Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Friday, May 4, 2012

सुर न सजे | क्‍या गाऊं मैं | सुर के बिना #MannaDey

http://mohallalive.com/2012/05/04/lyrical-writeup-on-manna-dey-by-devanshu-kumar-jha/

 ख़बर भी नज़र भीशब्‍द संगतसिनेमा

सुर न सजे | क्‍या गाऊं मैं | सुर के बिना #MannaDey

4 MAY 2012 ONE COMMENT

♦ देवांशु कुमार झा

हिंदी सिनेमा के यशस्वी गायक मन्ना दा तिरानवे वर्ष के हो गये। एक मई को उनका जन्म दिन था। उनके गाने तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं लेकिन उस रोज मन्ना दा बरबस याद आ रहे थे। एक इत्तेफाक ही था कि सुबह सुबह रेडियो पर उनका अमर गीत, सुर ना सजे बज उठा। ऐसा लगा जैसे पीड़ा के समंदर से तान की लहर उठ रही है। आत्मा की वह रागिनी समय की सारंगी पर निरंतर बज रही है, जो मन्ना दा के कंठ से पैदा हुई थी। एक सधे हुए सुर में गाये गये दर्द का वह राग अमर हो गया है। स्वर की वह साधना निश्चय ही परमेश्वर की साधना थी, जिसे गाते हुए मन्ना दा ने सुर और शब्द को एकाकार कर दिया था।

'मेरी सूरत तेरी आंखें' फिल्म के संगीतकार बर्मन दा ने जब अपने बेजोड़ गीत, पूछो ना कैसे मैंने रैन बितायी के लिए गायक की तलाश शुरू की तो उनकी तलाश सहज ही मन्ना दा के साथ खत्म हो गयी। अब उस गाने को सुनते हुए अकसर यह ख्याल आता है कि मन्ना दा के सिवा भला वह कौन सा पार्श्वगायक था, जो कुरूप नायक के मन की तकलीफ को इतना सुंदर भाव दे पाता। मन्ना दा ने गीत की आत्मा में उतर कर शब्द उठाये और उन्हें अर्थ के समानांतर पारदर्शी बना दिया। दिलचस्प है कि मन्ना दा उन नायकों के गायक थे, जिन्हें स्टार का तमगा नहीं मिला था लेकिन जब भी मन्ना दा ने उन्हें आवाज दी, वे अमर हो गये। भारत भूषण, अशोक कुमार, बलराज साहनी को आवाज देते हुए उन्होंने अनायास ही इन नायकों के गरिमामय व्यक्तित्व को अपने स्वर की दीप्ति से आलोकित किया।

मन्ना दा को मालूम था कि संगीत में पीड़ा की तान कैसे छेड़ी जाती है। वे बखूबी जानते थे कि मन की दुखती रग का राग सबसे मधुर होता है इसीलिए वे कुछ अमर गाने गा सके। एक सच्ची आवाज जो मुश्किल रियाज से तप कर गायन के लिए तैयार हुई थी। सिनेमा के गानों ने जब भी अपनी सीमा पार कर शास्त्रीय संगीत की देहरी तक पहुंचने की कोशिश की, संगीत के यात्री के रूप में सबसे पहले मन्ना दा याद आये। संगीतकारों को मालूम था, मन्ना दा ही एक ऐसे गायक हैं जो लयकारी में रफ्तार के साथ उतार-चढ़ाव की लहरों को खूबसूरती से संभाल सकते हैं। लिहाजा जब भी झनक झनक कर पायल बजी, जब भी चुनरी में दाग लगा, जब भी किसी ने फुलगेंदवा न मारने की पुकार की, वो पुकार मन्ना दा के गले से ही निकली।

बसंत बहार फिल्म में दो धुरंधर गायकों के बीच भिड़ंत होनी थी। फिल्म का दृश्य कुछ इस तरह से था कि दरबार के प्रतिष्ठित गायक को एक अनजान गायक से संगीत के समर में हारना थ। दरबारी गायक के लिए पंडित भीमसेन जोशी का चुनाव किया गया। फिर एक बड़ी समस्या खड़ी हो गयी कि पंडित जी के सामने कौन सा पार्श्वगायक गाना गाये। संगीतकार शंकर जयकिशन मन्ना दा के पास गये। लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। बाद में काफी मान मनव्वल और खुद पंडित जी के उत्साहवर्धन पर वे गाने के लिए तैयार हुए। यह कहना गलत नहीं होगा कि 'केतकी गुलाब जूही चंपक वन फूले' गाने के साथ मन्ना दा ने न्याय किया है। हिंदी सिनेमा के किसी पुरुष गायक में निश्चित तौर पर सुर और तान की ऐसी पकड़ नहीं थी।

मन्ना दा जितना ही नीचे से गा सकते थे। उनकी तान उतनी ही सहजता से ऊपर भी जाती थी। तार सप्तक को निबाहने वाले वे सिनेमा के अकेले पुरुष पार्श्वगायक हैं। ये बात सब जानते हैं कि जिन गानों को आजमाने से दूसरे पार्श्वगायक मना कर देते थे, वे तमाम गाने मन्ना दा की झोली में आये। संगीतकार सलिल चौधरी ने 'काबुलीवाला' फिल्म के लिए जब, 'ऐ मेरे प्यारे वतन' की धुन तैयार की, तो उन्हें बिलकुल नयी आवाज की दरकार थी। गाना गाने के लिए मन्ना दा स्टूडियो आये, तो उनसे साफ कहा गया कि गाना मुक्त कंठ से नहीं बल्कि दबे हुए दर्द को सहेजती हुई आवाज में गाइए। मन्ना दा ने संगीतकार के भाव को समझा, काबुलीवाला फिल्म में फिल्माये गये उस दृश्य में नायक की भावनाओं को दिल में उतारा और अपनी आत्मा से उसे सींच डाला। जब भी वतन की याद में गाये जाने वाले अमर गीतों की सूची तैयार होगी, काबुलीवाला फिल्म का यह गाना चोटी के पांच गानों में होगा।

बिमल रॉय की बेजोड़ फिल्म दो बीघा जमीन का एक गाना, मौसम बीता जाए, मन्ना दा के कम सुने जाने वाले गानों में जरूर है लेकिन गाने का सौन्दर्य कम नहीं है। बिमल राय ने जिस नायक को इस फिल्म में गढ़ा था और जो दृश्य रचा था, यह गाना उसमें खूबसूरती से पिरो दिया गया है। मन्ना दा ने अपनी आवाज को देहाती जीवन के अनुरूप खोल दिया था। वह मन्ना दा का अनूठा स्वर था, जिसका बलराज साहनी के किरदार से तादात्म्य हो गया है।

पड़ोसन फिल्म का गाना, एक चतुर नार, की शुरुआत कर्नाटक शास्त्रीय संगीत शैली में होनी थी। इस गाने में मन्ना दा को सुनते हुए कहीं से भी यह प्रतीत नहीं होता कि कोई दक्षिण भारतीय गायक नहीं गा रहा। ताज्जुब होता है कि पूछो ना कैसे मैने रैन बितायी जैसे संजीदा गाने का गायक, कैसे हंसते हंसते इतना चुटीला गाना गाकर सबको अपना मुरीद बना गया। 'ना तो कारवां की तलाश है' जैसी मुश्किल कव्वाली में मन्ना दा ने अपना रंग जमा दिया है। रफी साहब जैसे धुरंधर प्लेबैक सिंगर के साथ जब उन्होंने इस गाने को गाया तो कहीं से उन्नीस नहीं पड़े।

शो मैन राजकपूर के पसंदीदा गायक मुकेश थे लेकिन मन्ना दा ने उनके लिए भी कई बेहतरीन गाने गाये। उनमें से कुछ गाने तो सदाबहार रोमांटिक हैं। भीगी भीगी रात में मस्त फिजाओं के बीच मन्ना दा की आवाज में चांद का वो उठना अब तक याद है। या फिर प्यार हुआ इकरार हुआ को भला कौन भूल सकता है। राजकपूर ने अपनी सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म मेरा नाम जोकर का भी एक यादगार गाना उन्हें दिया।

मन्ना दा का संगीत भोर का संगीत है, जो उम्मीदों का उजाला लिये आता है। उनके दर्द भरे गानों में भी विलाप नहीं, करुणा का रस है। उनका गाना नाद से उठता है, हृदय में ठहरता है और गले से बाहर निकल कर मन में उतर जाता है। आंखें खोल कर सुनिए, तो गाने का संसार सामने चल रहा होता है, आंखें बंद कर सुनिए तो गाने के संसार में आप खुद को ठहरा हुआ, डूबा हुआ पाएंगे।

(देवांशु कुमार झा। टेलीविजन की स्क्रिप्ट राइटिंग में अपने मन मिजाज से नये प्रयोग और नयी शैली में शब्दों को पिरोने की हिम्मत दिखाने वाले चंद प्रोड्यूसर्स में देवांशु झा का नाम जरूर शुमार किया जा सकता है। 12 साल से मीडिया में सक्रिय। सहारा, न्यूज 24, सीएनईबी से होते हुए इन दिनों महुआ न्यूज चैनल में प्रोग्रामिंग से जुड़े हैं। उनसे devanshuk@rediffmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)


No comments: