Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Wednesday, June 8, 2016

पितृसत्ता के खिलाफ चुनौती हिलेरी की कांच की दीवार तोड़ डालने की और स्त्री अधिकार के बिना मानवाधिकार भी नहीं! फिरभी ओबामा के राष्ट्रपति बनने से जैसे अमेरिका नहीं बदला, हिलेरी की जीत से भी अमेरिका का रंगभेदी साम्राज्यवाद नहीं बदलेगा! वैसे ही जैसे वाशिंगटन में कल्कि अवतार के राजसूय और अमेरिकी सत्ता से भारतीय नेतृत्व के नत्थी हो जाने से भारत अमेरिका बनेगा नहीं। अमेरिकी लोकतंत्र मे�

पितृसत्ता के खिलाफ चुनौती हिलेरी की कांच की दीवार तोड़ डालने की

और स्त्री अधिकार के बिना मानवाधिकार भी नहीं!

फिरभी ओबामा के राष्ट्रपति बनने से जैसे अमेरिका नहीं बदला, हिलेरी की जीत से भी अमेरिका का रंगभेदी साम्राज्यवाद नहीं बदलेगा!

वैसे ही जैसे वाशिंगटन में कल्कि अवतार के राजसूय और अमेरिकी सत्ता से भारतीय नेतृत्व के नत्थी हो जाने से भारत अमेरिका बनेगा नहीं।


अमेरिकी लोकतंत्र में सर्वोच्च पद को छूने की लड़ाई में किसी स्त्री के शामिल होने में ही पूरे 227 साल लग गये तो हम भारतीय नागरिक की हैसियत से गर्व से कह सकते हैं कि हमने 1969 में ही किसी इंदिरा गाधी की देश की बागडोर थमा दी थी और भारत की राष्ट्रपति भी कोई महिला प्रतिभा ताई बन चुकी हैं और भारत के राष्ट्रपति पद पर दलित,सिख और मुसलमान भी चुने जाते रहे हैं और फिल वक्त अमेरिकी संसद ,समूची अमेरिकी सत्ता और सरकार ,समूची व्यवस्था को एकमुश्त जो संबोधित कर रहे हैं,वे नरेंद्र भाई मोदी भी किसी भीम राव अंबेडकर के लिखे संविधान के तहत पूर्वचायवाला एक ओबीसी शूद्र संतान हैं।फिरभी भारत में पितृसत्ता और मनुस्मृति दोनों निरंकुश हैं।

याद रखें कृपया कि बाबासाहेब का जाति उन्मूलन  मिशन मसीहावृंद की अखंड गद्दारी के बावजूद अभी खत्म हुआ नहीं है और मुक्तबाजारी एजंडा भारत की सरजमीं पर लागू करने से पहले तमाम किसानों, आदिवासियों, मेहनतकशों, छात्रों और युवाओं,पितृसत्ता के खिलाफ तेजी से लामबंद होने वाली तमाम स्त्रियों और पूरी बहुजन आबादी के सफाये बिना मुक्तबाजारी मनुस्मृति राजसूय किसी वाशिंगटन के श्वेत महोत्सव में भी हो तो यह विचित्र देश भारतवर्ष किसी एक रंग से रंगेगा नहीं।समता और न्याय की लड़ाई जुल्मोसितम के इंतहा के बावजूद,हजारों लाखों रोहित वेमुला के कत्लेआम के बावजूद रुकेगी नहीं।हम रहे न रहे।


पलाश विश्वास


हिलेरी क्लिंटन के लिए चित्र परिणाम

हिलेरी क्लिंटन के लिए चित्र परिणाम

हिलेरी क्लिंटन के लिए चित्र परिणाम

हिलेरी क्लिंटन के लिए चित्र परिणाम

हिलेरी क्लिंटन के लिए चित्र परिणाम

हिलेरी क्लिंटन के लिए चित्र परिणाम

अधिक चित्र


हिलेरी रोढम क्लिंटन

वकील

हिलेरी डायेन रोढम क्लिंटन अमरीका के न्यूयॉर्क प्रांत से कनिष्ठ सेनेटर हैं। वे अमरीका के बयालीसवें राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हैं और सन् 1993 से 2001 तक अमरीका की प्रथम महिला रहीं।विकिपीडिया

जन्म: 26 अक्तूबर 1947 (आयु 68), शिकागो, इलिनॉय, संयुक्त राज्य अमेरिका

जीवनसाथी: विलियम क्लिंटन (विवा. 1975)

बच्चे: चेलसा क्लिंटन

शिक्षा: Yale Law School (1969–1973),


राजनीति की बात छोड़ें ,अब सिर्फ अमेरिका ही नहीं,पूरी दुनिया में यह उम्मीद पुख्ता होने जा रहा है कि पुरुष वर्चस्व के रंगभेदी व्हाइट हाउस में अश्वेत राष्ट्रपति की तरह भारत में शनिमंदिर के गर्भगृह में स्त्री प्रवेश की तरह मैडम हिलेरी क्लिंटन मैडम राष्ट्रपति बन सकती हैं और पहले ही पति के सौजन्य से अमेरिकी की फर्स्ट लेडी रही, पहले अश्वेत राष्ट्रपति की पहली विदेश मंत्री रही हिलेरी पितृसत्ता को खूब जबरदस्त झटका देने वाली हैं।




अमेरिकी लोकतंत्र में सर्वोच्च पद को छूने की लड़ाई में किसी स्त्री के शामिल होने में ही पूरे 227 साल लग गये तो हम भारतीय नागरिक की हैसियत से गर्व से कह सकते हैं कि हमने 1969 में ही किसी इंदिरा गाधी की देश की बागडोर थमा दी थी और भारत की राष्ट्रपति भी कोई महिला प्रतिभा ताई बन चुकी हैं और भारत के राष्ट्रपति पद पर दलित,सिख और मुसलमान भी चुने जाते रहे हैं और फिल वक्त अमेरिकी संसद ,समूची अमेरिकी सत्ता और सरकार ,समूची व्यवस्था को एकमुश्त जो संबोधित कर रहे हैं,वे नरेंद्र भाई मोदी भी किसी भीम राव अंबेडकर के लिखे संविधान के तहत पूर्वचायवाला एक ओबीसी शूद्र संतान हैं।फिरभी भारत में पितृसत्ता और मनुस्मृति दोनों निरंकुश हैं।


अगले माह सम्मेलन में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार बनेंगी हिलेरी

मीडिया के मुताबिक अमेरिका की पूर्व प्रथम महिला, न्यूयार्क की सीनेटर और पूर्व विदेश मंत्री आधिकारिक तौर पर अगले माह सम्मेलन में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार बनेंगी और रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से आम चुनाव में मुकाबला करेंगी।


हाल में जनमत सर्वेक्षण से पता चला है कि ट्रंप की तरह ही हिलेरी भी सर्वाधिक लोकप्रिय उम्मीदवारों में से एक हैं। बतौर विदेश मंत्री निजी ईमेल सर्वर के इस्तेमाल के मामले से जुड़े विवाद ने हिलेरी की पारदर्शिता और उनकी ईमानदारी पर सवाल खड़े किए हैं। रिपब्लिकन पार्टी के लोगों का मानना है कि विदेश मंत्री के रूप में हिलेरी की विदेश नीति का रिकॉर्ड लीबिया और रूस से व्यवहार को लेकर खराब रहा है। इससे उनके उम्मीदवार को बड़ा लाभ पहुंच सकता है।


इतिहास बल देने से इतिहास बनता नहीं है और इतिहास बनाने के लिए पीढ़ियों की कुर्बानियों के हजारों साल की लड़ाई अनवरत जरुरी है जो सत्ता के दम पर शर्टकट से धर्मस्थल बनाने का दंगा फसाद नरसंहारी सुधारों का करतब होता नहीं है।


भारत के किसानों,आदिवासियों,आजादी के सेनानियों के ख्वाबों के रंग किसी विशुध उन्माद के विजयपताका के बजरंगी युद्धोन्माद से खत्म हो नहीं जाते और मरे अधमरे वे ख्वाब फिर फिर सत्ता के प्रतिरोध के मोर्चे में तब्दील होंगे।


असम और पूर्वोत्तर में आग जलाने वाले और मीडिया पर सारस्वत वर्चस्व के दम पर मसीहाई लेखनी के फतवे से बाबासाहेब को प्रूफ रीडर बताने वाले भी सोच लें कि उनके कल्कि अवतार का कायाकल्प भी आखिरकार बाबासाहेब के मिशन का नतीजा है।


किसी के चेहरे से कुछ बदल रहा होता तो असम उल्फा के हवाले न होता और न देश और देश के प्राकृतिक संसाधन,राष्ट्र की एकता,अखंडता,संप्रभुता और नागरिकों की जान माल गोपनीयता आजादी सुरक्षा देशी विदेशी पूंजी के हवाले होता और देश के किसानों,मेहनतकशों,छात्रों, युवाओं स्त्रियों और आदिवासियों के हकहकूक का रोज रोज कत्लआम होता और जल जंगल जमीन और नागरिकता की डकैती होती और फिजां इसतरह कयामत बन जाती कि ग्लेशियर भी दावानल से पिघलने लगे हैं और समुंदरों में आग लगी है।आसमान गिर रहा है और जमीन दहक रही है।यह धर्मराष्ट्र का समाज वास्तव है।


याद रखें कृपया कि बाबासाहेब का जाति उन्मूलन  मिशन मसीहावृंद की अखंड गद्दारी के बावजूद अभी खत्म हुआ नहीं है और मुक्तबाजारी एजंडा भारत की सरजमीं पर लागू करने से पहले तमाम किसानों, आदिवासियों, मेहनतकशों, छात्रों और युवाओं,पितृसत्ता के खिलाफ तेजी से लामबंद होने वाली तमाम स्त्रियों और पूरी बहुजन आबादी के सफाये बिना मुक्तबाजारी मनुस्मृति राजसूय किसी वाशिंगटन के श्वेत महोत्सव में भी हो तो यह विचित्र देश भारतवर्ष किसी एक रंग से रंगेगा नहीं।समता और न्याय की लड़ाई जुल्मोसितम के इंतहा के बावजूद,हजारों लाखों रोहित वेमुला के कत्लेआम के बावजूद रुकेगी नहीं।हम रहे न रहे।


सत्ता का चेहरा पितृसत्ता और मनुस्मृति के विश्वव्यापी ग्लोबल तिलिस्म में अमेरिका और भारत में बार बार बदलते रहे हैं। फिरभी न अमेरिकी राष्ट्र का रंगभेदी चरित्र बदला है और न भारत में शाश्वत सनातन मनुस्मृति शासन का सिलसिला टूटा है।


इसलिए अब भी न स्त्री का कोई अधिकार है और न कोई मानवाधिकार है।


किसी राष्ट्र को राष्ट्र बनने के लिए उसका अखंड भूगोल और गौरवशाली इतिहास ही काफी नहीं है।


क्योंकि किसी राष्ट्र को राष्ट्र बनने के लिए सर्वशक्तिमान सत्ता का प्रतीक वर्ण वर्चस्व रंगभेद सबसे बड़ा अवरोध है।


लोकतंत्र तब तक लोकतंत्र नहीं है जबतक कानून का राज नहीं है।

लोकतंत्र तब तक लोकतंत्र नहीं है जब तक राष्ट्र का संविधान सर्वत्र समान तौर पर लागू नहीं होता।


लोकतंत्र तब तक लोकतंत्र नहीं है जब तक सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और समान न्याय नहीं है।


लोकतंत्र तब तक लोकतंत्र नहीं है जबतक उत्पीड़ितों वंचितों और हाशिये पर खढ़ी मनुष्यता की कोई सुनवाई कहीं नहीं है।


न धर्मोन्माद राष्ट्रवाद है और न युद्धोन्माद राष्ट्रवाद है।


धर्मोन्माद और युद्धोन्माद का जो रसायन अमेरिका है और जिस अमेरिका के उपनिवेश में भारत तेजी से तब्दील पमाणु भट्टी है,उसकी परिणति महाविनाश है और मनुष्यता,सभ्यता और प्रकृति के लिए यह गहन अमावस्या की रात है और भोर को सूरज के सीने से आजाद किये बिना मुक्ति नहीं है।


जैसे मैडम हिलेरी के अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाने से अमेरिका और बाकी दुनिया में पितृसत्ता को तनिकआंच आने की भी उम्मीद नहीं है।क्योंकि वे भी उसीतरह घृणा और हिंसा की विश्वव्यवस्था की कठपुतली होंगी जैसे कि उनके निर्मम पितृसत्ता के घनघोर प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप,जिनने गद्दाफी के साथ गठजोड़ करके अरबों डालर बनाने के बाद व्हाइट हाउस के सिंहद्वार पर दस्तक दी है।हिलेरी ने ऐलान नहीं किया है और ट्रंप ने डंके की चोट पर ऐलान किया है,बाकी दोनों का एजंडा एकमेव सत्वमेव जयते है।जैसे भारत में नरम और गर्म हिंदुत्व का राजकाझ फिर वही मनुस्मृति है।


दोनों अमेरिकी आवाम के नहीं,बल्कि तेल अबीब से दुनिया पर राज करने वाले जायनी वैश्विक मुक्तबाजार के उम्मीदवार हैं न कि डेमोक्रेटिक पार्टी या रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जैसे कि हम देखते हैं।उसी दरगाह पर फिर शीश नवाने वालों में हमारे मसीहावृंद हैं तो समझ ले शाफ लफ्जों में कि हम एकमुश्त वाशिंगगटन और तेलअबीब के गुलाम प्रजाजन हैं और हम कुरुक्षेत्र हो न हो,हमारा वध ही उनका एजंडा है मुक्तबाजारी।धर्म फिर अधर्म है।


हमारी जाति की छठा इंद्रिय इतना प्रबल है कि जाति के अलावा हम हकीकत का सामना कर नहीं सकते कि हम गूंगे हैं,बहरे भी हैं हम और स्पर्श की कोई संवेदना नहीं है और हमारी जीभ पर स्वजनों के खून का जायका लगा है और हम हालात सूंघ भी नहीं सकते और इसीलिए हम देख नहीं पाते की भारत में भी रंग बिरंगे झंडों और डंडो से लैस तमाम विचारधाराओं के पाखंड के बावजूद सत्ता वर्ग में शामिल विभिन्न दलों,जातियों,मजहबों,नस्लो,क्षेत्रों के तमाम छोटे से बड़े जनपरतिनिधि आखिरकार पितृसत्ता के ही नुमाइंदे हैं जो राष्ट्र और लोकतंत्र का कोरोबार कर रहे हैं धर्मोन्माद और युद्धोन्माद के राष्ट्रवाद के सहारे मुनाफावसूली के मुक्तबाजार के लिए।


अश्वेत राष्ट्रपति बाराक हुसैन ओबामा के दो दो कार्यकाल के बाद अमेरिका नहीं बदला और न दुनिया बदली है।


अगर मैडम हिलेरी बनी अमेरिकी राष्ट्रपति तो डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनाने से जो सवा सत्यानाश के आसार है,वह कयामत का मंजर मैडम हिलेरी बंदल देंगी ऐसी उम्मीद कतई न करें।

मैडम हिलेरी के अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाने से स्त्री अधिकार और मानवाधिकार की गारंटी होगी,ऐसा कतई उम्मीद न करें।


जबतलक दुनिया कुरुक्षेत्र है और सियासत और मजहब दोनों महाभारत है तो राष्ट्र कुल मिलाकर नागरिकों का अबाध वधस्थल है जहां पितृसत्ता निरंकुश है और शतरंज की बाजी पर फिर वही द्रोपदी की देह है।

बहरहाल अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने सोमवार को डेमोकेट्रिक पार्टी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की जंग जीत ली।एकदम ताजा खबर यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के लिए हिलेरी क्लिंटन का डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनना तय हो गया है। न्यूजर्सी के प्राइमरी चुनावों में बर्नी सैंडर्स की हार के साथ ही हिलेरी की उम्मीदवारी पर मुहर लग गयी।


अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी अगर अमेरिका की प्रेसीडेंट बन जाती हैं तो अमेरिका के इतिहास में पहली बार कोई महिला इस गद्दी पर बैठेगी।


मीडिया के मुताबिक पुर्तो रिको में रविवार को दमदार प्रदर्शन के बाद हिलेरी को सुपरडेलीगेट का अतिरिक्त समर्थन भी मिल गया। इस तरह 68 वर्षीय हिलेरी उम्मीदवार बनने की दिशा में शीर्ष पर पहुंच गईं। सीएनएन की खबर के अनुसार, हिलेरी को 1812 प्लेज्ड डेलीगेट और 572 सुपर डेलीगेट का समर्थन हासिल है। इस तरह उनके पास कुल 2384 प्रतिनिधि हैं। यह संख्या उम्मीदवारी पाने के लिए जरूरी संख्या से एक अधिक है।


ओबामा के दोहरे कार्यकाल के चूंचू के मोरब्बे के बाद ऐसी उम्मीद पंचायती राज के प्रधानपतियों के राजकाज से कुछ बेहतर नहीं होगा,समझ लें।यह ऐसा ही है जैसे ओबीसी प्रधानमंत्री से संघ परिवार के नियंत्रण और संघ परिवार के हिंदुत्व एजंडा के खिलाफ दलितों,पिछड़ों, आदिवासियों,अल्पसंख्यकों और बहुजनों की बेहतरी के राजधर्म और राजकाज की की समरस प्रस्तावना भारतीय संविधान की प्रस्तावना को सिरे से खारिज कर देने की है।


अमेरिका के 240 वर्षों के इतिहास में ऐसी पहली महिला बनना तय हो गया है जो प्रमुख राजनीतिक दल के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार होंगी।हिलेरी ने खुद इस बात का खुलासा करते हुए कहा, 'अमरीका में किसी बड़ी पार्टी की तरफ से पहली बार महिला का प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट चुना जाना इतिहास रचने जैसे है।' गौरतलब है कि अमरीका के इतिहास में राष्ट्रपति पद के लिए आज तक कोई भी महिला उम्मीद्वार नहीं चुनी गई है। अमरीका में यूएस प्रेसिडेंशियल इलेक्शन 1789 में शुरु हुए थे। तब से पिछले 227 वर्षों में पहली बार किसी महिला को इस पद के लिए उम्मीदवार चुना गया है।


मजा यह है कि अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से अपनी संभावित प्रतिद्वंद्वी हिलेरी क्लिंटन को विदेश मंत्री रहते हुए ई-मेल के दुरुपयोग के मामले में जेल भेजे जाने की बात कही है। ट्रंप ने गुरुवार को कैलिफोर्निया के सैन हौजे में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, "मैं कहूंगा कि हिलेरी क्लिंटन को जेल भेजा जाना चाहिए। वह अपराधी हैं।"


दूसरी तरफ,डोनाल्ड ट्रंप पर हमला तेज करते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की संभावित उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि उनके रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी स्वभाव के आधार पर राष्ट्रपति बनने के लिए अयोग्य हैं और विदेश नीति में उनके विचार खतरनाक रूप से बेतुके हैं।


ट्रंप के विचार खतरनाक ढंग से बेतुके

मीडिया के मुताबिक कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में हिलेरी ने कहा, 'हमारे देश और दुनिया के काफी लोगों की तरह ही मेरा भी मानना है कि रिपब्लिकन पार्टी ने जिसे राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुना है वह यह काम नहीं कर सकता। डोनाल्ड ट्रंप के विचार सिर्फ अलग नहीं हैं...  बल्कि वे खतरनाक रूप से बेतुके हैं।'


विदेश मंत्री रह चुकीं 68 वर्षीय हिलेरी ने कहा, 'वे वास्तव में विचार भी नहीं हैं... वह सिर्फ बेकार का शोर, व्यक्तिगत गुस्सा और सरासर झूठ है।' भाषण के दौरान हिलेरी ने रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार 69 वर्षीय ट्रंप पर खुलकर हमला बोला। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मामलों में ट्रंप द्वारा पहले दिए गए बयानों और उनके स्वभाव पर स्पष्ट बात की।


ट्रंप जैसों के पास कभी नहीं होना चाहिए परमाणु कोड

डेमोक्रेट नेता के इस भाषण को विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर महत्वपूर्ण बयान माना जा रहा है। हिलेरी ने कहा, 'वह स्वभाव के आधार ऐसे पद पर बने रहने के काबिल नहीं है, जिसके लिए ज्ञान, स्थिरता और जिम्मेदारी की भावना चाहिए। यह ऐसे व्यक्ति हैं जिनके पास परमाणु कोड कभी नहीं होना चाहिए... क्योंकि यह कल्पना करना मुश्किल नहीं है कि डोनाल्ड ट्रंप ने सिर्फ किसी के उकसाने भर से हमें युद्ध में उलझा दिया।'


उन्होंने कहा, 'हम अपने बच्चों और पोते-पोतियों की सुरक्षा डोनाल्ड ट्रंप के हाथों में नहीं सौंप सकते। हम उन्हें अमेरिका के साथ खेलने नहीं दे सकते। यही वह व्यक्ति है, जिसने कहा था कि सऊदी अरब सहित ज्यादा देशों के पास परमाणु हथियार होने चाहिए।'



--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments: