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Thursday, February 2, 2012

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विदेशी निवेशकों को झटका मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर
पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से
विदेशी निवेशकों को झटका

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


2जी लाइसेंस रद्द होने की खबर के बावजूद बाजार बढ़त पर बंद हुए हैं।भारतीय अर्धव्यवस्था के मुखातिब ढेरों ज्वालंत सवाल मुंह बांए खडी हैं। मसलन
इस मंदी का दौर कितना लंबा होगा? क्या उद्योग के लिए निवेश टालना सही फैसला रहेगा? क्या इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश पर सरकार का जोर देश में पूंजी सृजन को मजबूत बनाए रखेगा और इससे वृद्धि देखने को मिलेगी? सुप्रीम कोर्ट के 122 2जी लाइसेंस रद्द करने की खबर से बाजार डगमगाते तो दिखे और टेलिकॉम और बैंकिंग शेयरों में भारी गिरावट आने की वजह से सेंसेक्स-निफ्टी लाल निशान में चले गए थे लेकिन बाद में जल्द ही संभल गए।अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से मजबूती के संकेत मिलने की वजह से गुरुवार सुबह घरेलू बाजार करीब 1 फीसदी की तेजी पर खुले थे।  सेंसेक्स 131.27 चढ़कर 17,431.85 और निफ्टी 34.20 अंकों की बढ़त के साथ 5,269.90 पर बंद हुआ।  

अमेरिका और यूरोप का संकट फिलहाल खत्म होता नजर नहीं आ रहा। लेकिन देश के सामने अंतरराष्ट्रीय स्थितियों से कहीं ज्यादा बड़ा संकट सरकार की सोच, उसकी तैयारी और नीतियों में सही तालमेल के अभाव का है।भले ही सरकार टूजी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपने लिए झटका मानने से इनकार कर रही हो, लेकिन इससे आर्थिक सुधारों की राह पर यूपीए-2 के मौजूदा सफर पर ब्रेक लगने की संभावना बढ़ गई है। एफडीआई, पेंशन सुधार और बीमा उदारीकरण समेत तमाम आर्थिक सुधारों को अपने पिटारे से निकालने में जुटी सरकार अब बेहद सोच समझकर ही इन मुद्दों पर आगे बढ़ेगी।

इस बीच चालू वित्त वर्ष में विकास दर 7 प्रतिशत संभव ,प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने  ऐसा  कहा है कि चालू वित्त वर्ष में देश की विकास दर 7 से 7.25 फीसदी रह सकती है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी और औद्योगिक उत्पादन गिरने के कारण जीडीपी विकास दर में भारी गिरावट रह सकती है। पिछले वित्त वर्ष यानी 2010-11 में विकास दर 8.4 फीसदी रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 4.6 फीसदी के लक्ष्य तक सीमित नहीं रख पाएगी।

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2008 के बाद 11 टेलिकॉम कंपनियों को जारी किए गए 122 2जी लाइसेंस रद्द किए हैं।एकसाथ १२२ लाइसेंस रद्द हो जाने से विदेशी निवेशकों की नजर में भारतीय बाजार और भारत सरकार की साख को पूंजी निवेश के नजरिए​ ​से बट्टा लगा है।। वोडाफोन मामले में इसके विपरीत विदेशी पूंजी निवेशकों का हौसला बुलंद हुआ था।कोर्ट ने कहा कि कुछ लोग शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं और दिखा रहे हैं कि किस तरह सरकार काम कर रही है। ये एक उदाहरण है कि किस तरह धन शक्ति से सिस्टम के अंदर जाकर लोग हर चीज अपने हक में कर लेते हैं।


अब सत्ता समीकरण जो है और इस फैसले के बाद बदली हुई परिस्थितियों में  राकांपा, द्रमुक, तृणमूल के साथ ही अन्य घटक दल दागदार गठबंधन का हिस्सा होने का आरोप नहीं झेलना चाहते। ऐसे में आर्थिक सुधारों के कई फैसलों पर सरकार को पुनर्विचार करना पड़ सकता है। अब सरकार के संकटमोचक भी कहने लगे हैं कि यदि बहुत जरूरी नहीं हो तो आर्थिक दृष्टि से संवेदनशील फैसलों को पिटारे में वापस बंद कर दिया जाना चाहिए।

कोर्ट ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में दिए लाइसेस रद्द करते हुए कहा कि इन्हें मनमाने और असंवैधानिक तरीके से जारी किया गया। अदालत ने लाइसेंस हासिल करने के बाद अपने शेयर बेचने वाली तीन कंपनियों पर पांच-पांच करोड़ का जुर्माना लगाया है। साथ ही तीन दूसरी कंपनियों को 50-50 लाख जुर्माना चुकाने को भी कहा गया है। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और एके गांगुली की पीठ ने सरकार से ट्राई की सिफारिशों पर एक माह के अंदर अमल करने को कहा। पीठ ने यह भी कहा कि नए स्पेक्ट्रम आवंटन चार महीने के भीतर नीलामी के आधार पर किए जाएं।

टूजी स्पेक्ट्रम रद्द होने के बाद इसका सबसे बड़ा फायदा इस क्षेत्र की सबसे बड़ी खिलाड़ी भारती एयरटेल और मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को हो सकता है। सरकार टूजी लाइसेंस के लिए दोबारा से बोली लगाने के लिए कंपनियों को आमंत्रित करेगी ऐसे में मुकेश अंबानी की कंपनी को इस क्षेत्र में उतरने का मौका मिल सकता है। मुकेश अंबानी इस नीलामी के जरिए टूजी के साथ-साथ 4जी टेक्नोलॉजी के लिए भी बोली लगा  सकते हैं।

राजा द्वारा 9,000 करोड़ से अधिक के दाम में 122 लाइसेंस दिए गए, जबकि 3 जी के कुछ ही लाइसेंसों की नीलामी से सरकार को 69,000 करोड़ रुपए मिले थे। लाइसेंस बांटने के लिए पहले आओ, पहले पाओ नीति को आधार बनाया गया। वर्तमान से कम रेट पर चुनिंदा कंपनियों को लाइसेंस बेचे गए। सीएजी के अनुसार इससे 1.76 लाख करोड़ का घाटा हुआ था।


कोर्ट ने घोटाले की जांच के लिए एसआईटी गठन से इंकार करते हुए कहा कि सीवीसी ही सीबीआई के कार्यों की मॉनिटरिंग करेगी। पीठ ने यह फैसला गैर सरकारी संगठन सीपीआईएल, जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रहमण्यम स्वामी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की याचिकाओं पर दिया। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि 2008 में यूपीए के पहले कार्यकाल में राजा द्वारा स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटन संबंधी घोटाला किया गया।

बाजार की ताकतों और मुक्त बाजार समर्थकों का दबाव आर्थिक सुधार तेजी से बढ़ाकर विदेशी पूंजी का बहाव अबाध करने पर है​।अर्थशास्त्रियों अमेरिकी प्रशासन, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष का दबाव भी भारत सरकार पर सुधक अभियान तेज करले के लिए है। मनमोहन सरकार​ ​ के खिलाफ पालिसी पैरालिसिस का कारपोरेट जगत का आरोप है। उनकी दलील है कि उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद पिछले दो दशकों में आर्थिक विकास की दिशा में देश ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। आज हमारी गिनती न केवल ताकतवर अर्थव्यवस्था वाले देश, बल्कि एक उभरती हुई विश्वशक्ति के रूप में भी होने लगी है।वर्ष 1991 में जहां हमारा विदेशी मुद्रा भंडार एक अरब डॉलर भी नहीं था, आज वह बढ़कर लगभग 300 अरब डॉलर हो गया है, लेकिन अब सरकार एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जहां से हमारी आर्थिक तरक्की की रफ्तार धीमी पड़ रही है। केंद्र की सत्ता में बचे हुए ढाई साल में यूपीए पर कोई और दाग नहीं लगने देने की रणनीति के तहत ही सहयोगियों ने नेतृत्व को सलाह देना शुरू कर दिया है कि आर्थिक सुधारों और विदेशी निवेश के फैसलों पर काफी सतर्कता से कदम बढ़ाने की जरूरत है। सूत्रों के अनुसार, ट्राई की सिफारिशों के आधार पर स्पेक्ट्रम की ताजा नीलामी के दौरान भी सहयोगी दल सरकार को सतर्क करते नजर आएंगे। वहीं, सरकार भी अपने किसी फैसले को किसी घोटाले की बुनियाद बनने का जोखिम अब दोबारा नहीं लेना चाहती है।

वैश्विक स्तर पर आर्थिक वृद्धि का दम फूल रहा है। इसकी 2006 में रही 4 परसेंट की दर लुढ़क कर 2007 में 3.7 परसेंट पर आ गई है। विश्व बैंक के मुताबिक दुनिया का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 2008 में और नीचे 2.7 परसेंट पर आ सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के अब भी ७.७ फीसदी की धमाकेदार दर से आगे बढ़ने की भविष्यवाणी की जा रही है और चीन को छोड़कर दूसरा ऐसा कोई मुल्क नहीं जिसकी अर्थव्यवस्था इस रफ्तार से आगे बढ़ रही हो। फिर भी देश के लोगों के मूड में कोई खास उत्साह नजर नहीं आता। दलाल स्ट्रीट पर शेयरों के दाम नीचे आ रहे हैं और सड़क पर खड़ा आम आदमी रोजमर्रा के सामान से लेकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों के चढ़ने से मुश्किलों में घिरा है।

वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था के चक्के थमने से मांग में कमी आएगी। कच्चे तेल और स्टील समेत प्रमुख कमोडिटी की कीमतों में नरमी आनी शुरू हो गई है। तेल के दाम गिरने से सभी को व्यावहारिक रूप से राहत पहुंचती है। मुश्किल में रहती हैं तो तेल रिफाइनरी जिन्हें अब रिफाइंड उत्पाद, खरीद से कम दामों पर बेचने पड़ेंगे। लेकिन क्या तेल की कीमतें गिरने से उस पर निर्भरता कम करने के लिए तेल खोज और रिन्यूएबल एनजीर् में नए निवेश को लेकर जारी उत्साह प्रभावित होगा? ज्यादातर उद्योग कमोडिटी की कीमतों के नीचे आने का स्वागत करेंगे। लेकिन यह कोई अच्छी खबर नहीं है कि केरल में रबड़ पैदा करने वाले खरीदारी में दिलचस्पी दिखाएं। कृषि उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी ग्रामीण आमदनी में इजाफा करती है या उद्योग के खर्च में कमी लाती है? लंबी मियाद में भारतीय अर्थव्यवस्था को क्या फायदा होगा?

आर्थिक सुधारों पर सरकार के कई फैसलों पर ब्रेक लगाती आ रही तृणमूल कांग्रेस और कई अन्य घटक दलों के तेवर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद और सख्त हो जाएंगे। यूपीए के बाकी घटक भी सुधार के नाम पर ऐसे फैसलों का हिस्सा बनने का जोखिम लेने से हिचकेंगे, जो आर्थिक मामलों के लिहाज से संवेदनशील हो सकते हैं। रिटेल में विदेशी निवेश जैसे फैसले को पिटारे से निकालने की सरकार की कोशिश नाकाम करने के लिए तृणमूल और द्रमुक के साथ यूपीए के कुछ अन्य घटक भी खड़े होते दिख रहे थे।


उनकी दलील है कि  देश के सामने अंतरराष्ट्रीय स्थितियों से कहीं ज्यादा बड़ा संकट सरकार की सोच, उसकी तैयारी और नीतियों में सही तालमेल के अभाव का है। अतीत के अनुभवों को देखते हुए सरकार चालू खाते के घाटे और पुनर्भुगतान के किसी भी संभावित संकट के प्रति तो सतर्क है, लेकिन विकास के लिए जरूरी दीर्घकालिक नीतियों और दूसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधारों को लागू करने से हिचक रही है।

उनकी दलील है कि  वस्तु एवं सेवा कर [जीएसटी] और प्रत्यक्ष कर संहिता [डीटीसी] जैसे सुधार तत्काल लागू किए जाने की आवश्यकता है। इस दिशा में सरकार इच्छाशक्ति नहीं दिखा रही है। लगातार बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों के कारण भी समस्या बढ़ी और औद्योगिक उत्पादन दर गिरी, लेकिन रिजर्व बैंक के पास इसके अलावा और दूसरा कोई उपाय नहीं था। यदि रिजर्व बैंक यह कदम न उठाता तो मांग बढ़ने से महंगाई और बढ़ती। रुपये की गिरती कीमत को रोकने के लिए भी रिजर्व बैंक से हस्तक्षेप की अपेक्षा ठीक नहीं, क्योंकि मात्र मौद्रिक उपाय प्रबंधन द्वारा इन गुत्थियों को सुलझाया नहीं जा सकता। इसके लिए सरकार को राजस्व घाटे पर नियंत्रण पाना होगा और नीतियों की प्राथमिकता समेत उनके सही क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना होगा।


इसके विपरीत एक नजरिया यह भी है कि 2जी घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में दिए गए लाइसेंसों को असंवैधानिक बताते हुए फिर से नीलामी का आदेश दिया है। ये फैसला सरकार के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका तो है ही साथ ही इससे सबसे तेजी से बढ़ते टेलीकाम सेक्टर के लिए एक दम साफ-सुथरी नीतियों के निर्माण व निवेशकों में विश्वास की बहाली का रास्ता भी साफ होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके बाद अब विशाल भारतीय बाजार और सुदृढ़ आर्थिक वृद्धि से निवेशक भी आकर्षित होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने गृहमंत्री चिदंबरम की भूमिका की जांच की मांग पर फैसला ट्रायल कोर्ट पर छोड़ दिया। जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की बेंच ने कहा कि उसके आदेश से ट्रायल अदालत की कार्यवाही किसी भी तरह प्रभावित नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सुनवाई अदालत गृह मंत्री के बारे में दो सप्ताह के भीतर फैसला करे।

इन कंपनियों के लाइसेंस हुए रद्द

यूनिटेक: 22 (पूरे भारत में)

लूप टेलीकॉम: 921(मुंबई को छोड़कर पूरे भारत में)

सिस्टेमा श्याम:21(राजस्थान को छोड़कर)

टाटा टेलीकॉम: 3 (पूवरेत्तर, असम, जम्मू कश्मीर)

एतिलसलात:15(मप्र, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, मुंबई, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, यूपी वेस्ट और ईस्ट)

एस टेल: 6 (असम, बिहार, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश,जम्मू कश्मीर)

वीडियोकॉन: 21(पंजाब को छोड़कर पूरे देश में)

आइडिया: 9(असम, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, कोलकाता, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल)

स्पाइस आइडिया: 9(आंध्र प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र)।

यूनीनॉर: 22

स्वान: 13


यूनिनॉर के 22, लूप टेलिकॉम के 21, टाटा टेलि के 3, सिस्टेमा श्याम के 21, एतिसलात डीबी के 15, एस टेल के 6, वीडियोकॉन के 21,आइडिया के 9, स्वैन टेलिकॉम के 13 और स्पाइस के 4 लाइसेंस रद्द हो गए हैं।


सुप्रीम कोर्ट ने स्वैन टेलिकॉम, यूनिनॉर और टाटा टेलि पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा लूप टेलिकॉम, एस टेल, सिस्टेमा श्याम पर भी 50 लाख रुपये का जुर्माना लगा है।


डीबी रियल्टी का कहना है कि कंपनी का एतिसलात डीबी से लेना-देना नहीं है। लाइसेंस रद्द होने का डीबी रियल्टी पर असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा 2जी घोटाले में प्रमोटरों के खिलाफ मामले

का भी डीबी रियल्टी पर असर नहीं होगा।


यूनिनॉर द्वारा जारी किए गए बयान के मुताबिक कंपनी के साथ नाइंसाफी की गई है। यूनिनॉर ने सरकारी नियमों का पालन किया था और गलत सरकारी नीतियों के लिए कंपनी को दंडित नहीं किया जा सकता है। यूनिनॉर ने सेवाएं जारी रखने का संकेत देते हुए कहा है कि कंपनी सभी विकल्पों पर विचार करेगी।


रिलायंस कम्यूनिकेशंस का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कंपनी के 2जी लाइसेंस पर असर नहीं पड़ता है।


टेलिकॉम विभाग के सूत्रों के मुताबिक 2जी पॉलिसी में खामी नहीं थी, बल्कि नीति को लागू करते वक्त गलतियां की गईं। लाइसेंस की नीलामी के वक्त पारदर्शी तरीका अपनाया गया था।


जाने माने वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला कॉरपोरेट जगत के लिए सही संकेत होगा। वहीं, कॉरपोरेट वकील एच पी रानीना का कहना है कि फैसले के बाद विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।


हालांकि, 4 महीने तक टेलिकॉम कंपनियां रद्द लाइसेंस इस्तेमाल कर सकती हैं। याचिकाकर्चा सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि कंपनियों को रद्द लाइसेंस इस्तेमाल करने के लिए सरकार को बाजार भाव पर भुगतान करना होगा।


नए लाइसेंस जारी करने के लिए ट्राई सिफारिशें पेश करेगी। सिफारिशों पर सरकार को महीने में फैसला लेना होगा। साथ ही, 4 महीनों में स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी।


ट्राई के चेयरमैन, जे एस सरमा का कहना है कि 2जी लाइसेंस रद्द होने के बाद काफी स्पेक्ट्रम खाली हो जाएगा।


सूत्रों के मुताबिक स्पेक्ट्रम नीलामी से रिलायंस कम्यूनिकेशंस, आइडिया और टाटा टेलि को फायदा होगा। फिलहाल टाटा टेलि के पास दिल्ली सर्किल के लिए 2जी स्पेक्ट्रम नहीं है।  


सूत्रों का कहना है कि 22 सर्किल के लिए 4.4 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम नीलाम किया जाएगा। नीलामी की प्रक्रिया में 9-12 महीने लग सकते हैं।


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