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Wednesday, November 25, 2015

पिछले 14 सालों में 61 हज़ार रईस छोड़ गए हैं देश हर चौथा भारतीय अरबपति देश छोड़ने को तैयार है:


पिछले 14 सालों में 61 हज़ार रईस छोड़ गए हैं देश
हर चौथा भारतीय अरबपति देश छोड़ने को तैयार है: 
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हमारे वरिष्ठ साथी गोपाल राठी ने आज शुबोसुबो यह अपने वाल पर टांगा है

सुपर स्टार आमिर खान की पत्नी किरण राव द्वारा देश छोड़कर जाने की इच्छा जताने के बीच यह जानना रोचक होगा कि अमीर तेजी से देश छोड़कर विदेश में बसते जा रहे हैं। एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है कि पिछले 14 सालों में 61 हजार अमीर देश छोड़कर दूसरे देश में बस गए हैं।

मोटे तौर पर इसकी तीन वजहें बताई जा रही हैं
1-भारत में ज्यादा टैक्स दर होना
2-सुरक्षा को लेकर चिंता
3-बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा का मौका।

ऐसे समय जबकि केंद्र सरकार एनआरआई को देश में निवेश के लिए प्रोत्साहित करने में लगी है। देश में तेजी से अमीरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बड़े मॉल, लग्जरी होटल और विलासिता के केंद्र विकसित होते जा रहे हैं। ऐसे में ये आंकड़े वाकई चौंकाने वाले हैं। न्यू वर्ल्ड वेल्थ नामक संस्था की ताजा रिपोर्ट बताती है कि पिछले 14 साल में अपना देश छोड़ने वालों में 91 हजार की संख्या के साथ चीनी पहले नंबर पर हैं। कुछ समय पहले आई नाइट फ्रैंक नामक संस्था की एक रिपोर्ट के अनुसार हर चौथा भारतीय अरबपति देश छोड़ने को तैयार है।

ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 साल में देश के 1 लाख 60 हजार रईसों में से 27 प्रतिशत यानी 43 हजार 400 लोग बेहतर भविष्य की तलाश में विदेश जा चुके हैं। संस्था के रिसर्च हेड एन्ड्रयू एमॉइल्स के अनुसार देश छोड़ने वालों की प्राथमिकता में 5 देश- अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और यूएई हैं। इनके बाहर जाने के पीछे सबसे बड़ा कारण विदेश में बेहतर जीवन स्तर की संभावना और टैक्स बचाना ही है। अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया का आकर्षण अंग्रेजी भाषा, बेहतर जीवन स्तर, शिक्षा और सुरक्षा व्यवस्था हैं। वहीं यूएई और सिंगापुर में कम टैक्स का आकर्षण भी है।

भारत में ये समस्याएं तो हैं ही

-केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 2011-12 की रिपोर्ट के अनुसार देश के 60 प्रतिशत जल स्त्रोत में बीओडी कम है। 79 प्रतिशत महानगरों का वायुमंडल प्रदूषित है।
-गंदगी और ट्रैफिक समस्या भी देश की बड़ी समस्याओं में शामिल है।
-गरीबी, अशिक्षा, बड़े महानगरों को छोड़कर अधिकांश जगह बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी आजादी के इतने सालों बाद भी बनी हुई है। (teesri jung news)

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