कोलइंडिया के वर्चस्व के लिए रक्षाकवच बन गयीं यूनियनें!
अब अफसरों को अपना पक्ष साबित करना होगा जिन्होंने हड़ताल का कार्यक्रम भी घोषित कर दिया है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
एनटीपीसी-कोल इंडिया के बीच कोयले की गुणवत्ता और भुगतान संबंधित विवाद खत्म हो गया है। एनटीपीसी जल्द ही कोल इंडिया के साथ ईंधन आपूर्ति करार (एफएसए) पर हस्ताक्षर करेगी।कोयला मजदूर यूनियनों ने हड़ताल का फैसला टालकर कोल इंडिया में नयी जान फूंक दी है।लेकिन साढ़े तीन लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली य़ूनियने फिलहाल अपनी मांगों पर अड़ी हुई है। हालांकि ये मांगे कोलइंडिया के वर्चस्व को बनाये रखने के ही हक में हैं। यूनियनें विनिवेश और विभाजन के विरुद्ध है। जहां भारत सरकार और कोयला मंत्रालय कोल इंडिया को खुले बाजार में बेचने की हरसंभव कोशिश में हैं,वहीं अब यूनियनें इस कंपनी के लिए रक्षाकवच साबित हो रही है। हड़ताल का फैसला टालकर यूनियनों ने साबित किया कि कर्मचारी कोल इंडिया के खिलाफ नहीं है, बल्कि उसके साथ हैं। अब अफसरों को अपना पक्ष साबित करना होगा जिन्होंने हड़ताल का कार्यक्रम भी घोषित कर दिया है।कोयला मंत्रालय चालू वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान कोल इंडिया के और विनिवेश के पक्ष में नहीं है। कोयला मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक दो साल पहले कोल इंडिया के 10 फीसदी विनिवेश के दौरान मंत्रालय ने कोल इंडिया कर्मचारी यूनियन से यह वादा किया था कि यूपीए-2 के कार्यकाल में इससे अधिक विनिवेश नहीं किया जाएगा। कोयला मंत्रालय चाहता है कि यूनियन के साथ किएगएवादों को नहीं तोड़ा जाए। हालांकि यह वादा मौखिक रूप से किया गया था। दूसरी तरफ वित्त मंत्रालय ओएफएस रूट से कोल इंडिया का 10 फीसदी और विनिवेश करने के पक्ष में है!
कोल इंडिया के लगभग 20 हजार अफसरों का आंदोलन 5 अगस्त से शुरू होगा, जो 24 सितंबर, 2013 तक चलेगा। आंदोलन के स्वरूप में काला बिल्ला लगाना, भूख हड़ताल करना, धरना प्रदर्शन व सीआइएल मुख्यालय में भूख हड़ताल, सामूहिक अवकाश शामिल है।
इसी बीच निष्क्रिय पड़े कोयला खदानों के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ाते हुए अंतर-मंत्रालयीय समिति ने जेएसपीएल तथा आर्सेलर मित्तल जैसी कंपनियों के 56 कोयला खदानों की प्रगति की आज समीक्षा की तथा कुछ कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की सिफारिश की।
मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, 'अतिरिक्त सचिव (कोयला) की अध्यक्षता वाला अंतर-मंत्रालई समूह (आईएमजी) की कल 19वीं बैठक हुई। बैठक में दो लिग्नाइट तथा 56 कोयला खदानों के विकास की समीक्षा की गई। बैठक के दौरान समिति ने कुछ मामलों में कारण बताओ नोटिस जारी करने का सुझाव दिया।' हालांकि सूत्र ने उन कंपनियों का नाम बताने से मना कर दिया जिनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने की सिफारिश की गई है।जिन अन्य कंपनियों को आवंटित कोयला खदानों की समीक्षा की गई, उसमें रूंगटा माइन्स, अदाणी पावर, एनटीपीसी, लैंको समूह, जेएसडब्ल्यू स्टील तथा जायसवाल नेको शामिल हैं।इस माह की शुरुआत में कोयला मंत्रालय ने निजी इस्तेमाल के लिए आवंटित 30 कोयला खदानों के विकास में देरी को लेकर संबंधित कंपनियों को नोटिस जारी किया था। इन कंपनियों में एनटीपीसी, जीवीके पावर तथा मोनेट इस्पात शामिल हैं।
दूसरी ओर, सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनी एनटीपीसी ने कहा है कि वह कुछ शर्तों के साथ कोल इंडिया के साथ ईंधन आपूर्ति समझौते पर दस्तखत करेगी। इससे पहले, बिजली कंपनी ने कोयले की गुणवत्ता मुद्दे पर कोयला खरीदने से मना कर दिया था। देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी ने कहा कि उसके निदेशक मंडल ने कोल इंडिया के साथ 9,370 मेगावॉट क्षमता के संयंत्रों के लिए ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) पर दस्तखत करने को मंजूरी दे दी है। कंपनी लदान स्थल पर कोयले का नमूना लेगी। एनटीपीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अरूप राय चौधरी ने कहा, 'कंपनी 3,100 किलो कैलोरी से नीचे की गुणवत्ता वाला कोयला स्वीकार करेगी।'उन्होंने कहा, 'कोल इंडिया ने सूचित किया है कि लदान स्थल पर तीसरे पक्ष से कोयले के नमूने की जांच और उसका विश्लेषण का काम इस साल 30 सितंबर से शुरू होगा।' कंपनी मार्च, 2009 के बाद अस्तित्व में आए बिजली संयंत्रों के लिए ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) पर दस्तखत करेगी। एनटीपीसी को चालू वित्त वर्ष के दौरान 16 करोड़ टन कोयले की जरूरत है। कंपनी अपने दम पर 1.6 करोड़ टन कोयले का आयात करेगी। उन्होंने कहा, 'हम चालू वित्त वर्ष में 1.6 करोड़ टन कोयले का आयात करेंगे।' एनटीपीसी फिलहाल 41,000 मेगावॉट से अधिक बिजली का उत्पादन करती है।
इससे दूसरी पावर कंपनियों के लिए भी फ्यूल सप्लाई अग्रीमेंट का आधार तैयार हो गया है। कई कंपनियां इस मामले में एनटीपीसी के स्टेप का इंतजार कर रही थीं। इनका मानना था कि देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी होने के चलते वह कोल इंडिया पर दबाव डाल सकती है। एनटीपीसी के चेयरमैन अरूप रॉय चौधरी ने बताया कि विवाद खत्म हो गया है। उन्होंने कहा, 'हमारे बोर्ड ने फ्यूल सप्लाई अग्रीमेंट पास कर दिया है। पिछले कुछ महीनों में एनटीपीसी और कोल इंडिया के ऑफिशल्स ने विवाद खत्म करने के लिए बातचीत की थी।' सरकारी बिजली कंपनी के एक बड़े अफसर ने बताया कि दोनों कंपनियों के बीच कई मामलों पर विवाद था।
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