हरजाना वसूल करके चिटफंड मालिकों की रिहाई का सुझाव केंद्र से!चूंकि नये कानून के तहत पुराने जुर्म पर सजा नहीं दी जा सकती, इसीके मद्देनजर यह बीच का रास्ता!
ममता बनर्जी की सरकार ने यह सुझाव मान भी लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दिये गये तीनों सुझावों पर राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है।लेकिन राज्य सरकार की दलील है कि केंद्र के सुझावों को अभी जोड़ने में वक्त जाया होगा लिहाजा पहले राष्ट्रपति उसपर दस्तखत करके कानून बना दें और फिर केंद्र इसमे अपने सुझाव समायोजित कर दें। जाहिर है कि दीदी ने फिर गेंद केंद्र के पाले में डाल दी है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल विधानसभा के विशेष अधिवेशन में पास पश्चिम बंगाल वित्तीय प्रतिष्ठान के निवेशकों के हितों का संरक्षण विधेयक 2013 लौटाते हुए इस विधेयक में यह प्रावधान करने का सुझाव दिया है कि पोंजी कारोबार के सिलसिले में गिरफ्तार मालिकों से मोटी रकम हरजाना वसूल करके उन्हें रिहा कर दिया जाये।हालांकि बंगाल की मुख्यमंत्री ने विधेयक लौटाने की खबर को गलत बताते हुए केंद्र की ओर से कुछ स्पष्टीकरण मांगे जाने का दावा किया है।केंद्र के मुताबिक अदालत में अपना जुर्म कबूल कर लेने के बाद चिटफंड मालिकों को यह छूट दी जा सकती है। है और इस सिलसिले में केंद्र और राज्यों के कानून अपर्याप्त है, इसीके मद्देनजर यह बीच का रास्ता निकाला गया है। हालांकि सुदीप्त सेन मामले में यह सुझाव लागू इसलिए नहीं होगा क्योंकि विधेयक अभी कानून बना नहीं है और उनकी गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है।बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी की सरकार ने यह सुझाव मान भी लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दिये गये तीनों सुझावों पर राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है।लेकिन राज्य सरकार की दलील है कि केंद्र के सुझावों को अभी जोड़ने में वक्त जाया होगा लिहाजा पहले राष्ट्रपति उसपर दस्तखत करके कानून बना दें और फिर केंद्र इसमे अपने सुझाव समायोजित कर दें। जाहिर है कि दीदी ने फिर गेंद केंद्र के पाले में डाल दी है।
ममता बनर्जी के मुताबिक केंद्र सरकार ने पोंजी कारोबार पर विशेष अदालतों को ज्यादा अधिकार देने का सुझाव भी दिया है ताकि दूसरे राज्यों में लंबित मामलों की भी उसी अदालत में सुनवाई हो सकें। इसके अलावा ऐसे मामलों में अभियुक्तों को अग्रिम जमानत न मिलें, इसके प्रावधान करने का केंद्र का सुझाव है। फिर अभियुक्तों को कैद की सजा से बरी करने के लिए हरजाना के बदले रिहाई का सुझाव है।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल वित्तीय प्रतिष्ठान के निवेशकों के हितों का संरक्षण विधेयक 2013 पर राज्य सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने मई माह के शुरू में इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था। केंद्र ने सवाल किया है कि राज्य सरकार नये कानून के तहत पुराने मामले में गिरफ्तार आरोपी पर कैसे फौजदारी मामला चला सकती है, क्योंकि भारतीय संविधान में ऐसा प्रावधान ही नहीं है कि नया कानून बना कर किसी पुराने आरोपी को उस कानून के तहत सजा दी जा सके.राज भवन के एक सूत्र ने बताया कि गृह मंत्रालय ने राज्यपाल के जरिये राज्य सरकार से विधेयक पर एक-दो सवाल पूछे हैं। इन सवालों का खुलासा नहीं किया गया है। शारदा चिटफंड घोटाला सामने आने के बाद ममता बनर्जी सरकार ने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए 30 अप्रैल को विधानसभा में इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स इन फाइनेंशियल इस्टेब्लिशमेंट बिल, 2013 को पारित कराया था। पश्चिम बंगाल सरकार ने मई माह के शुरू में इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था।
गौरतलब है कि उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए एक विधेयक पर राष्ट्रपति की प्रारंभिक मंजूरी के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है।गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को लिखे अपने पत्र में पटनायक ने कहा, ''इस मामले की तात्कालिकता को देखते हुए, मैं ओडिशा निवेशक हित संरक्षण (वित्तीय प्रतिष्ठान में) विधेयक, 2011 को राष्ट्रपति की मंजूरी दिलाने में तेजी लाने की ओर आपका ध्यान आकषिर्त करना चाहता हूं।'' ओडिशा विधानसभा ने 17 दिसंबर, 2011 को ही इस विधेयक को पारित कर दिया था और राज्यपाल सचिवालय की ओर से 3 अप्रैल, 2012 को इसे गृह मंत्रालय को भेज दिया गया था।विधेयक की जांच और अंतर मंत्रालयी परामर्श के बाद गृह मंत्रालय ने 27 दिसंबर, 2012 को राज्य सरकार से इस विधेयक पर कुछ स्पष्टीकरण मांगा था, जो राज्य सरकार ने 2 अप्रैल, 2013 को दे दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विधेयक तब से राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए पड़ा है।
निवेशकों को चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी से बचाने के लिए राज्य सरकार ने जो विधेयक विधानसभा से पारित करा कर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र के पास भेजा था, उसे केंद्रीय गृह मंत्रलय ने कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगते हुए वापस लौटा दिया है। केंद्र ने राज्यपाल के माध्यम से यह विधेयक वापस राज्य सरकार को भेज दिया है। केंद्र ने विधेयक में कई खामियां देखी है और इन पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।उधर, राज्य की कानून मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि अभी तक विधेयक की प्रति वापस नहीं मिली है।गौरतलब है कि शारदा सहित कई चिटफंड कंपनियां निवेशकों को करोड़ों रुपये का चूना लगा कर फरार हो चुकी हैं। इस सिलसिले में सारधा के मालिक सुदीप्त सेन सहित कई लोग गिरफ्तार कर किये जा चुके हैं। घोटाला सामने आने के बाद से 15 से ज्यादा निवेशक और चिटफंड कंपनियों के एजेंट खुदकुशी कर चुके हैं।
पश्चिम बंगाल सरकार शारदा समूह का कारोबार डूब जाने के मद्देनजर चिटफंड निवेशकों को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है , 'हम जल्द ही शारदा समूह और अन्य चिटफंड कंपनियों द्वारा ठगे गए निवेशकों को मुआवजे का भुगतान करना शुरू करेंगे।' शारदा समूह और अन्य कंपनियों के चिटफंड में अनियमितता की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित जस्टिस (रिटायर्ड) श्यामल सेन इंक्वायरी कमीशन ने हाल में अपना काम शुरू किया। उसने छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का लक्ष्य रखा है। बनर्जी ने कहा कि जांच आयोग को अब तक चार लाख से अधिक शिकायतों के साथ-साथ जमा की गई राशि को वापस करने की अपीलें मिली हैं।इंक्वायरी कमीशन उन तरीकों पर फैसला करेगी कि कैसे शारदा समूह और अन्य कंपनियों द्वारा ठगे गए हजारों निवेशकों को धन लौटाया जाए। बनर्जी ने कहा कि सारदा समूह के डूबने के बाद निवेशकों और एजेंटों को धन लौटाने के लिए सरकार ने 500 करोड़ रुपये का राहत कोष बनाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक सोशल सिक्युरिटी स्कीम की भी घोषणा की है जिसके तहत लोग सुरक्षित तरीके से इन्वेस्टमेंट करने में सक्षम होंगे और उन्हें उचित रिटर्न मिलने की भी गारंटी होगी। उन्होंने प्रभावित लोगों से शांत रहने की अपील की।
वर्तमान समय में देश में आरबीआई से पंजीकृत एवं विनियमित 12,000 गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर डी सुब्बाराव ने बुधवार को कहा कि पश्चिम बंगाल की चिटफंड कम्पनी शारदा स्कीम की तरह चिटफंडों के प्रसार और अवैध संचालन पर लगाम लगाने के लिए कड़े विनियमन की जरूरत है।भारतीय व्यापारी संघ द्वारा वित्त एवं बैंकिंग पर सातवें अंतरराष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन में सुब्बाराव ने कहा, "देश में छद्म बैंकिंग प्रणाली के गैर कानूनी अस्तित्व और संचालन पर अंकुश लगाने के लिए हमें अपने नियमों को सख्त करने की जरूरत है।"सुब्बाराव ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को घोटालेबाजों द्वारा लूटे जाने से बचाने के लिए विनियमों को सख्त किया जाना जरूरी है।
शारदा समूह पर चिट फंड में रुपया जमा करने वाले लाखों व्यक्तियों के साथ धोखाधड़ी कर कई करोड़ रुपयों का घोटाला करने का आरोप है। पूर्व मुख्यमंत्री व माकपा नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य ने शारदा कांड को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इमानदारी पर सवाल खडे कर दिये हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि चिटफंड संस्थाओं के खिलाफ वाम मोर्चा सरकार द्वारा पारित बिल को केंद्र की अनुमति नहीं मिले, इसके लिये तृणमूल कांग्रेस ने ही बाधाएं खडी की थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार पुराने बिल को वापस लेकर नया बिल लाने के बावजूद मामले की जांच के लिये कमीशन गठित कर आरोपी चिटफंड संस्थाओं को बचाने की कोशिश कर रही है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चिटफंड घोटाले के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास करते हुए दावा किया है कि केंद्र ने अल्प बचत योजनाओं में ब्याज दर को कम कर दिया जिस वजह से जमाकर्ताओं को धोखाधड़ी वाली योजनाओं का रूख करना पड़ा। साप्ताहिक 'मां माटी मानुष' में लिखे अपने एक लेख में ममता ने कहा, ''केंद्र सरकार ने डाकघर की अल्प बचत योजनाओं का ब्याज दर घटा दिया जिस कारण गरीब लोगों और सेवानिवृत्त हो चुके लोग इन चिटफंड में अपनी पूंजी इस उम्मीद के साथ लगाते हैं कि उन्हें बेहतर ब्याज दर मिलेगी।''
उन्होंने कहा, ''न सिर्फ केंद्र ने ब्याज दर कम कर दिया, बल्कि उसने डाकघर की बचत योतनाओं के एजेंट के लिए कमिशन को भी कम कर दिया है। ये सब बातें इस तरह के चिटफंड फलने-फूलने में मददगार हैं।''
अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को दिए दिशानिर्देश में ममता ने कहा है कि जनता को यह बात समझानी होगी कि शारदा समूह का चिटफंड घोटाला कांग्रेस और माकपा की नरमी के कारण हुआ।
केंद्र सरकार द्वारा चिटफंड विधेयक को लौटाने की खबरों के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजे गए विधेयक पर कुछ स्पष्टीकरण मांगे गए हैं।
बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा कि केंद्र ने विधेयक नहीं लौटाया। विधेयक बिल्कुल सही है। केंद्र ने केवल तीन बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है। वे इस तरह का स्पष्टीकरण मांग सकते हैं। यह उनका विशेषाधिकार है। जिन तीन बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया है उनमें विशेष अदालतों की शक्तियों को बढ़ाना और अदालत द्वारा अग्रिम जमानत को मंजूरी नहीं देना शामिल है। इसके साथ ही केंद्र ने अपराधों पर नए प्रावधान का सुझाव दिया है।
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