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Friday, September 9, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/9/2
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी में हॉस्टल को लेकर बवाल

Posted: 01 Sep 2011 10:39 AM PDT

एमडीयू में बने नए हॉस्टल को लेकर विवाद हो गया है। छात्रों का आरोप है कि हॉस्टल निर्माण में निम्न स्तरीय सामग्री प्रयोग की गई है। यही कारण है कि करोड़ों रुपया खर्च किए जाने के बाद भी इन हॉस्टलों की हालत खस्ता बनती जा रही है। इस मुद्दे को लेकर छात्रों में रोष पनप रहा है।

एमडीयू के लगभग सभी विभाग न्यू कैंपस में शिफ्ट हो चुके हैं। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए इस कैंपस में करीब आधा दर्जन हॉस्टल बनाए गए थे, जिनके निर्माण पर करोड़ों रुपया खर्च किया गया था। एमडीयू प्रशासन ने इसका ठेका एक बड़ी कंपनी को दिया था। विद्यार्थियों का आरोप है कि कंपनी अधिकारियों ने हॉस्टल निर्माण में निम्न स्तरीय सामग्री का इस्तेमाल किया है। हॉस्टल शुरू हुए अभी दो माह भी नहीं हुए हैं कि बारिश का पानी छत से चू रहा है। दीवारों से प्लास्टर की पपड़ी उखड़ना शुरू हो गई है।


विद्यार्थी शुरू दिन से ही हॉस्टल की हालत के बारे में एमडीयू प्रशासन से शिकायत करते चले आ रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। इस मुद्दे को लेकर मंगलवार को सभी हॉस्टलों के छात्र भड़क गए और एमडीयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। घटना की जानकारी पाकर वीसी आरपी हुड्डा और चीफ वार्डन प्रो. एसएस चाहर मौके पर पहुंचे। 
इन अधिकारियों को देखते ही छात्रों ने नारेबाजी और तेज कर दी। उन्होंने इन अधिकारियों को घेर लिया। इस दौरान छात्रों और वीसी के बीच जमकर सवाल-जवाब हुए। छात्रों ने आरोप लगाया कि कमिशन के चक्कर में प्रशासन ने अपने चहेतों को हॉस्टल निर्माण का कार्य सौंपा था। 

इन ठेकेदारों ने मुनाफे के चक्कर में घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर दिया। हैरानी की बात तो यह है कि हॉस्टल निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री की किसी ने जांच तक नहीं की। हॉस्टल शुरू होते ही ठेकेदारों की पोल खुल गई। छात्रों का उग्र रूप देखकर वीसी मौके से चले गए। छात्रों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि इस मामले की जांच नहीं की गई तो वे आंदोलन करेंगे।

शौचालयों का है बुरा हाल
हॉस्टल के शौचालयों का आकार काफी छोटा है। यहां लगी शीट और वॉश बेसन पूरी तरह से टूट चुके हैं। इतना ही नहीं, फ्लश भी खराब हो गए हैं। ऐसे में छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। छात्रों ने जब वीसी को इसकी शिकायत दी तो उन्होंने कहा कि शौचालयों का निर्माण विदेशी तर्ज पर किया गया है। वीसी का यह बयान छात्रों को हजम नहीं हुआ।

छात्रों ने कहा कि हॉस्टल का मैस भी काफी छोटा है। इस कारण यहां पर कर्मचारी सही तरीके से काम नहीं कर पा रहे हैं। खाद्य सामग्री रखने के लिए भी यहां पर्याप्त जगह नहीं है, जिस कारण यह सामग्री खराब हो रही है। उन्होंने बताया कि मैस में कर्मचारियों का भी टोटा है। 

नए हॉस्टलों में कमरे और शौचालय काफी छोटे हैं। इस कारण छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस मुद्दे को लेकर जल्द ही सभी वार्डन और एक्सइएन के साथ मीटिंग की जाएगी, जिसमें इन परेशानियों के समाधान पर विचार किया जाएगा। -प्रो. एसएस चाहर चीफ वार्डन, एमडीयू ,रोहतक(संजीव कौशिक,दैनिक भास्कर,रोहतक,1.9.11)।

जबलपुरःजेडी ने की फर्जी अनुकंपा नियुक्तियां!

Posted: 01 Sep 2011 10:31 AM PDT

स्कूल शिक्षा विभाग अपने कारनामों के कारण हमेशा चर्चाओं में रहा है, यह विभाग ऐसा है कि जो काम नामुमकिन होता है, वो यहां पर मुमकिन हो जाता है, कभी पढ़ाई के लिये जाना जाने वाला यह विभाग अब सिर्फ भ्रष्टाचार के नाम पर जाना जाता है।

सूचना के अधिकार के तहत अध्यापक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह द्वारा तत्कालीन संयुक्त संचालक शिक्षा श्रीमती शांति बावरिया द्वारा की अनुकंपा नियुक्तियों की जानकारी मांगी गई, जो जानकारी कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराई गई, उससे सबके कान खड़े हो गये।

कार्यालय द्वारा बताया गया है कि एक डिस्पैच नंबर पर दो लोगों को नियुक्ति आदेश दे दिये गये। इस प्रकार की चार नियुक्तियां हैं, इनमें दो सिवनी और दो नरसिंहपुर में की गईं। जो अनुकंपा नियुक्तियां की गई हैं, उनमें कई नियुक्तियों में आवक जावक रजिस्टर में नाम दर्ज नहीं है।

रिटायर होने के दो माह पहले से रिटायर होने के एक दिन पहले तक लगभग 62 अनुकंपा नियुक्तियां की गईं, जो अपने-आप में एक रिकॉर्ड है। सबसे बड़ी बात यह है कि जो अनुकंपा नियुक्तियां की गई हैं, उनमें अधिकतर का रिकॉर्ड कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।


जिन जिलों मे ये नियुक्तियां की गईं, उनके डीईओ भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इन नियुक्तियों का रिकॉर्ड गायब करा दिया गया है, ताकि फर्जीवाड़े का पता न चल सके। उनका यह भी कहना है कि इनमें जमकर लेनदेन हुआ है। इस संबंध में मैडम से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।

जांच की जा रही है
इस संबंध में जानकारी मिली थी, सभी जिलों के डीईओ से अनुकंपा नियुक्तियों की जानकारी मांगी गई है तथा विभिन्न स्तरों पर जांच की जा रही है, दोषियों पर निश्चित ही कार्यवाही होगी।
-संतोष त्रिपाठी, संयुक्त संचालक शिक्षा(दैनिक भास्कर,जबलपुर,1.9.11)

भोपालःआईबीएम के नाम पर छात्रों से धोखा

Posted: 01 Sep 2011 10:29 AM PDT

राजधानी के दो कॉलेजों में सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर बनाने वाली दुनिया की शीर्ष कंपनी आईबीएम के नाम पर कैंपस सिलेक्शन कर छात्रों से धोखाधड़ी और लाखों रुपए ठगी के मामले का खुलासा हुआ है। कुछ लोगों ने जुलाई में कंपनी के नाम पर कैंपस लगाकर छात्रों का सिलेक्शन किया और ऑफर लेटर भी दिए।

जब छात्र गुड़गांव स्थित मुख्यालय में ज्वाइनिंग के लिए पहुंचे तो अधिकारियों ने कहा कि कंपनी ने मप्र में कोई कैंपस रिक्रूटमेंट किया ही नहीं। अब छात्र और कॉलेज संचालक कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कराने की बात कह रहे हैं। इस फर्जीवाड़े में प्रदेश के छह-सात कॉलेज के 132 छात्र (भोपाल के 23) प्रभावित हुए।

कंपनी भी दिखाई थी
एजेंट ने छात्रों के सलेक्शन करने के बाद उन्हें गुडग़ांव स्थित कंपनी के मुख्यालय में तीन घंटे तक रुकवाया था। इसके लिए उनके विजिटर्स पास भी बनवाए थे।

कंपनी ने जारी की चेतावनी

इस मामले के सामने आने के बाद आईबीएम ने अखबारों में चेतावनी जारी की है। इसमें बताया गया है कि कंपनी किसी एजेंट या दलाल के मार्फत कैंपस सेलेक्शन नहीं करती है और न ही इसके एवज में छात्रों से किसी प्रकार का कोई शुल्क वसूला जाता है। कंपनी ने छात्रों को एजेंटों से सावधान रहने की चेतावनी दी है। 

 पहले भी चेताया था
लगभग दो महीने पहले आरजीपीवी यूनिवर्सिटी में सेमिनार के दौरान कंपनी के कंट्री हेड हेमंत गोयल ने कहा था कि कंपनी के नाम पर कुछ लोगों द्वारा फर्जीवाड़े की सूचना मिल रही है, जबकि कंपनी द्वारा कैंपस आयोजित ही नहीं किए जा रहे हैं। इस चेतावनी को दरकिनार कर कॉलेज संचालकों ने कैंपस आयोजित कराए।

कंपनी में नौकरी लगाने के नाम पर छात्रों से सत्तर हजार रुपए वसूले गए हैं। कैंपस लगाने वालों ने दिल्ली में रुकने और खाने का पूरा खर्चा उठाने का वादा किया था। इसके लिए कंपनी और कॉलेज संचालक बराबर के दोषी है। 
सूरज राजपूत, पीड़ित छात्र के परिजन

फर्जीवाड़े से ऐसे बचें छात्र 
- कैंपस के दौरान छात्रों को संबंधित अधिकारी का परिचय पत्र देखना चाहिए
- कैंपस के दौरान छात्रों को संबंधित अधिकारी से कंपनी का अधिकृत लेटर देखना चाहिए
- लेटर पर दिए पते और फोन पर संपर्क कर पुष्टि करना चाहिए
- सेलेक्शन के बाद ज्वाइनिंग के नाम पर कंपनी को कोई फीस नहीं देनी होती है।
- कंपनी रजिस्ट्रेशन के नाम पर अधिकतम एक हजार रुपए तक वसूल सकती है।

क्या है आईबीएम
- न्यूयॉर्क के आरमॉन्क में है इंटरनेशनल बिजनेस मशीन्स (आईबीएम) का हेडऑफिस। 
- कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का निर्माण और बिक्री में संलग्न। 
- 1966 में कंपनी के शोधकर्ता रॉबर्ट डेनार्ड ने डायनामिक रेंडम एक्सेस मेमोरी खोजी। 1998 में लाइनक्स की शुरुआत। इसके अलावा ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम), फ्लॉपी डिस्क, हार्ड डिस्क ड्राइव आईबीएम की ही खोज हैं।

70 हजार से एक लाख रुपए तक ठगे
जुलाई में आईबीएम के नाम पर कुछ अज्ञात लोगों ने एलएनसीटी और टीआईटी के अलावा प्रदेश के कुछ और इंजीनियरिंग कॉलेजों में कैंपस लगाया था। इसके जरिए कंपनी के गुड़गांव स्थित मुख्यालय में सालाना 3.25 लाख रुपए के पैकेज पर छात्रों को नौकरी देने का ऑफर लेटर दिया गया। कंपनी के नाम पर कैंपस लगाने वालों ने छात्रों से सत्तर हजार से लेकर एक लाख रुपए तक वसूल किए हैं। अगस्त में ये छात्र नौकरी के लिए दिल्ली पहुंचे तो सारा मामला सामने आया। 

दर्ज कराएंगे मामला
"कंपनी के आधिकारिक लेटर हैड पर दर्ज ईमेल पर पुष्टि करने के बाद ही उन्हें कैंपस लगाने की अनुमति दी थी। मंगलवार को छात्रों ने दिल्ली से फोन कर घटना की जानकारी दी, जिसके बाद कंपनी पर मामला दर्ज कराया जा रहा है।" अनुपम चौकसे, संचालक एलएनसीटी कॉलेज

कोई कैंपस नहीं लगाया
"आईबीएम ने मप्र में पिछले कई महीनों से कोई कैंपस नहीं लगाया है। हालांकि सेमीनार जरूर आयोजित किया गया था।"
अंजनी मोरे, पीआरओ, आईबीएम इंडिया(अभिषेक दुबे,दैनिक भास्कर,भोपाल,1.9.11)

दिल्लीःपैरामेडिकल स्टाफ के वेतन में होगी वृद्धि

Posted: 01 Sep 2011 10:15 AM PDT

पैरामेडिकल स्टाफ की कमी झेल रही दिल्ली नगर निगम ने अनुबंधित कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि करने का फैसला किया है। इनका वेतन काफी कम है, जिसकी वजह से एमसीडी स्वास्थ्य केन्द्रों की ओर पैरामेडिकल का कोर्स करने वाले युवा आने से कतराते हैं।

एमसीडी के स्वास्थ्य केन्द्रों में इन दिनों स्टाफ नर्स, एएनएम, एक्सरे सहायक, लैब सहायक, ओटी सहायक, योगा थरेपिस्ट, मालिश करने वाला, फिजियोथरेपिस्ट, प्लास्टर सहायक, डेंटल हाईजिनिस्ट, होम्यो कम्पाउंडर, यूनानी कम्पाउंडर, आयुर्वेदिक कम्पांडर की भारी कमी है।

इस वजह से इन स्वास्थ्य केन्द्रों का बुरा हाल है। एमसीडी ने इन कर्मचारियों की भर्ती के लिए दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड से मांग की थी, पर अभी तक भर्ती प्रक्रिया पूरी न होने की वजह से एमसीडी ने अनुबंध के आधार पर भर्ती होने वाले कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी का फैसला किया है।


अब स्टाफ नर्स (ए ग्रेड) को 10125 रुपए से बढ़ाकर 13900 रुपए, एक्सरे सहायक को 6480 रुपए के बजाय 7600 रुपए, लैब सहायक को 6480 रुपए के बजाय 7600 रुपए, ओटी सहायक को 6490 रुपए के बजाय 7200 रुपए, सांख्यिकय क्लर्क को 6176 रुपए के बजाय 7100 रुपए, योगा थरेपिस्ट को 6000 रुपए के बजाय 13500 रुपए, और आयुर्वेदिक कम्पांडर को 8000 रुपए दिए जाएंगे। ज्ञात हो कि अगले कुछ महीनों के दौरान एमसीडी द्वारा कई स्वास्थ्य केन्द्र खोले जाएंगे, जिनके लिए कई स्वास्थ्य कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी।

ऐसे में एमसीडी के इस फैसले से इस समस्या से निजात मिलने की संभावना है(बलिराम सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,1.9.11)।

मुंबई में मैनेजमेंट पाठ्यक्रम की हजारों सीटें खाली

Posted: 01 Sep 2011 10:13 AM PDT

इस शैक्षणिक वर्ष में इंजिनियरिंग में तकरीबन 20 हजार सीट रिक्त रहने की संभावनाओं के बीच मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में भी हजारों सीटें नहीं भरी जा सकी हैं।

पीजीडीएम, एमबीए और होटल मैनेजमेंट जैसे विविध प्रबंधन पाठ्यक्रमों की प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो गई है। फिर भी मुंबई सहित राज्य के विभिन्न कॉलेजों में 16 हजार से अधिक सीटें रिक्त रह गई हैं। अधिकतर सीटें ग्रामीण इलाकों और नए कॉलेजों में रिक्त रह गई हैं।

इस वर्ष अब तक 24 हजार छात्रों को प्रवेश दिया गया है पर पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष रिक्त सीटों की संख्या अधिक है। कुछ सीटें संस्थानों के स्तर से भरी जाने का तर्क दिया जा रहा है। पिछले साल पांच हजार 840 सीटें रिक्त रह गई थी।

आनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के तहत मंगाए गए आवेदन की तीन फेरियों के बाद 18 हजार 840 सीटें रिक्त थी। इसके लिए 14 हजार 242 छात्र इच्छुक थे। प्रवेश की अंतिम फेरी समाप्त होने के बाद 16 हजार से अधिक सीट खाली रह गई हैं।


जरूरत से ज्यादा मैनेजमेंट कालेजों को मंजूरी दिए जाने के कारण यह स्थिति आई है। लाखों का डोनेशन मिलने की लालच में राजनेताओं व उनके करीबियों ने कई मैनेजमेंट व इंजीनियरिंग कालेज शुरू किए थे। अच्छे कालेजों की सीटें तो अकसर भर जाती हैं लेकिन बेहतर स्टाफ व सुविधाएं न होने के कारण कई कालेजों में छात्र प्रवेश लेने से कतराते हैं। यही वजह है कि इस साल मैनेजमेंट में खाली सीटों का आंकड़ा इस काफी ज्यादा है। 

दूसरी पाली में रुचि

कई कॉलेज दो पालियों में चलाए जाते हैं। पहली पाली के बजाए छात्रों ने प्रवेश के लिए दूसरी पाली में रुचि दिखाई जिससे पहली पाली में रिक्त सीटों की संख्या अधिक है। 

कई छात्र नौकरी करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखते हैं। उनके लिए दूसरी पाली में पढ़ाई करानेवाले कॉलेज सुविधाजनक होते हैं इसलिए दूसरी पाली में चलनेवाले कॉलेजों की मांग बढ़ती जा रही है(दैनिक भास्कर,मुंबई,1.9.11)।

दिल्लीःबच्चे दाग रहे अन्ना पर सवाल, शिक्षक ले रहे इंटरनेट से जानकारी

Posted: 01 Sep 2011 09:55 AM PDT

राजधानी 12 दिनों तक अन्ना मय रहने के बाद लोग भले ही अपनी दिनचर्या और काम में व्यस्त हो गए हों लेकिन स्कूली बच्चे अब भी अन्ना के प्रति काफी क्रेजी हैं। हालत यह है कि कक्षाओं में शिक्षक उन्हें पढ़ाने जाते हैं तो बच्चे उनसे अन्ना हजारे से जुड़ी बातों पर सवाल-जबाव करते हैं। बच्चे न केवल अन्ना के आंदोलन और रामलीला मैदान में किए गए अनशन के बारे में पूछते हैं, बल्कि उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में काफी सवाल करते हैं। शिक्षक काफी हद तक अन्ना आंदोलन और रामलीला मैदान की बातें तो बता देते हैं, लेकिन उनसे जुड़ी व्यक्तिगत बातों की जानकारी न होने से उन्हें बच्चों के सामने थोड़ा-बहुत शर्मसार भी होना पड़ रहा है। आजकल के हाजिर जबाव बच्चे शिक्षकों को यहां तक कह देते हैं कि क्या सर आपको भी अन्ना की बातें नहीं मालूम है। हालत यह है कि अन्ना के बारे में बच्चों द्वारा दागे जा रहे सवालों की जानकारी देने के लिए शिक्षक इंटरनेट पर अन्ना की व्यक्तिगत और उनसे जुड़ी हर बात की जानकारी जुटा रहे हैं। निजी स्कूल में पढ़ाने वाले संजय गौतम, विवेक कुमार के अलावा सरकारी स्कूल के शिक्षक मदन मोहन तिवारी, सुनील शर्मा, संतोष जायसवाल आदि ने बताया कि अन्ना आंदोलन देश-दुनिया में इतना अधिक लोकप्रिय हुआ है कि बड़े तो क्या अब स्कूली बच्चे भी सवाल करते हैं। 12-13 दिनों तक सभी न्यूज चैनलों पर लाइव दिखाए जाने के कारण बच्चों की मन:स्थिति पर भी इसका पूरा असर हुआ है। कक्षा में ज्यादातर बच्चे अन्ना की व्यक्तिगत बातें पूछते हैं। मसलन वह कहां के हैं, पूरा नाम क्या है, वे क्या करते थे, कितनी बार अनशन कर चुके हैं, उन्होंने शादी क्यों नहीं की, उनके पिता जी का नाम क्या है, जन लोकपाल क्या है, इससे क्या होता हैं आदि। उन्होंने बताया कि इतनी बातों की जानकारी तो शिक्षकों को भी नहीं है। शिक्षक इंटरनेट पर अन्ना हजारे के बारे में सभी जानकारियां इक्कठी कर रहे हैं ताकि बच्चों के सवालों की जानकारी दे सकें। हालत यह है कि अभी तक बच्चे अन्ना से बाहर नहीं निकल सकें। जो बच्चे रामलीला मैदान जा चुके हैं वे दूसरे बच्चों को वहां की पूरी हालात की जानकारी दे रहे हैं(विभूति कुमार रस्तोगी,दैनिक जागरण,दिल्ली,1.9.11)।
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