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Wednesday, July 13, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/12
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


लखनऊ विविःस्नातक का परिणाम घोषित नहीं,पीजी दाखिले की तारीख समाप्ति के क़रीब

Posted: 11 Jul 2011 10:00 AM PDT

स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रवेश के लिए आवेदन की अंतिम तिथि खत्म होने वाली है और अभी तक छात्र प्रवेश फार्म नहीं भर सके हैं। इसके पीछे कारण लखनऊ विश्वविद्यालय के अधिकारियों की लापरवाही और जल्दबाजी है। अभी तक स्नातक अंतिम वर्ष के परिणाम घोषित नहीं किए गए हैं। केवल बीए तृतीय वर्ष का परिणाम आया, उसकी अंकतालिकाओं में भी गलतियों की भरमार है। इन खामियों के कारण छात्र फार्म नहीं भर सके हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय में पीजी के प्रवेश फार्म 20 जून को भरना शुरू किए गए थे। प्रवेश फार्म भरने की अंतिम तिथि 20 जुलाई है। आवेदन तिथि खत्म होने में अब 10 दिन मात्र बचे हैं और छात्र परिणाम के अभाव में आवेदन नहीं कर सके हैं। जल्द परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया गया तो छात्रों की प्रवेश पर संकट मंडरा सकता है। लविवि प्रशासन तो आवेदन की तिथि बढ़ाकर खुद को बचा लेगा लेकिन दूसरे विश्वविद्यालयों में प्रवेश के इच्छुक अभ्यर्थियों का भविष्य खराब होना तय है। उधर, लविवि प्रशासन अभी तक केवल बीए तृतीय वर्ष का परिणाम जारी कर सका है। इनकी अंकतालिकाएं इतनी जल्दबाजी में तैयार की गई हैं कि किसी में अंक नहीं चढ़े हैं तो किसी में विषय। बड़ी संख्या में अंकतालिकाओं को संशोधन के लिए दिया गया है। इसमें भी चार से पांच दिन का समय लगेगा(दैनिक जागरण,लखनऊ,11.7.11)।

लखनऊ विवि : ऑनलाइन आवेदन में गलतियों की भरमार

Posted: 11 Jul 2011 09:53 AM PDT

स्नातक कर चुके छात्रों ने लखनऊ विश्वविद्यालय में पीजी के ऑनलाइन आवेदन में बेशुमार गलतियां की हैं। किसी ने अंक गलत लिखे हैं तो किसी ने जाति-वर्ग। छिटपुट गलतियों के कारण अभ्यर्थियों के फार्म निरस्त हो सकते हैं। लविवि में प्रवेश के समन्वयक प्रो.पद्मकान्त ने बताया कि अभ्यर्थियों को पासवर्ड भेज दिए गए हैं। अंतिम तिथि के पहले ही आवेदन फार्म की गलतियां दूर की जा सकती हैं। लखनऊ विवि में पीजी, एलएलएम, एलएलबी (तीन साल), पीजी डिप्लोमा और एमफिल में प्रवेश की प्रक्रिया ऑनलाइन है। आवेदन शुरू हो चुके हैं और अंतिम तिथि 20 जुलाई है। आवेदन में गलतियों की भरमार है। इनको दूर करने के लिए लविवि प्रशासन ने आवेदन करने वाले सभी अभ्यर्थियों को पासवर्ड भेजे हैं। प्रो.पद्मकान्त ने बताया कि अभ्यर्थी आवेदन फार्म का प्रिंट आउट निकालकर जांच लें। उसमें गलतियां तलाश कर पासवर्ड से दोबारा लॉगिन करके गलतियों को दूर कर लें। किसी प्रकार की समस्या आने पर हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते है। इस बारे में प्रो. पद्मकान्त, डॉ.अनिल मिश्र, डॉ. पंकज माथुर, डॉ.अनित्य गौरव, डॉ.अनूप भारतीय और डॉ.राजीव पांडेय से संपर्क किया जा सकता है। अंतिम तिथि बाद संशोधन का मौका नहीं दिया जाएगा। जिन अभ्यर्थियों को अभी अंकतालिका प्राप्त नहीं हुई है वे अभ्यर्थी चालान कटवा लें और अंकतालिका मिलने के बाद ही फार्म भरें(दैनिक जागरण,लखनऊ,11.7.11)।

यूपीःअनुचर की भर्ती स्क्रीनिंग से,मगर अध्यापक की मेरिट से

Posted: 11 Jul 2011 09:40 AM PDT

जिस उत्तर प्रदेश में मेरिट के आधार पर बीए से एमए में दाखिला नहीं मिलता। बेरोजगारी का आलम ऐसा कि चपरासी की नौकरी के लिए भी स्क्रीनिंग परीक्षा आयोजित करनी पड़ती है। उस प्रदेश में एक पाठ्यक्रम ऐसा भी है जिसमें मिले अंक सीधे सरकारी नौकरी दिलाते हैं। यह बीएड का पाठ्यक्रम है। प्रदेश में बीएड को विशिष्ट दर्जा हासिल है। यह इस पाठ्यक्रम का ही कमाल है कि सरकार के तमाम निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन करने, अवैध वसूली करने, शिक्षण से जुड़े तमाम मानकों को धता बताने के बाद भी प्रदेश में आज तक किसी बीएड कालेज के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। यूपी में प्राथमिक पाठशालाओं में मास्टर बनाने के लिए कभी बीटीसी संचालित किया जाता था। यह पाठ्यक्रम जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से चलता रहा है। नर्सरी में शिक्षक बनाने के लिए सर्टिफिकेट ऑफ टीचिंग (सीटी) संचालित होता था। सरकारी नौकरी देने वाले इन दोनों पाठ्यक्रमों में चयन राज्य स्तरीय लिखित परीक्षा के आधार पर दिया जाता था। विशिष्ट बीटीसी के साथ ऐसा नहीं रहा। सीधे सरकारी नौकरी देने वाले विशिष्ट बीटीसी में बीएड व स्नातक तक की मेरिट के आधार पर चयन दिया गया। मेरिट से होने वाले इस चयन ने मास्टर बनाने के हजारों करोड़ के इस व्यवसाय को जमकर परवान चढ़ाया है। बीएड कालेज अच्छे अंक देने के नाम पर छात्रों का खुलकर शोषण कर रहे हैं। बीएड कालेज के एक शिक्षक के अनुसार बीएड में छह सौ अंकों की लिखित परीक्षा व तीन से चार सौ अंकों की प्रायोगिक और मौखिक परीक्षा आयोजित होती है। परीक्षा के इस ढांचे ने कालेज प्रबंधन के हाथ में छात्रों की नकेल पकड़ा दी है। यही वजह है कि प्रबंधकों द्वारा मनमाना वसूली के बावजूद छात्र कुछ नहीं कर पाते। आखिर सभी को विशिष्ट बीटीसी में चयन के लिए अच्छे अंक जो लाने हैं। विशिष्ट बीटीसी के चलते भारी भरकम कमाई वाले बीएड कालेज भी खासे विशिष्ट हो गए हैं। पिछले वर्ष ही बीएड के सैकड़ों कालेजों ने खुलकर छात्रों से पैसे की वसूली की। काउंसिलिंग में पूरी फीस जमा करने वाले छात्रों से भी पैसे लिए गए। नि:शुल्क सीट पर दाखिला लेने वाली गरीब छात्राओं, एससी/एसटी छात्रों तक से पूरी फीस रसीद दिए बिना वसूली गई। तमाम शिकायतों के बाद भी उच्च शिक्षा विभाग इन कालेजों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सका। विश्वविद्यालयों से संबद्धता समाप्त करने की चेतावनी तो दिलाई गई, पर किसी भी कालेज की संबद्धता समाप्त नहीं की गई। ..और यह सब कुछ हो रहा है तो सिर्फ इसलिए क्योंकि नौकरी को मिलना है मेरिट के आधार पर। गड़बड़ी तो तय है(एलएन त्रिपाठी,दैनिक जागरण,वाराणसी,11.7.11)।

इग्नू ने शुरू किया डायलिसिस व एचआइवी मेडिसिन में पाठ्यक्रम

Posted: 11 Jul 2011 08:10 AM PDT

देश में किडनी रोगियों की बढ़ती संख्या व इसके इलाज की महत्वपूर्ण प्रक्रिया डायलिसिस के विशेषज्ञों की कमी जैसी समस्या को दूर करने के लिए इग्नू (इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय) आगे आया है। विश्वविद्यालय ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सहायता से डायलिसिस मेडिसिन में पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। पाठ्यक्रम के तहत एम्स(अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान), सर गंगाराम व राम मनोहर लोहिया सहित देश के 15 बड़े अस्पतालों को स्टडी सेंटर के तौर पर स्थापित किया जाएगा। इस अस्पतालों में पाठ्यक्रम में पंजीकृत छात्रों को विशेषज्ञों के निर्देशन में व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करने का मौका मिलेगा। इसके अतिरिक्त इग्नू ने नाको (नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गनाइजेशन) के साथ मिल एचआइवी मेडिसिन में भी पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है।
इग्नू ने पोस्ट डॉक्टोरल सर्टिफिकेट इन डायलिसिस व पीजी डिप्लोमा इन एचआइवी मेडिसिन पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। डायलिसिस पाठ्यक्रम में फिजीशियन व शिशुरोग विशेषज्ञों को दाखिला दिया जाएगा जबकि एचआइवी मेडिसिन में इस क्षेत्र में कार्यरत चिकित्सकों को मौका दिया जाएगा। इग्नू के स्कूल ऑफ हेल्थ साइंसेज के प्रो. तपन के जेना के मुताबिक डायलिसिस के विशेषज्ञों की कमी को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार के आग्रह पर इस पाठ्यक्रम को शुरू करने का फैसला लिया गया है। पाठ्यक्रम पूरी तरह केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रायोजित होगा। इसी प्रकार एचआइवी मेडिसिन पाठ्यक्रम नाको द्वारा प्रायोजित होगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,11.7.11)।

प्राइवेट कॉलेजों ने पीयू से छिपाया आमदनी और खर्च का हिसाब

Posted: 11 Jul 2011 07:50 AM PDT

पंजाब यूनिवर्सिटी से एफिलिएटिड प्राइवेट कॉलेजों ने 10 फीसदी फीस बढ़ाने का प्रस्ताव तो पीयू को भेज दिया, लेकिन ये कॉलेज अपनी आमदनी और खर्चे की जानकारी पीयू से छिपा रहे हैं।

एनएसयूआई प्रेसिडेंट सन्नी मेहता द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत पीयू से मांगी गई जानकारी में इसका खुलासा हुआ है। पीयू ने जवाब में बताया है कि इन कॉलेजों ने पिछले दो साल से पीयू को इनकम एंड एक्सपेंडिचर रिटर्न फाइल नहीं किया है। जबकि सभी कॉलेजों को यह स्टेटमेंट हर साल पीयू को देना लाजिमी है। इन कॉलेजों को हर साल चार्टर्ड एकाउंटेंट से ऑडिट करवाना पड़ता है। लेकिन दो साल से यह स्टेटमेंट कॉलेजों की ओर से पीयू तक नहीं पहुंची है। पीयू ने भी इन कॉलेजों से रिटर्न लेने की जहमत नहीं उठाई।

एनएसयूआई ने मांगी थी जानकारी

एनएसयूआई प्रेसिडेंट सन्नी मेहता ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत पीयू से इन कॉलेजों की आय और खर्चो की डिटेल मांगी थी। पीयू प्रशासन की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया कि कॉलेज दो सालों से आय और खर्चे की जानकारी छिपा रहे हैं। सन्नी मेहता का कहना है कि कॉलेजों को छात्रों की फीस बढ़ाने की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि कॉलेज भ्रामक बातें करके पीयू प्रशासन से फीस बढ़वा रहे हैं।

दो साल से नहीं दे रहे रिटर्न


इन कॉलेजों ने पिछले 2 साल से पीयू को आमदनी और खर्चे से संबंधित रिटर्न नहीं दी है। यह भी पता नहीं है कि कॉलेजों ने यह ऑडिट करवाया है या नहीं। पीयू के पास इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। 

पीयू ने भी नहीं मांगा रिटर्न

पीयू से एफिलिएटिड कॉलेज दो साल से रिटर्न पीयू को नहीं भेज रहे। लेकिन पीयू प्रशासन ने भी इस संबंध में कॉलेजों से इनकम एंड एक्सपेंडिचर रिटर्न मांगने की भी जहमत नहीं उठाई। नियमों के तहत पीयू को इन कॉलेजों को रिमांइडर भेजकर रिटर्न लेनी थी। लेकिन ऐसा कोई कदम पीयू की ओर से नहीं उठाया गया। 

इनकम एक्सपेंडिचर रिटर्न नहीं भरा

एफिलिएटिड कॉलेजों द्वारा हर साल होने वाली आमदनी के साथ ही खर्चे की जानकारी पीयू को देना लाजिमी है। खर्चे और आमदनी का किसी चार्टर्ड एकाउंटेंट से ऑडिट होना जरूरी है। लेकिन ये कॉलेज यह रिटर्न पीयू को नहीं दे रहे।

रिटर्न देने के निर्देश दिए जाएंगे

इस संबंध में जानकारी नहीं है। लेकिन अगर कॉलेजों ने दो साल से यह रिटर्न नहीं भरा है तो जल्द ही इन कॉलेजों को यह रिटर्न देने के लिए निर्देश दिए जाएंगे।""

प्रो. नवल किशोर, पीयू के डीन कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल(अधीर रोहाल,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,11.7.11)

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विविद्यालय से सम्बद्ध कालेजों की सूची होगी डाउनलोड

Posted: 11 Jul 2011 07:30 AM PDT

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विविद्यालय के नाम पर जगह-जगह चल रहे फर्जी संस्कृत महाविद्यालयों पर अब लगाम लगेगी। विविद्यालय प्रशासन अपने सम्बद्ध महाविद्यालयों की सूची विवि के वेबसाइट पर डाउनलोड करने की तैयारी कर रहा है। कुलसचिव डा. रजनीश शुक्ला ने बताया कि विवि की वेबसाइट को और अधिक आधुनिक बनाया जा रहा है। जिस पर विवि से सम्बद्ध महाविद्यालयों की सूची, महाविद्यालयों में पढ़ाये जाने वाले विषयों की जानकारी, सीट व छात्रों की संख्या के साथ ही सत्र 2010-11 के बीएड के अंकपत्रों को डाउनलोड किया जायेगा। उन्होंने बताया कि वेबसाइट पर मान्यता सम्बन्धित जानकारी, विवि के इतिहास के साथ ही विवि के वरिष्ठ अधिकारियों के सम्पर्क सूत्र भी डाउनलोड होंगे। गौरतलब है कि सम्पूर्णानन्द संस्कृत विविद्यालय से देश भर के तीन सौ से ज्यादा संस्कृत महाविद्यालय सम्बद्ध हैं। जिसका कोई स्पष्ट आंकड़ा फिलहाल विवि की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है। जिसका लाभ उठाकर कई फर्जी संस्कृत महाविद्यालय अपने को विवि से सम्बद्ध बताकर छात्रों का धोखे से प्रवेश ले रहे हैं। प्रवेश लेने के साथ ही वह छात्रों को विवि के फर्जी अंकपत्र भी उपलब्ध करा रहे हैं(राष्ट्रीय सहारा,वाराणसी,11.7.11)।

पंजाब यूनिवर्सिटीःसिंडिकेट की मंजूरी बिना नहीं बढ़ेगी फीस

Posted: 11 Jul 2011 07:10 AM PDT

पिछले हफ्ते पंजाब यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड कॉलेजों में 10 फीसदी फीस बढ़ाने को लेकर हुआ फैसला फिलहाल लागू नहीं होगा। पीयू सिंडिकेट की मंजूरी के बगैर प्राइवेट कॉलेजों में 10 फीसदी फीस नहीं बढ़ेगी। 10 फीसदी फीस बढ़ाने के प्रस्ताव को पिछले हफ्ते सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई थी। इसके बाद छात्र संगठनों के विरोध को देखते हुए अब पीयू प्रशासन सिंडिकेट की मंजूरी के बाद ही कोई फैसला लेगा।

पिछले साल भी बढ़ी थी फीस

पीयू से एफिलिएटेड कॉलेजों में पिछले साल यानी 2010-11 के सेशन में भी छात्रों पर बढ़ी हुई फीस का बोझ पड़ा था। जनवरी 2010 में कॉलेजों ने छठा वेतन आयोग लागू होने के बाद सैलरी, प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी के बढ़े खर्चो की दुहाई देते हुए पीयू से फीस बढ़ाने की मांग की थी।

पीयू प्रशासन ने 20 जनवरी 2010 को कॉलेजों की इस मांग पर कमेटी गठित की थी। 6 अप्रैल 2010 को हुई सीनेट की मीटिंग में इन कॉलेजों को फीस बढ़ाने की मंजूरी दी थी। सीनेट के इस फैसले के मुताबिक 24 जून 2010 को कॉलेजों को फीस बढ़ाने की मंजूरी दी गई थी।

ट्यूशन, लैब और दूसरी फीस बढ़ी थी पिछले साल


पिछले साल कॉलेजों में ट्यूशन फीस के अलावा लैबोरेट्री फीस, यूनिवर्सिटी फीस और दूसरे फंड बढ़ाने की मंजूरी दी गई थी। यह सारी फीस पिछले साल बढ़ने के बाद अब कॉलेज इस साल फिर फीस बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

सिंडिकेट की मंजूरी से पहले नहीं होगा कोई फैसला

पीयू के डीएसडब्ल्यू प्रो. नवल किशोर कहते हैं कि अभी कमेटी ने फीस बढ़ाने की सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। अभी सिंडिकेट और सीनेट जैसी संस्थाओं की मंजूरी ली जाएगी। इसके बाद ही कोई फैसला होगा। पीयू पहले यह पड़ताल करेगा कि कॉलेजों को इससे पहले कब और कितनी फीस बढ़ाने की मंजूरी दी गई थी(अधीर रोहाल,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,11.7.11)।

सेंट्रल स्कूलःतरक्की के लिए उच्चतर शैक्षिक योग्यता धारण करने की अनिवार्यता हटी

Posted: 11 Jul 2011 06:50 AM PDT

सेंट्रल स्कूल के हजारों शिक्षकों के लिए खुश खबरी है। अब उन्हें सालों साल काम करने के बाद तरक्की के लिए तरसना नहीं पड़ेगा। अब उन्हें बिना शर्त तरक्की मिलेगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तरक्की के लिए उच्चतर शैक्षिक योग्यता धारण करने की अनिवार्य शर्त हटा ली है। जून के अंत में जारी आदेश को क्रियान्वित करने के लिए केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने काम शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय है कि सेंट्रल स्कूलों में शिक्षकों की तरक्की के नाम पर काफी मनमानी चलती थी। इसमें भेदभाव भी बरता जाता था जिसके चलते केवल बीस फीसद शिक्षकों को ही तरक्की मिल पाती थी। इन लोगों को चुनने के लिए एक नियम बनाया गया था। इसका नाम था उच्चतर शैक्षिक योग्यता। यदि कोई अपने सह शिक्षक से किसी भी मामले में जैसे शिक्षा या प्रशिक्षण या कोई अन्य कोर्स में आगे है तो उसे तरक्की दे दी जाएगी। साथ काम करने वाले को तरक्की नहीं मिलेगी। इसमें काफी जोड़-तोड़ होता था क्योंकि जिन शिक्षकों की केवीएस में पहले से 'सेटिंग' हो जाती थी वे कहीं न कहीं से उच्च शिक्षा के नाम पर कोई डिग्री या प्रशिक्षण प्राप्त कर लेते थे और उसे चुपचाप अपनी व्यक्तिगत फाइल में लगवा देते थे। जब तरक्की की बारी आती थी तो केवीएस अधिकारी उसी डिग्री को आधार बना कर शिक्षक को तरक्की दे देते थे। इस अभ्यास के चलते शिक्षकों में काफी रोष था। समय-समय पर वे मांग करते रहे कि जब हम एक ही पद पर काम करते हैं तो तरक्की के अवसर में भेदभाव क्यों किया जाता है। इस मांग पर विचार करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक समिति गठित कर मामले को शांत कर दिया था। मगर पिछले महीने मंत्रालय ने इस समिति की सिफारिशों पर गौर करते हुए उन्हें मान लिया है। मंत्रालय ने केवीएस आयुक्त को लिखा है कि सेंट्रल स्कूलों में विभिन्न श्रेणियों के शिक्षकों को सीनियर स्केल और सेलेक्शन स्केल प्रदान करने के लिए उच्चतर शैक्षिक योग्यताओं को धारण करने संबंधी जो मामला काफी समय पहले मंत्रालय के पास भेजा गया था उसमें विचार करने के लिए एक समिति गठित की गई थी। इन सिफारिशों पर काफी विचार-विमर्श करने के बाद सरकार ने निर्णय लिया है कि केवीएस में विभिन्न श्रेणियों के शिक्षकों को सीनियर स्केल व सेलेक्शन स्केल के लिए उच्चतर अर्हताओं पर बल न दिया जाए और यह स्केल प्रदान किया जाए। मंत्रालय के इस आदेश के बाद 27 जून को केवीएस के उपायुक्त (कार्मिक) डा. ई प्रभाकर ने देश भर के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के सहायक आयुक्तों को मंत्रालय के उक्त फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है। बताते हैं कि अब शिक्षकों की नए सिरे से सूची बनने के बाद उन्हें तरक्की देने की प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा और इस वर्ष हजारों शिक्षकों को इसका लाभ मिलेगा। केवीएस की व्यवस्था के अनुसार, यदि किसी शिक्षक को सेंट्रल स्कूल में आज नौकरी मिलती है तो 12 वर्ष की नौकरी पूरी होने के बाद उसे कुछ शतरे को पूरा करने के बाद सीनियर स्केल मिलता था। उसके 24 वर्ष बाद पुन: कुछ शतरे को पूरा करने बाद सेलेक्शन स्केल मिलता था। मगर अब अनिवार्य शर्त को हटा लिया गया है। अब सभी शिक्षकों को समयबद्धता के साथ तरक्की मिलेगी। हालांकि अभी भी सेंट्रल स्कूलों में शिक्षकों के सैकड़ों पद खाली है जिन्हें तदर्थ आधार पर पूरा किया जाता है। मंत्रालय इस समस्या पर भी विचार कर रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में सेंट्रल स्कूलों में ठेके के आधार पर पढ़ाने वाले शिक्षकों को नियमित करने का कोई रास्ता निकाला जाएगा या फिर सेंट्रल स्कूलों में शिक्षकों का भर्ती अभियान छेड़ा जाएगा। इस समय पूरे देश में सेंट्रल स्कूलों की संख्या 1076 है जिनमें गत वर्ष 10 लाख, 30 हजार, 654 छात्रों का दाखिला था। सेंट्रल स्कूलों में शिक्षकों व कर्मचारियों की संख्या 49,291 है(ज्ञानेंद्र सिंह,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,11.7.11)।

ग्राफिक एरा विविद्यालयःद्वितीय काउंसिलिंग में शामिल हुए 800 छात्र

Posted: 11 Jul 2011 06:30 AM PDT

ग्राफिक एरा विविद्यालय में इंजीनियरिंग की द्वितीय चरण की काउंसिलिंग में करीब 800 विद्यार्थियों ने भाग लिया। विद्यार्थियों की संख्या अधिक होने के कारण देर रात तक काउंसिलिंग की प्रक्रिया चलती रही। द्वितीय चरण की काउंसिलिंग में दोनों विविद्यालयों में करीब 600 सीटों पर छात्र-छात्राओं के एडमिशन को हरी झंडी मिली। रविवार को ग्राफिक एरा डीम्ड विवि की करीब 300, उत्तराखंड ग्राफिक एरा पर्वतीय विवि के देहरादून परिसर की करीब 84 व भीमताल परिसर की करीब 200 रिक्त सीटों की काउंसिलिंग हुई। काउंसिलिंग के पहले दौर में पूर्व में एडमिशन ले चुके छात्र-छात्राओं के अपग्रेडेशन की प्रक्रिया शुरू हुई । इसके बाद रिक्त सीटों के आवंटन का कार्य शुरू हुआ। पहले चरण की काउंसिलिंग की तरह इस बार भी छात्र- छात्राओं का रुझान इलेक्ट्रानिक्स एण्ड कम्युनिकेशन, मैकेनिकल व कम्प्यूटर साइंस की ओर रहा। द्वितीय चरण की काउंसिलिंग में इलेक्ट्रानिक्स एंड इंस्ट्रूमेशन इंजीनियरिंग की 60 नई सीटें खोली गई। तकनीकी कारणों से पहले चरण की काउंसिलिंग में इन सीटों का आवंटन नहीं हुआ था। इससे पूर्व रविवार दोपहर एक बजे तक करीब 800 छात्र-छात्राओं ने रिपोर्टिग की जिसके बाद एआईईईई की रैंक के आधार पर ब्रांच आवंटन का कार्य शुरू हुआ है। छात्र-छात्राओं की संख्या अधिक होने तक सीट आवंटन का कार्य देर रात तक चलता रहा। एडमिशन न मिल पाने के कारण कई छात्रों को मायूस भी होना पड़ा। विवि के अध्यक्ष कमल घनाशाला ने कहा किइंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के बाद छात्र-छात्राओं को चार साल तक कड़ी मेहनत करनी होगी, ताकि वह अपना भविष्य संवारने के साथ ही देश के नवनिर्माण में अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें। कहा कि ग्राफिक एरा डीम्ड विवि में बीटेक प्रथम सेमेस्टर की कक्षाएं 25 जुलाई से प्रारम्भ होगी। जबकि उत्तराखंड ग्राफिक एरा पर्वतीय विवि देहरादून परिसर में कक्षाएं आठ अगस्त एवं भीमताल परिसर में 17 अगस्त से शुरू होंगी(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,11.7.11)।

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में छात्रों की दिलचस्पी कम

Posted: 11 Jul 2011 06:10 AM PDT

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्य देशों द्वारा स्थापित महात्वाकांक्षी साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में सदस्य देशों के छात्रों का रुझान कम ही देखने को मिल रहा है। इस साल भारत को छोड़कर शेष सार्क देशों से दाखिले के लिए केवल 319 आवेदन ही प्राप्त हुए हैं। भारत के छात्रों में हालांकि यह काफी लोकप्रिय हो रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस साल विविद्यालय को प्रवेश के लिए प्राप्त हुए कुल 2040 आवेदनों में से 1720 आवेदन भारतीय छात्रों के थे। लेकिन शेष सिर्फ 319 आवेदन छह अन्य सदस्य देशों के हैं। एक आवेदन सार्क से इतर देश इंडोनेशिया से आया है। अन्य सार्क देशों में कम लोकप्रियता के बारे में विविद्यालय के अध्यक्ष प्रोफेसर जीके चड्ढा कहते हैं, 'विविद्यालय को अस्तित्व में आए जुमा- जुमा एक साल हुआ है और अभी बहुत अधिक पाठ्यक्र मों की शुरुआत भी नहीं हो पाई है। हो सकता है कि सदस्य देशों के छात्रों को यूनिवर्सिटी के बारे में अभी उतनी व्यापक जानकारी नहीं मिल पाई हो।'
उन्होंने बताया, 'हमलोग चरणबद्ध तरीके से विभिन्न पाठ्यक्र मों को आगामी वर्षों में आरंभ करेंगे जिसके बाद सदस्य देशों के छात्रों में इसको लेकर दिलचस्पी बढ़ने की उम्मीद है।' भारत के अलावा सार्क के सदस्य देशों में नेपाल, पाकिस्तान, भूटान, अफगानिस्तान, श्रीलंका और मालदीव शामिल हैं। 2010 में स्थापित किए गए सार्क वििद्यालय में इस बार पांच नये पाठ्यक्र मों की शुरुआत की गई है। नए पाठ्यक्र मों को मिलाकर अब विविद्यालय में कुल सात पाठ्यक्र म हो गए हैं जिसमें कुल 220 से 225 छात्रों का दाखिला होना है। दाखिले के लिए भारत में आठ और सदस्य देशों में एक-एक प्रवेश परीक्षा केंद्र बनाया गया था जहां पर 12 मई को परीक्षा आयोजित हुई(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,11.7.11)।

60 फीसद संस्थाओं को नैक से मान्यता नहीं

Posted: 11 Jul 2011 05:50 AM PDT

देश में उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले करीब 500 विविद्यालय और 31 हजार कालेज में 60 प्रतिशत शैक्षणिक संस्थाओं ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं संबद्धता परिषद (नैक) से मान्यता हासिल नहीं की है। शैक्षणिक संस्थान गुणवत्ता मूल्यांकन के लिए नैक से मान्यता प्राप्त करने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं। यही कारण है कि राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को जुलाई 2011 में अधिसूचना जारी कर शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करने वाली संस्थाओं के लिए नैक से मान्यता प्राप्त करने की अवधि बढ़ाकर एक अप्रैल 2012 करनी पड़ी। भारतीय सामुदायिक शिक्षा शोध एवं विकास केंद्र के निदेशक एवं 12 वीं पंचवर्षीय योजना मसौदा समिति के सदस्य जेवियर एलफोंस ने कहा कि मार्च 2010 की विविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की रिपोर्ट के अनुसार देश में 493 विविद्यालय (42 केंद्रीय, 256 राज्य, 60 निजी, 130 डीम्ड) और 31 हजार कालेज हैं लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अभी भी बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से देश में उच्च शिक्षण संस्थाओं की संख्या में 25 गुना वृद्धि हुई है लेकिन मांग एवं आपूर्ति के बीच अभी भी बड़ी खाई है। उन्होंने कहा कि देश में 60 प्रतिशत शैक्षणिक संस्थान अभी भी नैक से मान्यता प्राप्त करने आगे नहीं आए हैं जो आधारभूत संरचना, पाठ्यक्रम, शिक्षकों एवं छात्रों की पात्रता जैसे मानकों पर शैक्षणिक संस्थाओं का मूल्यांकन करता है। एलफोंस ने कहा कि देश के शैक्षणिक संस्थाओं और विविद्यालयों के लिए जरूरी है कि वह वैिक स्तर की मेधा तैयार करें लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता को महज विदेशी विविद्यालयों को भारत में लाकर बेहतर नहीं बनाया जा सकता बल्कि इसके लिए वर्तमान व्यवस्था को दुरूस्त बनाए जाने की जरूरत है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी संख्या में निजी संस्थाएं हैं जिसमें से काफी संस्थाएं आधुनिक जरूरतों के अनुरूप सुविधाओं से लैस नहीं है। हालांकि 2008-12 के दौरान भारत में निजी उच्च शिक्षण संस्थाओं का बाजार बढ़कर 6.5 अरब डालर होने का अनुमान है। इस दौरान निजी संस्थाओं में कैपिटेशन फीस के रूप में ली गई रकम करीब दो अरब डालर हो जाएगी। भारत में आज उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 40 प्रतिशत निजी क्षेत्र की संस्थाएं हैं। एलफोंस ने कहा कि मशरूम की तरह बढ़ती अनियंत्रित निजी शैक्षणिक संस्थाओं का मूल्यांकन करना एक बड़ी चुनौती है। शिक्षाविदों का कहना था कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सकल नामांकन दर को वर्तमान 12.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 2020 तक 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, यह एक दुरूह लक्ष्य है जिसके लिए करीब 800 विविद्यालयों और 30 हजार कालेजों की जरूरत होगी। गौरतलब है कि अमेरिका में सकल नामांकन दर 70 प्रतिशत, चीन में 23 प्रतिशत है जबकि भारत में यह मात्र 12.4 प्रतिशत है(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,11.7.11)।

देहरादूनःफर्जी तरीके से चल रहा था आईपीएसआर इंस्टीट्यूट

Posted: 11 Jul 2011 05:30 AM PDT

ट्रांसपोर्टनगर में करीब डेढ़ वर्ष पहले खोला गया आईपीएसआर इंस्टीट्यूट बिना मान्यता के फर्जी तरीके से संचालित किया जा रहा था। फर्जी तरीके से इंस्टीट्यूट संचालित किये जाने का मामला सिटी मजिस्ट्रेट मेहरबान सिंह की जांच में पकड़ में आया। इस पर पटेलनगर कोतवाली में इस्टीट्यूट के निदेशक, प्रबन्धक व प्रधानाचार्य समेत छह लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। पुलिस मामले की जांच-पड़ताल कर आरोपितों की सरगर्मी से तलाश कर रही है। मालूम हो कि पटेलनगर थानान्तर्गत ट्रांसपोर्टनगर में आईपीएसआर इंस्टीट्यूट खोला गया था। इस इंस्टीट्यूट में विभिन्न पाठ्यक्रमों में उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के तीस सौ छात्रों का दाखिला किया गया था। फीस के नाम पर छात्र/छात्राओं से लाखों वसूले गये थे। डेढ़ महीने पहले छात्र/छात्रों को पता चला कि उक्त इंस्टीट्यूट फर्जी तरीके से चल रहा है। इस पर छात्र/छात्राएं सड़क पर आ गये। हंगामा व तोड़-फोड़ की जानकारी मिलने पर सिटी मजिस्ट्रेट मेहरबान सिंह व पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने जांच के बाद कार्रवाई किये जाने का आासन देकर हंगामा कर रहे छात्र/छात्राओं को शान्त कराया। सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा की गयी जांच में यह तस्दीक हुआ कि उक्त इंस्टीट्यूट किराये के तीन कमरों में फर्जी तरीके से चल रहा था। इस इंस्टीट्यूट में करीब 300 छात्र/छात्राएं है। इनमें 60 छात्र उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों के हैं। फर्जीवाड़े की पुष्टि होने पर छात्र राज ब्रजेश सिंह की प्रार्थना पत्र पर सिटी मजिस्ट्रेट ने पटेलनगर पुलिस को इंस्टीट्यूट के लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिये। उनके निर्देश पर इंस्टीट्यूट के निदेशक विनोद राणा, प्रधानाचार्य संजय कंसल, प्रबन्धक, श्रवण कुमार, प्रमोद राणा आदि के खिलाफ फर्जी दस्तावेज तैयार कर इंस्टीट्यूट संचालित किये जाने की रिपोर्ट दर्ज हुई है(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,11.7.11)।

छत्तीसगढ़ःतीसरी पी.एम.टी. में भी सेटिंग का दावा कर रहे हैं माफिया

Posted: 11 Jul 2011 05:10 AM PDT

छत्तीसगढ़ पी.एम.टी.-2011 दो बार रद्द हो चुकी है और व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्या.प.मं.) इसे अब जैसे-तैसे 17 जुलाई को करवाने की तैयारी में है। डीबी स्टार टीम लगातार पी.एम.टी. में जारी फर्जीवाड़े का खुलासा करती आ रही है।

इसकी शुरुआत 13 जून को थंब इम्प्रेशन से फोटो तक में की गई है छेड़छाड़ शीर्षक से प्रकाशित खबर से हुई। बताया गया था कि सी.आई.डी. ने वर्ष 2007 से 2010 के बीच फर्जीवाड़ा कर एडमिशन लेने वाले पांच छात्रों के खिलाफ जांच में पुष्टि होने के बाद कार्रवाई की।

इनमें से तीन गिरफ्तार हुए तो दो, चंद्रशेखर सेन और निखिल राज फरार है। टीम लगातार इनका सुराग ढूंढ़ रही थी। इसी बीच खबर मिली कि 30 जून को चंद्रशेखर सेन उर्फ चंदन रायपुर में है। टीम ने एक शख्स के माध्यम से पी.एम.टी. में पास करवाने के लिए चंदन से संपर्क और फिर मुलाकात की। इस दौरान उसने फर्जीवाड़े के कई प्रकरणों का खुलासा किया जो चौंकाने वाले हैं।


चंदन का दावा है कि वह अब तक 12 लोगों को पी.एम.टी. में बैठा चुका है और इस बार के लिए भी योजना बना ली है। वह परीक्षा में बैठाने के लिए पहले 25 हजार और पास हो जाने पर आठ लाख देने की बात कह रहा है। उसके अनुसार म.प्र. पी.एम.टी. में बैठना आसान है लेकिन यहां दो बार हुई गड़बड़ के कारण सावधानी बरतनी होगी। 

सी.आई.डी. द्वारा उसके और निखिल राज के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने पर उसका कहना था कि निखिल रोजाना कॉलेज जा रहा है और मैं घूम रहा हूं, फिर पुलिस क्यों नहीं पकड़ती। करीब तीन घंटे चंदन के साथ रही टीम ने देखा कि वह रायपुर, बोलेरो (सी.जी. 17 डी 2972) से आया था। जाते समय उसने बताया कि 1 जुलाई को एम.बी.बी.एस. फस्र्ट ईयर का एक पेपर है, इसलिए जल्दी निकल रहा है। उधर सी.आई.डी. के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पी.एम.टी. फर्जीवाड़े से जुड़े कई मामलों में चंद्रशेखर की तलाश है। 

30 जून/ दोपहर- 3.00 बजे

डीबी स्टार टीम ने खुलासे के लिए उस शख्स की मदद ली जो चंदन को जानता था। रिपोर्टर, चंदन और तीसरे शख्स पंकज के बीच हुई बातचीत के रिकॉर्डेड अंश.. (यहां तीसरे शख्स के लिए पंकज नाम का उपयोग किया जा रहा है। ऐसा उसकी पहचान छिपाने के लिए किया गया है।)

पंकज- ये प्रशांत हैं, भोपाल से आए हैं दो साल से पी.एम.टी. में ट्राई कर रहे हैं?

चंदन- एग्जाम हो गया क्या

रिपोर्टर- अभी नहीं हुआ.. हम यहां की तैयारी में थे, एक बार का चल जाए पर दोबारा फिर पर्चा लीक हो गया..

चंदन- आपके यहां तो ब्लैक एंड व्हाइट फोटो चलती है, वहां तो एकदम आसानी से हो जाएगा.. आसानी से।

रिपोर्टर- क्या आप पी.एम.टी. पास कर चुके हैं?

चंदन- मैं एम.बी.बी.एस. कर रहा हूं, 2007 से। कल मेरा एग्जाम है।

पंकज- पेपर लीक कहां से हुआ होगा..

चंदन- जहां छपता है वहां से..

पंकज- बस, पेपर लीक हुआ था कि मुन्नाभाई भी बैठे थे?

चंदन- मुन्नाभाई भी बैठे थे..

पंकज- कितने लोगों को बैठा चुका है चंदन.. 10-12 तो होंगे ही?

चंदन- हूं..हूं..हूं..

पंकज- अभी कैसा करेगा.. बैठा लेगा इस बार भी?

चंदन- हां, बैठा लूंगा।

रिपोर्टर- अभी अखबार में खबर छपी थी कि जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के तीन छात्रों पर मामला दर्ज हुआ था, जिसमें एक की गिरफ्तारी और दो फरार थे?

चंदन- एक ही पकड़ा गया था..

पंकज- उसी केस में तेरा भी नाम था?

चंदन- फिर पुलिस पकड़ती क्यों नहीं..

पंकज- तेरा और निखिल राज का भी था। कहां है वह?

चंदन- जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में, अभी तो रोज कॉलेज जा रहा है। लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा आप अचानक इस तरह की बात क्यों कर रहे हैं..

पंकज- नहीं, सीरियसली, मुझे इनका काम करवाना है.. तुझे तो मजाक लग रहा है। 

चंदन- बाद में बात करता हूं..

बहुत जल्द होगी आरोपियों की गिरफ्तारी

सी.आई.डी. आई.जी. पी.एन. तिवारी से सीधी बात 

पी.एम.टी. मामले में सी.आई.डी. की जांच कहां तक पहुंची?

-जांच जारी है.. अभी दस्तावेजों और सबूतों पर इन्वेस्टीगेशन किया जा रहा है। 
चंद्रशेखर सेन के खिलाफ सबूत हैं फिर भी उसकी गिरफ्तारी नहीं हो रही, जबकि वह कॉलेज जा रहा है और राजधानी में भी घूम रहा है?

-सी.आई.डी. की टीम दो बार जगदलपुर कॉलेज गई लेकिन वह नहीं मिला। जिन छात्रों की पहले गिरफ्तारी हुई है उन्होंने उसका नाम उजागर किया है। उसके खिलाफ काफी सबूत हैं। कुछ लोगों की नामजद रिपोर्ट होती है और कुछ की नहीं.. हमारी तलाश जारी है, निखिल राज भी इनमें शामिल है। 

चंद्रशेखर सेन 2007 बैच का है, लगातार फेल हो रहा है

जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. ए.के. बंसल से सीधी बात 

चंद्रशेखर सेन उर्फ चंदन आपके कॉलेज का छात्र है?

-हां, वह जगदलपुर मेडिकल कॉलेज का छात्र है और लगातार फेल हो रहा है, जबकि वह 2007 बैच का है।

क्या आपको पता है कि उसके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज हुई है, निखिल राज भी फर्जीवाड़ा कर एडमिशन लेने वालों में शामिल है?

-मुझे चंद्रशेखर सेन के बारे में जानकारी है। पिछली बार परीक्षा देने आया था तो पुलिस भी साथ थी। आज जब परीक्षा देने आया तो पुलिस साथ में नहीं है। उसका एनाटॉमी का पेपर है। निखिल राज तो क्लास अटेंड कर रहा है। 

पुलिस ने योगेंद्र साहू को गिरफ्तार किया था वह फिलहाल जेल में है। (इसके बाद डीबी स्टार टीम ने डीन से 6 जुलाई को बात की)

क्या सी.आई.डी. ने आपको कोई पत्र लिखा है जिसमें यह उल्लेख है कि अगर ये दो छात्र कॉलेज आते हैं तो इसकी जानकारी आप उन्हें दें?

-मेरी जानकारी के अनुसार सी.आई.डी. ने ऐसा कोई पत्र नहीं लिखा है। फिलहाल मैं छुट्टी पर हूं इसलिए ज्यादा नहीं बता सकता। 

टीम चंद्रशेखर सेन को विश्वास में लेकर उसके साथ शहीद वीर नारायण परिसर पहुंची क्योंकि होटल में हुई बातचीत के दौरान उसे शक हो गया था। चंद्रशेखर को यहां से कुछ दस्तावेज बनवाने थे। इस दौरान पी.एम.टी. में बैठाने के संबंध में हुई बातचीत के रिकॉर्डेड अंश..

पंकज- आप बताओ आपको कहां पी.एम.टी. की परीक्षा देनी है, मध्य प्रदेश या छत्तीसगढ़ में?

रिपोर्टर- छत्तीसगढ़ में ठीक है..

पंकज- बता, चंदन क्या करना है। काम तो करवाना है?

चंदन- जहां करवाना है वहां हो जाएगा, छत्तीसगढ़ में भी हो जाएगा। एडमिट कार्ड दिखाओ न मेरे को..

रिपोर्टर- अभी तो नहीं है, वह मैं पंकज की ई-मेल आई.डी. में मेल कर दूंगा..

चंदन- ठीक है, कल कर देना, जल्दी देखना होगा।

पंकज- बता दे कितना क्या लगेगा?

चंदन- एग्जाम का खर्च देना पड़ेगा सर.. 25 हजार रुपए लगेगा।

पंकज- बाकी..

चंदन- काम होने के बाद आठ लाख लगेंगे। 

पंकज- छत्तीसगढ़ में न..

चंदन- कहीं भी.. हम काम तो एक ही जगह से करवाते हैं।

रिपोर्टर- मैं तो आपको जानता नहीं, इसे जानता हूं इतनी जल्दी यकीन करना..

चंदन- मैं इन्हें जानता हूं इसलिए वरना सारे ओरिजनल डाक्यूमेंट रख लेता हूं(प्रशांत गुप्ता,दैनिक भास्कर,रायपुर,11.7.11)।

उत्तराखंडःनहीं मिल सकतीं लोक सेवा आयोग परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं

Posted: 11 Jul 2011 04:50 AM PDT

राज्य सूचना आयोग ने अपने एक फैसले में कहा है कि सूचना के अधिकार के तहत राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित कराई जाने वाली परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं की प्रति नहीं उपलब्ध कराई जा सकती। राज्य सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल का कहना है कि फोटो प्रति उपलब्ध कराने और उनके निरीक्षण की परंपरा शुरू कर दी गई तो ऐसी स्थिति में लोक सेवा आयोग के लिए परीक्षा संपन्न कराना और नियुक्ति करना असंभव हो जाएगा और लोक सेवा आयोग से उत्तर पुस्तिका की फोटो प्रति व उनके निरीक्षण की होड़ लग जाएगी। राज्य सूचना आयोग ने कहा है कि उत्तर पुस्तिकाओं का निरीक्षण कराना भी लोक हित में ठीक नहीं होगा। दिल्ली निवासी एक महिला अनीता ने उत्तराखंड न्यायिक सेवा सिविल जज (जू. डि.) 2009 की मुख्य परीक्षा दी थी। परीक्षा में मिले नंबरों से असंतुष्ट होकर उन्होंने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के लोक सूचनाधिकारी से सूचनाधिकार के तहत अपनी सभी विषयों की उत्तर पुस्तिकाओं की रिचेकिंग की इजाजत तो मांगी। उन्होंने उत्तर पुस्तिकाओं और पेपरों की फोटो प्रति की भी मांग की। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या उनके सभी उत्तर पुस्तिकाओं को अंग्रेजी माध्यम के रूप में मूल्यांकन किया गया था। उन्होंने उत्तर पुस्तिकाओं के खुद निरीक्षण की मांग भी की थी। लोक सूचनाधिकारी यानी गोपन अनुभाग के अनुभाग अधिकारी ने जवाब दिया कि क्योंकि उत्तर पुस्तिका की प्रति उपलब्ध कराने से परीक्षकों और मूल्यांकन करने वाले व्यक्तियों की गोपनीयता भंग होती है और इससे पूरी परीक्षा पण्राली ही अव्यवहारिक बन जाएगी इसलिए आवेदक को उत्तर पुस्तिकाओं की प्रति भी नहीं दी जा सकती और उनका निरीक्षण भी नहीं कराया जा सकता। गोपनीयता भंग होने से तथ्यपरक मूल्यांकन परीक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन करने वालों व परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था के बीच एक प्रकार का अनुबंध है जिसे लोकहित में प्रकट करना उचित नहीं होगा। इस जवाब से असंतुष्ट होकर अनीता ने लोक सेवा आयोग के अनुसचिव से विभागीय अपील की। विभागीय अपील के निस्तारण से असंतुष्ट होकर उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील कर दी। अपील की सुनवाई में राज्य सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल ने लोक सेवा आयोग का पक्ष लेते हुए कहा कि उत्तर पुस्तिका मुहैया कराने या उसका निरीक्षण किए जाने की छूट देने पर परीक्षक की वैासिक नातेदारी पर बुरा असर पड़ेगा और साथ ही उसके जीवन या शारीरिक सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा हो सकता है। राज्य सूचना आयुक्त ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के अमर ध्यानी बनाम उत्तराखंड राज्य-2004, योगेश कुमार बनाम उत्तराखंड राज्य-2004 , सुप्रीम कोर्ट के महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक शिक्षा परिषद बनाम पारितोष भूपेश कुमार सेठ आदि फैसलों की मिसाल देते हुए कहा कि अपीलार्थी को उत्तर पुस्तिकाओं की प्रति का निरीक्षण नहीं कराया जा सकता और उनकी प्रतियां भी नहीं दी जा सकती। हालांकि सूचना आयोग ने रिचेकिंग, माध्यम और नंबर से असंतुष्ट रहने के मामले में लोक सूचनाधिकारी को अपीलार्थीअनीता को राज्य लोक सेवा आयोग (उत्तर पुस्तिकाओं की मूल्यांकन प्रक्रिया और सन्निरीक्षा प्रक्रिया विनियमन) नियमावली-2007 के नियम 1 से 14 तक की प्रति पंजीकृत डाक से भेजने के भी आदेश दिए गए हैं(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,11.7.11)।

नेशनल नॉलेज नेटवर्क से जुड़ा अजमेर

Posted: 11 Jul 2011 05:25 AM PDT

बीएसएनएल के एनकेएन (नेशनल नॉलेज नेटवर्क) में देश के 300 विश्वविद्यालयों में ब्राडबैंड सामान्य गति से 4 हजार गुना तेज दौड़ रहे हैं। इस नेटवर्क की रफ्तार में अब महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय तथा भगवंत यूनिवर्सिटी शामिल हो चुकी है।

अगस्त के अं



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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