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प्रशान्त राही का जज्बा अभी बरकरार है लेखक : नैनीताल समाचार :: अंक: 01-02 || 15 अगस्त से 14 सितम्बर 2011:: वर्ष :: 35 :September 19, 2011 पर प्रकाशित

प्रशान्त राही का जज्बा अभी बरकरार है

जीवन चन्द

prashant-rahi1पुलिस द्वारा माओवादियों का जोनल कमांडर बता कर जेल भेज दिये गये प्रशांत राही की अन्ततः पौने चार साल बाद 21 अगस्त को रिहाई हो गई। उन्हें उच्च न्यायालय द्वारा मिली जमानत के बाद पर जिला कारागार रोशनाबाद (हरिद्वार) से छोड़ा गया। इस अवसर पर उनकी पत्नी चन्द्रकला और पुत्री शिखा राही के साथ क्रांतिकारी जनवादी मोर्चा (आर.डी.एफ.) के सदस्यों ने राही का स्वागत किया। बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रशांत राही ने बताया कि उन्हें 17 दिसंबर 2007 को आराघर, देहरादून से उठाया गया था, जबकि पाँच दिन तक अवैध हिरासत में रखकर और शारीरिक व मानसिक यातनाएँ देकर, गिरफ्तारी 22 दिसंबर को दिखाई र्गइं।

राही ने बताया कि भारतीय जेलें सुधार गृह न रह कर यातना घर बन गई हैं। हमारे जैसे राजनीतिक बंदियों के साथ तो और भी ज्यादा सख्ती रहती है। जिस तरह से जेल से बाहर आने के बाद भी इंटेलिजेंस के चार-पाँच लोग लगातार साये की तरह मेरे पीछे लगे हैं, मुझे लगता है कि मुझे फिर से किसी फर्जी केस में फँसाने की साजिश चल रही है। उन्होंने कहा कि मेरी गिरफ्तारी का मेरा जनता के मुद्दों पर जनता के लिए संघर्ष करना रहा है। मैं माक्र्सवाद- लेनिनवाद- माओवाद को एक विज्ञान और सामाजिक दर्शन मानते हुए उस पर विश्वास करता हूँ। इस देश के में शासक वर्ग द्वारा माओवाद को बदनाम करने का अभियान चलाया जा रहा है। उसी क्रम में उत्तराखण्ड में भी भ्रम और आतंक का माहौल बनाया जा रहा है, ताकि जनांदोलनो का दमन किया जा सके, और उन्हें कुचला जा सके। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पृथक राज्य बनने के बाद भी उत्तराखंड में प्राकृतिक संसाधनों की लूट बन्द नहीं हुई है। इसके खिलाफ उपज रहे जनाक्रोश के दमन के लिये माओवाद का खौफ पैदा किया जा रहा है।

प्रेस को संबोधित करते हुए कॉमरेड प्रशांत राही ने कहा कि में जनता की समस्याओं के लिए हमेशा संघर्षों में शामिल रहा हूँ, एक बेहतर व्यवस्था व शोषण विहीन समाज के लिए संघर्षरत रहा हूँ और भविष्य में भी मेरा संघर्ष जारी रहेगा।

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