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Wednesday, July 20, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/19
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने विवादित डिग्री पर राज्यपाल से दिलवाया गोल्ड मैडल

Posted: 18 Jul 2011 11:19 AM PDT

बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी एमएससी होम साइंस में टॉप करके कुलाधिपति से गोल्ड मैडल हासिल करने वाली यह छात्रा सलमा सिद्दीकी है। ये वर्तमान में गवर्नमेंट होम साइंस कॉलेज होशंगाबाद में डिमॉन्सट्रेटर के पद पर पदस्थ हैं। क्लीनिक न्यूट्रीशन से बीएससी पास सलमा ने गवर्नमेंट कॉलेज में पदस्थ रहते हुए ही अपनी योग्यता बढ़ाने के लिए सारणी के पाथाखेड़ा कॉलेज से एमएससी होम साइंस के लिए नियमित विद्यार्थी के रूप में फॉर्म भरा था।


नियमित विद्यार्थी के रूप में ही पढ़ाई करने के बाद उसने डिग्री भी हासिल कर ली। मजेदार बात तो यह है कि एक ही समय में सलमा ने होशंगाबाद के शासकीय कॉलेज में नौकरी कर बाकायदा वेतन भी लिया और उसी समय में ही निजी कॉलेज से नियमित विद्यार्थी के रूप में पढ़ाई कर परीक्षा में भी बैठी। यही नहीं, इन्होंने एमएससी कोर्स में उस दौरान प्रवेश लिया जब उन्हें यह कोर्स करने की पात्रता ही नहीं थी। अब विवि की गफलतों पर जब जिम्मेदारों से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्हंे मामले की जानकारी ही नहीं है। इधर, सलमा से भी तीन दिन तक संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने भी अपना पक्ष नहीं रखा।
कहां-कहां हुई गड़बड़ी
- क्या हुआ- बीएससी (क्लीनिक न्यूट्रीशन) उत्तीर्ण सलमा सिद्दीकी ने अपनी योग्यता बढ़ाने के लिए वर्ष २क्क्६ में सारणी के निजी कॉलेज से नियमित विद्यार्थी के रूप में एमएससी होम साइंस करने के लिए फॉर्म भरा।
- नियम ये - शासकीय कॉलेज में पदस्थ किसी भी व्यक्ति द्वारा नियमित विद्यार्थी के रूप में कोई कोर्स नहीं किया जा सकता।

- क्या हुआ- सलमा सिद्दीकी ने बीएससी क्लीनिक न्यूट्रीशन करने के बाद एमएससी होम साइंस करने के लिए निजी कॉलेज में प्रवेश लिया।
- नियम ये है- डिग्री हासिल करने के लिए यहां भी सलमा ने नियम तोड़े, क्योंकि विवि के आदेशानुसार वर्ष २क्क्९ के पूर्व उन्हीं विद्यार्थियों को एमएससी होम साइंस में प्रवेश की पात्रता थी जो बीएससी फूड एंड न्यूट्रीशन में उत्तीर्ण हों। सलमा ने बीएससी क्लीनिक न्यूट्रीशन में उत्तीर्ण किया था। 

- क्या हुआ- एमएससी करने के बाद सलमा ने विवि की मेरिट लिस्ट में अव्वल स्थान हासिल किया।
- नियम ये - मेरिट लिस्ट में नाम आने के बाद भी विवि के जिम्मेदारों ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया कि सलमा होशंगाबाद के शासकीय कॉलेज में पदस्थ है।

बीयू को अब भी नहीं लगता कि गलती हुई
अब इस मामले में तमाम गड़बड़ियां सामने आने के बाद भी बरकतउल्ला प्रशासन सीधे तौर पर अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। डीबी स्टार ने जब डिप्टी रजिस्ट्रार से बात करके उन्हें पूरा मामला बताया तो उन्होंने कहा कि यह गलत है, लेकिन शिकायत आने के बाद कार्रवाई करेंगे। ये अधिकार भी कुलपति के पास ही है। वे ही डिग्री निरस्त कर सकते हैं(राजीव शर्मा,दैनिक भास्कर,भोपाल,18.7.11)।

बिहारःफॉर्म ठीक से नहीं भर पा रहे भावी शिक्षक

Posted: 18 Jul 2011 11:17 AM PDT

शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना भविष्य की बात है. गुरुजी बनने के अभ्यर्थियों की सफलता गहन अध्ययन व तथ्य परक जवाब पर निर्भर करेगा. लेकिन भविष्य के गुरुजी प्रथम परीक्षा में ही फेल हो रहे हैं.
टीइटी के सैकड़ों अभ्यर्थियों को परीक्षा फॉर्म भरने में गलतियां हो गयी है. किसी ने माता-पिता का नाम भरने में दूसरा खाना भर दिया है, तो किसी ने अपना नाम लिखने में. कई अभ्यर्थियों ने आवेदन फॉर्म की संख्या भरने में भी गलती की है. सही अक्षर में रंग भरने की बजाये बगल वाले खाना में भर दिया है. हालांकि सब कुछ स्पष्ट किया गया है.
गलती होने पर फॉर्म स्वत रद्द हो रहा है. फॉर्म भरने में गलतियां होने के कारण अभ्यर्थियों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. शुक्र है कि अभी फॉर्म वितरण का समय बचा है. अनजाने में कई अभ्यर्थियों ने दुबारा फॉर्म खरीद लिया है, लेकिन फॉर्म भरने की साहस नहीं जुटा रहे हैं.
वितरण केंद्रों पर गहमा-गहमी
जिला के अधिकारियों को इस संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं होने के कारण फॉर्म वितरण केंद्रों पर भी गहमा-गहमी का माहौल बना रहता है. काउंटर पर कर्मचारी कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं है.

क्योंकि, राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद ने गाइड लाइन में इस संबंध में कुछ भी जिक्र नहीं किया है. कुछ परीक्षार्थी फॉर्म रद्द होने के कारण दूसरे फॉर्म खरीद कर भी नहीं भर पा रहे हैं. बिहार प्रारंभिक शिक्षक पात्रता-2011 के अभ्यर्थियों ने स्पष्ट नहीं किया था, कि ऐसे अभ्यर्थी क्या करें.
दूसरा भरने की हिम्मत नहीं
मोतीझील की मनीषा राज बताती है कि बीबी कॉलेजिएट काउंटर से ड्राफ्ट देकर फॉर्म की खरीदारी की थी, लेकिन ध्यान बंट जाने के कारण फॉर्म भरने में गलती हो गयी. दूसरा फॉर्म वैशाली के अरेराज से ले लिया गया है, लेकिन मनीषा को डर है कि दूसरा फॉर्म भरेंगे या नहीं.
मोतिहारी के हरपुर नायक टोला के आधा दर्जन अभ्यर्थियों का यही हाल है. नायक टोला निवासी मुकेश, वकील व आदापुर दुबहा के शैलेंद्र बताते हैं कि फॉर्म भरने में व्हाइटनर का प्रयोग कर डाला. दूसरे के बताने पर फॉर्म में ब्लेड लगा दिया. उन्हें जानकारी नहीं है कि टीइटी का नया फॉर्म नहीं लिया जा सकता है.
दोनों फॉर्म एक साथ जमा नहीं करें
राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद के परीक्षा प्रभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गलती होने पर दूसरा फॉर्म खरीद कर भर सकते हैं, लेकिन खराब हो चुके फॉर्म को नष्ट कर डालें. किसी भी हाल में दोनों फॉर्म जमा नहीं करेंगे. अन्यथा दोनों फॉर्म रद्द हो जायेगा(दैनिक भास्कर,मुजफ्फरपुर,18.7.11).

जबलपुरःहोमसाइंस कॉलेज से भगाई गईं छात्राएं

Posted: 18 Jul 2011 11:16 AM PDT

रविवार के दिन छात्रावास में प्रवेश लेने आने वाली कई छात्राओं को बाहर का रास्ता देखना पड़ा, जिससे छात्राओं को अपने अभिभावकों के साथ कोई और ठिकाना तलाशते देखा गया। यह वाकया शहर के सर्वोत्तम शासकीय महिला होमसाइंस कॉलेज का है। छात्राओं को महज ब्लड रिपोर्ट साथ न लाने पर छात्रावास में प्रवेश से वंचित कर दिया गया।


गौरतलब है कि होमसाइंस कॉलेज के छात्रावास में ज्यादातर छात्राएं ग्रामीण अंचलों की हैं, जो अपने अभिभावकों के साथ छात्रावास में प्रवेश के लिए कॉलेज आई थीं। छात्रावास नियमों के अनुसार प्रवेशरत छात्राओं को अपने समूचे दस्तावेजों के साथ सामान्यत: मेडिकल जांच रिपोर्ट जमा करना भी अनिवार्य होता है। यह नियम नए प्रवेशार्थियों पर सख्ती से लागू होना तो समझ में आता है, लेकिन पुराने प्रवेशार्थियों के साथ सख्ती बरतना थोड़ा अजीब लगता है। 

विगत वर्ष छात्रावास में प्रवेश ले चुकी छात्राओं ने बताया कि उन्होंने पिछले साल भी मेडिकल जांच के समस्त दस्तावेज जमा कर दिए थे। इस साल भी उन्हें प्रक्रिया पूरी करने में कोई आपत्ति नहीं है। उनके ग्रामीण क्षेत्रों में दूर-दूर तक पैथालॉजी सेंटर न होने से छात्रों ने समझा कॉलेज पहुंचकर ही जांच करवा लेंगी और जांच रिपोर्ट जमा कर देगीं, लेकिन रविवार को अवकाश पड़ने से समस्त पैथालॉजी सेंटर बंद थे, इसलिए वे रिपोर्ट साथ न ला सकीं। मगर छात्राओं की कोई सुनवाई न हुई और उन्हें जाने के लिए कह दिया गया। इस संबंध में कॉलेज प्राचार्य डॉ. चित्रलेखा चौहान से मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की गई, मगर संपर्क स्थापित न हो सका(दैनिक भास्कर,जबलपुर,18.7.11)।

मुजफ्फरपुर में खुला पहला इवनिंग कॉलेज,एडमिशन कल से

Posted: 18 Jul 2011 11:14 AM PDT

मुजफ्फरपुर का बीबी कॉलेजिएट स्कूल रविवार को उत्तर बिहार के सबसे पहले इवनिंग कॉलेज की शुरुआत का (संध्याकालीन) गवाह बना.
गीता प्रसाद सिंह वाणिज्य कॉलेज के नाम से शुरू हुए इस महाविद्यालय का नामकरण एमएलसी नरेंद्र प्रसाद सिंह के पिता व समाजसेवी स्वर्गीय गीता प्रसाद सिंह के नाम पर हुआ है. समारोह की शुरुआत पूजन व दीप प्रज्वलित कर की गयी.उद्घाटन करते हुए बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेंद्र मिश्र ने कहा कि यह कॉलेज उन लोगों के लिए वरदान साबित होगा, जो दिन में प्राय किसी व्यस्तता के कारण कॉलेजों में पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं.
एमएलसी नरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि यहां शिक्षा का बेहतर माहौल छात्रों को मुहैया कराने का प्रयास किया जायेगा. राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कॉलेज के शुभारंभ से जनाकांक्षाओं की पूर्ति होना कहा.

मौके पर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एके श्रीवास्तव, एमडीडीएम कॉलेज की प्राचार्या निर्मला सिंह, एमएसकेबी कॉलेज की प्राचार्या ममता रानी, बीबी कॉलेजिएट के प्राचार्य विनोद प्रसाद, सत्यनारायण तिवारी, गिरिधर झा प्रफुल्ल, जिला माध्यमिक संघ के अध्यक्ष उमा किंकर ठाकुर, सिंडिकेट के सदस्य मोती प्रसाद सिंह ने भी संबोधित किया. समारोह में शिक्षक संघ के सदस्यों के अलावा विभिन्न कॉलेजों के शिक्षकगण मौजूद थे. अध्यक्षता पूर्व मंत्री शीतल राम, संचालन राजनारायण राय व धन्यवाद ज्ञापन पूर्व प्राचार्य दीप्ती राय ने किया.
कल से होगा नामांकन
बीआर बिहार विश्वविद्यालय से संबद्ध इस इवनिंग कॉलेज में प्रथम वर्ष कॉमर्स के साथ-साथ आर्टस विषयों की भी पढ़ाई होगी.कक्षाएं संध्या चार से रात्रि आठ बजे तक चलेगी. नामांकन की प्रक्रिया मंगलवार से शुरू हो जायेगी. दोनों संकायों में 256-256 छात्रों का नामांकन होगा. कॉलेज के प्राचार्य उमेश चंद्र झा ने कहा कि इंटर में प्रथम Þोणी से उत्तीर्ण छात्रों को यहां मुफ्त पढ़ाया जायेगा एवं गरीब बच्चों को स्कॉलरशीप भी दी जायेगी. इसी सत्र से बीबीए व बीसीए की पढ़ाई शुरू करने का भी प्रयास किया जा रहा है(प्रभात खबर,मुजफ्फरपुर,18.7.11).

कोल इंडिया में तीन हजार अधिकारियों की होगी बहाली

Posted: 18 Jul 2011 11:12 AM PDT

कोल इंडिया लिमिटेड में सुरक्षित खनन के लिए बड़े पैमाने पर रिक्त पदों को जल्द ही भरा जायेगा. रविवार को कोलकाता में कोल इंडिया सेफ्टी बोर्ड की हुई बैठक में माइनिंग सरदार, ओवर मैन, अंडर मैनेजर, मैनेजर के रिक्त पदों के कारण खनन में हो ही परेशानियों की समीक्षा की गयी. कोल इंडिया प्रबंधन को जल्द से जल्द इन रिक्त पदों को पहले भरने का निर्देश दिया गया.

- जल्द शुरू होगी बहाली : कोल इंडिया लिमिटेड के पर्सनल व इंडस्ट्रीयल रिलेशंस के निदेशक आर मोहन दास ने बताया कि कंपनी ने इस वर्ष तीन हजार अधिकारियोंकी नियुक्‍ति करने का फैसले किया है. अगले तीन वर्षो में प्रत्येक वर्ष कर्मचारियों की पदोन्नति कर तथा ओपेन सेलेक्शन व कैंपस इंटरव्यू के जरिये अधिकारियों की नियुक्‍ति की जायेगी. उन्होंने बताया कि कंपनी में कम से कम चार हजार अधिकारियों की नियुक्‍ति करने की आवश्यकता है, जिसे विभागीय पदोन्नति, विज्ञापन व कैंपस इंटरव्यू के जरिये नियुक्‍त करने के प्रयास जारी है.
- कैंपस सेलेक्शन भी होगा : श्री दास ने बताया कि इस वर्ष विभागीय पदोन्नति व विज्ञापन के माध्यम से 2500 अधिकारियों की नियुक्‍तियां होंगी. कैंपस साक्षात्कार के जरिये 410 अधिकारियों की नियुक्‍ति की जायेगी. श्री दास ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 750-800 अधिकारी नौकरी छोड़ते हैं, इससे इनकी संख्या कम हो जाती है. इसे संतुलित रखने व कंपनी की विस्तार परियोजना को बरकरार रखने के लिए अगले तीन वर्षो तक औसतन 1500 अधिकारियों की नियुक्‍ति करनी होगी(प्रभात खबर,धनबाद-कोलकाता,18.7.11).

मध्यप्रदेशःबनाओ प्रोजेक्ट, मैनिट देगा फंड

Posted: 18 Jul 2011 11:11 AM PDT

आमतौर पर स्टूडेंट अपनी इनोवेटिव सोच को इसलिए साकार रूप नहीं दे पाते क्योंकि उनके पास उसके लिए पर्याप्त फंड नहीं होता और संस्थान से बहुत कम आर्थिक मदद मिलती है जिसके चलते वे उस प्रोजेक्ट पर कार्य नहीं करते। मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) स्टूडेंट में इनोवेटिव दृष्टिकोण का विकास करने के लिए एक पहल कर रहा है।

इसके अंतर्गत यदि कोई स्टूडेंट्स किसी तरह का वर्किग मॉडल बनाना चाहते हैं तो उन्हें मैनिट प्रबंधन की ओर से पर्याप्त फंड दिया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि बच्चे अब बड़े स्तर के प्रोजेक्ट पर भी काम कर पाएंगे। इसके अंतर्गत स्टूडेंट को ऐसे मॉडल बनाना है जो कि सोसायटी के काम आ सकें।

गुजरना होगा सलेक्शन प्रक्रिया से

इस योजना के तहत स्टूडेंट्स को ग्रुप बनाकर अपने प्रोजेक्ट का प्रजेंटेशन सलेक्शन टीम के सामने देना होगा जिसमें डीन रिसर्च एंड कंसल्टेंसी के साथ अन्य मेंबर्स होंगे। सलेक्शन टीम यह देखेगी कि यह प्रोजेक्ट उपयोगी है या नहीं। इसके बनने से समाज को क्या फायदा होगा। प्रोजेक्ट की उपयोगिता के आधार पर ही उसे फंड दिया जाएगा। फंड के लिए हर डिपार्टमेंट से दो प्रोजेक्ट को चुना जाएगा। प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए 6 माह का समय दिया जाएगा।
सर्वश्रेष्ठ को 5 लाख
स्टूडेंट द्वारा बनाए गए सर्वश्रेष्ठ प्रोजेक्ट को चुना जाएगा और उसे 5 लाख रुपए पुरस्कार स्वरूप भी दिए जाएंगे। 5 लाख रुपए की राशि रोल्टा ग्रुप ऑफ इंडस्ट्री की ओर से दी जाएगी।

ये होगा फायदा
- स्टूडेंट्स में इनोवेटिव सोच विकसित होगी।
- अब स्टूडेंट्स को फंड की चिंता नहीं करनी होगी। वे सिर्फ अपने रिसर्च पर ध्यान देंगे।
- सभी प्रोजेक्ट को इनक्यूबेशन सेंटर में रखा जाएगा ताकि सभी स्टूडेंट इनके बारे में पढ़ें और आगे इस तरह का काम कर सकें।
- अच्छे प्रोजेक्ट्स और स्टूडेंट्स को कंपनी से इंटरेक्ट करवाया जाएगा। ऐसा करने से स्टूडेंट को अपनी खास योग्यता के लिए कंपनी में जॉब तो मिल ही सकेगी साथ ही उनके बनाए मॉडल को व्यापारिक रूप से तैयार किया जा सकेगा(उदित बर्सले,दैनिक भास्कर,भोपाल,18.7.11)।

मध्यप्रदेशःनिजी कॉलेजों में बन गए कियोस्क

Posted: 18 Jul 2011 11:08 AM PDT

पिछले साल शुरू हुई ऑनलाइन ऑफ कैंपस काउंसलिंग में निजी कॉलेजों में कियोस्क नहीं बनाए गए थे ताकि छात्र अपनी मर्जी से संस्थान चुन सकें। इस साल एमपीऑनलाइन ने साइबर कैफे के अलावा निजी कॉलेजों में भी कियोस्क खोलने की मंजूरी दे दी गई है। शिक्षण शुल्क माफी योजना के तहत बीई के लिए चॉइस फिल हो चुकी है और एमबीए, एमसीए और पीजीडीएम के लिए 13 जुलाई से चॉइस फिलिंग शुरू हो चुकी है।


इनमें से कुछ संस्थानों को उन्हीं नामों से कियोस्क सूची में रखा गया है जबकि कुछ संस्थानों के नाम बदले गए हैं। इन्हें पते से चिन्हित किया जा सकता है। पूरे प्रदेश में इस तरह कई निजी कॉलेजों को एमपीऑनलाइन ने अपना कियोस्क बनाया है। शहर में एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च और स्कोप कैंपस में बना आइसेक्ट कियोस्क इनमें शामिल हैं।
ये हैं नियम
निजी कॉलेजों को छोड़कर कोई भी व्यक्ति कियोस्क बना सकता है। इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी कुछ मापदंड पूरे करने जरूरी होते हैं।

कियोस्क
एक ऐसी जगह जहां एमपी ऑनलाइन की सभी सेवाओं का फायदा उठा सकते हैं।

ये हो सकती है गड़बड़ी
यदि निजी कॉलेजों में कियोस्क बनेंगे तो वे छात्रों को अपने कॉलेज में दाखिला लेने के लिए गुमराह कर सकते हैं। चॉइस फिल के दौरान वह गड़बड़ी कर छात्र द्वारा बताए किसी भी संस्थान की जगह अपने संस्थान का नाम भर सकते हैं। ऐसी गड़बड़ियां पिछले साल सामने भी आई थीं।

ये होना चाहिए
निजी कॉलेजों को कियोस्क न बनाकर ऐसे संस्थानों या साइबर कैफे को कियोस्क बनाएं जो निरपेक्ष रूप से काउंसलिंग करा सकें।

छात्र बरतें सावधानी
- निजी कॉलेजों के कियोस्क जानें से बचें।
- यदि इन कियोस्क का उपयोग करना ही पड़े तो केवल शुल्क भुगतान के लिए करें ना कि जानकारियां भरने में।
- जानकारियां और चॉइस खुद फिल करें। कियोस्क संचालक के भरोसे न छोड़ें।
- हर प्रक्रिया के बाद प्रिंट आउट जरूर लें।
- किसी के भी दबाव में आकर जानकारी या चॉइस न भरें। यह निर्णय खुद लें।

एक नजर 
काउंसलिंग से इनमें मिलेगा दाखिला: बीई, बीफार्मा, एमई-एमटेक, एमबीए, एमसीए, पीजीडीएम
कुल निजी संस्थान : 500 से ज्यादा 
सीटें : 1 लाख 20 हजार
कुल कियोस्क : 3000 से ज्यादा
भोपाल में कियोस्क : 50 से ज्यादा(श्रद्धा जैन,दैनिक भास्कर,भोपाल,18.7.11)

नोएडाःदाखिले के साथ ही दलाल सक्रिय

Posted: 18 Jul 2011 11:04 AM PDT

काउंसिलिंग की तिथि नजदीक और छात्र दाखिले की कवायद में लग गए हैं। ऐसे में दलालों की सक्रियता बढ़ गई है। मोटा मुनाफा कमाने के लिए उन्होंने अपने ग्रुप में कॉलेज के कुछ सीनियर छात्रों व अध्यापकों को भी शामिल कर लिया है। वहीं छात्रों को दलालों के चंगुल से बचाने के लिए कॉलेज प्रशासन ने चेतावनी बोर्ड लगा रहे हैं। नॉलेज पार्क में तीन दर्जन इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट संस्थान हैं। यहां के कुछ नामचीन कॉलेजों में प्रवेश के लिए मारामारी रहती है। इसे देखते हुए दलाल सक्रिय हो जाते हैं। कालेज में प्रवेश कराने के नाम पर वो छात्रों से मोटी रकम वसूलते हैं। दाखिले के लिए आने वाले छात्रों की सीनियर छात्रों से अधिक पहचान होती है। इसे देखते हुए दलालों ने सीनियर छात्रों को अपने रैकेट में शामिल कर लिया है। साथ ही छुट्टियों में अधिक पैसा कमाने के चक्कर में कुछ कालेज के अध्यापक भी दलालों के रैकेट में शामिल हो गए हैं। प्रवेश के लिए एक कस्टमर देने पर सीनियर छात्रों को मुनाफे के हिसाब से पांच से दस हजार रुपये कमीशन दिया जा रहा है। दाखिला कराने में अच्छी कमाई को देखते हुए कई फर्जी लोग भी सक्रिय हो गए हैं। जो कालेज खुलते ही अपनी टीम के साथ कॉलेज के गेट पर जमा हो जाते हैं। ये छात्रों से पैसा वसूल फर्जी रसीद थमा प्रवेश करा रहे हैं(दैनिक जागरण,नोएडा,18.7.11)।

जीवाजी विश्र्वविद्यालय में प्रवेश पर पुलिस जांच भी

Posted: 18 Jul 2011 11:02 AM PDT

मध्य प्रदेश के जीवाजी विश्र्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले छात्रों को पुलिस जांच से भी गुजरना पड़ेगा। जांच में यदि छात्र किसी आपराधिक मामले में संलिप्त पाया गया तो उसके प्रवेश को निरस्त कर दिया जाएगा। विश्र्वविद्यालय ने यह कदम बीते वर्षो में दूसरे राज्यों से आए छात्रों के अपराध में संलिप्त होने के चलते उठाया है। विश्र्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार नए सत्र में प्रवेश के दौरान छात्र को शपथपत्र जमा करना होगा। इस शपथपत्र की जांच पुलिस द्वारा कराई जाएगी। जांच में यदि छात्र का कोई आपराधिक रिकार्ड पाया गया या फिर गलत पते पर प्रवेश लेने की बात सामने आई तो उसके प्रवेश को निरस्त कर दिया जाएगा। दरअसल जीवाजी विव में केरल, उड़ीसा, राजस्थान, बिहार, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, असम, मणिपुर आदि राज्यों के छात्र प्रवेश लेते हैं। ज्यादातर छात्र हॉस्टल में रहते हैं। पिछले वर्षो में कुछ छात्र आपराधिक गतिविधियों से जुड़े मिले हैं। इसके अलावा कुछ बड़ी वारदातों को अंजाम देकर गायब हो गए। जांच विशेष रूप से दूसरे राज्यों से आए छात्रों की कराई जाएगी। हालांकि विश्र्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि सभी छात्रों को पुलिस जांच से गुजरना होगा। उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में करीब चार हजार सीटें हैं(दैनिक जागरण,ग्वालियर,18.7.11)।

कर्नाटक के स्कूलों में गीता की पढ़ाई पर बखेड़ा

Posted: 18 Jul 2011 11:00 AM PDT

कर्नाटक की भारतीय जनता पार्टी सरकार राज्य के स्कूलों में हिंदूओं के पवित्र ग्रंथ भागवत गीता की पढ़ाई कराने को लेकर विवादों में फंस गई है। विवाद ने तब एक नया मोड़ ले लिया जब 14 जुलाई को राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री विश्वनाथ हेगड़े कगरी ने कहा कि जो लोग गीता की शिक्षा के विरोध में हैं उन्हें भारत छोड़ देना चाहिए। कगरी ने कहा कि विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों को जगाने के लिए पवित्र गीता की पढ़ाई जरूरी है। कगरी ने यह बयान बेंगलूर से लगभग 65 किमी दूर कोलार में एक कार्यक्रम में दिया था। मालूम हो कि उन्होंने 8 जुलाई को बेंगलूर में घोषणा की थी कि सरकार स्कूलों में भागवत गीता की पढ़ाई को अनिवार्य करने जा रही है लेकिन उच्च शिक्षा मंत्री वीएस आचार्य ने कहा था कि इस कार्यक्रम को धार्मिक शिक्षा से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। भागवत गीता की पढ़ाई और धर्म के बीच कोई संबंध नहीं है। गीता मानव मूल्यों के बहुत करीब है। आचार्य ने कहा था कि हर व्यक्ति को राजी नहीं किया जा सकता है। बहुत से लोग इसे सांप्रदायिक शिक्षा के रूप में लेंगे और इस आधार पर विरोध करेंगे कि यह योजना असंवैधानिक है और सरकार को इसको वापस लेना चाहिए। यह मामला 14 जुलाई को उच्च न्यायालय में पहुंचा। कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों प्रबंधनों के फेडरेशन ने एक याचिका दायर कर कार्यक्रम के लिए सरकारी समर्थन को चुनौती दी है। अदालत ने याचिका पर राज्य और केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया मांगी है। कगरी का कहना है कि इस प्रोग्राम में उपस्थित रहने की कोई मजबूरी नहीं है। यह स्वैच्छिक है और गीता की शिक्षा सिर्फ स्कूल की पढ़ाई के बाद दी जाएगी। सरकार सिर्फ इस योजना का सिर्फ समर्थन कर रही है। वह यह प्रोग्राम न तो आयोजित कर रही है और न ही इसके लिए कोई वित्तीय समर्थन दे रही है। यह योजना उत्तरा कन्नड़ा जिले में सिरिसी के सोंडा स्वर्णावल्ली मठ के श्री गंगाधरेंद्र सरस्वती स्वामी द्वारा संचालित की जा रही है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,18.7.11 में बेंगलुरू की रिपोर्ट)।

झारखंड के अभिभावक कर्ज लेकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं निजी स्कूलों में

Posted: 18 Jul 2011 10:57 AM PDT

किसी स्कूल में बस किराया तो कहीं किताब का खर्च हजार रुपए से भी ज्यादा है। इसके अलावा पब्लिक स्कूल में दो-दो ड्रेस और जूते, टाई और बेल्ट सहित लंबे-चौड़े खर्च की राशि जुटाना, उन लोगों के लिए अब मुश्किल हो रहा है, जिन्होंने बीपीएल श्रेणी से बड़े निजी पब्लिक स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिला दिलाया। कई अभिभावकों को पैसे जुटाने में परेशानी हो रही है तो कई ऐसे भी हैं जो अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कर्ज लेकर स्कूल फीस दे रहे हैं।

आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के बाद अब बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो रहा है। सरकार ने स्कूल फीस देने की घोषणा कर दी है, लेकिन दूसरे खर्च इतने लाद दिए गए हैं कि गरीब अभिभावक इसका वहन करने में असमर्थ हैं। कुछ अभिभावक ऐसे हैं जिनकी मासिक आमदनी 3000 रुपए है। बच्चों के स्कूल में हर माह उन्हें 1500 से ज्यादा रुपए देना पड़ रहा है।

केस - 1

डोरंडा निवासी ए कच्छप की पुत्री दीपा कच्छप का दाखिला बीपीएल श्रेणी में लोरेटो कॉन्वेंट में हुआ। लेकिन फीस की मोटी रकम के साथ अन्य शुल्क देने में उन्हें परेशानी हो रही है। कहीं से 12 हजार रु. जुटा कर एडमिशन तो करा लिया। अब आगे की फीस देने की चिंता अभी से सता रही है।


केस - 2
नामकुम निवासी के टोप्पो के पुत्र अमन टोप्पो का नाम बिशप वेस्टकॉट, नामकुम में बीपीएल श्रेणी में हुआ। प्राइवेट जॉब कर ये किसी तरह घर चलाते हैं। इन्होंने भी एडमिशन के समय स्कूल को करीब 13 हजार रुपए जमा किए। अब हर महीने होने वाले अन्य खर्च से ये परेशान हैं। 


केस - 3

बिशप वेस्टकॉट गल्र्स स्कूल, डोरंडा में रमेश ने अपनी बेटी सोनी कुमारी का एडमिशन कराया। झारखंड सरकार द्वारा फीस की राशि अब मिलेगी, इस बात से तो ये खुश हैं, लेकिन हर महीने कॉपी, बस किराया और प्रोजेक्ट वर्क के नाम पर होने वाले खर्च से ये चिंतित रहते हैं।

बड़े स्कूलों के बड़े खर्च

बस किराया : 300 से 500 रुपए
दो ड्रेस : 800 से 1200 रुपए
साप्ताहिक टी शर्ट : 200 रुपए
बेल्ट टाई और बैज : 250 से 400 रुपए
दो जूते और मोजे : 400 से 600 रुपए
खेलकूद खर्च : 200 से 400 रुपए 
प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर खर्च : 200 से 400 रुपए(राजीव गोस्वामी,दैनिक भास्कर,रांची,18.7.11)

जामिया में नए सत्र की शुरुआत आज से

Posted: 18 Jul 2011 10:56 AM PDT

जामिया मिलिया इस्लामिया के नए सत्र की शुरुआत सोमवार से होने जा रही है। नए सत्र के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिले हो चुके हैं और बचे हुए पाठ्यक्रमों में यह प्रक्रिया अंतिम दौर में है। विश्वविद्यालय की ओर से नए सत्र की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, जिसके तहत रैगिंग कंट्रोल को लेकर प्रशासन ने बीते सालों की तरह इस बार भी पूरी तैयारी कर रखी है।

नए सत्र की शुरुआत के साथ विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों व सेंटरों में नए छात्रों के ओरियंटेशन प्रोग्राम का आयोजन भी किया जा रहा है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,18.7.11)

'आपके साथ सदैव': डीयू वीसी

Posted: 18 Jul 2011 10:54 AM PDT

21 जुलाई से शुरू होने जा रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के नए सत्र 2011-12 में छात्रों को कुलपति प्रो.दिनेश सिंह का साथ पहले ही दिन से मिलने जा रहा है।

नए छात्रों के बीच 'आपके लिए आपके साथ सदैव' की नीति के साथ कुलपति प्रो. दिनेश सिंह खुद कॉलेज-कॉलेज चक्कर लगाएंगे। इस मुहिम का उद्देश्य नए छात्रों को रैगिंग के डर से राहत का अहसास कराना है और सेमेस्टर सिस्टम को लेकर उनके मन में पैदा हो रही जिज्ञासाओं को शांत करना है।

कुलपति प्रो. दिनेश सिंह ने बताया कि छात्रों से लगातार संवाद की जो परंपरा उन्होंने बीते सत्र में शुरू की थी, उसे नए सत्र में भी जारी रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि डीयू के नए सत्र के पहले ही दिन से वह अपनी टीम के सदस्यों यानी समकुलपति, रजिस्ट्रार, डीन ऑफ कॉलेज, प्रोक्टर और डीन छात्र कल्याण की मदद से विभिन्न कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के बीच पहुंचेंगे।

प्रो.दिनेश सिंह का कहना है कि इस कदम के पीछे हमारी कोशिश है नए-पुराने छात्रों से रूबरू होना और उनसे सीधे संवाद कायम करना। प्रो. सिंह ने बताया कि चूंकि कॉलेजांे की संख्या बहुत ज्यादा है, सो पहले ही दिन वह सभी कॉलेजों में नहीं पहुंच सकते हैं, इसलिए अगले कई दिनों तक दौरे जारी रखेंगे।


कुलपति ने बताया कि छात्रों से मुखातिब होने से कई नई तरह की परेशानियों और सुझावों को जानने का मौका मिलता है और जब यह सब सीधे छात्रों के मुंह से सुनने को मिलता है तो वस्तुस्थिति का अंदाजा लगाना आसान हो जाता है। प्रो. सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं है कि जो छात्र उनसे नहीं मिल पाएंगे, उन्हें मेरा साथ नहीं मिलेगा। बीते दिनों ही उन्होंने फेसबुक और ईमेल आईडी (vcforstudents@du.ac.in) की सुविधा छात्रों के लिए शुरू की है। छात्र-छात्राएं जब चाहें, मुझसे इन माध्यमों से जुड़े रह सकते हैं।
फिर एक छत के नीचे होंगे एकत्र

छात्रों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश में जुटे डीयू कुलपति प्रो.दिनेश सिंह जनवरी 2011 में यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के अनुभव को नहीं भूले हैं। उन्होंने नए सत्र में एक बार फिर उसी प्रक्रिया को दोहराने का मन बनाया है। 

कुलपति प्रो. दिनेश सिंह कहते हैं कि वह अनुभव सचमुच बेहतरीन था और उस दौरान कई ऐसे सुझाव मिले, जिनसे छात्र और शिक्षकों के हित में काम करना आसान हो गया। प्रों. सिंह ने कहा कि बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए वह एक बार फिर छात्रों और शिक्षकों के बीच पहुंचना चाहते हैं।

आज से 7वीं कटऑफ के दाखिले

ओबीसी कोटे की सीटों पर दाखिले के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से जारी सातवीं कटऑफ (दूसरी विशेष कटऑफ) के दाखिले सोमवार से शुरू हो रहे हैं। 14,580 सीटों को भरने के लिए जारी कटऑफ में कैम्पस व ऑफ कैम्पस दोनों ही स्तर के कॉलेजों में अब भी अवसर बरकरार हैं। 

हालांकि आर्ट्स-कॉमर्स के मुकाबले साइंस पाठच्यक्रमों में अवसर कम रह गए हैं। कैम्पस कॉलेजों की बात करें तो दौलतराम, हंसराज, हिन्दू, मिरांडा हाउस व रामजस कॉलेज में कई विकल्प बाकी हैं। ऑफ कैम्पस कॉलेजों की बात करें तो गार्गी, डीडीयू, कमला नेहरू व मैत्रयी कॉलेज में भी ढेरों अवसर हैं। 

ओबीसी की विशेष दाखिला प्रक्रिया 19 जुलाई तक चलेगी। प्रात: कालीन कॉलेजों में दाखिले सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक और सांध्य कॉलेजों में शाम 4 से रात 7 बजे तक होंगे।
(शैलेन्द्र सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,18.7.11)।

झारखंडःजिले में तय होगा शिक्षाकर्मियों का वेतनमान

Posted: 18 Jul 2011 10:51 AM PDT

अब प्रदेश के राजकीयकृत माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों के वरीय वेतनमान का निर्धारण जिला स्तर पर होगा। सरकार के इस फैसले से हाईस्कूल के शिक्षाकर्मियों की परेशानी घटेगी। अब वेतन निर्धारण के लिए उन्हें माध्यमिक शिक्षा निदेशालय (प्रोजेक्ट भवन) का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा वेतन निर्धारण पर लिए गए निर्णय की अधिसूचना जारी कर दी गई है।

राज्य में 800 हाईस्कूल

राज्य में हाईस्कूलों की संख्या लगभग 800 है। सरकार के इस फैसले से लगभग 12 हजार शिक्षाकर्मियों को राहत मिलेगी। इसमें रिटायर प्रधानाध्यापक, शिक्षक और कर्मचारी शामिल हैं। इन्हें वरीय वेतन निर्धारण के लिए निदेशालय नहीं जाना पड़ेगा। शिक्षक नेता गंगा प्रसाद यादव ने कहा कि एचआरडी विभाग का निर्णय स्वागत योग्य है। जिला स्तर पर वेतन के निर्धारण की मांग शिक्षक पहले से ही कर रहे थे।


कैसे होगा निर्धारण 

हाईस्कूल के शिक्षक और कर्मचारियों का वेतन निर्धारण जिला लेखा पदाधिकारी की सहमति से डीएसई करेंगे। एचआरडी ने वेतन निर्धारण करते समय वित्तीय नियमों का अनुपालन करने का निर्देश दिया है। 

पहले क्या थी व्यवस्था 

हाईस्कूल के शिक्षकों का वरीय वेतन निर्धारण निदेशालय स्तर पर होता था। डीएसई वेतन निर्धारण कर क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक कार्यालय को भेजते थे। इसके बाद संबंधित संचिका माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में भेजी जाती थी। 


नहीं होगी दिक्कत
वरीय वेतनमान निर्धारण में विलंब होने से हाई स्कूल शिक्षकों को भारी परेशानी होती थी। वेतन निर्धारण संबंधी एक ही कागज उन्हें बार-बार प्रस्तुत करना पड़ता था। अब इन परेशानियों ने उन्हें छुटकारा मिल जाएगा।

गोवर्धन अधिकारी, जिलाध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षक संघ(दैनिक भास्कर,रांची,18.7.11)

एम्स में दोबारा होगी नर्सिंग कोर्स की काउंसलिंग!

Posted: 18 Jul 2011 10:49 AM PDT

एम्स में एमएससी और बीएससी नर्सिग कोर्स की दोबारा काउंसलिंग की जाएगी। सोमवार को इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है। नर्सिग कोर्सो के दाखिले में आरक्षण नीति का उल्लंघन किए जाने के आरोपों के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है।

गौरतलब है कि एमएससी नर्सिग और बीएससी नर्सिग कोर्स दाखिले में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को मानक आरक्षण नहीं दिया गया था। एमएससी नर्सिग कोर्स में तो ऐसे छात्रों को आरक्षण देने से संस्थान ने पूरी तरह से इनकार कर दिया था, जबकि बीएससी नर्सिग कोर्स के लिए तय मानक से कम सीटें आरक्षित की गई थीं। दैनिक भास्कर ने नौ जुलाई को 'एम्स में आरक्षण नीति का उल्लंघन' शीर्षक से खबर छापी थी।


एम्स प्रशासन के एक आला अधिकारी ने बताया कि एमएससी नर्सिग कोर्स के कुल 18 सीटों में से अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं रखी गई थी। 

इतना ही नहीं मेरिट लिस्ट में पिछड़ा वर्ग के जो छात्र सामान्य श्रेणी के अंतर्गत आ गए थे, उन्हें सामान्य श्रेणी के बजाय कोटे का सीट प्रदान कर दिया गया। मोहिता रानी, पार्वती जोशी और सरिता का नाम मेरिट लिस्ट में सामान्य श्रेणी के अंतर्गत है। इसके बावजूद उन्हें कोटे की सीट आवंटित कर दी गई। 

इसके चलते वास्तविक रूप से ओबीसी कोटे में इस वर्ग के केवल एक छात्र को ही दाखिला दिया गया। इसका विरोध होने पर दोबारा काउंसलिंग की जाने की उम्मीद है। 

हालांकि एससी व एसटी छात्रों को एक भी सीट क्यों नहीं प्रदान की गई, इस पर उन्होंने चुप्पी साध ली। उधर, एम्स में बुधवार को एससी-एसटी आयोग की एक सुनवाई होनी है। 

सूत्रों के मुताबिक सुनवाई के दौरान एससी व एसटी छात्र इस समस्या से संबंधित प्रस्तुति आयोग के समक्ष देंगे। हालांकि इससे संबंधित शिकायत आयोग को पहले ही दी जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। 

गौरतलब है कि बीएससी नर्सिग के कुल 60 सीटों में से एससी व एसटी वर्ग के लिए केवल 11 सीटें अनारक्षित रखी गई हैं, जबकि केंद्र सरकार की आरक्षण नीति के मुताबिक एससी वर्ग के लिए 15 फीसदी और एसटी वर्ग के लिए 7.5 फीसदी सीटें आरक्षित होनी चाहिए। 

एमबीबीएस और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के समय भी संस्थान में आरक्षण नीति को ठेंगा दिखाया गया था। 

फोरम फॉर राइट्स एंड इक्वलिटी (एम्स) के एक सदस्य का कहना है कि संस्थान का निदेशक डॉ. आरसी डेका, संस्थान के सब डीन (एकेडमिक) डॉ. राकेश यादव, प्रोफेसर इंचार्ज (परीक्षा) डॉ. केके वर्मा और सब डीन (परीक्षा) डॉ. नंद कुमार सभी पिछड़े जाति से आते हैं। इसके बावजूद एससी, एसटी और अन्य पिछड़े वर्ग के छात्रों के साथ यहां भेदभाव बरता जा रहा है(धनंजय कुमार,दैनिक भास्कर,दिल्ली,18.7.11)।

झारखंड में अनुबंध डॉक्टर्स हड़ताल पर

Posted: 18 Jul 2011 10:48 AM PDT

राज्यभर के अनुबंध डॉक्टर्स रविवार की मध्यरात्रि से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। यह जानकारी झारखंड अनुबंध डॉक्टर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ.मृत्युंजय कुमार ने दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जब तक अनुबंध डॉक्टरों की स्थाई नियुक्ति की अधिसूचना जारी नहीं करती है, हड़ताल जारी रहेगी।

इससे पूर्व रविवार की दोपहर एसो. की आपात बैठक आईएमए भवन में हुई। इसमें जिला स्तर के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। हालांकि, डॉ.कुमार ने हड़ताल को अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश बताया है।
डॉ.कुमार ने कहा कि श्रावणी मेला में देवघर गए अनुबंध डॉक्टरों को लौटने के लिए कहा गया है। संभवत: सोमवार की सुबह तक वे अपने-अपने मुख्यालय लौट आएंगे। मेले में 50 से अधिक डॉक्टर ड्यूटी पर भेजे गए हैं। हड़ताल के बाद सभी डॉक्टर्स 14अगस्त को स्वास्थ्य सचिव को सामूहिक इस्तीफा सौंपेंगे।


अभी तक 82 डॉक्टरों ने इस्तीफे पर हस्ताक्षर कर दिया है। बाकी जिलों के डॉक्टरों के हस्ताक्षर कराने की जिम्मेवारी जिला सचिवों को सौंपी गई है। 
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अनुबंध पर बहाल डॉक्टरों को स्थाई करने के लिए विभाग ने कमेटी गठित कर दी है। कमेटी का अध्यक्ष जेपीएससी के अध्यक्ष या अनुशंसित पदाधिकारी होगा। कमेटी को स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने स्वीकृति दे दी है। अब इसे कैबिनेट में भेजने की तैयारी है(दैनिक भास्कर,रांची,18.7.11)।

मध्यप्रदेशः12वीं में मैथ्स नहीं तो एमसीए में नहीं मिलेगा एडमिशन

Posted: 18 Jul 2011 10:46 AM PDT

यदि आपने 12वीं मैथ्स के अलावा किसी अन्य विषय से पास कर, बेचलर ऑफ कम्प्यूटर एप्लीकेशन (बीसीए) कर लिया है, तो आपको अब मॉस्टर ऑफ कम्प्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) में एडमिशन नहीं दिया जाएगा। ये नियम सत्र 2011-12 के लिए ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने जारी किए हैं।

इस नियम के चलते अब उन छात्रों का एमसीए करने का सपना अधूरा रह जाएगा, जिन्होंने मैथ्स के अलावा किसी अन्य विषय से बारहवीं पास की थी। एमसीए की प्रदेश में करीब 5 हजार सीटें हैं। व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा इसका एंट्रेंस टेस्ट आयोजित करने के बाद फिलहाल इसकी काउंसिलिंग तकनीकी शिक्षा विभाग कर रहा है। यह काउंसिलिंग 18 जुलाई तक चलेगी।

बीसीए में 71 फीसदी पर नहीं मिलेगा एमसीए में एडमिशन

जबलपुर के निजी कॉलेज से बीसीए पास करने वाला छात्र अंचल पाठक अब एमसीए में एडमिशन नहीं ले सकेगा। वजह है, एआईसीटीई द्वारा एमसीए के लिए जारी किए गए नए नियम। अंचल के मुताबिक उसने तीन साल पहले जबलपुर के ही निजी कॉलेज से कामर्स से बारहवीं पास की थी। उसने बीसीए में एडमिशन लिया। बीसीए उसने 71 फीसदी अंकों के साथ पास किया। इसके बाद वह प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित एमसीए की एंट्रेंस टेस्ट में शामिल हुआ। इसमें भी उसने अच्छे अंक आए। 
जब उसने एमसीए के लिए आयोजित की जा रही काउंसिलिंग में अपना रजिस्ट्रेशन कराना चाहा तो उसका रजिस्ट्रेशन फेल हो गया। क्योंकि, उसने बारहवीं क्लास मैथ्स से पास नहीं की थी। अंचल का कहना है कि यदि एमसीए में मेथ्स जरूरी है, तो बीसीए में अन्य विषयों से बारहवीं पास छात्रों को एडमिशन क्यों दिया जाता है। अब हमने बीसीए पास कर लिया है तो क्या हम अब आर्ट्स विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन करे? इसके साथ ही व्यापमं ने हमारा एंट्रेंस टेस्ट क्यों आयोजित की? हम इस नियम के खिलाफ कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे। 

एमसीए के एडमिशन नियम एआईसीटीई द्वारा बनाए जाते हैं। इस साल नियमों में संशोधन भी वहीं से किया गया है। इसकी जानकारी छात्रों को दे दी गई थी।
एलएन रेड्डी, उपसंचालक, तकनीकी शिक्षा

अलग-अलग हैं नियम 
बीसीए में एडमिशन देने के नियम यूनिवर्सिटी द्वारा बनाए जाते हैं। प्रदेश के कॉलेजों में बीसीए में एडमिशन लेने के लिए किसी भी विषय से बारहवीं पास होना



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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