Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Monday, January 30, 2012

गीता धार्मिक पुस्तक नहीं, दर्शन है: हाई कोर्ट,दलित युवक के दोनों हाथ, पांव काटे,रुस में गीता पर फिर पांबदी की तैयारी

गीता धार्मिक पुस्तक नहीं, दर्शन है: हाई कोर्ट,दलित युवक के दोनों हाथ, पांव काटे,रुस में गीता पर फिर पांबदी की तैयारी

पलाश विश्वास

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि गीता कोई धार्मिक पुस्तक नहीं बल्कि भारतीय दर्शन पर आधारित ग्रंथ है। कोर्ट ने कहा कि इसलिए स्कूलों में इसको पढ़ाए जाने पर रोक नहीं लगाई जा सकती।  श्रीमद्भगवत गीता को स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल करने के विरोध में लगाई गई याचिका के खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता कैथोलिक बिशप परिषद सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। याचिका खारिज करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा था कि गीता धार्मिक ग्रंथ नहीं, जीवन दर्शन है, जिससे नागरिकता का प्रशिक्षण मिलता है।उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ महीने पहले स्कूली पाठ्यक्रम में गीता को शामिल करने की घोषणा की थी। कैथोलिक बिशप परिषद के प्रवक्ता फादर आनंद मुटुंगल ने इस फैसले को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी। फादर ने याचिका में कहा था कि यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 28 का उल्लंघन है। याचिका के खारिज होने के बाद फादर का कहना है कि उन्होंने गीता पढ़ाने का विरोध नहीं किया था। उन्होंने कहा था कि सभी धर्म ग्रंथों की अच्छी बातों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए पर उनकी बात का गलत अर्थ निकाला गया।

रूस में हिंदुओं के धर्मग्रंथ गीता से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। साइबेरिया के कोर्ट के भगवद्गीता को बैन करने की याचिका को निरस्त करने के बाद, रूसी प्रॉसिक्यूटर्स अब ऊपरी अदालत का दरवाजे खटखटाने की योजना बना रहे हैं। रूसी न्यूज एजेंसी आरआईए नोवोस्टी की रिपोर्ट में तोमस्क कोर्ट की प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है कि प्रॉसिक्यूटर्स की तरफ से कोर्ट के पिछले फैसले के खिलाफ एक अपील दाखिल की गई है। 

उन्होंने स्थानीय कोर्ट से अपील दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की। इससे पहले, एक स्थानीय ग्रुप ने इस्कॉन के संस्थापक भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के लिखे 'भगवद गीता यथारूप' के रूसी अनुवाद को कट्टर साहित्य बताते हुए इसे बैन करने की मांग की थी। जून 2011 में तोमस्क शहर के स्थानीय कोर्ट में इस सिलसिले में एक अपील दाखिल की गई जिसे कोर्ट ने दिसंबर 2011 में खारिज कर दिया था। 

 मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के मलावर थाना अंतर्गत ग्राम पगारी बंगला में शनिवार की सुबह 3 लोगों ने कुल्हाड़ी और फरसे से एक दलित युवक दोनों हाथ, पैर काट दिए। युवक को गंभीर हालत में इलाज के लिए भोपाल भेजा गया है। 

पुलिस के मुताबिक, पगारी बंगला ग्राम के दलित युवक जगदीश (27) ने 15 दिन पूर्व अपने खेत से बिजली मोटर चोरी किए जाने की रिपोर्ट पुलिस थाना में दर्ज कराई थी। उसने गांव के ही 3 लोगों पर बिजली मोटर चोरी किए जाने का आरोप लगाया था। उन्होंने बताया कि इसी बात को लेकर शनिवार सुबह अर्जुन ठाकुर, शिवा गुर्जर और मदन ने कुल्हाड़ी और फरसे से हमला कर युवक जगदीश के दोनों हाथ और दोनों पैर काट दिए। युवक को गंभीर हालत में इलाज के लिए भोपाल भेजा गया है। इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।  

भागवत गीता के एक संस्करण पर रूस की एक अदालत में अपनी याचिका खारिज होने के बावजूद अभियोजन पक्ष इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए फिर से अपील दायर करने की तैयारी कर रहा है। मालूम हो कि यह मामला दिल्ली में संसद में भी गूंजा था और भारत ने इस मुद्दे रूसी प्रशासन से अपनी चिंता भी जताई थी। अभियोजन पक्ष की दलील है कि भागवत गीता का रूसी भाषा में अनुवादित संस्करण सामाजिक विद्वेष और नफरत फैलाने वाला है। 

मॉस्को में इस्कॉन के साधु प्रियदास ने बताया कि साइबेरिया के टोमस्क शहर में स्थित कोर्ट ने गत 28 दिसंबर को अभियोजन पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी। इस तरह अदालत के उस फैसले के खिलाफ 25 जनवरी तक ही अपील की जा सकती थी। यह वक्त निकल चुका है। हालांकि उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष ने अदालत से उच्च अदालत में अपील दायर करने के लिए और वक्त भी मांगा था। दास का यह बयान तब आया जब मीडिया में अभियोजन पक्ष की ओर से दुबारा अपील करने की खबर आई।


रूसी कोर्ट के प्रवक्ता ने बताया कि अभियोजन पक्ष ने कहा है कि गीता के रूसी संस्करण को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। वह इस संबंध में अब उच्च अदालत में याचिका दायर कर रहे हैं। मालूम हो कि रूसी भाषा में अनुवादित यह संस्करण गीता और इस्कॉन के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद के प्रवचनों का संग्रह है। 

गौरतलब है कि विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने रूसी राजदूत को बुलाकर कहा था कि इस मुद्दे का समाधान करने के लिए रूस को सभी जरूरी कानूनी मदद मुहैया करानी चाहिए। उधर, एक अमेरिकी टेलीविजन स्टेशन द्वारा हिंदू देवी-देवताओं पर टिप्पणी से हिंदू समुदाय के लोगों में भारी गुस्सा है। इस टीवी स्टेशन की वेबसाइट पर प्रकाशित एक आइस हॉकी मैच की कमेंट्री में हिंदु देवी-देवताओं को अजीबोगरीब कहा गया है। 

एनबीसी शिकागो वेबसाइट पर आइस हॉकी के एक मैच की कमेंट्री में 'व्हाई ए 3-1 ब्लैकहॉक्स लॉस इज नॉट सो बैड' शीर्षक से एक लेख छपा है। इसमें कहा गया है कि नैशविले प्रीडेटर्स ने शिकागो ब्लैकहॉक्स को 3-1 से हरा दिया। मैच में प्रीडेटर्स की टीम इस कदर कब्जा कर रही थी, जैसे कोई अजीबोगरीब हिंदू देवता राक्षसों पर करता है। 

नेवादा स्थित हिंदू समुदाय के नेता राजन जेद ने बृहस्पतिवार को कहा कि विश्व के करीब एक अरब से ज्यादा हिंदू अपने देवी-देवताओं की रोज पूजा करते हैं। ऐसे में उन्हें अजीब कहना सभी हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है। यूनिवर्सल सोसाइटी ऑफ हिंदुइज्म के अध्यक्ष राजन ने वेबसाइट पर प्रकाशित अशोभनीय टिप्पणी को तत्काल प्रभाव से हटाने और माफीनामा छापने की मांग की है।

मध्य प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में गीता-सार को शामिल किए जाने के विरोध में दायर जनहित याचिका को जस्टिस अजित सिंह और जस्टिस संजय यादव की बेंच खारिज कर दिया। बेंच ने कहा कि 'गीता' में दर्शन है न कि धार्मिक सीख। कैथलिक बिशप काउंसिल के प्रवक्ता आनंद मुत्तंगल ने याचिका में कहा था कि यह फैसला अनुच्छेद 28 (1) का उल्लंघन है। 

हाई कोर्ट ने कहा कि धार्मिक पुस्तक की जगह स्कूलों में सभी धर्मों का सारांश पढ़ाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 28 (1) नैतिक शिक्षा, सांप्रदायिक सिद्धांतों और सामाजिक एकता बनाए रखने वाले किसी प्रशिक्षण पर पाबंदी नहीं लगाता, जो नागरिकता व राज्य के विकास का जरूरी हिस्सा हैं। हाईकोर्ट ने अरुणा रॉय विरूद्ध केन्द्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का भी उल्लेख किया। 

उसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 28 (1) में धार्मिक शिक्षा का उपयोग एक सीमित अर्थ में किया गया है। इसका मतलब है कि शैक्षणिक संस्थाओं में पूजा, आराधना, धार्मिक अनुष्ठान की शिक्षा देने के लिए राज्य सरकार के धन का उपयोग नहीं किया जा सकता। 

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के उस आदेश की प्रति भी पेश नहीं की, जिसमें गीता-सार को स्कूलों में शामिल करने का निर्णय किया गया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील राजेश चंद को गीता पढ़ने के लिए दो महीने की मोहलत दी थी, ताकि वे इस बात को समझ सकें कि गीता जीवन का दर्शन है न कि किसी धर्म से संबंधित। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि हालांकि उन्होंने गीता का अध्ययन किया लेकिन उन्हें यह पूरी तरह से समझ में नहीं आई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। 

गीता - सार

गीता - सार
  • क्यों व्यर्थ की चिंता करते होकिससे व्यर्थडरते होकौन तुम्हें मार सक्ता हैआत्माना पैदा होती है मरती है।
  • जो हुआवह अच्छा हुआजो हो रहा है,वह अच्छा हो रहा हैजो होगावह भीअच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप करो। भविष्य की चिन्ता  करो। वर्तमानचल रहा है।
  • तुम्हारा क्या गयाजो तुम रोते होतुमक्या लाए थेजो तुमने खो दियातुमनेक्या पैदा किया थाजो नाश हो गयातुम कुछ लेकर आएजो लिया यहीं सेलिया। जो दियायहीं पर दिया। जो लिया,इसी (भगवानसे लिया। जो दियाइसीको दिया।
  • खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जोआज तुम्हारा हैकल और किसी का था,परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपनासमझ कर मग्न हो रहे हो। बस यहीप्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
  • परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुममृत्यु समझते होवही तो जीवन है। एकक्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो,दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो।मेरा-तेराछोटा-बड़ाअपना-परायामनसे मिटा दोफिर सब तुम्हारा हैतुमसबके हो।
  •  यह शरीर तुम्हारा है तुम शरीर केहो। यह अग्निजलवायुपृथ्वीआकाशसे बना है और इसी में मिल जायेगा। परन्तुआत्मा स्थिर है - फिर तुम क्या हो?
  • तुम अपने आपको भगवान के अर्पित करो।यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारेको जानता है वह भयचिन्ताशोक सेसर्वदा मुक्त है।
  • जो कुछ भी तू करता हैउसे भगवान केअर्पण करता चल। ऐसा करने से सदाजीवन-मुक्त का आन्दन अनुभव करेगा।

श्रीमद्भगवद्गीता

मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से
श्री कृष्ण का विराट रूप एव अर्जुन को गीता उपदेश देते हुए

श्रीमद्भगवद्‌गीता हिन्दू धर्म के पवित्रतम ग्रन्थों में से एक है। महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध में श्री कृष्ण ने गीता का सन्देश अर्जुनको सुनाया था। यह महाभारत के भीष्मपर्व के अन्तर्गत दिया गया एक उपनिषद् है । इसमें एकेश्वरवाद, कर्म योग, ज्ञानयोग, भक्ति योग की बहुत सुन्दर ढंग से चर्चा हुई है। इसमें देह से अतीत आत्मा का निरूपण किया गया है।

श्रीमद्भगवद्‌गीता की पृष्ठभूमि महाभारत का युद्ध है। जिस प्रकार एक सामान्य मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं में उलझकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है और उसके पश्चात जीवन के समरांगण से पलायन करने का मन बना लेता है उसी प्रकार अर्जुन जोमहाभारत का महानायक है अपने सामने आने वाली समस्याओं से भयभीत होकर जीवन और क्षत्रिय धर्म से निराश हो गया है, अर्जुन की तरह ही हम सभी कभी-कभी अनिश्चय की स्थिति में या तो हताश हो जाते हैं और या फिर अपनी समस्याओं से उद्विग्न होकर कर्तव्य विमुख हो जाते हैं। भारत वर्ष के ऋषियों ने गहन विचार के पश्चात जिस ज्ञान को आत्मसात किया उसे उन्होंने वेदों का नाम दिया। इन्हीं वेदों का अंतिम भाग उपनिषद कहलाता है। मानव जीवन की विशेषता मानव को प्राप्त बौद्धिक शक्ति है और उपनिषदों में निहित ज्ञान मानव की बौद्धिकता की उच्चतम अवस्था तो है ही, अपितु बुद्धि की सीमाओं के परे मनुष्य क्या अनुभव कर सकता है उसकी एक झलक भी दिखा देता है। उसी औपनिषदीय ज्ञान को महर्षि वेदव्यास ने सामान्य जनों के लिए गीता में संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया है। वेदव्यास की महानता ही है, जो कि ११ उपनिषदों के ज्ञान को एक पुस्तक में बाँध सके और मानवता को एक आसान युक्ति से परमात्म ज्ञान का दर्शन करा सके।

अनुक्रम

  [छुपाएँ

[संपादित करें]गीता पर भाष्य

संस्कृत साहित्य की परम्परा में उन ग्रन्थों को भाष्य (शाब्दिक अर्थ - व्याख्या के योग्य), कहते हैं जो दूसरे ग्रन्थों के अर्थ की वृहद व्याख्या या टीका प्रस्तुत करते हैं। भारतीय दार्शनिक परंपरा में किसी भी नये दर्शन को या किसी दर्शन के नये स्वरूप को जड़ जमाने के लिए जिन तीन ग्रन्थों पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करना पड़ता था (अर्थात् भाष्य लिखकर) उनमें भगवद्गीता भी एक है (अन्य दो हैं- उपनिषद् तथा ब्रह्मसूत्र)। [1] भगवद्गीता पर लिखे गये प्रमुख भाष्य निम्नानुसार हैं-

[संपादित करें]आधुनिक जनजीवन में

श्रीमद्भगवद्गीता बदलते सामाजिक परिदृश्यों में अपनी महत्ता को बनाए हुए है, और इसी कारण तकनीकी विकास ने इसकी उपलब्धता को बढ़ाया है, तथा अधिक बोधगम्य बनाने का प्रयास किया है। दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक महाभारत में भगवद्गीता विशेष आकर्षण रही, वहीं धारावाहिक श्रीकृष्ण (धारावाहिक) में भगवद्गीता पर अत्यधिक विशद शोध करके उसे कई कड़ियों की एक शृंखला के रूप में दिखाया गया। इसकी एक विशेष बात यह रही कि गीता से संबंधित सामान्य मनुष्य के संदेहों को अर्जुन के प्रश्नों के माध्यम से उत्तरित करने का प्रयास किया गया। इसके अलावा नीतीश भारद्वाज कृत धारावाहिक गीता-रहस्य (धारावाहिक) तो पूर्णतया गीता के ही विभिन्न आयामों पर केंद्रित रहा। इंटर्नेट पर भी आज अनेकानेक वेबसाइटें इस विषय पर बहुमाध्यमों के द्वारा विशद जानकारी देती हैं।


श्रीमद्भगवद्गीता वर्तमान में धर्म से ज्यादा जीवन के प्रति अपने दार्शनिक दृष्टिकोण को लेकर भारत में ही नहीं विदेशों में भी लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रही है. निष्काम कर्म का गीता का संदेश प्रबंधन गुरुओं को भी लुभा रहा है. भारत में कुछ संस्थाओं जैसे ISKON ने देश-विदेश में कृष्ण भक्ति और गीता के सन्देश को फ़ैलाने में काफी योगदान दिया है. इसके संस्थापक स्वामी प्रभुपाद जी द्वारा लिखा श्रीमद्भगवद्गीता का अंग्रेजी भाष्य Bhagvad Gita As it is काफी प्रसिद्ध रही है और इसने गीता के सन्देश को पश्चिम में फ़ैलाने में काफी योगदान दिया है. श्रीमद्भगवद्गीता विश्व के सभी धर्मों की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में शामिल है. गीता प्रेस गोरखपुर जैसी धार्मिक साहित्य की पुस्तकों को काफी कम मूल्य पर उपलब्ध करानेवाले प्रकाशन ने भी कई आकार में अर्थ और भाष्य के साथ श्रीमद्भगवद्गीता के प्रकाशन द्वारा इसे आम जनता तक पहुचाने में काफी योगदान दिया है.


[संपादित करें]सन्दर्भ

  1.  वेदान्त, स्वामी विवेकानन्द, रामकृष्ण मठ, नागपुर

[संपादित करें]बाह्यसूत्र

Wikisource
विकिसोर्स में श्रीमद्भगवद्गीता लेख से संबंधित मूल साहित्य है।
-- 

हिंदूओं की ताकत है ध्यान और गीता का ज्ञान (shri mdadbhagawat gita's gyan and Dhyan is power of hindu dharma-hindi lekh)

 
 
 
 
 
 
8 Votes

                   मैं देश में चल रहे माहौल को जब देखता हूँ जिसमें हिदू धर्म के प्रति लोगों के मन में तमाम विचार आते हैं पर उनका कोई निराकरण करने वाला कोई नहीं है। धर्म के नाम पर भ्रम और भक्ती के नाम पर अंधविश्वास को जिस तरह बेचा जा रहा है, वह चिंता का विषय है । विरोध करने पर आदमी को नास्तिक और तर्क देने पर कडी टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है।

            हिंदू धर्म की को पूरी दुनिया सम्मान की द्रष्टि से देखती है पर अपने ही देश में धर्म के ठेकेदोरों ने लोगों की बुध्दी का दोहन केवल अपने तुच्छ स्वार्थों की खातिर कर इसको बदनाम कर दिया। हिंदू धर्म के तमाम ग्रंथ हैं और उनमें कुछ ऎसी तमाम बातें है जो उस समय ठीक थीं जिस समय वह कहीं और लिखी गयी थीं, समय के साथ लोग उनसे बिना कहे दूर होते गये। पर जीवन के आर्थिक, सामाजिक , स्वास्थ्य और विज्ञान की दृष्ट से जितना हमारे ग्रंथों में हैं उतना किसी अन्य धर्म में नहीं है। हाँ, इस धर्म को बदनाम करने के लिए इसके विरोधी केवल उन बातों को ही दोहराते हैं जो किन्हीं खास घटनाओं या हालतों में लिखीं गयी थीं और आज अप्रासंगिक हो गयी हैं और लोग उन्हें अब दोहराते ही नहीं है।

                अब आप लोग कहेंगे कि इतनी सारी पुस्तकों के कारण ही हिंदु धर्म के प्रति भ्रांति फैली है तो मैं आपको बता दूं कि सारे ग्रंथों का सार श्री मद्भागवत गीता में है। जिसने गीता पढ़ ली और उससे ज्यादा समझ ली उसे कुछ और पढने की जरूरत ही नहीं है। यहां में बता दूं मैं कोई संत या सन्यासी नहीं हूँ न बनूंगा क्योंकि गीता पढने वाला कभी सन्यास नही लेता । इस पर ज्यादा प्रकाश विस्तार से मैं बाद में डालूँगा , आज मैं ज्ञान सहित विज्ञान वाले इस ग्रंथ में जो भृकुटी पर ध्यान रखने की बात कही गयी है वह कितनी महत्वपूर्ण है-उसे बताना चाहूंगा । शायद भारत में भी कभी इस बात की चर्चा नही हुई कि हिंदु धर्म की सबसे बड़ी ताकत क्या है जो इतने सारे आक्रमणों के बावजूद यह बचा रहा है। अगर लोगों को यह लगता है कि हिंदू कर्म कान्ड भी धर्म का हिस्सा हैं तो मैं आपको बता दूं कि गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहीं भी कर्मकांड के महत्व की स्थापना नहीं की । उन्होने गीता में ध्यान के सिध्दांत की जो स्थापना की वह आज के युग में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। ध्यान वह शक्ति है जो हमें मानसिक और शारीरिक रुप से मजबूत करती है जिसकी आज सबसे ज्यादा जरूरत है।

             मैं अपने हिसाब से ध्यान की व्याख्या करता हूँ । मेरे इस ब्लोग को जो पढ़ें वह एक बात सुन कर चौंक जायेंगे कि मुझे इन्टरनेट पर ब्लोग लिखने की शक्ति इसी ध्यान से मिली है और प्रेरणा गीता से। ध्यान क्या है पहले इस बात को समझ लें । हम सोते हैं और नींद लग जाती है तो लगता है आराम मिल गया पर आजकल की व्यस्त जिन्दगी में तमाम तरह के ऐसे तनाव हैं जो पहले नहीं थे । पहले आदमी सीमित दायरे में रहते हुए शुध्द चीजों का सेवन करते हुए जीवन व्यतीत करते थे और उनकी चिताएँ भी सीमित थीं इसीलिये उनका ध्यान नींद में भी लग जाता था । शुध्द वातावरण का सेवन करने के कारण उन्हें न तो ध्यान की जरूरत महसूस हुई और न गीता के ज्ञान को समझने की। हालांकि मैं अपने देश के पूर्वजों का आभारी हूँ कि उन्होने धार्मिक भावनाओं से सुनते-सुनाते इसे अपनी आगे आने वाली पीढी को विरासत में सौंपते रहे ।

               आज हमारे कार्य के स्वरूप और क्षेत्र में व्यापक रुप से विस्तार हुआ है और हम अपने मस्तिष्क के नसों को इतनी हानि पहुंचा चुके होते हैं कि हमें रात की नींद ही काफी नहीं लगती और हम बराबर तनाव महसूस करते हैं । रात में हम सोते हैं तब भी हमारा मस्तिष्क बराबर कार्य करता है और वह दिन भर की घटनाओं से प्रभावित रहता है। ध्यान हमेशा ही जाग्रत अवस्था में ही लगता है । ध्यान का मतलब है अपने दिमाग की सर्विस या ओवेर्हालिंग । जिस तरह स्कूटर कार मोटर सायकिल फ्रिज पंखा एसी और कूलर की सर्विस कराते हैं वैसे ही हमें खुद अपने दिमाग की भी करनी होगी। एक तरह से हमें अपना साएक्रितिस्त खुद ही बनना होगा।

                   जिस बात का जिक्र मैंने शुरू में नहीं किया वह यह कि मैंने चार वर्ष पूर्व किसी अखबार में पढा था कि एक अमेरिकी विज्ञानिक का मत है कि हिंदूओं कि सबसे बड़ी ताकत है ध्यान । फिर भी भारत के प्रचार माध्यमों ने इसे वह स्थान नहीं दिया जो देना चाहिए था । यहां मैं ध्यान की विधि बताना ठीक समझता हूँ । सुबह नींद से उठकर कहीं खुले में शांत स्थान पर बैठ जाएँ और पहले थोडा पेट को पिच्काये ताकी हमारे शरीर में से वायू विकार निकल जाएँ और फिर नाक पर दोनों ओर उंगली रखकर एक तरफ से बंद कर सांस लें और दूसरी तरफ से छोड़ें। ऐसा कम से कम बीस बार करें और दोनों तरफ से सांस लेने और छोड़ने का प्रयास करें । उसके बाद बीस बार अपने श्री मुख से ॐ शब्द का जाप करे और फिर बीस बार ही मन में जाप करें और धीरे अपने ध्यान को भृकुटी पर स्थापित करें। जो विचार आते हैं उन्हें आने दीजिए क्योंकि वह मस्तिष्क में मौजूद विकार हीं हैं जो उस समय भस्म हो रहे होते हैं। यह आप समझ लीजिये । धीरे धीरे अपने ध्यान को शून्य में जाने दीजिए-न जा रहा है तो बांसुरी वाले के स्वरूप को वहन स्थापित करिये -धीरे स्वयं ही आपको ताजगी का अहसास होने लगेगा । अपने ध्यान पर जमें रहें उसे भृकुटी पर जमे रहने दीजिए ।

                 ऐसा नहीं है कि केवल सुबह ही ध्यान किया जाता है आप जब भी तनाव और थकान अनुभव करे कहीं भी बैठकर यह करें। शुरूआत में यह सब थोडा कठिन और महत्वहीन लगेगा पर आप तय कर लीजिये कि मैं अपने को खुश रखने के लिए यह सब करूंगा ।कुछ लोग इसे मजाक समझेंगे पर यह मेरा किया हुआ अनुभव है। अगर मैं यह ध्यान न करूं तो इस तरह कंप्यूटर पर काम नहीं कर सकता जिस तरह कर रहा हूँ। कम्प्युटर, टीवी और मोबाइल से जिस तरह की किरणें उठती है उससे हमारे दिमाग को हानि पहूंचती है यह भी वही वैज्ञानिक बताते हैं जिन्होंने इसे बनाया है। शरीर को होने वाली हानि तो दिखती है पर दिमाग को होने वाली का पता नहीं लगता। ध्यान वह दवा है जो इसका इलाज करने की ताक़त की रखता है। शेष अगले अंकों में। इस तरह की रचनाये पढ़नी है वह मेरे नीचे लिखे ब्लोग को देखते रहे वहां मैं इन पर लिखता रहूँगा।

http://rajlekh.wordpress.com/2007/05/19/hindu-dharma-ki-takat-hai-shri-geeta-ka-shri-mad-bhagwat-geetas-gyan-aur-dhyan-hindi-lekh/



No comments: