Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Monday, July 1, 2013

उत्तराखंड में आई आपदा के मद्देनजर भाकपा(माले) की राज्य स्थायी समिति की आपात बैठक -2 9 जून को हल्द्वानी में हुई।बैठक के बाद आज-30 जून को हल्द्वानी में प्रेस वार्ता में जारी हैण्ड आउट :


  • उत्तराखंड में आई आपदा के मद्देनजर भाकपा(माले) की राज्य स्थायी समिति की आपात बैठक -2 9 जून को हल्द्वानी में हुई।बैठक के बाद आज-30 जून को हल्द्वानी में प्रेस वार्ता में जारी हैण्ड आउट :
    • भाकपा(माले) प्रदेश में प्राकृतिक आपदा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देती है.पार्टी आपदा पीड़ितों की सहायता के लिए देश भर में तथा प्रदेश में भी राहत सामग्री जमा करने का अभियान चला रही है.प्रदेश में जो क्षेत्र आपदा प्रभावित नहीं हैं,उनमें यह अभियान 15 जुलाई तक चलेगा.आपदा प्रभावित क्षेत्रों में,जब तक आवश्यकता होगी पार्टी कार्यकर्ता राहत कार्यों में लगे रहेंगे.भाकपा(माले) यह मांग करती है कि केंद्र सरकार इस आपदा को तत्काल राष्ट्रीय आपदा घोषित करे.
    • भाकपा(माले) की दो टीमों ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया.पिथौरागढ़ जिले के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पार्टी के राज्य कमेटी सदस्य और पिथौरागढ़ जिला सचिव कामरेड जगत मर्तोलिया के नेतृत्व में दल गया जिसने आपदा प्रभावित क्षेत्रों के हालात का जायजा लिया और राहत सामग्री भी वितरित की.गढ़वाल में पार्टी के गढ़वाल सचिव कामरेड इन्द्रेश मैखुरी के नेतृत्व में दल आपदा प्रभावित क्षेत्रों में गया.
    • आपदा प्रभावित क्षेत्रों के इस दौरे से साफ़ हुआ कि राज्य सरकार का आपदा प्रबंधन एकदम ढीला-ढाला था और आपदा के प्रति सरकार का नजरिया भी बेहद शिथिल नजर आया.सरकार ने सुमगढ़,उत्तरकाशी,उखीमठ जैसे हादसों से कोई सबक नहीं सीखा और संभावित आपदाओं को लेकर सरकार की तैयारी बेहद लचर थी.बादल फटने जैसी घटनाओं के पूर्वानुमान के आधुनिक उपकरण उपलब्द्ध हैं पर राज्य सरकार ने इन्हें लगाने का इंतजाम ही नहीं किया.भारी बारिश की पूर्व उद्घोषणा मौसम विभाग द्वारा की गयी थी पर उससे भी लोगों को आगाह नहीं किया गया.
    • 2010 में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के आपदा प्रबंधन पर टिपण्णी करते हुए भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक(सी.ए.जी.-कैग) की रिपोर्ट में कड़ी टिपण्णी की गयी थी.इस रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य सरकार ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक भी बैठक आयोजित नहीं की.भाजपा सरकार के इस लापरवाहीपूर्ण और गैरजिम्मेदाराना रवैये को ही विजय बहुगुणा सरकार ने जारी रखा.राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक ना किया जाने के बारे में मुख्यमंत्री की टिपण्णी थी कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक करने से आपदा कुछ कम थोड़े हो जाती! मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की उक्त टिपण्णी से आपदाओं से निपटने के प्रति राज्य सरकार की गंभीरता को समझा जा सकता है. 
    • चूँकि उत्तराखंड का अधिकाँश हिस्सा,जिसमें ग्रामीण क्षेत्र भी शामिल है,आपदा ग्रस्त है,इसलिए भाकपा(माले) यह मांग करती है कि प्रदेश में इस वर्ष होने वाले पंचायत चुनावों को स्थगित किया जाए.
    • सरकारी स्तर पर चलने वाले राहत कार्यों की निगरानी करने के लिए भाकपा(माले) राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं और गणमान्य नागरिकों की निगरानी कमेटियां बनाएगी ताकि राहत की लूट ना हो तथा नेता-नौकरशाह-दलालों का गठजोड़ ना फूले-फले. 
    • उत्तराखंड में आयी इस आपदा ने उत्तराखंड में पिछले तेरह साल से चल रहे जन विरोधी,विनाशकारी विकास के मॉडल पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं.यह प्राकृतिक आपदा थी.लेकिन जलविद्युत परियोजना निर्माण में किये गए विस्फोट और मलबा नदी में डाले जाना,बेहिसाब खनन और अनियोजित शहरीकरण ने इस आपदा की विभीषिका को कई गुणा बढ़ा दिया.
    • कुछ पर्यावरणवादी इस आपदा को इको-सेंसिटिव ज़ोन की वकालत करने के मौके के रूप में प्रयोग करना चाहते हैं.भाकपा(माले) का यह मानना है कि इको-सेंसिटिव ज़ोन वन क्षेत्रों के निवासी आम लोगों की बेदखली का सबब बनेगा.साथ ही जिस तरह इसमें होटल-रिजॉर्ट बनाने को विनियमित श्रेणी में रखा गया है,उससे यह साफ़ है कि भविष्य में वनों से बड़ी पूँजी के मुनाफे की भूमिका तैयार की जा रही है.
    • वर्तमान प्राकृतिक आपदा से पहले भी सैकड़ों गांव आपदा की दृष्टि से संवेदनशील श्रेणी में थे,जिनके पुनर्वास की आवश्यकता स्वयं सरकारें भी स्वीकार करती रही हैं.लेकिन उत्तराखंड में विस्थापन और पुनर्वास की कोई ठोस नीति नहीं हैं.ऐसी पुनर्वास नीति की आवश्यकता है जो कि आम जनता को केंद्र में रख कर बनायीं जाए.
    • आपदा की विभीषिका,विकास के जनविरोधी मॉडल,सरकारों के उपेक्षापूर्ण रवैये,ठोस विस्थापन एवं पुनर्वास नीति जैसे तमाम सवालों पर भाकपा(माले) एक पुस्तिका का प्रकाशन करेगी.साथ ही अगस्त माह में पिथौरागढ़ एवं श्रीनगर(गढ़वाल) में जन सम्मलेन (कन्वेंशन) भी आयोजित किये जायेंगे तथा अक्टूबर माह तक इन सवालों पर हस्तक्षेप के लिए देहरादून में भी कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. 

    राजेंद्र प्रथोली,
    उत्तराखंड राज्य सचिव,भाकपा(माले),
    Mo. 9456188623

No comments: