Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Monday, May 14, 2012

हाईकोर्ट ने खून का नमूना देने के लिए तिवारी को दिया दो दिन का समय

हाईकोर्ट ने खून का नमूना देने के लिए तिवारी को दिया दो दिन का समय

Monday, 14 May 2012 12:58

नई दिल्ली, 14 अप्रैल (एजेंसी): हाईकोर्ट ने तिवारी के विदेश जाने पर भी रोक लगा दी है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता एन डी तिवारी से कहा कि वह दो दिन के भीतर यह बताएं कि उनके खिलाफ चल रहे पितृत्व के मामले में डीएनए परीक्षण के लिए क्या वह स्वेच्छा से अपने रक्त का नमूना देना चाहते हैं या उसे जबर्दस्ती हासिल करने के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल किया जाए।
न्यायमूर्ति रीवा खेत्रपाल ने 86 वर्षीय तिवारी के वकील को बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुरूप उनके मुवक्किल जब तक डीएनए परीक्षण के लिए अपना रक्त नहीं देंगे तब तक देश से बाहर नहीं जा सकेंगे। 
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तिवारी को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय डीएनए जांच के लिए रक्त का नमूना देने का निर्देश दे चुका है।
न्यायमूर्ति खेत्रपाल ने कहा, ''तिवारी को यह बताने के लिए दो दिन का समय देना मुनासिब होगा कि वह डीएनए परीक्षण के लिए रक्त के नमूने देना चाहते हैं या अदालत पुलिस बल का सहारा ले।'' मामले की अगली सुनवाई 16 मई को होगी।
इस बीच अदालत ने हैदराबाद स्थित डीएनए फिंगरप्रिंट्स एंड डायग्नोस्टिक सेंटर से कहा कि वह डीएनए परीक्षण के लिए जरूरी किट अदालत के पंजीयक के पास भेज दे।
अदालत ने तिवारी के वकील के इस अनुरोध को ठुकरा दिया कि इस मामले में देहरादून में रहने वाले कांग्रेसी नेता से निर्देश लेने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए।
न्यायाधीश ने कहा, ''इस मामले को लंबित नहीं रहने दे सकते क्योंकि इस अदालत की खंड पीठ और उच्चतम न्यायालय द्वारा मामला अंतत: तय हो चुका है और इसमें फैसला करने लायक कुछ भी नहीं बचा है।'' अदालत ने कहा, ''आप या तो यह बयान दें कि तिवारी देश छोड़कर नहीं जाएंगे अन्यथा मैं उनपर रोक लगा दूंगी।''

अदालत ने 32 वर्षीय रोहित शेखर के आवेदन पर यह निर्देश दिया। रोेहित का कहना था कि अदालत तिवारी को खून का नमूना जल्द से जल्द देने के लिए मजबूर करे ताकि पिछले चार वर्ष से चल रहे पितृत्व संबंधी इस मामले को हल किया जा सके।
अदालत शेखर द्वारा दाखिल ताजा याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अदालत से कहा था कि वह तिवारी को डीएनए परीक्षण के लिए अपने रक्त का नमूना देने के लिए कहे ताकि यह मालूम हो सके कि वह शेखर का जैविका पिता है या नहीं।
वयोवृद्ध नेता को इस मामले में हाल ही में उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय से कोई राहत नहीं मिल पाई। दोनो ही अदालतों को रक्त का नमूना न देने की उनकी मंशा को मानने से इंकार कर दिया।
उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने कहा था कि तिवारी को रक्त का नमूना देने पर मजबूर करने में पुलिस बल का इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि न्यायिक आदेशों का पालन न होने से अदालतों की ''जगहंसाई'' होगी।
इस आदेश के खिलाफ तिवारी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिल पाई।
शेखर ने अपनी याचिका में कहा था कि अदालत के 27 अप्रैल के आदेश की अनुपालना के लिए अदालत को एक आयुक्त की नियुक्ति करनी चाहिए ताकि पुलिस की सहायता से तिवारी के रक्त का नमूना लिया जा सके। उन्होंने अदालत से कहा था कि वह तिवारी को देश से बाहर जाने से रोकें ताकि अदालत के आदेश का पालन हो सके।
शेखर ने 2008 में दाखिल पितृत्व मामले में कहा था कि तिवारी उनके पिता हैं और अदालत उन्हें उनका जैविक पिता घोषित करे। उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश और खंडपीठ ने इस मामले में डीएनए परीक्षण के लिए रक्त का नमूना देने को कहा था।

No comments: