस के नारायण सिंह, मीनाक्षी नटराजन, सज्जन सिंह वर्मा, भाजपा के गणेश सिंह, केंद्रीय मंत्री वीरभद्र सिंह ने सांसद निधि की राशि इसी अवधि में तीन से साढ़े तीन करोड़ तक खर्च की हैं। इस सूची में कई केंद्रीय मंत्री ऐसे भी हैं जिन्होने 4 करोड़ की राशि में से एक से दो करोड़ ही खर्च किए हैं। इनमें शरद पवार (1.21करोड़), सुशील कुमार (1.22करोड़) सौगत रे (1.23करोड़), पवन कुमार बंसल (1.25करोड़), कमलनाथ (1.38 करोड़), ज्योतिरादित्य सिंधिया (1.42करोड़), मल्लिकार्जुन खड़गे(1.46करोड़), मुकुल वासनिक (1.52करोड़), सचिन पायलट (1.58करोड़), एके एन्टनी (1.63करोड़), ई अहमद (1.89करोड़), बेनीप्रसाद (1.92करोड़), अरूण यादव (1.95करोड़) शामिल हैं।

 

हमारे बारे में- 'मास फॉर अवेयरनेस' एक स्वयंसेवी संगठन है जो लंबे समय से मतदाताओं को जागरूक बनाकर सौ फीसदी मतदान सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है.इस संगठन ने अपने 'वोट फार इंडिया' अभियान के तहत दिल्ली, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश और हरियाणा में आम लोगों को उनके चुनावी अधिकारों और मतदान के महत्त्व के प्रति शिक्षित करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है. संगठन के इसके लिए आधुनिक संचार और संपर्क माध्यमों के अलावा कार्टून प्रदर्शनी, नुक्कड़ नाटक, जागरूकता शिविरों और चित्र प्रदर्शनी जैसे जनप्रिय लोक माध्यमों का सहारा लिया है.



If any clarification required please let me know.

Thanks & Regards,
Cartoonist Neeraj Gupta
Director Vote for India

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

1 comment:

Unknown said...

अच्छा लगा, MPLAD के ख़र्च को डेटाबेस बनाकर, निश्चित समय वार्षिक के अनुसार, उपलब्ध करवाना चाहिए, फिर इनके लिये हिसाब देना अनिवार्य होगा।