Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Friday, May 4, 2012

2002 के ओड दंगा मामले में नौ को उम्रकैद

Friday, 04 May 2012 18:26

गुजरात, चार मई (एजेंसी) ओड गांव के मालवा भागोल इलाके में एक मार्च 2002 को अल्पसंख्यक समुदाय के तीन व्यक्तियों की हत्या कर दी गई थी।

एक विशेष अदालत ने वर्ष 2002 के ओड गांव दंगा मामले में आज नौ लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस घटना में अल्पसंख्यक समुदाय के तीन लोगों को जिंदा जला दिया गया था।
विशेष अदालत के न्यायाधीश आर एम सरीन ने नौ अभियुक्तों को हत्या, दंगा भड़काने और आपराधिक साजिश के आरोपों में दोषी ठहराया तथा उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई।
अदालत ने मामले में एक आरोपी को छह महीने की कैद की भी सजा सुनाई।
अदालत ने 17 लोगों को बरी करते हुए कहा कि वे मामले में शामिल नहीं थे वहीं 13 अन्य को संदेह के लाभ में छोड़ दिया गया।
ये दंगे गोधरा में 27 फरवरी 2002 को ट्रेन जलाए जाने की घटना में राज्यभर में भड़की हिंसा के दौरान हुए थे।
मामले में कुल 41 लोगों के खिलाफ रेहाना युसुफ भाई वोहरा की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था और आरोप तय किए गए थे। आरोपियों में से एक की मुकदमे के दौरान मौत हो गयी। हादसे में जो लोग मारे गए उनके नाम आयशा वोहरा, नूरीबेन वोहरा और कादिरभाई वोहरा थे।
सुनवाई के दौरान अदालत ने 67 गवाहों से पूछताछ की और अदालत के सामने 98 दस्तावेजी सुबूत पेश किए गए। 
ओड गांव का यह दूसरा मामला है, जिसमें अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। पहले मामले में एक अन्य अदालत ने ओड गांव में गोधरा दंगों के बाद भड़की हिंसा के मामले में 18 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी और पांच अन्य को सात वर्ष जेल की सजा सुनाई थी। इन हिंसक घटनाओं में 23 व्यक्तियों की मौत हो गई थी।
उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने मामले की जांच की जिसके अध्यक्ष सीबीआई के पूर्व निदेशक आरके राघवन हैं।

अदालत ने जिन 67 गवाहों से पूछताछ की, उनमें से 16 अपने बयानों से पलट गये।
अदालत ने हत्या के सभी नौ दोषियों पर 21,500...21,500 रुपये का जुर्माना लगाया वहीं चोटिल करने के एक दोषी पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
सरकारी अभियोजक बीसी त्रिवेदी ने कहा कि अदालत ने 470 से अधिक पन्नों के अपने फैसले में मामले में दोषियों के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोपों को स्वीकार कर लिया है।
उन्होंने मामले में दोषी ठहराये गये सभी नौ लोगों को मौत की सजा की मांग की थी। अदालत ने उनकी मांग नहीं मानी लेकिन सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।   
उन्होंने कहा कि वह फैसले का अध्ययन करने के बाद 30 लोगों को बरी किये जाने के निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने पर फैसला करेंगे।
इस बीच आरोपियों के वकील वीके पटेल ने कहा कि जांच में कई खामियां रहीं और गवाहों ने भी विरोधाभासी बयान दिये।
पटेल ने कहा, ''ऐसा लगता है कि अदालत ने फैसला देने में चश्मदीदों के बयानों पर भरोसा किया है।''
उन्होंने कहा कि वे निश्चित रूप से उच्च्ंची अदालतों में मामले को चुनौती देंगे।
अदालत ने जिन लोगों को दोषी ठहराया है उनके नाम हरीश पटेल, वसंत पटेल, लाला उर्फ नीलेश पटेल, टीना उर्फ महेश पटेल, मिमेश पटेल, प्रकाश उर्फ पाको पटेल, रितेश पटेल, अशोक पटेल और किरीट पटेल हैं।
सीबीआई के पूर्व निदेशक आर के राघवन की अध्यक्षता वाले विशेष जांच दल ने जिन नौ मामलों की जांच की थी, उनमें से दो अन्य मामलों में भी फैसला सुना दिया गया है। इनमें गोधरा ट्रेन हादसे से जुड़ा मामला  शामिल है, जिसमें 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई और 20 को उम्रकैद की सजा दी गई।
दूसरा मामला मेहसाणा जिले के सरदारपुर गांव का है, जहां 31 व्यक्तियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई और 42 अन्य को दोषमुक्त कर दिया गया।

No comments: