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Wednesday, July 13, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/13
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


अब अपनी भाषाओं में दे सकेंगे आईएएस का इंटरव्यू

Posted: 12 Jul 2011 11:25 AM PDT

संघ लोक सेवा आयोग [यूपीएससी] ने फैसला किया है कि जो उम्मीदवार सिविल सेवा की लिखित परीक्षा के लिए माध्यम के रूप में हिन्दी के अलावा किसी अन्य भारतीय भाषा का चुनाव करते हैं, वे अब उसी भारतीय भाषा तथा अंग्रेजी या हिन्दी में साक्षात्कार भी दे सकेंगे।

यूपीएससी ने बम्बई उच्च न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुरूप मुख्य परीक्षा अंग्रेजी में देने वाले उम्मीदवार भी अंग्रेजी, हिन्दी या उसी भारतीय भाषा में साक्षात्कार दे सकेंगे जो उन्होंने परीक्षा के लिखित भाग में आवश्यक भारतीय भाषा के पेपर के लिए चुनी होगी।
यह हलफनामा आईएएस की परीक्षा देने वाले चितरंजन कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका के जवाब में दाखिल किया गया। उन्होंने इस मौजूदा नियम को चुनौती दी थी कि यदि किसी उम्मीदवार ने मुख्य परीक्षा अंग्रेजी में दी है तो वह साक्षात्कार भी उसी भाषा में देगा। वर्ष 2008 की सिविल सेवा परीक्षा के लिखित भाग के लिए अंग्रेजी चुनने वाले कुमार साक्षात्कार हिन्दी में देना चाहते थे।

हलफनामे में कहा गया कि मुद्दे पर विचार के लिए खास तौर पर गठित विशेष समिति ने ये सिफारिशें की हैं। अदालत को बताया गया कि सिफारिशों को यूपीएससी ने स्वीकार कर लिया और इन्हें इस आग्रह के साथ सरकार को भेज दिया गया कि इन पर टिप्पणी और राय भेजी जाए। सरकार का मत जानने के बाद यूपीएससी आवश्यक परिवर्तन करेगा और उन्हें कार्यान्वित करेगा।

वर्तमान नीति के अनुसार जिन उम्मीदवारों को आवश्यक भारतीय भाषा के पेपर से छूट मिलती है वे केवल अंग्रेजी या हिन्दी में ही साक्षात्कार दे सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और न्यायमूर्ति जीएस गोडबोले ने याचिका का निपटारा कर दिया। इससे पूर्व बम्बई उच्च न्यायालय ने यूपीएससी द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति को नियम की समीक्षा करने और 23 जून तक रिपोर्ट पेश करने की मंजूरी दी थी।


जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि यदि मौजूदा नियम को बदल दिया जाता है तो सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के समय अपनी भाषा में बोलने का मौका मिल जाएगा जिसमें वे खुद को सहज महसूस करते हैं। इस तरह वे मौखिक परीक्षा में अधिक अंक अर्जित कर पाएंगे। याचिका में कहा गया कि इस तरह जमीन से जुड़े विद्यार्थी उच्च रैंक हासिल कर अधिक सीटें ले पाएंगे और सिविल सेवा में संभ्रांत वर्ग के विद्यार्थियों के जाने की परंपरा को तोड़ेंगे।


जनहित याचिका में कहा गया कि जिस नियम पर सवाल उठ रहे हैं वे अमीर समर्थक और गरीब विरोधी है। इसमें तर्क दिया गया कि साक्षात्कार लेने वालों को चाहिए कि वे किसी उम्मीदवार को उसके व्यक्तित्व के आधार पर परखें, न कि इस आधार पर कि वह अंग्रेजी बोल सकता है या नहीं। याचिका में कहा गया कि मौजूदा नियम संविधान के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और साथ ही यह राष्ट्र की जन नीति के खिलाफ भी है(लाईवहिंदुस्तान डॉटकॉम,12.7.11)।

हरियाणा लोक सेवा आयोग सिविल जज (जूनियर) भर्ती 2011

Posted: 12 Jul 2011 11:20 AM PDT

हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) सिविल जज (जूनियर) बनने का मौका दे रही है। एक सौ आठ रिक्तियों के लिए आवेदन करने वाले इच्छुक उम्मीदवारों के पास किसी भी मान्यता प्राप्त विविद्यालय से एलएलबी की डिग्री होनी आवश्य है। डिग्री बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त होनी चाहिए। चयन प्रक्रिया आवेदन स्वीकार होने के बाद चयन प्रक्रिया तीन स्तर की प्रतियोगिता के माध्यम से होगी- प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार। साक्षात्कार में सफल होने पर उम्मीदवार को हरियाणा न्यायिक सेवा के तहत (न्यायिक) डय़ूटी दी जाएगी। 
पहला चरण : 
प्रारंभिक परीक्षा प्रारंभिक परीक्षा 500 अंकों की है। इसमें 125 बहुवैकल्पिक प्रश्न होंगे। प्रत्येक प्रश्न का निर्धारित अंक चार है। इसे हल करने के लिए दो घंटे का समय दिया जाएगा। प्रश्न हल करते वक्त यह ध्यान रखें कि प्रत्येक गलत उत्तर पर प्राप्तांक में से एक अंक काट लिया जाएगा। प्रारंभिक परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रत्येक वर्ग के उम्मीदवारों की मेधावी सूची बनाई जाएगी। रिक्त पदों की कुल संख्या के दस गुने उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए चयन किया जाएगा। सफल उम्मीदवारों को दोबारा फॉर्म भरने होंगे, फार्म एचपीएससी से मुफ्त मिलेंगे। 

दूसरा चरण :
मुख्य परीक्षा मुख्य परीक्षा में पांच प्रश्नपत्र होंगे। इसमें दो पेपर सिविल लॉ, एक क्रिमिनल लॉ और एक अंग्रेजी तथा हिंदी के होंगे। सभी के प्रश्न सब्जेक्टिव/नरेटिव टाइप होंगे। पहला प्रश्नपत्र सिविल लॉ प्रथम : इसके तहत कोड ऑफ सिविल प्रोसेजर, कॉन्ट्रेक्ट एक्ट, पार्टनरशिप एक्ट, सेल्स ऑफ गुड्स एक्ट, इंडियन एविडेंस एक्ट, स्पेशल रिलीफ एक्ट और पंजाब कोर्ट एक्ट संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे। दूसरा प्रश्न पत्र सिविल लॉ सेकेंड : इसके तहत हिंदू लॉ, मुस्लिम लॉ, लॉ और रजिस्ट्रेशन, लिमिटेशन एक्ट संबंधी प्रश्न होंगे। तीसरा प्रश्न क्रिमिनल लॉ : इसके अंतर्गत इंडियन पैनल कोड, क्रिमिनल प्रोसेजर कोड और इंडियन एविडेंस एक्ट संबंधी प्रश्न होंगे। चौथा प्रश्न पत्र अंग्रेजी (निबंध/लेख) : इस प्रश्नपत्र में तीन टॉपिक दिए जाएंगे। तीन में से किसी एक टॉपिक पर लेख/निबंध लिखना है। पांचवा प्रश्न पत्र हिंदी (भाषा) : इसके तहत हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के पाठय़क्रम के अनुरूप प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके तहत अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद, लोकोक्ति, कहावत -मुहावरे और उसका उपयोग, हिंदी व्याकरण, पर्यायवाची शब्द आदि प्रश्नों का समावेश होगा। मुख्य परीक्षा में भी प्राप्त अंकों के आधार पर मेधावी सूची बनाई जाएगी और रिक्त पदों की कुल संख्या के तीन गुने उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। 

तीसरा चरण : 
इंटरव्यू/फाइनल सेलेक्शन इंटरव्यू के बाद कैटेगरी वाइज मेधावी सूची बनाई जाएगी और रिक्त पदों की संख्या के अनुसार मेधावी उम्मीदवारों का चयन कर लिया जाएगा। रणनीति सफल होने के लिए उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा और प्रारंभिक परीक्षा दोनों की एक साथ तैयारी करनी होगी। दोनोें परीक्षाओं का सिलेबस लॉ संबंधी लगभग समान है। हिंदी और अंग्रेजी विषय की तैयारी प्राथमिक परीक्षा के बाद करना चाहिए, क्योंकि इससे संबंधित प्रश्न सामान्यत: मुख्य परीक्षा में ही पूछे जाएंगे। प्रारंभिक परीक्षा बहुवैकल्पिक होगी, लेकिन निगेटिव मार्किग होने के कारण प्रश्नों के उत्तर देने में थोड़ी सावधानी बरतनी पड़ेगी। हरियाणा प्रदेश के इतिहास, राजनीति, भौगोलिक तथ्यों से जुड़े प्रश्नों को ध्यान में रखना जरूरी है। एलएलबी के सिलेबस को फिर से दोहराने की जरूरत है विशेषकर सिविल और क्रिमिनल लॉ। प्रतियोगिता की तैयारी करते समय हमेशा बेयर एक्ट की पुस्तक साथ रखना चाहिए, यह रिफरेंस बुक है। जो पढ़ाई के वक्त काफी मददगार साबित होगी। समय-समय पर उसे देखते भी रहना चाहिए। समसामयिक घटनाओं की जानकारी, कोर्ट के नए फैसले संबंधी तथ्यों को अपडेट रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र के अलावा प्रतियोगिता पत्रिकाओं की नियमित पढ़ाई जरूरी है। महत्वपूर्ण तथ्यों को नोट करने के लिए हमेशा अपने साथ नोट बुक रखनी चाहिए ताकि जरूरत के वक्त नोट किया जा सके और नोट किए तथ्यों को रोजाना देखना चाहिए। हिंदी के प्रश्नपत्र में दसवीं स्तर के प्रश्नपत्र होंगे। इसमें लोकोक्ति, कहावत, मुहावरे, पर्यायवाची शब्द, समानार्थक शब्द आदि के लिए व्याकरण पढ़ना जरूरी है। निर्धारित समय में सीमित शब्दों में किसी टॉपिक पर लेख लिखना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसके लिए अभ्यास की जरूरत है। (दीपक राजा,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,12.7.11)

विकलांग बच्चों के लिए अध्यापक नियुक्त न करने के मामले में यूपीएससी और डीएसएसबी को नोटिस

Posted: 12 Jul 2011 11:10 AM PDT

सरकारी स्कूलों में विकलांग बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष अध्यापकों की नियुक्ति न करने के पर हाईकोर्ट ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) व दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड(डीएसएसबी) को नोटिस जारी कर 10 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। पीठ ने मामले की सुवाई करते हुए एमसीडी ,एनडीएमसी,दिल्ली सरकार व अन्य पक्षकारों से एक माह के अंदर इस बाबत स्थिति रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है। इस मामले में सोशल ज्यूरिस्ट संस्था की ओर से इसी मुतल्लिक अदालत के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि उसका पालन नहीं किया गया है। न्यायमूर्ति इंद्रमीत कौर की पीठ के समक्ष सोशल ज्यूरिस्ट संस्था के सलाहकार एडवोकेट अशोक अग्रवाल की ओ से कहा गया कि राजधानी के स्कूलों में विकलांग बच्चों को पढ़ाने के लिए हर स्कूल में कम से कम दो विशेष अध्यापकों की नियुक्ति करने की बात अदालत ने कही थी,लेकिन इस बाबत दिल्ली सरकार व एमसीडी ने आदेश का पालन नहीं किया। इस पर एमसीडी की ओर से कहा गया कि टीचरों की नियुक्ति के लिए एक प्रस्ताव तैयार करने के बाद यूपीएससी को भेज दिया गया था परंतु अभी तकउसकी स्वीकृति के बाबत कोई जवाब नहीं आया है। गौरतलब है कि इससे पहले मुख्य न्यायाधीश के समक्ष दायर जनहित याचिका में पीठ ने दिल्ली सरकार,एमसीडी व एनडीएमसी को कहा था कि विकलागं बच्चों के लिए स्पेशल टीचर्स की नियुक्ति की जाए। उक्त जनहित याचिका में कहा गया था कि विकलांग बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत शिक्षा पाने का हक है अत: तीन हजार सरकारी स्कूलों में स्पेशल टीचर्स की नियुक्ति करने का आदेश दिया जाए(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,12.7.11)।

यूपीःकिताब के साथ कॉपियां खरीदने को मज़बूर कर रहे दुकानदार

Posted: 12 Jul 2011 11:00 AM PDT

यूपी बोर्ड से नौवीं और दसवीं की पढ़ाई कर रहे अभिषेक और अक्षय जैसे सैकड़ों छात्र किताबों के लिए भटक रहे हैं। साथ ही उनके अभिभावक भी सत्र शुरू होने के दस दिन बाद भी किताबें नहीं मिलने से परेशान है। बताया जा रहा है राजधानी के बाजारों में मांग के अनुरूप किताबें उपलब्ध नहीं है। हालांकि हकीकत इससे ठीक उलट है। सच तो यह है कि बाजार में किताबें तो हैं लेकिन कमीशन के चक्कर में बेचा नहीं जा रहा है। ऐसे में कुछ दुकानदारों ने किताबों के साथ स्टेशनरी खरीदने की अनिवार्यता तय कर रखी है, तो कई ने बिना रजिस्टर के किताबें बेचना ही बंद कर दिया। कुल मिलाकर बाजार में किताबें उपलब्ध होने के बावजूद बच्चे किताबें नहीं खरीद पा रहे हैं, क्योंकि 200 रुपये तक की किताबों का मूल्य स्टेशनरी सहित 600 से 700 रुपये जा पहुंचता है। सूत्रों का कहना है कि शासन ने यूपी बोर्ड की सभी किताबों का मूल्य निर्धारित कर रखा है। इनपर दुकानदारों का एक से दो प्रतिशत कमीशन तय है। पर और कमीशन के चक्कर में विक्रेता बच्चों को किताबों के साथ स्टेशनरी व दूसरी चीजों खरीदने पर दबाव डाल रहे हैं। यूपी बोर्ड नौवीं और दसवीं की सरकारी किताबों को छापने की जिम्मेदारी निजी पब्लिकेशन हाऊस को सौंपी हुई है। इलाहाबाद का राजीव प्रकाशन विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित की किताबें छाप रहा है। मेरठ का नगीन पब्लिकेशन विज्ञान की। रवि ऑपरेट प्रकाशन और मुद्रण महल गणित, विवेक बुक डिपो और पुष्पराज प्रिंटिंग प्रेस हिन्दी, पाइनियर प्रिंर्ट्स प्रेस हिंदी और जनरल ऑफसेट प्रिंटिंग प्रेस संस्कृत की किताबें छाप रहे हैं। इन सबकी किताबों का मूल्य शासन द्वारा किया जाता है। कक्षा नौवीं की पांचों किताबें खरीदने में बच्चों को 185 से 200 रुपये तक का खर्च आता है। नौवीं और दसवीं कक्षा की किताबों का खर्च लगभग समान ही है। लेकिन पुस्तक विक्रेताओं के मनमाने रवैया के चलते यह खर्च 600 से 700 रुपये का आंकड़ा पार कर रहा है। नौवीं और दसवीं की एक-दो किताबें फुटकर बाजार में नहीं मिल रही है। इंदिरा नगर निवासी नौवीं कक्षा के छात्र आलोक कुमार बताते हैं कि भुतनाथ इलाके में एक-दो दुकानदारों को छोड़कर कोई भी एक-दो विषयों की किताबें नहीं दे पा रहा। वो बताते हैं कि गणित और विज्ञान की किताब खरीदने शहादतगंज स्थित एक बुक शॉप पर गए थे। दो किताबें देने से विक्रेता ने साफ इनकार कर दिया। उसने सभी किताबें खरीदने की शर्त रखी। एमडी शुक्ला इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य एचएन उपाध्याय कहते हैं कि किताबें मिल ही नहीं पा रही हैं। ऐसे में सत्र शुरू होने के बावजूद अभी तक पढ़ाई की शुरुआत नहीं हो पाई है। 

उधर,अमीनाबाद के छोटे व्यापारियों ने यूपी बोर्ड की किताबें बेचने से किनार कस लिया है। जानकार इसे किताबों पर कम लाभ प्रतिशत को जिम्मेदार मानते हैं। अमीनाबाद के ही एक कारोबारी कमल राजपूत बताते हैं कि बीते साल यूपी बोर्ड की किताबों की बिक्री पर नुकसान हुआ था। लाभ कमाना तो दूर लोगों के लिए लागत भी निकल पाना मुश्किल हो गया था। वहीं, एक और पुस्तक विक्रेता रवि त्रिपाठी ने बताया कि सरकारी किताबों पर कुल लाभ एक से दो प्रतिशत ही मिलता है, जिससे किताबों को लाने-ले जाने का खर्च ही पूरा कर पाना मुश्किल है। इसके चलते छोटे कारोबारियों ने यूपी बोर्ड की किताबों से तौबा कर ली है। वहीं, जो बेच रहे हैं उन्होंने किताबों पर छूट देना बंद कर दिया है(अमर उजाला,लखनऊ,12.7.11)।

डीयूःओबीसी सीटें भरे जाने तक एडमीशन जारी रखने की मांग

Posted: 12 Jul 2011 10:50 AM PDT

दिल्ली विविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों में जारी दाखिला प्रक्रिया में ओबीसी की सभी सीटें भरे जाने तक दाखिला जारी रखे जाने की मांग को लेकर सोमवार को विवि कैम्पस में विद्यार्थियों ने प्रदर्शन किया। एकेडमिक्स फोरम फॉर सोशल जस्टिस के अध्यक्ष केदार कुमार मंडल व सचिव हनी बाबू के नेतृत्व में विद्यार्थीयों ने कुलपति कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन कर अपनी मांगें उठाई। वक्ताओं ने कहा कि पिछले तीन सालों से डीयू द्वारा ओबीसी की खाली सीटों को सामान्य वर्ग में परिवर्तित कर दिया जाता है। जिससे ओबीसी विद्यार्थियों को फायदा नहीं मिल पाता है। पिछले साल भी ओबीसी की 3901 सीटें खाली रह गई थीं। कॉलेज ओबीसी छात्रों को दाखिलों में 10 प्रतिशत की पूरी छूट नहीं दे रहे हैं। मंडल ने कहा कि ओबीसी वर्ग के बहुत से विद्यार्थी, जो कट ऑफ में सामान्य श्रेणी के बराबर कट ऑफ के थे, उन्हें सामान्य श्रेणी के तहत दाखिला देने से मना कर दिया। हनी बाबू ने कहा कि ओबीसी विद्यार्थियों कट ऑफ में न्यूनतम योग्यता प्रतिशत पर छूट दी जानी चाहिए, न कि कट ऑफ के आधार पर(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,12.7.11)।

चंडीगढ़ःपहले ही दिन कालेजों में सीटें हुईं फुल

Posted: 12 Jul 2011 10:40 AM PDT

शहर के सरकारी और प्राइवेट कालेजों में सोमवार से दाखिले का दौर शुरू हो गया है। पहले ही दिन दाखिले के लिए जबर्दस्त मारामारी रही। प्राइवेट ही नहीं सरकारी कालेजों में भी पसंद के संकाय में सिर्फ मेरिट वालों को ही दाखिला मिल सका। बीए में जहां पहले दिन 60 फीसदी से अधिक अंक हासिल करने वाले छात्रों को ही दाखिला दिया गया, वहीं साइंस और अन्य प्रोफेशनल कोर्स में पहले ही दिन लगभग सभी सीटें भर गई हैं। मंगलवार को दाखिले का दौर जारी रहेगा। जिन कालेजों में बीए की कुछ सीटें खाली रह गई हैं, वहां मंगलवार को दाखिला दिया जाएगा। उधर, दाखिले के साथ हॉस्टल मेरिट लिस्ट ने भी छात्रों और अभिभावकों के खूब पसीने छुड़वाए। सेक्टर-11 स्थित जीसीजी, जीसी-11,डीएवी कालेज और सेक्टर-36 स्थित एमसीएम कालेज में दाखिले के लिए सबसे अधिक भीड़ रही।
पीजीजीसी-11 के प्रिंसिपल डा.जेएस रघू ने बताया कि पहले दिन बीए में सिर्फ 60 फीसदी से अधिक अंक वालों को दाखिला दिया गया है, जबकि अन्य कोर्स में भी आधे से अधिक सीटें भर चुकी हैं। गवर्नमेंट कालेज ऑफ कामर्स एंड बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (गवर्नमेंट कामर्स कालेज-42) प्रिंसिपल मनजीत कौर ने बताया कि बीबीए की सभी सीटें भर चुकी हैं। यूटी कैटेगरी में कट ऑफ 66.4 और जनरल कैटेगरी में कट ऑफ 77.6 फीसदी रहा। सेक्टर-11 स्थित जीसीजी में 60 फीसदी से अधिक बीए की 400 सीटें पहले ही दिन भर गईं। साथ ही एमससी इन केमिस्ट्री, एमएससी जोलॉजी और बीएससी बॉटनी की सभी सीटें भर चुकी हैं। सेक्टर-10 स्थित डीएवी कालेज प्रिंसिपल डा.बीसी जोसन ने बताया कि पहले दिन 600 सीटों पर दाखिला हुआ है। बीबीए की 120 में से 100, एमबीए की 30 में से 26 और एमकॉम की जनरल पूल की सीटें पहले ही दिन भर चुकी हैं। जीसीजी-42 प्रिंसिपल मनी बेदी ने बताया कि सभी संकायों के लिए छात्राओं ने जबर्दस्त रिस्पांस दिखाया है। पहले ही दिन बीए की 230 सीटें भर गईं। बीए में कट ऑफ 89.8 फीसदी रहा है, जबकि बीएससी बायोटेक की 21,बीएससी कंप्यूटर साइंस की 16, बीएससी मेडिकल की 13, एमए अंग्रेजी की 21 और बीकॉम की 115 सीटें भर चुकी हैं। एमसीएम डीएवी कालेज फॉर वूमेन सेक्टर-36 में भी पहले ही दिन अधिकतर कोर्स की सीटें भर गईं। प्रिंसिपल डा.पुनीत बेदी के अनुसार बीसीए में कट ऑफ 75 फीसदी, बीकॉम जनरल पूल में 94, यूटी पूल में 93, बीए फंक्शनल में 75 फीसदी रहा है। अन्य कोर्स में भी कट ऑफ 70 फीसदी से अधिक रही है। सेक्टर-26 स्थित गुरु गोबिंद सिंह कालेज के प्रिंसिपल एचएस सोही ने बताया कि एमएससी बायोटेक की सभी 15 सीटें पहले ही दिन भर गईं हैं। जबकि अन्य संकायों के लिए मंगलवार को भी काउंसिलिंग जारी रहेगी(अमर उजाला,चंडीगढ़,12.7.11)।

पंजाब यूनिवर्सिटीःदाखिले के लिए रही मारामारी

Posted: 12 Jul 2011 10:30 AM PDT

चंडीगढ़ के कालेजों के साथ सोमवार से पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) के कई विभागों में भी दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गई। कई विभागों में सोमवार को दाखिले के लिए इंटरव्यू लिए गए। कुछ विभागों में मंगलवार को इंटरव्यू होंगे। इंटरव्यू के बाद विभागों की ओर से इस सप्ताह के अंत तक उन छात्रों की सूची जारी कर दी जाएगी जिन्हें दाखिला दिया गया है। पीयू में सोमवार को सबसे ज्यादा भीड़ विधि विभाग में रही। इस विभाग में एलएलबी के पहले सेमेस्टर में दाखिले के लिए सोमवार से काउंसिलिंग शुरू हुई। एलएलबी में दाखिले के लिए सबसे ज्यादा मारामारी थी।
अधिकतर छात्र नेता भी विधि विभाग के बाहर ही डटे रहे। विभिन्न छात्र संगठनों के नेता काउंसिलिंग के लिए पहुंचे छात्रों की मदद करते रहे। यही वजह थी कि विधि विभाग के बाहर पुलिस का भी कड़ा पहरा रहा।

पीयू के बॉटनी विभाग में एमएससी में दाखिले के लिए सोमवार को इंटरव्यू हुआ। सेंटर फॉर पब्लिक हेल्थ में दाखिले के लिए सोमवार को दाखिले के लिए परीक्षा हुई। हिंदी विभाग में एमए के पहले सेमेस्टर में दाखिले के लिए सोमवार को इंटरव्यू हुए। पीयू के ईवनिंग स्टडीज विभाग में भी विभिन्न कोर्सों में दाखिले की प्रक्रिया सोमवार शाम से शुरू हुई। यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलाजी एंड वोकेशनल डेवलपमेंट में बीएससी (फैशन डिजाइनिंग एंड लाइफ टेक्नोलाजी) कोर्स में दाखिले के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट लिया जाएगा। मंगलवार को पीयू के दर्शनशास्त्र विभाग में एमए में दाखिले के लिए इंटरव्यू होगा। 
एमए (ह्यूमन राइट्स) में भी दाखिले के लिए इंटरव्यू मंगलवार को होगा। लोक प्रशासन विभाग में एमए में दाखिले के लिए भी मंगलवार को इंटरव्यू होगा। पंजाब विश्वविद्यालय ने जन संचार विभाग में एमए में दाखिले के लिए इंटरव्यू की प्रक्रिया मंगलवार से शुरू हो रही है(अमर उजाला,चंडीगढ़,12.7.11)।

यूपीःप्रवक्ता साक्षात्कार में होगा ग्रेड सिस्टम

Posted: 12 Jul 2011 10:20 AM PDT

अब डिग्री प्रवक्ताओं के साक्षात्कार में मनमानी नहीं होगी। शासन की पहल पर उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने साक्षात्कार में ग्रेड सिस्टम की व्यवस्था की है। नए मानक में दो ग्रेड के बीच पांच अंक से अधिक का अंतर नहीं होगा।
शासन की ओर से साक्षात्कार को आरोप मुक्त करने के लिए नई नियमावली तैयार करके उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को मंजूरी के लिए भेजा गया था। आयोग की पूर्ण बैठक में इस बात पर चर्चा के बाद कुछ संशोधन के मंजूरी देने पर सहमति तो बन गई परंतु अंतिम समय में आयोग के सदस्यों ने संशोधित विनियमावली पर हस्ताक्षर नहीं किया। आयोग के अध्यक्ष ने इस मामले को शासन के पास भेज दिया है।
शासन के नए नियम से अब डिग्री प्रवक्ताओं के साक्षात्कार में उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के सदस्य, अध्यक्ष और विशेषज्ञ मनमानी नहीं कर सकेंगे। साक्षात्कार में नंबर देने में भेदभाव को लेकर अभी हाल ही में आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए थे। आरोप लगा था कि विशेषज्ञ ने जिस अभ्यर्थी को 40 अंक दिए, उसी अभ्यर्थी को सदस्यों ने मात्र 20 से 25 अंक दिया। इस मामले की शिकायत दोनों पक्षों की ओर से प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा से भी की गई थी। कुछ अभ्यर्थियों ने तो इस मामले में कोर्ट से भी गुहार लगाई थी। इसके बाद शासन की ओर से साक्षात्कार में गड़बड़ी के मामले की जांच मंडलायुक्त को सौंपी गई थी। आरोप-प्रत्यारोप को देखते हुए अब शासन ने साक्षात्कार के नियम में ही परिवर्तन का निर्णय ले लिया है। बदले नियम को मंजूरी दिलाने के लिए जहां आयोग के अध्यक्ष प्रो. जे प्रसाद लगे हैं, वहीं उनके साथी सदस्य ही अभी बदली नियमावली पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं(अमर उजाला,इलाहाबाद,12.7.11)।

यूपीःनिजी कालेजों में 51250 रुपए होगी बीएड की फीस

Posted: 12 Jul 2011 10:10 AM PDT

राज्य सरकार ने निजी कालेजों में बीएड की फीस तय कर दी है। चालू शैक्षिक सत्र में छात्रों को अब 51250 रुपये फीस अदा करनी होगी। अभी तक निजी कालेजों में फीस 30359 रुपये पड़ रही थी। आज तय हुई फीस की राशि अंतरिम है। अंतिम निर्णय अक्टूबर महीने तक सीए क रिपोर्ट के बाद ही होगा। यह फैसला सोमवार की देर रात उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अवनीश कुमार अवस्थी की अध्यक्षता में हुई फीस समिति की बैठक में लिया गया है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि 14 जुलाई से शुरू हो रही बीएड के नये सत्र की काउसिंलिंग के लिए 51250 रुपये फीस तय की गयी है। बीएड में प्रवेश लेने वाले छात्र को इस फीस की राशि में से 5000 रुपये काउसिंलिंग के समय देने होंगे। शेष 46250 रुपये की राशि छात्र को कालेज में प्रवेश करने पर देनी होगी(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,12.7.11)।

यूपीःसरकारीकर्मियों को दुपहिया वाहन पर छूट

Posted: 12 Jul 2011 09:56 AM PDT

अब सरकारी कर्मचारियों को दोपहिया वाहनों की खरीद पर फिर से टैक्स छूट मिल सकेगी। लम्बे समय से बंद चल रही इस व्यवस्था को राज्य सरकार फिर से बहाल करने जा रही है। इस सिलसिले में कर्मचारी कल्याण निगम ने राज्यस्तरीय टैक्स खत्म करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। प्रस्ताव में वाहनों पर टैक्स छूट के पीछे केन्द्रीय कर्मचारियों को दी जा रही छूट को आधार बनाया गया है। करीब नौ साल बाद बहाल होने जा रही इस सुविधा का लाभ बीस लाख से अधिक कर्मचारियों को मिलेगा। इनमें करीब आठ लाख मौजूदा सरकारी कर्मचारियों के अलावा चार लाख मृतक आश्रित तथा आठ लाख के लगभग सेवानिवृत्ति सरकारी कर्मचारी शामिल हैं। कर्मचारी कल्याण निगम के इस प्रस्ताव को खाद्य एवं रसद विभाग के माध्यम से मंजूरी के लिए जल्द ही कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सरकार की मंजूरी के बाद राज्यकर्मी दोपहिया वाहनों की खरीद पर वैट के रूप में लिये जा रहे 12.5 फीसदी टैक्स छूट का फायदा उठा सकेंगे। यह लाभ इन विभागों के सेवानिवृत्ति तथा मृतक आश्रितों को भी मिलेगा। विदित हो कि वर्ष 2002 के पहले तक सरकारी कर्मचारियों को वाहनों की खरीद पर (यूपीएसटी) टैक्स छूट का लाभ मिलता था। उस समय कर्मचारी कल्याण निगम के माध्यम से सरकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में वाहन खरीदते थे। वर्ष 2002 में तत्कालीन राज्य सरकार ने आदेश जारी कर यह सुविधा खत्म कर दी, लेकिन केन्द्रीयकर्मियों को वाहनों की खरीद पर टैक्स छूट मिलती रही। इस तरह केन्द्रीय कर्मचारी तो वाहन खरीद पर दो तरह की छूट का फायदा उठा रहे थे, लेकिन राज्य सरकार अपने ही कर्मचारियों को छूट नहीं दे रही थी। इधर छूट बंद होने के बाद से कर्मचारी कल्याण निगम ने अपने डिपों में वाहनों की बिक्री का भी काम बंद कर दिया। कर्मचारी कल्याण निगम के उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि टैक्स छूट की मंजूरी के बाद कर्मचारी कल्याण निगम वाहनों की बिक्री का काम फिर से शुरू करेगा(कमल दुबे,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,12.7.11)।

यूपीःआईटीआई में 30 के बाद दाखिला नहीं

Posted: 12 Jul 2011 09:51 AM PDT

प्रदेश के राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में प्रवेश के लिए पांच मई को हुई प्रवेश परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिये गये हैं। व्यावसायिक परीक्षा परिषद के निदेशक अनिल कुमार ने बताया कि चयनित अभ्यर्थियों को प्रवेश लेने के लिए आईटीआई के प्राचायरे से मिलकर 30 जुलाई तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी करनी होगी। उन्होंने बताया कि परीक्षा परिणाम वेबसाईट पर देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जनपदों में आईटीआई में प्रवेश के लिए ग्रुप एम पहली पाली में 364222 आवेदनपत्र एवं द्वितीय पाली ग्रुप बी में 27628 आवेदन मिले थे। इनमें पहली पाली में 39661 तथा द्वितीय पाली में 10623 स्थानों व दोनों को मिलाकर 50248 स्थान के लिए परीक्षा हुई। प्रवेश परीक्षा के बाद तैयार मेरिट पर राज्य सरकार के आरक्षण को लागू करते हुए अभ्यर्थियों द्वारा दिये गये संस्थान व व्यवसाय के विकल्प के आधार पर जिला स्तरीय मेरिट तैयार की गयी है। इसमें प्रथम पाली के लिए 37490 तथा द्वितीय पाली के लिए 8281 अभ्यर्थियों को मिलाकर 45771 अभ्यर्थी चयनित घोषित किये गये हैं। इन अभ्यर्थियों को दाखिले के लिए काल लेटर डाक के माध्यम से भेजे जा रहे हैं और चयनित अभ्यर्थियों को प्रवेश के लिए 30 जुलाई तक संस्थानों में अपनी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। मेरिट के आधार पर सीट के दावे को निर्धारित तिथि के बाद स्वीकार नहीं किया जाएगा और खाली सीटों को भरने के लिए कोई भी फैसला बाद में लिया जा सकता है(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,12.7.11)।

लखनऊःलोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में छठा वेतनमान लागू

Posted: 12 Jul 2011 06:30 AM PDT

गोमतीनगर स्थित लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों के लिए खुशखबरी है। सोमवार को शासन ने लोहिया इंस्टीट्यूट में छठा वेतनमान लागू होने को हरी झंडी दिखा दी है। उम्मीद जताई जा रही है कि अब संस्थान में डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी और संस्थान चल पड़ेगा। साथ ही प्रदेश के लोगों को पीजीआइ सरीखी सारी सुविधाएं एक और संस्थान में मिल सकेंगी। फिलहाल इस राह में डॉक्टरों की कमी एक बड़ी बाधा है। इस संस्थान की ओपीडी बीती पहली अक्टूबर को शुरू हुई थी। कुछ दिनों बाद इनडोर भी शुरू हो गया था लेकिन पीजीआइ तुल्य इस संस्थान में डॉक्टरों की संख्या नहीं बढ़ रही है। पदों का विज्ञापन निकलने पर डॉक्टरों ने यहां आवेदन नहीं किया और जिन्होंने यहां ज्वाइन भी किया था उनमें से कई चंद महीनों में संस्थान छोड़कर जा चुके हैं। इस वक्त यहां महज 17 डॉक्टर हैं। डॉक्टरों की कमी की वजह से संस्थान में मरीजों की संख्या नहीं बढ़ पा रही थी। सोमवार को मंत्रिपरिषद ने लोहिया इंस्टीट्यूट को संजय गांधी के बराबर वेतनमान दिए जाने के संबंध में स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके मुताबिक पहली जनवरी 2006 से निदेशक को 80 हजार रुपये नियत (एनपीए समेत अधिकतम 85000 रुपये) मिलेंगे। वहीं प्रोफेसरों को वेतन बैंड-चार 37400-67000 रुपये व एकेडमिक ग्रेड पे 10500 रुपये मिलेगा। एडिशनल प्रोफेसर को वेतन बैंड-4 37400-67000 रुपये व एकेडमिक ग्रेड पे 9500 रुपये तथा एसोसिएट प्रोफेसर को वेतन बैंड-चार, 37400-67000 रुपये व एकेडमिक ग्रेड पे 9000 रुपये मिलेगा। असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए वेतन बैंड-तीन और 15600-39100 रुपये व एकेडमिक ग्रेड पे 8000 रुपये। असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तीन वर्ष की सेवा के बाद वेतन बैंड-चार और 37400-67000 रुपये व एकेडमिक ग्रेड पे 8700 रुपये मिलेंगे(दैनिक जागरण,लखनऊ,12.7.11)।

हिमाचलःनिजी शिक्षण संस्थानों के लिए बिल तैयार

Posted: 12 Jul 2011 06:15 AM PDT

अंतत: सरकार ने प्राइवेट शिक्षण संस्थानों पर निगरानी के लिए विधेयक के प्रारुप को अंतिम रुप दे दिया है। इसे प्राइवेट शिक्षण संस्थान (लेखा, शुल्क व अन्य मामले) विधेयक, 2011 का नाम दिया है। शिक्षा विभाग ने एक माह तक जनता एवं प्राइवेट शिक्षण संस्थानों से सुझाव व आपत्तियां मांगी है।


विधेयक में जिन चीजों को शामिल किया गया है, उनमें छात्रों एवं अभिभावकों के हितों का ध्यान रखा गया है। इसमें आवश्यकता से अधिक फीस वसूली, मनमर्जी की दुकानों से वर्दी सहित अन्य सामान खरीदने को बाध्य करना, अकाउंट्स का सही रखरखाव, चार्टड अकाउंटेंट से लेखा ऑडिट व लेखे को प्रकाशित करवाने की सुविधा देना, सक्षम अधिकारी को निरीक्षण की व्यवस्था करना, मूलभूत सुविधा न होने पर संस्थान को बंद करना एवं जुर्माने की व्यवस्था होना शामिल है। 

कैसे दें शिक्षा विभाग को सुझाव

शिक्षा विभाग की तरफ से तैयार किए गए विधेयक के प्रारुप आम जनता व प्राइवेट शिक्षण संस्थान अपने सुझाव व आपत्तियां दे भेज सकते हैं। इसके लिए विधेयक का प्रारुप उच्च शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। सुझाव व टिप्पणियां प्रधान सचिव शिक्षा, हिमाचल प्रदेश सरकार, आमर्सडेल बिल्डिंग, प्रदेश सचिवालय शिमला-2 पर भी की जा सकती है। 

क्या कहते हैं शिक्षा मंत्री

शिक्षा मंत्री ईश्वर दास धीमान ने कहा, सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए प्राइवेट शिक्षण संस्थान विधेयक का प्रारुप तैयार किया है। इससे लेखा के रखरखाव व अन्य मामलों में पारदर्शिता आएगी। इसमें संस्थानों की संबद्धता से संबंधित प्रावधानों को प्रस्तावित कानून के अंतर्गत शामिल नहीं किया जाएगा(दैनिक भास्कर,शिमला,12.7.11)।

जम्मू यूनिवर्सिटी में पीजी एडमिशन की पहली कट ऑफ लिस्ट जारी

Posted: 12 Jul 2011 06:00 AM PDT

जम्मू यूनिवर्सिटी के पोस्ट ग्रेजुएट विभागों ने सोमवार को एडमिशन की पहली कट ऑफ सूची जारी कर दी है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि यूनिवर्सिटी में दाखिला प्रवेश परीक्षा के माध्यम से लिया जा रहा है। इसका प्रभाव कट ऑफ मेरिट सूचियों में देखने को मिला। आम तौर पर जिन विषयों का मेरिट ऊंचा रहता था, वह इस बार लुढ़के हैं।

अमूमन गणित विभाग और फैकल्टी ऑफ साइंसेज में सबसे अधिक मेरिट दर्ज किया जाता रहा है, जबकि आर्ट्स का मेरिट हमेशा कम रहा है। लेकिन इस बार उल्टा हुआ है। अंग्रेजी का ओपनिंग मेरिट सबसे अधिक 88.17 रहा और उसका कट ऑफ मेरिट 72.02 दर्ज किया गया, जबकि सबसे ऊंचा है। आर्ट्स के अन्य विषयों में भी मेरिट ऊंचा दर्ज किया गया है, जबकि साइंस का मेरिट डाउन हुआ है।

प्रवेश परीक्षा व अंकों को मिलाकर बना मेरिट


इस बार केवल वे छात्र एडमिशन के लिए आवेदन कर सके, जिन्होंने प्रवेश परीक्षा को पास किया था। प्रवेश परीक्षा में हासिल किए गए अंकों और ग्रेजुएशन के अंकों को मिलाकर ओवरऑल मेरिट बनाया गया। उर्दू का ओपनिंग मेरिट 85.98 और कट ऑफ 58.19 रहा। 
पॉलिटिकल साइंस, हिंदी, डोगरी, सोशियोलॉजी, एमएड, एम लिब आदि विषयों में भी ठीक ठाक मेरिट रहा है। मजे की बात यह रही कि इलेक्ट्रानिक का कट ऑफ मेरिट मात्र 43.73 रहा, जबकि बायो कैमिस्ट्री का 45.07 रहा। यह वो विषय रहे हैं जहां मेरिट कभी 75 फीसदी से नीचे नहीं गिरा है। 

दूध का दूध पानी का पानी 

पहली कट ऑफ मेरिट सूची में जिन स्टूडेंट्स का नाम आया है, उनमें से ज्यादातर ने ग्रेजुएशन में औसत अंक लिए हैं। प्रवेश परीक्षा में अच्छे प्रदर्शन के कारण उन्हें यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिली है। कुछ ऐस छात्र भी दिखे, जिन्होंने ग्रेजुएशन में तो 70 प्रतिशत से अधिक अंक तो लिए लेकिन प्रवेश परीक्षा में सफल नहीं हो पाए।

एडमिशन पाने वाले छात्रों का कहना था कि प्रवेश परीक्षा ने तो सारा परिदृश्य ही बदल डाला। ग्रेजुएशन के अंक के हिसाब से तो दाखिला पाना उनके लिए नामुमकिन था, परंतु नए एडमिशन सिस्टम ने दूध का दूध पानी का पानी कर दिया(देवेंद्र पाधा,दैनिक भास्कर,जम्मू,12.7.11)।

एमएमटीयूःएआइसीटीई के नए नियम के मुताबिक होगी एसईई काउंसिलिंग

Posted: 12 Jul 2011 05:45 AM PDT

इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए महामाया प्राविधिक विश्वविद्यालय (एमएमटीयू) द्वारा आयोजित की गई राज्य प्रवेश परीक्षा (एसईई) की काउंसिलिंग में इंटरमीडिएट में 50 प्रतिशत से कम और 45 फीसदी तक अंक पाने वाले अभ्यर्थी शामिल किए जाएंगे। शासन ने इस संबंध में सोमवार को एमएमटीयू को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) की ओर से विगत चार जुलाई को जारी अधिसूचना पर अमल करते हुए नियमानुसार कार्यवाही करने का दिशानिर्देश जारी कर दिया है। एआइसीटीई ने इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए इंटरमीडिएट में 50 प्रतिशत अंक पाना अनिवार्य कर दिया था। अनुसूचित जाति/जनजाति के अभ्यर्थियों को इसमें पांच फीसदी अंकों की छूट दी गई थी। विगत चार जुलाई को एआइसीटीई ने इंजीनियरिंग प्रवेश में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए इंटरमीडिएट में न्यूनतम अंक की बाध्यता को 50 प्रतिशत से घटाकर 45 फीसदी व एससी/एसटी वर्ग के लिए 45 से घटाकर 40 फीसदी करने की अधिसूचना जारी कर दी। एमएमटीयू ने एआइसीटीई की नई अधिसूचना के मद्देनजर काउंसिलिंग के बारे में शासन से दिशानिर्देश मांगा था। एआइसीटीई की नई अधिसूचना के परिप्रेक्ष्य में नए सिरे से एसईई का आयोजन कराना अव्यावहारिक है। इसलिए शासन ने एमएमटीयू को एआइसीटीई की नई अधिसूचनाके अनुसार कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। ऐसे में एसईई में शामिल होने वाले सामान्य वर्ग के ऐसे छात्र, जिन्हें इंटर में 50 प्रतिशत से कम और 45 फीसदी तक अंक मिले हैं तथा एससी/एसटी वर्ग के ऐसे छात्र जिन्हें इंटर में 45 प्रतिशत से कम और 40 फीसदी तक अंक मिले हैं, उनके दस्तावेजों के सत्यापन के बाद उन्हें मेरिट में शामिल करते हुए काउंसिलिंग में मौका दिया जाएगा(दैनिक जागरण,लखनऊ,12.7.11)।

पंजाब यूनिवर्सिटी ने रैगिंग रोकने के लिए कसी कमर

Posted: 12 Jul 2011 05:30 AM PDT

पंजाब यूनिवर्सिटी और अन्य कॉलेजों में नया सत्र शुरू होने के साथ ही चंडीगढ़ प्रशासन ने रैगिंग रोकने के लिए कमर कस ली है। प्रशासन की तरफ से यूनिवर्सिटी प्रशासन और अन्य कॉलेजों से कहा गया है कि वे अपने यहां एंटी रैगिंग कमेटियां गठित करें।

प्रशासन ने कहा है कि अगर कोई स्टूडेंट रैगिंग की घटना में पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से परहेज न करें। प्रशासन की तरफ से शिक्षण संस्थानों को सचेत किया गया है कि वारदातों को न रोक पाने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।

क्या कार्रवाई संभव

कॉलेजों तथा पीयू में अगर कोई छात्र रैगिंग की घटना में शामिल पाया गया तो न केवल उस पर भारी जुर्माना किया जाएगा बल्कि उसे संस्थान से निष्कासित करने के साथ-साथ आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाएगा। कॉलेज प्रबंधनों को नए सत्र कीशुरुआत में ही छात्र संगठनों के साथ इस बारे में बैठक भी करने को कहा है। रैगिंग रोकने के लिए गठित कमेटी में संस्थान के अलावा बाहर के लोगों को भी शामिल करना होगा। इन लोगों में मीडिया तथा सामाजिक संगठन से जुड़े लोगों के साथ-साथ एजुकेशन काउंसलर भी शामिल हैं।



छात्र नेताओं की जिम्मेदारी तय

संस्थानों में छात्र नेताओं को रैगिंग रोकने की जिम्मेदारी दी जा रही है। छात्र नेताओं को अपने संगठनों के सभी सदस्यों को रैगिंग रोकने के लिए जागरूक करने को कहा गया है। कॉलेजों में हर क्लास के अनुसार छात्रों की टीम बनाई जाएगी।

सीनियर बचाएंगे जूनियर को

कॉलेजों तथा यूनिवर्सिटी के सीनियर स्टूडेंट्स को जूनियर स्टूडेंट्स का ध्यान रखने को कहा जाएगा। कॉलेज के हॉस्टल, कैंटीन एरिया, प्ले ग्राउंड तथा पार्किग एरिया पर विशेष नजर रहेगी।

एंटी रैगिंग पोस्टर लगेंगे

संस्थानों को अपने यहां एंटी रैगिंग पोस्टर लगाने को कहा गया है। इसके अतिरिक्त कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर भी रैगिंग करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी यह चिपकाने को कहा गया है।

सादी वर्दी में नजर रखेगी पुलिस

कॉलेजों, यूनिवर्सिटी तथा तकनीकी संस्थानों के बाहर सादी वर्दी में पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी ताकि कैम्पस के बाहर भी छात्र किसी तरह की रैगिंग न कर सकें। बीट स्टाफ को भी कॉलेजों के आसपास रहने को कहा गया है।

पीयू प्रशासन और कॉलेज प्रबंधनों से एंटी रैगिंग कमेटियां गठित करने को कह दिया गया है। इस दौरान शिक्षण संस्थानों में नोटिस भी लगाए जाएंगे जिन पर रैगिंग न करने को कहा जाएगा। -अजॉय शर्मा, डायरेक्टर हाई एजुकेशन, चंडीगढ़ प्रशासन(बरींद्र सिंह रावत,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,12.7.11)

हिमाचलःटीजीटी प्रोमोशन से बाहर हो सकते हैं नॉन-बीएड पीटीए

Posted: 12 Jul 2011 05:15 AM PDT

शिक्षा विभाग की तरफ से की जाने वाली टीजीटी परमोशन से नॉन बीएड पीटीए बाहर हो सकते हैं। इससे पूर्व डीपीई बनने से 12 पीटीए को बाहर का रास्ता दिखाया गया था। ऐसे में एक बार फिर नॉन बीएड पीटीए की नौकरी खतरे में पड़ सकती है।

नॉन बीएड पीटीए संख्या 200प्रदेश में इस समय पीटीए पर लगे 200 लेक्चरर नॉन बीएड है, जिनको सरकार बाहर का रास्ता दिखा सकती है। पीटीए लेक्चरर को बीएड करने के लिए दिसंबर, 2010 तक का समय दिया गया था, मगर इस अवधि के अंदर 200 शिक्षक ऐसा नहीं कर पाए। इसे देखते हुए सरकार ने नॉन बीएड पीटीए की ग्रांट-इन-एड रोक रखी है और दिसंबर माह के बाद लिए गए वेतन तक की रिकवरी की बात कही गई है। अब जबकि करीब

200 टीजीटी शिक्षक लेक्चरर बनने वाले हैं, तो पीटीए के स्थान पर तैनात होने पर बाहर हो सकते हैं।

अनक्वालिफाइड है शिक्षक

वर्तमान सरकार पीटीए को सरकारी शिक्षक नहीं मानती। साथ ही उन नॉन बीएड को अनक्वालिफाइड शिक्षकों की श्रेणी में रखा गया है। सरकार का मानना है कि पीटीए एक वैकल्पिक व्यवस्था थी, लेकिन इस आड़ में सरकार ने चहेतों को पिछले दरवाजे से नौकरी देने का प्रयास किया। 
वर्तमान सरकार ने नई भर्ती प्रक्रिया में पीटीए शिक्षकों को भाग लेने का मौका दिया था, मगर उसके आधार पर परीक्षा पास न करने से अब उनको बाहर का रास्ता दिखाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। 

क्या कहती है पीटीए एसोसिएशन
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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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