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Tuesday, June 7, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/6/3
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


रत्न-विज्ञान में करिअर

Posted: 02 Jun 2011 07:30 AM PDT

बात चाहे शृंगार के लिए गहने पहनने की हो अथवा ग्रह-नक्षत्र की शांति के लिए रत्न, नग, पत्थर आदि धारण करने की, रत्नों और आभूषणों का संबंध जिंदगी से किसी-न-किसी रूप में बना ही रहता है। आधुनिक जीवनशैली में ये मॉडर्न लुक का भी अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं। इन जरूरतों के मद्देनजर जेमोलॉजी और ज्वेलरी डिजाइनिंग की अहमियत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है और साथ ही इस फील्ड में रोजगार के अवसरों में भी इजाफा हुआ है।

तरह-तरह के पाठ्यक्रम
जेमोलॉजी में कई तरह के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जैसे डिप्लोमा इन ज्वेलरी डिजाइनिंग, पीजी डिप्लोमा इन ज्वेलरी डिजाइनिंग, डिप्लोमा इन डायमंड ट्रेड मैनेजमेंट, सर्टिफिकेट कोर्स इन कलर्ड जेमस्टोन कटिंग ऐंड पॉलिशिंग, पीजी डिप्लोमा इन डायमंड टेक्नोलॉजी आदि। संस्थान और विषय के स्वरूप के अनुसार जेमोलॉजी से संबंधित कोर्सेज की अवधि 3 महीने से 3 साल तक हो सकती है।

योग्यता
जो अभ्यर्थी इस फील्ड में कोई कोर्स करना चाहते हैं, उनके लिए जरूरी है कि वे 12वीं उत्तीर्ण हों। डिग्री या डिप्लोमा जैसे कोर्स करने के बाद पोस्टग्रेजुएशन का कोर्स भी किया जा सकता है। शैक्षणिक योग्यता के अलावा इस क्षेत्र में सफलता के लिए छात्र का क्रिएटिव होना भी जरूरी है।


अवसर
कोर्स करने के बाद अभ्यर्थी के लिए कई तरह के मौके उपलब्ध होते हैं। वह किसी जेमोलॉजिस्ट अथवा ज्वेलरी डिजाइनर के साथ अपने कैरियर की शुरुआत कर सकता है। ज्वेलरी शोरूम में भी उसके लिए मौके होते हैं। इसके अलावा रत्नों व आभूषणों के निर्माण से संबंधित कंपनियों से भी जुड़ा जा सकता है। ज्वेलरी डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट में टीचिंग अथवा रिसर्च का काम भी किया जा सकता है। यदि आर्थिक स्थिति इजाजत दे तो अपनी ज्वेलरी लाइन स्थापित की जा सकती है। 

मुख्य संस्थान
-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद
-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (दिल्ली व अन्य स्थान)
-जेम्स ऐंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल, जयपुर
-ज्वेलरी डिजाइन एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, नोएडा (उत्तर प्रदेश)(श्रुति गोयल,अमर उजाला,31.5.11)

यूपीपीसीएस पीटी के लिए टिप्स

Posted: 02 Jun 2011 06:45 AM PDT

लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक (प्रीलिम्स) परीक्षा के लिए कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे समय में आत्मविश्वास को कायम रखते हुए तैयारी करनी चाहिए। कैरियर लांचर के विशेषज्ञ रजत सेन के मुताबिक, परीक्षा के ढांचे में किसी तरह का बदलाव छात्र के दिमाग पर भारी असर करता है। ऐसे में छात्रों को और सजग रहने की जरूरत है।

प्रश्न-पत्र 1
सामान्य अध्ययन की तैयारी के अंतिम दौर में इसे ठोस बनाने की आवश्यकता है। प्रथम प्रश्न-पत्र में (क) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन, भारतीय राज्य व्यवस्था, बुनियादी आर्थिक समझदारी, भूगोल जैसे पारंपरिक स्थायी भाग, और (ख) सामयिक घटनाएं और सामान्य ज्ञान जैसे भाग होते हैं, जिनकी कोई निश्चित विषय-सूची तय नहीं है।


स्थायी भाग परंपरागत तौर पर अधिक अंक लाने वाला है और इसमें जितना अधिक अंक हासिल होता है, उम्मीदवार के लिए सामयिक घटनाओं और सामान्य ज्ञान जैसे अनिश्चित विषय-वस्तु पर निर्भरता उतनी ही कम हो जाती है। तैयार किए गए नोट्स से इस भाग को पूरे तौर पर फिर से देख लेना चाहिए और अपनी स्थिति पक्का करने के लिए कंसेप्ट्स की जांच दुबारा करनी चाहिए। इसे और बेहतर बनाने के लिए परीक्षा की तिथि आने तक अधिक-से-अधिक प्रश्नों और अभ्यास-जांच को बार-बार हल करते रहना चाहिए।
अपरिभाषित भाग के लिए, छात्रों को चाहिए कि वे बुनियादी विस्तार के साथ व्यावहारिक और सैद्धांतिक पहलुओं को ठीक से समझ लें। किसी विश्वसनीय स्रोत के आधार पर अधिकाधिक संभव प्रश्नों को हल करें, जिससे तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए जरूरी कोशिशों में सुविधा हो सके।

प्रश्न-पत्र 2
इस भाग में अंग्रेजी भाषा ज्ञान, गणितीय क्षमता, तार्किक क्षमता, विश्लेषण क्षमता और अंतर्वैयक्तिक (इंटरपर्सनल) क्षमता के प्रश्न होते हैं। जिस क्षेत्र में पहले से मजबूती हो, उसे किसी अच्छी अभ्यास-पुस्तिका की मदद से अभ्यास के द्वारा ठोस कर लेना उचित है। प्रथम प्रश्न-पत्र में स्थायी खंड के लिए हल किए गए प्रश्नों की संख्या निर्णायक होती है, वहीं इससे अलग द्वितीय प्रश्न-पत्र में सही उत्तर के साथ अच्छे प्रश्नों को हल किए बिना इसे नहीं साधा जा सकता है, भले ही संख्या के नजरिए से कम प्रश्न हल किए जाएं। इस तरह, इस पत्र को हल करने में बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल बहुत जरूरी है।

परिमाणात्मक भाग में संख्या की समझ महत्वपूर्ण है। कुल अंकों में इन प्रश्नों का बड़ा योगदान होता है। ऐसे प्रश्नों को हल करने में समय-प्रबंधन को विकसित करने के तरीकों पर अवश्य ही ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इस भाग में अधिक समय लगने की शिकायत हमेशा ही रही है। जिन छात्रों की अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा की पृष्ठभूमि नहीं है और जो इस भाषा में दक्ष नहीं हैं, उन्हें कभी घबराना नहीं चाहिए। ऐसी परीक्षाओं में समय-प्रबंधन बेहद जरूरी है, क्योंकि एक-एक अंक बड़ा अंतर पैदा कर सकता है(अमरनाथ,अमर उजाला,2.6.11)।

फार्मा उद्योग में करिअर

Posted: 02 Jun 2011 06:00 AM PDT

फार्मा इंडस्ट्री में भारत का रुतबा अब सिर्फ रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट तक ही सीमित नहीं रह गया है। मैन्यूफैक्चरिंग, क्लिनिकल ट्रायल, जेनेटिक्स, ड्रग रिसर्च आदि क्षेत्रों में भी यहां खूब काम होने लगा है। यही कारण है कि तेजी से बढ़ते फार्मास्युटिकल फील्ड में युवाओं के लिए काफी मौके हैं। क्लिनिकल रिसर्च आउटसोर्सिंग यानि ओआरजी रिसर्च फर्म के मुताबिक, भारतीय फार्मा उद्योग 12-13 फीसदी की दर से वृद्धि कर रहा है। मैकिंजे की ताजा रिपोर्ट भी इस बात को पुख्ता करती है। इसके मुताबिक, 2020 तक इस उद्योग में तीन गुणा बढ़ोतरी होगी। स्पष्ट है कि इससे रोजगार में भी इजाफा होगी।

कार्य की प्रकृति
फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट का संबंध दवा के निर्माण से लेकर उसके वितरण तक से है। इसके प्रोफेशनल्स को जहां एक ओर सीधे डीलर या कस्टमर से संपर्क करना होता है, वहीं दवा की खूबियों के बारे में डॉक्टरों को संतुष्ट करना भी उनके लिए जरूरी है। फार्मा मैनेजमेंट से जुड़े पाठ्यक्रमों में इन सभी बातों के विषय में विस्तार से बताया जाता है। दवा कंपनियां में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, मार्केटिंग ऑफिसर, प्रोडक्शन मैनेजर आदि के रूप में प्रशिक्षित लोगों की नियुक्ति होती है।

शैक्षणिक योग्यता
पूरे देश में अनेक संस्थानों में फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट से संबंधित विभिन्न डिग्री और डिप्लोमा कोर्स चलाए जा रहे हैं। अगर आपको फार्मा सेक्टर में कैरियर बनाना है तो इसके लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं (कम-से-कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ) है। वैसे तो विज्ञान संकाय, खासकर जीव विज्ञान के छात्रों के लिए यह कोर्स उपयोगी है, लेकिन किसी भी स्ट्रीम के छात्र इस कोर्स के योग्य हैं। पीजी कोर्स करने के इच्छुक छात्रों के पास बीएससी, बीफार्मा और डीफार्मा की डिग्री होनी चाहिए। फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में केमिस्ट्री, जूलॉजी और बॉटनी के स्टूडेंट्स को भी खूब रोजगार मिल रहे हैं। ये अवसर अनुसंधान और प्रोडक्शन से जुड़े हैं।


कैसे-कैसे कोर्स
इस फील्ड में पीजी डिप्लोमा इन फार्मास्यूटिकल एवं हेल्थ केयर मार्केटिंग, डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग, प्रोफेशनल डिप्लोमा इन फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन फार्मा सेल्स एंड मार्केटिंग आदि कई कोर्स उपलब्ध हैं। इन पाठ्यक्रमों की अवधि तीन महीने से 1 वर्ष के बीच है। कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा फार्मा मैनेजमेंट में दो वर्षीय एमबीए पाठ्यक्रमों की शुरुआत भी की गई है, जिसमें एडमिशन के लिए स्नातक होना जरूरी है। जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली में मार्केटिंग में विशेषज्ञता के साथ एमफार्मा कोर्स भी उपलब्घ है। कुछ जगहों पर बीबीए कोर्स भी चलाये जा रहे हैं। यह तीन वर्षीय स्नातक कोर्स है।

संभावनाएं कहां-कहां
भारत में इस समय 300 से भी ज्यादा रजिस्टर्ड फार्मास्युटिकल कंपनियां ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में हैं। इनमें प्रोफेशनल्स को मौके उपलब्ध होते हैं। नए-नए उत्पादों के आने के कारण यह क्षेत्र आज सर्वाधिक संभावनाओं से भरा है। इसे तीन क्षेत्रों में बांटा गया है- पहला उत्पादन संबंधी कार्य, दूसरा प्रशासनिक कार्य और तीसरा सेल्स व मार्केटिंग। इसमें दक्ष युवा विभिन्न कंपनियों में मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव, ब्रांड एग्जीक्यूटिव, प्रोडक्शन केमिस्ट, क्वालिटी कंट्रोलर, प्रोडक्ट एग्जीक्यूटिव, बिजनेस एग्जीक्यूटिव जैसे पदों पर नौकरी हासिल कर सकते हैं। इस विषय से संबंधित अध्यापन कार्य से भी जुड़ा जा सकता है।

आमदनी
पिछले कुछ सालों में प्रशिक्षित लोगों की बढ़ती मांग के मद्देनजर इस क्षेत्र में सैलरी भी काफी बढ़ी है। रिसर्च और एंट्री लेवल पर सैलरी डेढ़ लाख रुपये वार्षिक मिलती है। मार्केटिंग क्षेत्र में एक फ्रेशर को 2.5 से 3 लाख रुपये सालाना मिल जाते हैं। यदि शुरुआती वेतन की बात की जाए, तो यह 8 से 15 हजार रुपये तक है।

प्रमुख संस्थान
-नरसी मूनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, मुंबई
-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मा मार्केटिंग, लखनऊ
-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, मोहाली, चंडीगढ़
-पोद्दार मैनेजमेंट ऐंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, जयपुर
-दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंस एंड रिसर्च, नई दिल्ली
-एपिक इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थकेयर स्टडीज, नई दिल्ली
-इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, पुणे(फजले गुफरान,अमर उजाला,31.5.11)

ट्रांसपोर्टेशन से संबंधित पाठ्यक्रम

Posted: 02 Jun 2011 05:12 AM PDT

आज के कारोबारी माहौल में विभिन्न उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने-ले जाने के लिए लॉजिस्टिक्स के प्रोफेशनल्स की मांग बनी रहती है। इस दृष्टिकोण से दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसपोर्टेशन के कोर्सेज पर नजर डाली जा सकती है। ये कोर्स रेलवे मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त हैं।

कैसे-कैसे कोर्स
इसके तहत दो तरह के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं- 1. रेल ट्रांसपोर्ट और मैनेजमेंट से संबंधित डिप्लोमा कोर्स, 2. पोर्ट डेवलपमेंट और मैनेजमेंट से संबंधित डिप्लोमा कोर्स। पहले पाठ्यक्रम की अवधि 1 साल की है, जबकि दूसरे की 2 साल की। दोनों ही पाठ्यक्रम पत्राचार माध्यम से उपलब्ध हैं।

शैक्षणिक योग्यता
जो छात्र इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेना चाहते हैं, उनके लिए किसी भी संकाय से स्नातक की डिग्री जरूरी है।


कैसे करें आवेदन
आवेदन-पत्र और प्रॉस्पेक्टस संस्थान से लिए जा सकते हैं या 100 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट बनवा कर डाक से भी मंगवाए जा सकते हैं। डीडी के पीछे अपना नाम और पता जरूर लिखें। साथ में 15 रुपये का टिकट लगाकर 11 इंच 3 5 इंच का पता लिखा लिफाफा भी भेजें।(अमरउजाला,31.5.11)

12वीं के बाद की राह

Posted: 02 Jun 2011 04:22 AM PDT

सीबीएसई ने बारहवीं के रिजल्ट घोषित कर दिए हैं तथा यूपी बोर्ड का रिजल्ट भी अब से कुछ ही दिनों बाद आने वाला है। ऐसी स्थिति में मनमाफिक कॉलेज अथवा कोर्स में दाखिले की प्रक्रिया में पीछे न रहने की ललक तथा कुछ हद तक पैरेंट्स के सपनों को पूरा करने की कसक छात्रों को व्यग्र किए रहती है। इसलिए परीक्षा खत्म होने के बाद से ही वे इसके लिए भागदौड़ शुरू कर देते हैं।

कैरियर काउंसलर गीतांजलि कुमार का मानना है कि छात्रों के अलावा हर अभिभावक भी यही चाहता है कि उसका बच्चा पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी हासिल करे, जिसके लिए अच्छे संस्थान या जॉब ओरिएंटेड विषयों में दाखिला जरूरी है। इसलिए जरूरी है कि मिशन-एडमिशन के दौर में अपने अंक और अपनी क्षमता देखकर ही किसी संस्थान की ओर कदम बढ़ाएं। यहां यह समझना जरूरी है कि सिर्फ अच्छे कॉलेज से ही भविष्य बेहतर नहीं बन जाता। जरूरत आगे भी लगातार परिश्रम करने की है।

न बनें लकीर के फकीर
छात्रों के सामने पहले की अपेक्षा विकल्प बढ़े हैं। इसके चलते उनकी सोच एवं कोशिशों का दायरा भी बढ़ा है। यह अच्छी बात है। इस संबंध में खास बात यह है कि लकीर के फकीर न बनकर नए-नए विषयों, पाठ्यक्रमों और कैरियर ऑप्शंस पर नजर रखें। किस प्रोफेशन को अपनाया जाए, इसको लेकर छात्रों को अपना नजरिया बिल्कुल स्पष्ट रखना होगा। प्रोफेशन चुनने का आशय यही है कि उन्हें परंपरागत कोर्सों जैसे बीए, बीएससी, बीकॉम के अलावा प्रोफेशनल कोर्सेज में भी अपनी रुचि दर्शानी होगी। हालांकि यह काम इतना आसान भी नहीं है, क्योंकि इस दौरान उनका वास्ता सैकड़ों ऐसे पाठ्यक्रमों से होगा। ऐसे में अपनी रुचि और भविष्य में जॉब के अवसरों के आधार पर किसी कोर्स में एडमिशन का विचार बनाना चाहिए।

अपनी रुचि सर्वोपरि

दाखिले के मामले में अभिभावकों की इच्छा का दबाव भी काफी होता है, जो गलत है। इस मामले में छात्रों की रुचि को ही तवज्जो दी जानी चाहिए। दबाव या दिखावे के कारण किसी भी कोर्स में प्रवेश ले लेने से कैरियर की नैया डगमगा सकती है। यहां पर छात्रों और अभिभावकों, दोनों को ही जागरूक बनना होगा। विषयों अथवा कॉलेज के चयन को लेकर यदि कोई परेशानी आ रही है और पैरेंट्स भी किसी खास नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे हैं, तो काउंसलर अथवा किसी एक्सपर्ट की मदद लेने से न झिझकें। इनके जरिए आपकी परेशानी भी हल हो सकेगी और संभव है कि आपको कोई ऐसा नया विकल्प भी मिल जाए, जिसके बारे में आपने कभी सोचा ही न हो।

परंपरागत पाठ्यक्रमों की मांग
प्रोफेशनल कोर्सेज की चमक के बीच भी बीए, बीएससी व बीकॉम जैसे कोर्स की लोकप्रियता बनी हुई है, क्योंकि बाद में ये कई अन्य कैरियर विकल्पों का आधार बनते हैं।

साइंस स्ट्रीम - बारहवीं में पीसीएम का छात्र इंजीनियर बनने की बात सोचता है। पीसीएम के साथ-साथ यदि वह थोड़ा क्रिएटिव है तो उसकी पसंद आर्किटेक्चर, फैशन टेक्नोलॉजी आदि होती है। एडवेंचरस छात्र मर्चेंट नेवी, हवा से बात करने के शौकीन छात्र पायलट और देश सेवा का जज्बा रखने वाले छात्र डिफेंस एवं नेवी में किस्मत आजमा सकते हैं। मैथ की अच्छी जानकारी है तो बीएससी पहली पसंद होती है। इसी तरह से बायो ग्रुप के छात्र एमबीबीएस, बीडीएस, आयुर्वेद, होमियोपैथी, वेटेरिनरी साइंस, फार्मेसी आदि में जा सकते हैं।

कॉमर्स स्ट्रीम - इस संकाय 
के छात्र बीकॉम (ऑनर्स), सीए, अर्थशास्त्र (ऑनर्स), आईसीडब्ल्यूए सहित सांख्यिकी की पढ़ाई कर सकते हैं। ये सभी क्षेत्र कैरियर की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। 

आर्ट स्ट्रीम - कला क्षेत्र से जुड़े विषयों का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। छात्र अपनी रुचि के अनुसार विषय चुन सकते हैं। इतिहास, भूगोल, समाज शास्त्र, दर्शन शास्त्र के अलावा मनोविज्ञान तथा राजनीति शास्त्र में छात्रों की भीड़ साल-दर-साल बढ़ती जा रही है। आजकल अप्लायड साइकोलॉजी में भी छात्रों की दिलचस्पी देखने को मिल रही है। टीचिंग भी उन्हें पसंद है। इसके अलावा हिन्दी, संस्कृत सहित विभिन्न विदेशी भाषाओं में भी कैरियर के विकल्प उपलब्ध हैं।

प्रोफेशनल कोर्स की बढ़ती मांग
देश के होनहारों की एक ऐसी भी जमात है, जिनके जेहन में बीए, बीएससी व बीकॉम से अलग किसी प्रोफेशनल कोर्स का खाका बैठा है। इसके पीछे उनकी मंशा जल्द से जल्द जॉब पाने अथवा कुछ अलग कर दिखाने की होती है। आज के दौर में शिक्षा का बाजार प्रोफेशनल कोर्सेज से पटा पड़ा है। इन्हें कराने वाले संस्थान कोर्स समाप्त होने के तुरंत बाद प्लेसमेंट का दावा भी करते हैं। ऐसे में छात्रों को विषय या संस्थान के चयन में काफी सतर्कता बरतनी होगी। कुछ प्रोफेशनल कोर्सेज हैं: होटल मैनेजमेंट, बीसीए, बीबीए, एडवरटाइजिंग, पब्लिक रिलेशन, इंटीग्रेटेड एमबीए व इंटीग्रेटेड लॉ, फायर इंजीनियरिंग, फैशन टेक्नोलॉजी, मर्चेंट नेवी, मल्टीमीडिया कोर्स, डिजाइनिंग कोर्स, ऑफिस मैनेजमेंट, फिजिकल एजुकेशन, इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट, फूड प्रोसेसिंग, टूरिज्म एवं ट्रैवल, बिजनेस डाटा प्रोसेसिंग, कास्मेटोलॉजी आदि। छात्र अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार प्रोफेशनल कोर्स चुन सकते हैं।

जॉब ओरिएंटेड प्रोफेशनल कोर्सेज
प्रोफेशनल कोर्स बाजार की मांग के मुताबिक तैयार किए जाते हैं। इसलिए जॉब ओरिएंटेड होते हैं और साथ ही छात्रों को समकक्ष डिग्री भी उपलब्ध करवाते हैं।सबसे बड़ा फायदा यह है कि औसत अंक वाले छात्र भी इसे कर सकते हैं। (वी.के. गर्ग, चेयरमैन, दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, दिल्ली)(प्रभाकर चंद,अमर उजाला,31.5.11)

यूपीःविकलांगों के छात्रावासों के लिए विभिन्न श्रेणी के पदों का सृजन

Posted: 02 Jun 2011 03:50 AM PDT

प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे दृष्टिबाधित छात्र/छात्राओं के लिए लखनऊ , इलाहाबाद, मेरठ एवं गोरखपुर में नवनिर्मित 100 कमरों के छह छात्रावासों के संचालन के लिए अधीक्षकों के छह पद 29 फरवरी 2012 तक की अवधि के लिए सृजित किये गये हैं। इन पद धारकों को 9300-34800 रुपये वेतनमान तथा 4200 रुपये के ग्रेड पे के साथ शासन द्वारा स्वीकृत महंगाई भत्ता एवं अन्य भत्ते दिये जाएगें। इसके अलावा अतिरिक्त सहयोगी स्टाफ के रूप में प्रति छात्रावास विभिन्न श्रेणी में 12 कार्मिकों की सेवाएं संविदा पर सेवा प्रदाता एजेंसी के माध्यम से दी जाएंगी(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,2.6.11)।

अजा/जनजाति के छात्रों को 8000 रुपये की मदद

Posted: 02 Jun 2011 03:30 AM PDT

कक्षा 9 में प्रवेश लेने वाले अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्रों को भारत सरकार द्वारा 10 माह हेतु 8 हजार रुपये की वित्तीय सहायता तथा नि:शुल्क छात्रावास सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। यह जानकारी समाज कल्याण निदेशक मिश्रीलाल पासवान ने दी। उन्होंने कहा कि इन कालेजों में एक प्रधानाध्यापक एवं 5 अध्यापकों को 7 हजार रुपये प्रति छात्र प्रतिवर्ष की दर से 10 माह हेतु मानदेय भुगतान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2011-12 में छात्रों का प्रवेश, 28 जून को आयोजित होने वाली प्रतियोगितात्मक प्रवेश परीक्षा इन्हीं विद्यालयों में आयोजित होगी। जो विद्यार्थी कक्षा 8 की परीक्षा में शामिल हुए हैं और परीक्षा फल घोषित नहीं हो पाया है, वह भी प्रवेश परीक्षा में भाग ले सकेंगे। प्रवेश के इच्छुक छात्र इन विद्यालयों में नि:शुल्क पंजीकरण करा सकते हैं(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,2.6.11)।

हिमाचलःकसौली स्थित केंद्रीय शोध संस्थान में वैज्ञानिकों की भर्ती पर विवाद

Posted: 02 Jun 2011 03:10 AM PDT

कसौली स्थित केंद्रीय शोध संस्थान (सीआरआई) में हाल ही में हुई भर्तियां विवादों में आ गई हैं। भर्तियों में हुई अनियमितताओं को खुलासा मंडी आरटीआई ब्यूरो के अध्यक्ष लवण ठाकुर की ओर से ली गई सूचना में हुआ है। उनका आरोप है कि सीआरआई कसौली में चार रिसर्च असिस्टेंट की नियुक्तियों में नियमों की अनदेखी हुई है।

34 हजार प्रतिमाह के पे-बैंड वाले इन पदों पर संस्थान में तैनात कुछ कर्मचारियों के रिश्तेदारों को नियुक्ति दी गई है। संस्थान के निदेशक की ओर से 27 दिसंबर 2010 को रिसर्च असिस्टेंट के चार पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए। इनमें से एक पद एसटी, एक पद ओबीसी और दो पद सामान्य वर्ग के लिए थे। आवेदन की अंतिम तारीख 15 जनवरी 2011 तय की गई।

चार पदों के लिए 173 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे, लेकिन आखिर में जिन चार अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र थमाए गए, उनमें से तीन इसी संस्थान में कार्यरत वैज्ञानिकों और अन्य अफसरों के संबंधी थे। इस की शिकायत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सीबीआई के निदेशक से की गई है।


चयन के लिए अपनी गई प्रक्रिया में निर्धारित शर्तो के अनुसार आयु 18 से 25 साल निर्धारित की गई थी। एससी के लिए पांच साल और ओबीसी के लिए आरक्षित पद के लिए आयु में तीन साल की छूट थी। अहम पदों के लिए निर्धारित अधिकतम आयु सीमा 25 साल रखने पर सवाल उठे हैं। अन्य केंद्रीय अनुसंधान संस्थानों में ऐसे पदों के लिए अधिकतम आयु सीमा निर्धारित नहीं है। सीआरआई ने पद भरने के लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन नहीं दिया।

सीआरआई के निदेशक ने छावनी बोर्ड के अधिषासी अभियंता को पत्र लिख बोर्ड पर सूचना लगाने को कहा था। 15 जनवरी तक लिए जाने वाले आवेदनों के लिए संस्थान ने 1 जनवरी को रोजगार कार्यालय सोलन और 4 जनवरी को रोजगार कार्यालय शिमला को पत्र लिखा(दैनिक भास्कर,मंडी,2.6.11)।

बिहारःबारहवीं के रिजल्ट में गड़बड़ी का आरोप

Posted: 02 Jun 2011 02:50 AM PDT

पटना क्षेत्र के सीबीएसई बारहवीं के रिजल्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए बारहवीं के छात्रों ने बुधवार को एक बार फिर विरोध प्रदर्शन करते हुए सीबीएसई क्षेत्रीय कार्यालय के बाहर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल का पुतला फूंका। छात्रों का आरोप था कि उनकी कॉपियों का ठीक मूल्यांकन नहीं किया गया है। इसमें कुछ छात्र ऐसे भी हैं जो आईआईटी और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों की प्रवेश परीक्षाओं में पास हैं और सीबीएसई बारहवीं में वे फेल हैं। छात्रों ने कॉपियों की दोबारा निष्पक्ष जांच कराने की मांग की। जो छात्र फेल हैं या अपने अंक से असंतुष्ट हैं वे लगातार सीबीएसई पटना क्षेत्रीय कार्यालय के समक्ष पिछले चार-पांच दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों का आरोप था कि उनके साथ भेदभाव किया गया है। एक छात्र ने बताया कि एक निजी स्कूल के 510 में सिर्फ नौ छात्र ही सीबीएसई में पास हुए हैं। प्रदर्शन का नेतृत्व छात्र नेता अरुण कुमार सिंह, एडवोकेट सुमन सिंह, शंकर कुमार चौधरी आदि छात्र व अभिभावक कर रहे हैं। इस संबंध में क्षेत्रीय निदेशक एसयू सोटे ने कहा कि हर वर्ष असफल छात्र ऐसा करते हैं। ऐसे छात्रों को मेरी सलाह है कि वे 21 दिनों के भीतर दोबारा गणना के लिए फॉर्म भरें। अगर उनके अंक में कोई गलती होगी तो उसे जरूर सुधाराजाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि छात्र आईआईटी या अन्य परीक्षाओं की तैयारी को अधिक प्राथमिकता देते हैं वहीं सीबीएसई के पाठय़क्रम को नहीं पढ़ते हैं। इसी वजह से छात्र फेल हो जाते हैं और ठीकरा सीबीएसई पर फोड़ते हैं(राष्ट्रीय सहारा,पटना,2.6.11)।

अजमेर में फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई अब डिजिटल

Posted: 02 Jun 2011 02:30 AM PDT

शहर के प्रमुख फैशन डिजाइनिंग शिक्षण संस्थान आईएनआईएफडी के विद्यार्थियों की निर्भरता अब किताबों, पैन, फोल्डर या नोट्स जैसी तमाम चीजों पर नहीं रहेगी। उनके लिए संस्थान ने डिजाइन पैड तैयार किया है, जिसमें वे डिजाइनिंग कर सकेंगे, सिलेबस व ई-बुक्स पढ़ सकेंगे, नोट्स, आदि बना सकेंगे और इन सभी चीजों और अपने काम को शेयर कर सकेंगे।

दबंग और रेडी जैसी हिंदी फिल्मों सलमान खान के ड्रेस डिजाइनर रहे एशले रिबैरो ने बुधवार को इस आईएनआईएफडी डिजाइन पैड का लॉन्च श्रीनगर रोड स्थित होटल दाता-इन में किया। शिक्षण शैली का यह डिजिटलाइजेशन अपने किस्म का नवीन प्रयास है, इस टच पैड को वाई-फाई डिवाइस या यूएसबी मॉडम से कनेक्ट किया जा सकेगा।

इसे विद्यार्थियों को कोर्स के साथ उपलब्ध करवाया जाएगा। इस कार्यक्रम की शुरुआत आईएनआईएफडी सेंटर डायरेक्टर वंदना और बंटी शर्मा द्वारा एशले के स्वागत से हुई। इसके बाद विद्यार्थी दबंग और रेडी जैसी फिल्मों के गानों पर झूमे। वहीं एक ओपन सेशन में रिबैरो ने सभी विद्यार्थियों को फैशन डिजाइनिंग और इसमें कॅरिअर से जुड़ी कई अहम जानकारियां दीं। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि अजमेर से कम उम्र के युवा फैशन डिजाइनिंग को बतौर कॅरिअर बना रहे हैं(दैनिक भास्कर,अजमेर,2.6.11)।

बिहारःफोकानिया व मौलवी में लड़कियों ने मारी बाजी

Posted: 02 Jun 2011 02:18 AM PDT

बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड की फोकानिया (दसवीं) व मौलवी (इंटर) की परीक्षा का परिणाम बुधवार को जारी कर दिया गया। मानव संसाधन विकास मंत्री पीके शाही ने मदरसा बोर्ड की वेबसाइट पर परिणाम जारी किया। एक बार फिर लड़कियों ने ही बाजी मारी। साथ ही फोकानिया और मौलवी की परीक्षा में 47 गैर मुस्लिम छात्र भी सफल हुए। फोकानिया में मधुबनी की नसरा खातून, उमी इमाम, बीबी शमशिमा जबीन संयुक्त रूप से सूबे की अव्वल रहीं, वहीं मौलवी में भी मधुबनी के ही मोहम्मद सलिक टॉपर रहे। फोकानिया की परीक्षा में कुल 110221 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इसमें 102620 छात्र अर्थात कुल 93.10 प्रतिशत छात्र-छात्राएं उतीर्ण हुए। फोकानिया की परीक्षा में कुल परीक्षार्थियों का 60 प्रतिशत लड़कियां और 39 प्रतिशत लड़के शामिल हुए थे। परीक्षा में 91 प्रतिशत लड़के और 94 प्रतिशत लड़कियां सफल रहीं। प्रथम श्रेणी में 75229 (55.77 प्रतिशत), द्वितीय श्रेणी में 45119 (43.97 प्रतिशत) व तृतीय श्रेणी से 272 परीक्षार्थी उतीर्ण हुए। इनमें से 31 विद्यार्थी गैर मुस्लिम हैं। परीक्षा में 2193 विद्यार्थी असफल रहे, जबकि 4422 विद्यार्थी परीक्षा से अनुपस्थित रहे। परीक्षा के दौरान 86 विद्यार्थियों को निष्कासित कर दिया गया था। 809 परीक्षार्थियों का परिणाम लंबित है। मौलवी में 69723 में से 64412 परीक्षार्थी अर्थात 92.38 प्रतिशत विद्यार्थी उतीर्ण हुए। मौलवी की परीक्षा में 57 प्रतिशत लड़कियां और 42 प्रतिशत लड़के शामिल हुए थे। इसमें 91.79 प्रतिशत लड़के, जबकि 92 प्रतिशत लड़कियां अव्वल रहीं। प्रथम श्रेणी में 50351 (72.22 प्रतिशत) व द्वितीय श्रेणी में 14060 (20.17 प्रतिशत) छात्र उत्तीर्ण हुए। एक छात्र तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ। 1848 परीक्षार्थी असफल रहे। 940 छात्र परीक्षा से अनुपस्थित रहे जबकि 95 परीक्षार्थियों को परीक्षा के दौरान निष्कासित कर दिया गया था। 2424 छात्र-छात्राओं का परीक्षाफल अभी लंबित है। परिणाम जारी करने के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्री पीके शाही ने कहा यह अच्छी बात है कि तालीम लेने में लड़कियां आगे हैं। उन्होंने कहा कि मदरसा बोर्ड के भवन के लिए जल्द ही जमीन की व्यवस्था की जायेगी। उन्होंने मदरसा बोर्ड के टॉप तीन छात्र-छात्राओं को अपनी तरफ से सम्मानित करने की भी बात कही(राष्ट्रीय सहारा,पटना,2.6.11)।

लखनऊ विविःपीएचडी के लिए देनी होगी प्रवेश परीक्षा

Posted: 02 Jun 2011 01:10 AM PDT

लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी में प्रवेश के लिए अब विभागों में प्रवेश परीक्षा होगी। लविवि के सात विभागों में सीटों से अधिक आवेदन आने के बाद यह स्थिति बन गई है। जेआरएफ के बीच प्रवेश परीक्षा कराकर ही अब सीटें भरी जाएंगी। उधर, बिना जेआरएफ के भी कई अभ्यर्थियों ने पीएचडी के लिए आवेदन किया है। इन अभ्यर्थियों का दस फीसदी शुल्क काटकर शेष फीस वापस कर दी जाएगी। लविवि में पीएचडी में प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है। शुरुआत में सीटें भरने के लिए जेआरएफ से ही आवेदन मांगे गए थे। कई विभागों में सीटों के सापेक्ष ही आवेदन आए हैं जबकि कई विभागों में सीटों से कई गुना अधिक आवेदन किए गए हैं। बायोकेमिस्ट्री में चार सीटों के सापेक्ष आठ, लोक प्रशासन में सात सीटों के सापेक्ष 13 आवेदन, पत्रकारिता में एक के सापेक्ष चार, राजनीति शास्त्र में 17 सीटों के सापेक्ष 18 आवेदन, लाइब्रेरी साइंस में चार के सापेक्ष छह आवेदन, समाज शास्त्र में छह सीटों के सापेक्ष 17 और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में 14 सीटों के सापेक्ष 31 जेआरएफ ने आवेदन किया है। इन विभागों में पीएचडी में प्रवेश परीक्षा कराई जाएगी। प्रवेश प्रक्रिया 20 जून को पूरी होनी है। जिन विभागों में एक भी जेआरएफ का आवेदन नहीं किया गया है वहां सामान्य से आवेदन बाद में मांगे जाएंगे(दैनिक जागरण,लखनऊ,2.6.11)।

रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयःबदलेगा पीजी पाठ्यक्रम,होंगी भर्तियां

Posted: 02 Jun 2011 12:50 AM PDT

पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का पीजी पाठ्यक्रम इस साल से बदलेगा। एक साल के पाठ्यक्रम को दो भागों में बांटा जाएगा। इसी के अनुसार प्रश्न पत्र सेट होंगे और परीक्षा के बाद परिणाम घोषित किए जाएंगे।

पाठ्यक्रम की रूपरेखा तय करने के लिए बुधवार को स्थायी समिति की बैठक हुई। इसमें पीजी कक्षा के चारो सेमेस्टर के पाठ्यक्रम तय करने, दो साल के पाठ्यक्रम को चार भाग में बांटने, विज्ञान और प्रायोगिक विषयों वाले कोर्स के लिए सैद्धांतिक और प्रायोगिक के हिस्से तय करने पर विचार किया गया।

साथ ही सैद्धांतिक और प्रायोगिक की परीक्षा, उसके अंकों के निर्धारण पर भी विचार किया गया। सत्र शुरू होने के पहले इसका प्रास्पेक्टस तैयार कर विभागों में उसका वितरण किया जाएगा। बैठक में रविवि के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए चयन समिति गठित कर उसका अनुमोदन किया गया।

बैठक में तीन कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में वृद्धि और करीब एक दर्जन कॉलेजों में नए पाठ्यक्रमों की संबद्घता पर मुहर लगाई गई। इस पर अंतिम फैसला चार जून को होने वाली कार्यपरिषद की बैठक में लिया जाएगा।

प्रशासनिक पद भी हैं रिक्त :


रविवि में गैर शैक्षणिक पद भी रिक्त हैं। इनमें उप कुलसचिव के 4, सहायक कुलसचिव के 6, जनसंपर्क अधिकारी का 1, पंजीयक का 1, लेखा अधिकारी 1 और तृतीय वर्ग 93 पद रिक्त हैं। इन पर नियुक्तियों की जिम्मेदारी उच्च शिक्षा विभाग की है।
जल्द होंगी रिक्त पदों पर नियुक्तियां 

विवि के विभिन्न विभागों में प्रोफेसर के 11, रीडर के 20 और व्याख्याता के 19 पद खाली हैं। इस पर बहुत जल्द नियुक्ति होने की संभावना है। स्थायी समिति में इसके चयन समिति का गठन किया गया। उम्मीदवारों के दबाव से बचने के लिए समिति सदस्यों के नाम गोपनीय रखे गए हैं। 

बैठक के फैसले 

-तीन कालेजों को मान्यता

-सत्र 2011-12 के पाठ्यक्रम को मान्यता

-शैक्षणिक पदों की नियुक्ति के लिए चयन समिति गठित

"बैठक में विभिन्न मसलों पर विचार किया गया। नए सत्र के लिए कॉलेजों और पाठ्यक्रमों को मान्यता दी गई। चयन समिति के गठन के साथ ही नए पाठ्यक्रम पर विचार किया गया। "

केके चंद्राकर, कुलसचिव, रविवि(दैनिक भास्कर,रायपुर,2.6.11)

राजस्थानःग्रेड सेकंड शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित

Posted: 02 Jun 2011 12:30 AM PDT

राजस्थान लोक सेवा आयोग ने ग्रेड सेकंड शिक्षकों के 10 हजार से अधिक पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं। आवेदन ऑनलाइन जमा किए जाएंगे और 30 जून अंतिम तिथि रखी गई है।


आयोग सचिव डॉ. केके पाठक के मुताबिक माध्यमिक शिक्षा विभाग के 10 हजार 117 पदों पर भर्ती की जानी है। इसके लिए विज्ञप्ति डीपीआर को भिजवा दी गई है। उन्होंने बताया कि ग्रेड सेकंड शिक्षक भर्ती के लिए अभ्यर्थियों से आन लाइन आवेदन मांगे गए हैं। 30 जून तक आवेदन किए जा सकेंगे। आयोग ने अपने अधिकांश कार्यों का कम्प्यूटरीकरण कर दिया है, इसीलिए आवेदन भी ऑनलाइन आमंत्रित किए जा रहे हैं।
लाखों आवेदन की संभावना: दूसरी ओर आयोग सूत्रों का कहना है कि ग्रेड सेकंड शिक्षक भर्ती परीक्षा का प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवा इंतजार कर रहे हैं। आयोग का अनुमान है कि लाखों आवेदन आएंगे(दैनिक भास्कर,अजमेर,2.6.11)।

उत्तराखंडः11 भाषाविदों के निर्देशन में होगा भाषा सर्वेक्षण

Posted: 02 Jun 2011 12:10 AM PDT

प्रदेश का भाषा संस्थान ब्रिटिश काल के बाद पहली बार उत्तराखंड की भाषा बोलियों के सव्रेक्षण की विस्तृत योजना बना रहा है। इस योजना के तहत तमाम भाषा बोलियों के नमूनों और उनसे जुड़े आंकड़ों का वैज्ञानिक विधियों से संग्रह किया जाएगा। उत्तराखंड के जाने-माने भाषाविद उनका विश्लेषण करेंगे। उत्तराखंड का भाषा एटलस भी तैयार किया जाएगा। 1898 में लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया के सुपरिटेंडेंट जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने उत्तराखंड समेत देश की सभी भाषा बोलियों का सर्वेक्षण कराया था। इसके बाद उत्तराखंड में कोई व्यापक भाषा सर्वेक्षण नहीं हुआ। उत्तराखंड की भाषा-बोलियां हिंदी- अंग्रेजी के वर्चस्व, असंतुलित विकास, पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन, विकास परियोजनाओं की वजह से विस्थापन व बढ़ते शहरीकरण की मार झेल रहीं हैं। 2008 में जारी यूनेस्को के एटलस ऑफ द वल्र्डस लैंग्यूएजेज इन डेंजर के मुताबिक उत्तराखंड की गढ़वाली-कुमाऊंनी समेत उत्तराखंड की दस बोलियां खतरे में हैं। पिथौरागढ़ जिले में बोली जाने वाली रंग्कस और तोल्चा बोलियां विलुप्त हो चुकी हैं। पिथौरागढ़ की ही दारमा और ब्यांसी, उत्तरकाशी की जाड और देहरादून की जौनसारी बोलियों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उत्तरकाशी के बंगाण क्षेत्र की बंगाणी बोली भी विलुप्ति के कगार पर है। यूनेस्को के मुताबिक विश्व में 200 भाषाएं पिछली तीन पीढ़ियों के साथ विलुप्त हो गई। पिथौरागढ़ की राजी बोली को हालांकि यूनेस्को ने पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों की राजी जनजाति की बोली को एटलस मे शामिल नहीं किया मगर यह भाषा भी विलुप्ति की कगार पर है। 2001 की जनगणना के मुताबिक उत्तराखंड में राजी या वनरावत जनजाति के महज 517 लोग ही बचे हैं। उत्तराखंड भाषा संस्थान की निदेशक डॉ. सविता मोहन का कहना है कि भाषा सव्रेक्षण परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है। सव्रेक्षण में उत्तराखंड की विभिन्न भाषा बोलियों के विविध रूपों, ध्वनि, सुर, शब्द समूह, वाक्य- गठन, रूप रचना आदि में परिवर्तन की दिशा आदि का अध्ययन किया जाएगा। इसके लिए सव्रेक्षण भी नियुक्त किए जाएंगे जो क्षेत्र में भ्रमण कर आम जनता व भाषा के जानकारों से भाषा बोलियों के नमूने एकत्र करेंगे। योजना समय पर पूरी हो इसके लिए इसकी समय सीमा भी नौ महीने रखी गई है। सर्वेक्षण उत्तराखंड की भाषा बोलियों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
उत्तराखंड भाषा संस्थान ने भाषा सर्वेक्षण परियोजना के लिए प्रदेश के जाने-माने 11 वरिष्ठ विद्वानों की शोध परियोजना समिति भी तैयार कर ली है। इस समिति में पद्मश्री डॉ. डीडी शर्मा, डॉ. शोभा राम शर्मा, शेर सिंह पांगती, पद्मश्री डॉ. शेखर पाठक, रतन सिंह जौनसारी, डॉ. शेर सिंह बिष्ट, डॉ. भवानी दत्त कांडपाल, डॉ. कमला पंत, महावीर रंवाल्टा, डॉ. सुरेश चंद्र और सुरेंद्र पुंडीर को शामिल किया गया है। इन भाषा वैज्ञानिकों, भाषाविदों और विषय विशेषज्ञों के निर्देशन में ही भाषा सर्वेक्षण संपन्न होगा। इसी चार जून को हल्द्वानी में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय परिसर में ये विद्वान योजना के प्रारूप पर गंभीर-विचार विमर्श करेंगे(अरविंद शेखर,राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,2.6.11)।

डीयू: ओपन सेशन के अंतिम दिन सवालों की लगी झड़ी

Posted: 01 Jun 2011 11:50 PM PDT

परेशानी आवेदन प्रक्रिया के बदले नियमों की हो या फिर बेस्ट फोर के फंडों की, डीयू में दाखिले से जुड़ी हर उलझनों को पलभर में दूर करने के लिए डीयू साउथ कैम्पस में चल रहे सेंट्रलाइज्ड ओपन डेज सेशंस में छात्रांे ने सवालों की झड़ी लगा दी।

बुधवार को साउथ कैम्पस में सेशन का अंतिम दिन था। इस अवसर पर एसपी जैन सेंटर में चले सेशन में सबसे ज्यादा सवाल कोर्स और कॉलेजों के चुनाव को लेकर पूछे गए।

सेशन में किए गए सवालों में सोशियोलॉजी ऑनर्स क्या है, गैप ईयर के बाद दाखिले की क्या संभावनाएं हैं, साइंस और अप्लाइड साइंस में क्या अंतर है, इकॉनॉमिक्स ऑनर्स और बीबीई-बीबीएस-बीएफआईए में कौन सा कोर्स बेहतर है, बीएससी कंप्यूटर साइंस के बाद करियर की क्या संभावनाएं हैं, बीएड और बीएलएड में क्या फर्क है जैसे प्रश्न शामिल रहे।

तीन दिनों तक चले साउथ कैम्पस ओपन डेज सेशन में करीब तीन हजार छात्र-छात्राओं ने यहां के दाखिला प्रक्रिया के विषय पूरी जानकारी ली। साउथ कैम्पस में आयोजित इस सेशन के अंतिम दिन करीब 600 छात्रों ने सेशन में हिस्सा लिया। गुरुवार से ओपन डेज सेशन फिर से नॉर्थ कैम्पस में आयोजित किया जाएगा और अंतिम सेशन भी नॉर्थ कैम्पस में ही होंगे।


डीयू साउथ कैम्पस के डिप्टी डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. दिनेश चंद्र वाष्र्णेय ने बताया कि आखिरी दिन के सेशन में डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. जेएम खुराना, डिप्टी डीन डा. गुलशन साहनी और डा. गुरप्रीत सिंह टुटेजा छात्रों के सवालों के जवाब देने के लिए यहां उपस्थित हुए। 
प्रो. वाष्ण्रेय ने बताया कि दक्षिण परिसर के हेल्पलाइन पर भी बड़ी संख्या में छात्रों के सवाल आ रहे हैं, जिनका जवाब स्टूडेंट काउंसलर्स लगातार दे रहे हैं। 

वहीं, डिप्टी डीन स्टूडेंट वेलफेयर डा. गुरप्रीत सिंह टुटेजा ने बताया कि साउथ कैम्पस में सफल आयोजन के बाद ओपन डेज सेशन गुरुवार से वापस नॉथ कैम्पस स्थित कॉन्फ्रेंस सेंटर में दो जून से आठ जून तक चलेगा। तीन जून से डीयू की वेब चैट सुविधा भी शुरू कर दी जाएगी।


डीयू ओपन लर्निंग दाखिले के लिए पहले दिन उमड़े छात्र
नई दिल्ली.डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निग (एसओएल) से ग्रेजुएशन करने के चाह रखने वाले छात्रों के लिए बुधवार से दाखिले की खिड़की खोल दी गई। 

दाखिला प्रक्रिया के पहले दिन ही एसओएल कार्यालय में फॉर्म के लिए छात्र-छात्राओं की भीड़ देखने को मिली। वहीं, बुधवार से एसओएल के एमए इतिहास कोर्स के लिए आवेदन प्रक्रिया प्रारंभ हो गई। इसके अलावा एसओएल ने अपने यहां चलाए जा रहे अंडर ग्रेजुएट स्तर के पांच कोर्सों के लिए भी बुधवार से दाखिला प्रक्रिया शुरू कर दिया है।

एसओएल प्रशासन के मुताबिक सत्र 2011 की दाखिला प्रक्रिया का पहला दिन शांतिपूर्ण रहा। एसओएल के कार्यकारी निदेशक प्रो. एचसी पोखरियाल ने बताया कि उनके यहां अंडर ग्रेजुएट स्तर पर कुल पांच कोर्स उपलब्ध हैं जिनमें बीए प्रोग्राम, बीकॉम, बीए ऑनर्स इंग्लिश, बीए ऑनर्स पॉलिटिकल साइंस और बीकॉम ऑनर्स शामिल हैं। 

इन सभी कोर्सो के लिए दाखिला प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो गई। इनमें दाखिले के लिए बुधवार को एसओएल कैंपस में छात्र-छात्राओं की भारी भीड़ देखने को मिली। कई छात्र यहां इन कोर्स के संबंध में जानकारी जुटाते भी दिखाई दिए। दाखिला प्रक्रिया के पहले दिन ३क् से 35 छात्रों ने ऑन स्पॉट दाखिला लिया। 

जबकि पहले दिन होने के बावजूद फॉर्म खरीदने वाले छात्रों



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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