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Sunday, July 7, 2013

बंगाल में अरक्षित हैं तमाम धर्मस्थल

बंगाल में अरक्षित हैं तमाम धर्मस्थल


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


बोधगया में आज हुए धमाकों के बाद बंगाल के धर्मस्थलों की सुरक्षा पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। कहा जा रहा है कि पुणे ब्लास्ट के बाद देश के कम से कम 15 धर्मस्थलों पर हमले की योजना का खुलासा हुआ था, जिनमें बोधगया से लेकर वैष्णोदेवी तक शामिल हैं। राज्य सरकारों को चेतावनी 2012 में ही जारी कर दी गयी थी। लेकिन बोधगया में सुरक्षा इंतजाम धरा का धरा रह गया।खास कोलकाता में कम से कम तीन बड़े धर्मस्थल हैं। कालीघाट, दक्षिमेश्वर और बेलुड़।इसके अलावा बेलगछिया में जैन मंदिर, मध्य कोलकाता में सेंटपाल गिरजाघर टीपू सुलतान मसजिद भी है।कोलकाता में ही महाबोधि सोसाइटी है कालेज स्क्वायर में।बोधगया के महाबोधि मंदिर के भीतर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे। स्पेशल ब्रांच के डीआईजी पारसनाथ ने बताया कि मंदिर में पुलिस सुरक्षा का इंतजाम केवल मंदिर के बाहर है जबकि भीतर की सुरक्षा मंदिर ट्रस्ट के अधिकारी खुद देखते हैं।उन्होंने बताया कि बिहार में आतंकवादी हमलों की आशंका के बारे में सामान्य चेतावनी मिली थी और राज्य पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी थी। डीआईजी ने कहा, 'महाबोधि मंदिर के पवित्र स्थल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है और परिसर को अच्छी तरह साफ कर दिया गया है'।बोधगया में हमले की आशंका से जुडी यह जानकारी गत 26 जून को राज्य सरकार को दी गई थी, इसके बावजूद राज्य सरकार नहीं चेती और रविवार को आतंकी हमला करने में कामयाब हो गए। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पुलिस प्रशासन यह कह रहा है कि अलर्ट मिलने के बाद मंदिर की सुरक्षा बढा दी गई थी और वहां कमांडो तैनात कर दिए गए थे।


तारकेश्वर में बाबातारकेश्वर धाम हैं। नवद्वीप तो तीर्थनगरी है.जिसके पास ही है इस्कान का मंदिर। रामपुरहाट में तारापीठ है तो मैथन में कल्याणेश्वरी। इन सभी धर्मस्थलों पर रोज बड़ी संख्या में स्रद्धालु जमा होते हैं। बड़े अनेक आस्छोथा के केंद्टेर राज्यभर में फैले हैं। मसलन सागरद्वीप गंगासागर मंदिर, लोकनाथ मंदिर, घुटियारी शरीफ, बेंडिल चर्च,फुरफुरा साहेब और बर्दवान और वीरभूम में तमाम सतीपीठ। उत्तरी बंगाल में भी धर्मस्थलों पर बारी भीड़ उमड़ती रहती है।


श्रद्धालुओं के बारी जमावड़े के बावजूद इन धर्मस्थलों में सुरक्षा इंतजाम कहीं नजर नहीं आता। कालीघाट और दक्षिणेश्वर को छोड़ दें तो तमाम धर्मस्थल अरक्षित हैं। देश के दूसरे धर्मस्थलों पर हमलों के मद्देनजर देशभर में धर्मस्थलों पर जो सुरक्षाइंतजाम बढ़ा दिया गया,उसके मद्देनजर बंगाल में अभी इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है।सवाल सिर्फ धर्मस्थलों की सुरक्षा का नहीं , बल्कि वहां पहंचने वाले नागरिकों और उनकी अलग अलग आस्थाओं का भी है। हमलावर तत्व नागरियों की कमत पर आस्था पर चोट करते हैं, ताकि उसके आधार पर सांप्रदायिक प्रतिक्रिया का आवाहन किया जा सकें और कानून व्यवश्ता के लिए बड़ा संकटखड़ा हो जाये।


बंगाल में राजनीति इस वक्त अपने अपने वोट बैंक समीकरण के मुताबिक आम जनता के धार्मिक ध्रूवीकरण की हर संभव कोशिश कर रहे हैं और पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चालू है। य़ह बेहद जोखिमभरे हालात हैं। शरारती तत्व अरक्षित धर्मस्थलों को निशाना बनाकर कानून व व्यवस्था के लिए बड़ा संकटखड़ा कर सकते हैं।


पिछले साल दिल्ली पुलिस ने 26 अक्टूबर को पांच आतंकियों से पूछताछ के बाद यह खुलासा किया था कि बिहार के बोधगया के मंदिर पर आतंकी हमला होने वाला है। इन आतंकियों ने खुलासा किया था कि पाकिस्तान में बैठे भटकल भाइयों ने ही बोधगया में हमले की पूरी योजना बनाई है। इन्होंने यह भी बताया था कि म्यांमार में जो हिंसा हुई थी उसका बदला लेने के लिए बोधगया के महाबोधि मंदिर पर हमला करने की योजना बनाई गई थी। दिल्ली पुलिस को यह जानकारी अगस्त 2012 में पुणे ब्लास्ट के आरोपियों ने दी थी।


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