तुम मुझे कैद कर सकते हो,जुल्म ढा सकते हो मुझ पर बेइंतहा, खत्म कर सकते हो मेरे शरीर को , पर तुम मेरे दिमाग को कैद नहीं कर सकते, हरगिज नहीं!
तुम मुझे कैद कर सकते हो,जुल्म ढा सकते हो मुझ पर बेइंतहा, खत्म कर सकते हो मेरे शरीर को , पर तुम मेरे दिमाग को कैद नहीं कर सकते, हरगिज नहीं!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
तुम मुझे कैद कर सकते हो,जुल्म ढा सकते हो मुझ पर बेइंतहा, खत्म कर सकते हो मेरे शरीर को , पर तुम मेरे दिमाग को कैद नहीं कर सकते, हरगिज नहीं!
नवदलित आंदोलन के तहत अस्पृश्यता खत्म करने, मानवाधिकार बहाल करने और जुल्मोसितम के खिलाफ प्रतिरोध के तहत इस महीने के १२ और १३ तारीख को पीवीसीआर के राष्ट्रीय विमर्श के दौरान लिये गये इस संकल्प की गूंज अभी देश विदेश में पैलने लगी है। डा. लेनिन रघुवंशी और मानवाधिकार जननिगरानी समिति के उनके जुझारु साथियों की पहल पर नई दिल्ली में आयोजित इस दो दिवसीय विमर्श को सामाजिक समता की दिशा में सामाजिक अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध व्यापक गोलबंदी की कारगर पहल के रुप में देखा जा रहा है।
दिल्ली में राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन संयुक्त रुप से मानवाधिकार जन निगरानी समिति,नेशनल एलांस आफ टेस्टिमोनियल थेरापी नैट, रिहैबिलिटिशन एंड रिसर्च सेंटर फार टार्चर विकटिम्स आरसीटी और य़ूरोपीय संघ ने किया था।इस अवसर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति के झी बालाकृष्णम मुख्य अतिथि थे।यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि पावेल स्विटिल, इकानामिक एंड पोलिटिकल वीकली के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा,राष्ट्रीय मानवोधिकार आयोग के पूर्व महानिदेशक शंकर सेन जैसे लोग भी इस मौके पर हाजिर थे।विमर्श में देश के कोने कोने से प्रतिनिधियों ने भागेदारी की।अपने स्वागत भाषण में ही डा. लेनिन रघुवंशी ने पीड़ितों के हक हकूक की आवाज बुलंद करते हुए नवदलित आंदोलन के एजंडे के मुताबिक बाय का माहौल खत्म करने, पीड़ितों को आत्मविश्वास लौटाने और दोषियों को कटघरे पर लाकर सजा दिलाने की जरूरत बतायी।पीडितों को सामाजिक और कानूनी मदद देने की रुपरेका प्रस्तुत की।डा0 लेनिन रघुवंशी एक सामाजिक कार्यकर्ता है एवं मानवाधिकार जननिगरानी समिति का महासचिव/अधिशासी निदेशक है। डा0 लेनिन को मानवाधिकार के क्षेत्र में किये गये कार्य को देखते हुए दक्षिण कोरिया से 2007 ग्वान्जू एवार्ड, ह्यूमन राइट्स 2008 आचा पीस स्टार अवार्ड (यू0ए0ए0) व 2010 वाइमर अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार पुरस्कार (जर्मनी) जनमित्र गाँव की परिकल्पना के लिए वांशिगटन स्थित अशोका फाउण्डेशन ने ''अशोका फेलोशिप'' प्रदान किया। जन निगरानी समिति भारत में मानवाधिकारों की रक्षा में सक्रिय अत्यंत सक्रिय और प्रभावशाली गैरराजनीतिक स्वयंसेवी संगठने है जो खासकर कर बुनकरों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय है।मालूम हो कि उत्पीड़ितो के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए डा. लेनिन ने देशव्यापी नवदलित आंदलन शुरू किया है। जिसका देश विदेश में भारी स्वागत हुआ है।
इस मौके पर समिति के उपाध्यक्ष नागेश्वर पटनायक ने मोहम्मद आमिर खान को साठ हजार रुपये के जनमित्र पुरस्कार से सम्मानित किया।बिना किसी गुनाह के 14 साल जेल में बिताने वाले मोहम्मद आमिर को जन मित्र पुरस्कार गैर सरकारी संगठन पी वी सी एच आर ने 60 हजार रुपये की आर्थिक मदद भी की। आखिरकार निर्दोष होने के बावजूद आतंकवाद के आरोप में 14 साल जेल में बिताने वाले मोहम्मद आमिर के दर्द को एक गैर मुस्लिम ने समझा। उल्लेखनीय है कि इस साल जनवरी में जब मोहम्मद आमिर विभिन्न जेलों में 14 साल गुजार कर रिहा हुए तो एक तरफ जहां अन्य समाचार पत्रों , वेबसाइटों ने इन 14 सालों के दौरान आमिर की विभिन्न समस्याओं के संबंध में बहुत कुछ प्रकाशित किया। अब जबकि मोहम्मद आमिर निर्दोष होने के बावजूद 14 साल जेल में गुजार कर आया है और इस दौरान उनका सब कुछ बर्बाद हो चुका है तो ऐसे में भारत के कोने कोने में काम करने वाले मुस्लिम संगठनों को चाहिए कि उनकी मदद करें। इस खबर के बाद भारत कि एक बड़ी मुस्लिम जमात ने आमिर की थोड़ी बहुत मदद की लेकिन उसे उचित नहीं कहा जा सकता। बाकी अन्य संगठनों का हाल यह रहा कि उन्होंने आमिर की मदद करना तो दूर उस से बात भी नहीं की और उसकी परेशानियों को जानना उचित नहीं समझा। कुछ संगठनों ने आमिर का उल्लेख केवल सेमिनारों में किया। ऐसे ही एक सेमिनार के दौरान नई दिल्ली में मोहम्मद आमिर ने खुद भाषण करते हुए कहा कि यहां इस कार्यक्रम के दौरान जो लोग भी बड़ी बड़ी बातें कर रहे हैं उनमें से एक ने भी न तो मेरी इस दौरान सहायता जब मैं गिरफ्तार हुआ और न अब मेरी रिहाई के बाद किसी ने मेरी खैरियत पूछी है। इस कार्यक्रम के दौरान मोहम्मद आमिर ने जो दर्दनाक कहानी सुनाई उसे सुनकर श्रोताओं में से कई रोने लगे मगर वहां मौजूद मुस्लिम संगठनों में से किसी नेता ने आमिर की मदद करना उचित नहीं समझा। मिल्ली कौंसिल के जरिया आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान लेनिन रघुवंशी नाम का एक ऐसा व्यक्ति मौजूद था जिसे आमिर की दर्दनाक कहानी को सुन कर रहा नहीं गया और उसने उसी दिन फैसला किया कि मैं आमिर को पुरस्कार दूंगा और जो भी संभव होगा वित्तीय मद भी करूंगा।
नई दिल्ली में राष्ट्रीय विमर्श के दौरान लेनिन रघुवंशी के ही संगठन पीपुल विजिलेंस कमिटी ऑन ह्यूमन राईडस (पी वी सी एच आर) ने मोहम्मद आमिर को पुरस्कार से नवाजा और 60 हजार रुपये की आर्थिक मदद भी की। पी वी सी एच आर के कार्यकारी निर्देशक लेनिन रघुवंशी ने कहा कि अगर हम आमिर जैसों की मदद नहीं करेंगे तो और किसकी करेंगे। उन्होंने आमिर की तारीफ करते हुए कहा कि निर्दोष होने के बावजूद 14 साल जेल में बिताने वाले मोहम्मद आमिर में गजब का जोश है उसे देखकर कोई कह ही नहीं सकता कि यह लड़का 14 साल जेल में रह कर आया है। आमिर जब जेल गया तो न तो कंप्यूटर था और न ही मोबाइल। इसके बावजूद उसके काम करने का अंदाज़, उसका बात करने का सलीका और कानून पर काभरोस देख कर मैं हैरान हूँ। मुझे आश्चर्य है कि संविधान पर उसका जितना भरोसा है इतना मानव अधिकारों के लिए काम करने वाले बड़े लोगों को नहीं होता। लेनिन ने कहा कि यह तो मामूली सहायता है हमने फैसला किया है कि उन्हें हर महीने पाबंदी से कुछ पैसे दिए जाएंगे और हम चाहेंगे कि वह उन लोगों के बीच काम करें जो ऐसी ही साजिश का शिकार होते हैं और हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आमिर भारत के जिस शहर में भी जाएंगे पी वी सी एच आर उनका खर्च वहन करेगी। लेनिन ने कहा कि आमिर एक किताब भी लिखना चाहते हैं और हम उनकी किताब पूरी करने में मदद करेंगे।
बल्कि महत्वपूर्ण बात यह है कि महज गोष्ठी और विमर्श तक सीमाबद्ध नहीं है जननिगरानी समिति की गतिविधियां। तृणमूल स्तर पर जहां कमजोर तबके के लोग अत्याचारों के शिकार हैं, वहां पीड़ितों के हक में मजबूती से आवाज बुलंद करने में समिति की पहल गौरतलब है । इसलिए नई दिल्ली की राष्ट्रीय विमर्श रपट के साथ जून और जुलाई महीने के दौरान, विम्रश के आगे पीछे हुई अत्याचारों की घटनाओं पर समिति की प्रतिक्रियाओं को इस रपट के साथ देना इस विमर्श को अमली जामा पहनाने में सिमिति और उससे जुड़े कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता को रेखांकित करने के लिए जरूरी है।
इसके अलावा संग्राम झारखंड व मानवाधिकार जन निगरानी समिति के तत्वावधान में एचपीडीसी में आयोजित सेमिनार में यातना से मुक्त होकर यातना के खिलाफ संघर्ष करने का आह्वान किया गया।। इस दौरान झारखंड ह्यूमन राइट लॉ नेटवर्क से अहमद रजा उपस्थित थे। उन्होंने कहा झारखंड में मानवाधिकार का हनन सबसे ज्यादा है। आंकड़ों के माध्यम से उन्होंने दिखाया कि झारखंड में पुलिस टार्चर के शिकार लोग सबसे ज्यादा हैं। मानवाधिकार जन निगरानी समिति से उपेंद्र कुमार ने सेमिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। यातना व संगठित हिंसा की स्थिति पर श्रुति नागवंशी ने अपने विचार रखे। एकल महिलाओं को संगठित होने की जरूरत बतायी।
मानवाधिकार आयोग में घरेलू हिंसा से जुड़ी ऐसी शिकायत आई है, जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं। शिकायत में कहा गया है कि एक युवक अपनी पत्नी को प्रताडि़त करने के लिए उसके शरीर में इंजेक्शन की निडल से खून निकालकर पीता है। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मप्र मानवाधिकार आयोग को जांच करने के लिए प्रकरण भेजा है। मामला सागर जिले के कर्रापुर गांव का है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 11 मई को मप्र मानवाधिकार आयोग को इस मामले की जांच सौंपी है। मानवाधिकार जन निगरानी समिति की शीरीं शबाना खान ने शिकायत की थी कि मप्र के सागर जिले के कर्रापुर गांव में महेश अहिरवार नाम का व्यक्ति अपनी पत्नी को प्रताडि़त करता है। वो उसे प्रताडि़त करने के लिए इंजेक्शन की निडिल से उसका खून निकालकर पीता है। यह खुलासा तब हुआ, जब उसकी पत्नी दीपा अहिरवार (२२) गर्भवती हुई। खून की कमी की वजह से जब वो बेहोश हो गई तो उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। तब दीपा ने डॉक्टर को बताया कि उसके पति को नशा करने की लत है। जब उसे गुस्सा आता है तो वो उसके हाथ पैर बांधकर शरीर में सुई लगाकर खून पीता था। इस पर डॉक्टर ने पुलिस को बुलाया तो महिला ने रिपोर्ट लिखवाने से मना कर दिया। इधर, कर्रापुर ग्राम के प्राथमिक चिकित्सा केंद्र के डॉ. बृजेश वर्मा का कहना है कि चूंकि मामला पुराना है, इसलिए कुछ भी बताना मुश्किल है। वहीं, कर्रापुर पुलिस ने मामले की जानकारी होने से इनकार किया है।
वाराणसी के नक्खीघाट इलाके के सिधवाघाट मुहल्ले में दो-दो आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन के बावजूद बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। एक चिकित्सा शिविर में जांच के दौरान 60 फीसदी नौनिहाल कुपोषित पाए गए। लगभग एक दर्जन बच्चे तो गंभीर रूप से कुपोषित मिले। इनमें ज्यादातर बुनकर परिवारों के हैं। बनारसी साड़ी उद्योग में मंदी के बाद ये लोग ठेला, रेहड़ी, खोमचा और सब्जी की दुकान लगाने लगे हैं।
रिया सवा दो साल की हो गई है। इस उम्र में बच्चे दौड़ने लगते हैं, मगर वह ठीक से खड़ी तक नहीं हो पाती। उसका वजन महज आठ किलोग्राम पाया गया है। अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन की मदद से मानवाधिकार एवं जननिगरानी समिति ने 26 जून को मुहल्ले में स्वास्थ्य शिविर लगाया था। जैन अस्पताल के चिकित्सक डा. प्रवीण जैन ने 65 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। इनमें पांच साल तक की उम्र के 26 बच्चों में से 16 कुपोषित पाए गए। उनमें से 11 गंभीर, पांच मध्यम कुपोषित मिले। चार साल की स्नेहा नौ किलो, डेढ़ साल का विवेक सवा छह, सवा तीन साल का सैफ 10, एक साल की अनन्या छह, ढाई साल की सानिया परवीन आठ, चार साल की महजबीं साढ़े सात, साढ़े चार साल की खुशी 10, दो साल का बबलू साढ़े छह और तीन साल के चांद का वजन साढ़े नौ किलो है। समन्वित बाल विकास परियोजना के मानक के मुताबिक सभी गंभीर रूप से कुपोषित हैं। सूरज, सोनी, नसीम अंसारी, रुही और आंचल मध्यम श्रेणी के कुपोषित हैं।
रिया की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय ले जाया गया। चिकित्सकों ने बाहर की दवाएं लिख दीं। समिति की श्रुति का कहना है कि जिसके पास भोजन का प्रबंध नहीं है वे बाजार से दवाएं कैसे खरीद सकते हैं। संस्था ने शुरुआत में अपनी तरफ से बच्चों के पोषण का इंतजाम किया था। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और एएनएम से बात करके उनको दुगनी पोषण सामग्री दिलाई गई। इससे उनकी सेहत सुधरी है पर इस तरह हमेशा के लिए उनको स्वस्थ नहीं बनाया जा सकता है। यह तभी हो सकता है जब इलाके में बुनियादी नागरिक सुविधाएं विकसित हों।
दुनिया में गिनती के प्राचीन शहरों में से एक सांस्कृतिक नगरी वाराणसी की जन्मदाता नदी वरुणा को पुनर्जीवित करने के लिए जनता मुखर हो उठी। नदी के अंतिम छोर पर बसे सरायमोहना के लोग खौल उठे। दोपहर बाद चिलचिलाती धूप की परवाह किए बगैर बच्चे-महिलाएं तक वरुणा बचाओ संघर्ष में कूद पड़े। इस दौरान जुलूस निकाल कर जमकर नारेबाजी की गई। प्रदर्शनकारी वरुणा में गिरने वाले नालों को तत्काल बंद करने की जिला प्रशासन से मांग कर रहे थे।
अमर उजाला में वरुणा के सूखने की खबर प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद तटीय बस्ती के लोगों का धैर्य जवाब दे गया। जहां-तहां स्वस्फूर्त चेतना जागृत होने लगी। शनिवार की दोपहर बाद सराय मोहना में बड़ी तादाद में लोग वरुणा की रक्षा के लिए उठ खड़े हो गए। बस्ती के लोगों के साथ मानवाधिकार जन निगरानी समिति के कार्यकर्ता भी आ गए। बस्ती में लामबंद लोग शासन-प्रशासन के विरोध में नारेबाजी करने लगे। बस्ती से जुलूस निकला। इसमें महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। जुलूस गांव से होकर गंगा-वरुणा संगम स्थल पर पहुंचा। यहां मावाधिकार जन निगरानी समिति के आनंद कुमार निषाद, नीता साहनी, डॉ. राजेश सिंह का कहना था कि पछुआ हवा बहने पर घरों में भी चैन से रहना दुश्वार हो गया है। सड़े नाले की बदबू गंगा किनारे से लेकर पूरी बस्ती में फैल जा रही है। करीब आठ हजार की आबादी वाली सराय मोहाना बस्ती के लोगों का दर्द था कि वह गंगा में स्नान तक नहीं कर पा रहे हैं। नाले का अवजल संगम से होकर नदी में फैल जा रहा है। स्नान करने वालों के शरीर पर चकत्ते पड़ने और खुजली की शिकायत होने से हर किसी के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। ऐसे में जितना जल्दी हो सके नालों का गिरना रोका जाना चाहिए। प्रदर्शन करने वालों में मोहन लाल निषाद, बलराम प्रसाद, नीता साहनी, रामजी, राजकुमार, चिंता देवी, बगेसरा देवी, केशव प्रसाद समेत तमाम लोग शामिल थे।
झारखण्ड के लातेहार जनपद मे एक दंपति पर जादू - टोने का आरोप लगाकर मज़बूर किया अपना ही मल-मूत्र खाने-पीने को ! दिनांक - 21 जुलाई, 2012. सेवा मे, श्रीमान अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय मानव अधिकार अयोग, नई दिल्ली - भारत ! विषय :- झारखण्ड के लातेहार जनपद मे एक दंपति पर जादू - टोने का आरोप लगाकर मज़बूर किया अपना ही मल-मूत्र खाने-पीने को !
महोदय, हम आपका ध्यान विषयक के सन्दर्भ मे आकृष्ट कराना चान्हुंगा, जहा लातेहार जिले में जादू टोने का अरोप लगाते हुए पंचायत एक दंपति के साथ हैवानियत पर उतर आई। दंपति पर दबाव बनाकर अपना ही मल-मूत्र खाने-पीने को विवश किया। सम्बन्धित जनपद के पूरो गांव के रॉबर्ट लकड़ा [65 वर्ष] व उसकी पत्नी कोलेस्टीना [60 वर्ष] इस हैवानियत के शिकार हुयी, दोनों को बीते आठ जुलाई को भरी पंचायत में पेश किया गया। पंचायत ने हैवानियत भरा फैसला सुनाते हुए उसपर अमल कराया। वहा के स्थानीय पुलिस - प्रशासन को इसकी भनक तक नही लगी, मामला जब जोर पकडा तब 11 लोगों के खिलाफ सोमवार को मामला दर्ज कर लिया गया।
अत: आपके से अनुरोध है की मामले मे त्वरित कार्यवाही करते हुए हैवानियत को कारित करने वाले और बढावा देने वाले पर कठोर से कठोर कानूनी कार्यवाही की जाए एवम पीडितो को सुरक्षा के साथ पुनर्वासन करायी जाए, जो आपकी बडी कृपा होंगी !
संलग्नक :- http://in.jagran.yahoo.com/news/national/crime/5_18_9475397.html झारखंड में दंपति के साथ पंचायत की हैवानियत लातेहार। झारखंड के लातेहार जिले में जादू टोने का अरोप लगाते हुए पंचायत एक दंपति के साथ हैवानियत पर उतर आई। दंपति पर दबाव बनाकर अपना ही मल-मूत्र खाने-पीने को विवश किया।
मामला जिले के पूरो गांव का है। जून में कई मवेशियों की अचानक मौत हो गई थी। ग्रामीणों का कहना था कि ऐसा गांव के रॉबर्ट लकड़ा [65] व उसकी पत्नी कोलेस्टीना [60] के जादू टोने से हुआ है। इसके बाद दोनों को बीते आठ जुलाई को भरी पंचायत में पेश किया गया। पंचायत ने हैवानियत भार फैसला सुनाते हुए उसपर अमल कराया। एसएसपी क्रांति कुमार ने बताया कि 11 लोगों के खिलाफ सोमवार को मामला दर्ज कर लिया गया।
-- Upendra Kumar Manager Model Block, PVCHR/JMN, Sa 4/2A, Daulatpur, Varanasi, U.P.-India-221002. Mob:- +91-9935599338
उत्तर प्रदेश के चन्दौली जनपद मे सार्वजनिक जमीन में स्थित शिव मन्दिर मे जलाभिषेक से रोके गये दलित और विरोध करने पर पुलिस ने की पिटाई के सन्दर्भ मे ! दिनांक - 18 जुलाई, 2012. सेवा मे, श्रीमान अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली - भारत ! विषय - उत्तर प्रदेश के चन्दौली जनपद मे सार्वजनिक जमीन में स्थित शिव मन्दिर मे जलाभिषेक से रोके गये दलित और विरोध करने पर पुलिस ने की पिटाई के सन्दर्भ मे ! महोदय, हम आपका ध्यान विषयक के सन्दर्भ मे आकृष्ट कराना चन्हुंगा, जहा सैयद्राज़ा थाना क्षेत्र के काजीपुर गांव में दलितों को शिव मंदिर में सोमवार को जाति सूचक शब्द इस्तेमाल कर जलाभिषेक से रोक दिया गया। यही नहीं निजी मंदिर बताकर धकियाते हुए उन्हें बाहर कर दिया गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने लाठियां फटकार कर लोगों को हटाने का प्रयास किया। इस दौरान पिटायी से बचने के लिए दो लोग कैलाश राम व शंकर राम नहर में कूद गये। नहर से निकालकर पुलिस ने उनकी जमकर पिटायी की और जीप में बैठाकर थाने भेज दिया। विदित हो की पिछले सोमवार को सभी जाति के लोगों ने यहां पूजा अर्चना की थी। लेकिन सोमवार को प्रात: 8 बजे से अनुसूचित जाति के लोगों को मना कर दिया गया और सार्वजनिक मंदिर में ताला लगाकर बाहर से पूजन अर्चन करने को कह दिया गया। जबकि राजस्व विभाग की तरफ से लेखपाल शंकर ने मानचित्र देखकर बताया कि शिव मंदिर सार्वजनिक जमीन में स्थित है। संलग्नक - http://www.rashtriyasahara.com/epapermain.aspx?queryed=9&eddate=07%2f17%2f2012 अत: आपसे से निवेदन है की मामले मे त्वरित न्यायोचित कार्यवाही करते हुए दलितो के गरिमा और अस्मिता को सुनिश्चित कराने के साथ सम्भावित दोषियो एवम पुलिस कर्मियो पर दण्डात्मक कार्यवाही करने की कृपा करे ! भवदीय (डा0 लेनिन) महासचिव मानवाधिकार जन निगरानी समिति, पता - सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी - 221002. उत्तर प्रदेश - भारत ! मो0 - +91-9935599333. ई-मेल - lenin@pvchr.asia संलग्नक - http://www.rashtriyasahara.com/epapermain.aspx?queryed=9&eddate=07%2f17%2f2012 विरोध करने पर पुलिस ने की पिटाई
शर्मनाक काजीपुर गांव में सार्वजनिक जमीन पर बना है मंदिर, निजी मंदिर बताते हुए दलितों के साथ की गई अभद्रता
सैयदराजा (एसएनबी)। स्थानीय थाना क्षेत्र के काजीपुर गांव में दलितों को शिव मंदिर में सोमवार को जाति सूचक शब्द इस्तेमाल कर जलाभिषेक से रोक दिया गया। यही नहीं निजी मंदिर बताकर धकियाते हुए उन्हें बाहर कर दिया गया। यह सूचना गांव में आग की तरह फैल गयी तो लोगों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त हो गया। मंदिर पर लोग इकठ्ठे हो गये और वाद-विवाद होने लगा। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने लाठियां फटकार कर लोगों को हटाने का प्रयास किया। इस दौरान पिटायी से बचने के लिए दो लोग नहर में कूद गये। नहर से निकालकर पुलिस ने उनकी जमकर पिटायी की और जीप में बैठाकर थाने भेज दिया। मामला बिगड़ता देख इसकी सूचना आला अधिकारियों को दी गयी।
सूचना पर एएसपी ऑपरेशन विजय भूषण, सीओ चकिया यशपाल सिंह, एसडीएम स्वामीनाथ पाठक, राजस्व निरीक्षक शिव शंकर पाठक, चन्दौली कोतवाल आरपी यादव मौके पर पहुंच गये। बताया जाता है कि श्रावण मास के द्वितीय सोमवार को जहां भक्तों ने शिवालयों व मंदिरों में जाकर जलाभिषेक कर मत्था टेका वहीं थाना क्षेत्र के काजीपुर गांव में 50 वर्ष पुराने शिव मंदिर को निजी मंदिर बताकर अनुसूचित जाति के लोगों को दर्शन पूजन करने से मना करने पर धर्म व आस्था के नाम पर बवाल हो गया और देखते ही देखते गांव में एक जाति विशेष के प्रति आक्रोश पैदा हो गया।
पिछले सोमवार को सभी जाति के लोगों ने यहां पूजा अर्चना की थी। लेकिन सोमवार को प्रात: 8 बजे से अनुसूचित जाति के लोगों को मना कर दिया गया और सार्वजनिक मंदिर में ताला लगाकर बाहर से पूजन अर्चन करने को कह दिया गया। मंदिर पर तैनात पुलिसकर्मियों ने व्याप्त तनाव से थानाध्यक्ष को अवगत कराया और फोर्स की मांग की। मौके पर पहुंची फोर्स ने लोगों को हटाने के लिए लाठियां फटकारनी शुरू कर दी। इससे डरकर कैलाश राम व शंकर राम पास ही स्थित नहर में कूद पड़े। लोगों का कहना है कि नहर से निकालकर उन दोनों की जमकर पिटाई की गई और हिरासत में थाने भिजवा दिया गया।
निजी मंदिर बताने वाली भोला यादव की पत्नी आशा देवी का कहना है कि पिछले वर्ष अक्टूबर माह में नवरात्र को रामफल की पत्नी सुधा ने मंदिर में मुग्रे की बलि दी थी, इसलिए मैंने उन्हें यहां पूजा अर्चना से मना किया। वहीं रामफल की पत्नी सुधा ने बताया कि मैंने अपने घर में शीतला मां की स्थापना की है और इसी की सफलता की कामना लेकर शिव मंदिर गयी थी। मुग्रे की बलि देने का आरोप सरासर गलत है। सूचना पाकर एएसपी ऑपरेशन विजय भूषण, सीओ चकिया यशपाल सिंह, एसडीएम स्वामीनाथ पाठक, राजस्व निरीक्षक शिव शंकर पाठक, चन्दौली कोतवाल आरपी यादव मौके पर पहुंच गये। वहां ग्रामीणों से बातचीत की और थाना बुलाकर मामले को सुलह समझौते के तहत मामले को हल कराया गया। राजस्व विभाग की तरफ से लेखपाल शंकर ने मानचित्र देखकर बताया कि शिव मंदिर सार्वजनिक जमीन में स्थित है। थाना प्रांगण में सुलह समझौते के तहत दोनों पक्षों को समझा बुझाकर मामले को रफा दफा कर दिया गया और मंदिर की सुरक्षा के लिए चार पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया गया। तनाव देखते हुए पीएसी भी बुला ली गई है।
उत्तर प्रदेश के सीतपुर जनपद मे खाकी वर्दी पहने डीएसपी ने अपने जूते से हटाया अज्ञात युवक के शव का कपडा व मृतक के लाश को भी पलट कर देखने की कोशिश के सम्बन्ध मे !
दिनांक - 18 जुलाई, 2012. सेवा मे, श्रीमान अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली - भारत ! विषय - उत्तर प्रदेश के सीतपुर जनपद मे खाकी वर्दी पहने डीएसपी ने अपने जूते से हटाया अज्ञात युवक के शव का कपडा व मृतक के लाश को भी पलट कर देखने की कोशिश के सम्बन्ध मे ! महोदय, हम आपका ध्यान विषयक के सन्दर्भ मे आकृष्ट कराना चन्हुंगा, जहा पुलिसिया असंवेदनशीलता के कारण मानवता शर्मसार हो गयी ! मामला यह है की सम्बन्धित जनपद के रेउसा इलाके के बसंतापुर गांव मे पैतीस वर्षीय एक अज्ञात युवक की लाश मिली, जिसके शरीर पर कई जगह धारदार हथियार से काटे जाने के निशान थे और कपडे कीचड. से सने थे ! वहा के ग्रामीणो ने इसकी सूचना पुलिस को दिये, जिस पर मौका - मुआयना करने डिप्टी एसपी अपने मातहत पुलिसकर्मियो के साथ पहुंचे ! खाकी वर्दी मे मौजूद डीसपी जयप्रकाश सिह यादव ने दम तोड. चुके आदमी की शिनाख्त के लिए हाथ लगाने की भी जहमत नही उठाई और उपस्थित स्थानीय लोंगो की मौजूदगी मे जूते से ही मृतक के शरीर पर पडे. कपडे. को हटाये तथा लाश को पलट कर देखने की भी कोशिश की गयी ! इस पुलिसिया असंवेदनशीलता का गवाह एक बार फिर उत्तर प्रदेश बना ! इस शर्मनाक वरदात को अंजाम देने वाले पुलिस कर्मी पूरे घटनाक्रम को ही झुठला रहे है, जबकि स्थानीय अखबार मे छपी फोटो अमानवीय हरकत व घिनौनी पडताल का साफ - साफ तस्वीर पेश कर रहा है, जिसे झुठलाया नही जा सकता ! संलग्नक देखे - http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20120718a_014190006&ileft=-5&itop=82&zoomRatio=130&AN=20120718a_014190006 अत: आपसे से निवेदन है की मामले मे त्वरित न्यायोचित कार्यवाही करते हुए मानव गरिमा और अस्मिता को सुनिश्चित कराने के लिए सम्भावित दोषी पुलिस कर्मी पर दण्डात्मक कार्यवाही करे व मृतक के हत्या मे उच्चस्तरीय जांच कराते हुए परिजनो को मुआवज़ा प्रदान कराने की कृपा करे ! भवदीय (डा0 लेनिन) महासचिव मानवाधिकार जन निगरानी समिति, पता - सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी - 221002. उत्तर प्रदेश - भारत ! मो0 - +91-9935599333. ई-मेल - lenin@pvchr.asia संलग्नक - http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20120718a_014190006&ileft=-5&itop=82&zoomRatio=130&AN=20120718a_014190006
छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर के बासागुडा में 28 जून की रात सुरक्षा बलों दवारा निर्दोष ग्रामीण आदिवासियों का नरसंहार के सन्दर्भ मे ! दिनांक - 06 जून, 2012.
सेवा मे,
श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग,
नई दिल्ली - भारत !
विषय - छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर के बासागुडा में 28 जून की रात सुरक्षा बलों दवारा निर्दोष ग्रामीण आदिवासियों का नरसंहार के सन्दर्भ मे !
महोदय,
हम आपका ध्यान विषयक की ओर आकृष्ट कराना चन्हुंगा, जहा केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल 19 ग्रामीणों में आठ नाबालिग बच्चे हैं जिनकी उम्र 13 साल से लेकर 16 साल के बीच है. घायलों में भी तीन नाबालिग बच्चे हैं.
अधिकारी जिन्होंने इस अभियान का नेतृत्व किया था कहते हैं कि सुरक्षा बलों के जवानों पर अत्याधुनिक हथियारों से गोलियां चलाई गई थी, जवाबी कारावाई में सुरक्षाबलों नें भी गोलियां चलाई थी.मगर इस मामले का गंभीर पहलू यह है कि घटना स्थल से हथियार बरामद किए जाने का जो दावा सुरक्षा बल के अधिकारी कर रहे हैं उनमे से एक भी अत्याधुनिक हथियार नहीं है.
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल ने जो घायल जवानों की मेडिकल रिपोर्ट उपलब्ध कराये है उसमे सिर्फ एक जवान हवालदार के.राजन के पैर में छर्रे के ज़ख्म की बात कही गई है, जबकि बाकी के पांच जवानों को अत्याधुनिक हत्यारों की गोलियों के जख्म हैं. यह वही हथियार हैं जिसका इस्तेमाल सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं.
जिन जवानों को अत्याधुनिक हथियारों की गोलियां लगी हैं उनमे कोबरा बटालियन के गयेंद्र सिंह, वहीदुल इस्लाम, अरुनव घोष, किशन कुमार और एसएस राणा शामिल हैं जिनका इलाज रायपुर के अस्पताल में चल रहा है.
वहा की पीडितो का कहना है, "हम सब बीच मैदान में बैठे थे. चारों तरफ से गोलियां चल रहीं थी. वही गोलियां सुरक्षाबल के जवानों को आपस में लगी हैं. उनकी गोलीबारी में गाँव के बैल मरे, सूअर मरे. जो लोग भग रहे थे उनपर सुरक्षाबल के जवान ही गोलियां चला रहे थे. उन्हें खुद की गोलियां लगी हैं और वह कह रहे हैं माओवादियों नें गोलियां चलायीं हैं. बैठक में सिर्फ ग्रामीण थे."
विदित हो की माओवादी के साथ मुठ्भेड के नाम पर इसी तरह की नरसंहार चलाया जाता है, और शासन तथा प्रशासन द्वारा माफी मांग कर और मामले मे हिला हवाली कर दबा दिया जाता है. यह मुठभेड़ नहीं 'नरसंहार' है.
बिना पूर्व सूचना के ग्राम भरदुआ, नौगढ़, जनपद चन्दौली में वनविभाग द्वारा 29 जून 2012 को आदिवासियों एवं दलितों की झोपडि़यों को गिराए जाने से सैंकड़ों परिवार बारिश के मौसम में बेघर और कई जनपदो मे अनुसूचित जनजाति के पहचान से महरूम होने पर संवैधानिक अधिका दिनांक - 06 जून, 2012. सेवा मे, माननीय मुख्यमंत्री जी, उत्तर प्रदेश शासन - लखनऊ ! विषय : - बिना पूर्व सूचना के ग्राम भरदुआ, नौगढ़, जनपद चन्दौली में वनविभाग द्वारा 29 जून 2012 को आदिवासियों एवं दलितों की झोपडि़यों को गिराए जाने से सैंकड़ों परिवार बारिश के मौसम में बेघर और कई जनपदो मे अनुसूचित जनजाति के पहचान से महरूम होने पर संवैधानिक अधिकार की बहाली कराने के सन्दर्भ मे ! महोदय, हम आपका ध्यान विषयक के सन्दर्भ मे आकृष्ट कराना चन्हुंगा, जहा वनविभाग मय पुलिस फोर्स व कुछ बी0एस0एफ के जवानों के साथ बुलडोज़र लेकर भरदुआ गांव में पहुंचे और लगभग 50 झोपड़ीयों को बिना किसी नोटिस दिए ढहा दिया। यह सभी झोपड़ीयां गोंड़ आदिवासीयों, मुसहर जाति, दलित व अन्य ग़रीब समुदाय की थी। वनविभाग द्वारा कहा जा रहा है " यह लोग अतिक्रमणकारी है जिसके लिए उन्हें जिलाधिकारी द्वारा र्निदेश दिए गए थे, इसलिए अतिक्रमण हटाया गया है। सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारी किसी भी आदेश - निर्देश को देने से इंकार किया है। विदित हो की यह कार्यवाही उन परिवारों पर की गई है जो कि प्रदेश में लागू वनाधिकार कानून - 2006 के अंतर्गत अपने अधिकारो को पाने के लिए हकदार है और यह परिवार 15 दिसम्बर 2006 के पूर्व से यहां बसे हुए हैं। पूर्व मे भी इन परिवारों को सन् 2003 में भी वनविभाग द्वारा इस भूमि से बेदखल किया गया था, इनकी फसलें उजाड़ दी गई थी और इन्हें अतिक्रमणकारी घोषित कर आदिवासीयों की ही भूमि पर वनविभाग द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया था। वनविभाग द्वारा मनमानी कार्यवाही की जा रही है व यहां पर रहने वाले आदिवासीयों का उत्पीड़न किया जा रहा है, उनके घरों से उन्हें बेदखल किया जा रहा है, उनके उपर झूठे मुकदमें लादे जा रहे हैं व उन्हें जेल भेजा जा रहा है। वनाधिकार कानून आदिवासी और दलित समुदायो के मानव गरिमा को बचाने व विस्थापन रोकने हेतु बनायी गयी, लेकिन चन्दौली जनपद मे वन विभाग द्वारा तभी से लगातार जमीन अधिग्रहण करने और वर्षो से उक्त जमीन पर रहते आ रहे गरीब लोंगो के साथ धोखा - धडी और उन्ही के समुदाय के लोंगो को पद और लालच दे कर विरोधी बनाने का कार्य वन विभाग द्वारा षड्यंत्रकारी रवैया रहा है, जैसा की पूर्व के काई मामलो मे कार्य करते हुए बाते सामने आयी है ! वनाधिकार कानून आने के बाद उनका उक्त भूमि पर दावा और भी मजबूत हुआ, लेकिन चन्दौली जनपद के आदिवासीयों के साथ जनपद के बंटवारे के चलते एक बार फिर धोखाधड़ी हुई। सन् 2002 में सपा सरकार के ही दौरान प्रदेश के तेरह आदिवासी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया था, उस समय चन्दौली जनपद वाराणसी में ही शामिल था। सन् 2004 में चन्दौली को पुन: एक अलग जनपद बनाया गया, अलग जनपद बनते ही चन्दौली जनपद में रहने वाले तमाम अनुसूचित जनजातियों को प्राप्त दर्जा भी उनसे छीन लिया गया। जबकि अगर वे वाराणसी में अनु0 जनजाति में शामिल थे तो राज्य सरकार द्वारा उन्हें वहीं दर्जा जनपद चन्दौली में दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया ! जिसके कारण आज भी जनपद चन्दौली के निवासी अपनी पहचान से महरूम हैं। यह भी एक विडम्बना ही है कि इस जनपद के आदिवासीयों को उनके संवैधानिक अधिकार की बहाल नहीं हो सकी है। सरकारों द्वारा यहां के आदिवासीयों की संवैधानिक अधिकारों की बहाली न करने का खामियाजा आज भी यहां के आदिवासी चुका रहे हैं जिन्हें वनाधिकार कानून 2006 से वंचित किया जा रहा है । वहीं वनविभाग द्वारा इस स्थिति का फायदा उठा कर मनमानी कार्यवाही की जा रही है व यहां पर रहने वाले आदिवासीयों का उत्पीड़न किया जा रहा है, उनके घरों से उन्हें बेदखल किया जा रहा है, उनके उपर झूठे मुकदमें लादे जा रहे हैं व उन्हें जेल भेजा जा रहा है। अनुभव यह भी रहा है की बरसात के मौसम मे ही वन विभाग द्वारा इस प्रकार की बर्बर कार्यवाही की जाती रही है, क्योकि पहला - जिससे वहा रह रहे गरीब लोंग असहाय हो भयंकर सबक ले और उनको इस तरह से तोड दिया जाय की दुबारा खडा न हो सके, जो मानव गरिमा के साथ घोर अमानवीय कृत्य है. दुसरा - बरसात मे गिराए व आग लगाये गये झोपडियो का अवशेष भी नही मिले, लोंग अपनी सर को छुपाने मे ही समय नष्ट कर देंगे. तिसरा - गरीबो को फर्जी मुकदमा मे फसाना भी इनका षडयंत्रकारी हथियार होता है. अत: आपसे अनुरोध है की मामले मे त्वरित कार्यवाही करते हुए विस्थापन को रोकी जाए और जनपद मे अनुसूचित जनजाति समुदाय को संवैधानिक अधिकार की बहाली कराते हुए वनाधिकार कानून को सख्ती से पालन का निर्देश दे तथा सैकडो पीडितो को सुरक्षा के साथ मुआवजा प्रदान कराने की कृपा करे ! भवदीय (डा0 लेनिन) महासचिव मानवाधिकार जन निगरानी समिति - वाराणसी, सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी - 221002. उत्तर प्रदेश - भारत ! मो0 - +91-9935599333. ई- मेल - lenin@pvchr.asia Please Visit :- www.pvchr.asia www.pvchr.net www.testimonialtherapy.org www.detentionwatch.blogspot.in संलग्नक :- ग्राम भरदुआ, नौगढ़, जनपद चन्दौली उत्तरप्रदेश में वनविभाग द्वारा 29 जून 2012 को आदिवासियों एवं दलितों की झोपडि़यों को बुलडोज़र द्वारा गिराए जाने से सैंकड़ों परिवार बारिश के मौसम में बेघर
चन्दौली 5 जुलाई: दिनांक 29 जून 2012 को जनपद चन्दौली के ग्राम भरदुआ तहसील चकिया में वनविभाग मय पुलिस फोर्स व कुछ बी0एस0एफ के जवानों के साथ बुलडोज़र लेकर इस गांव में पहुंचे और लगभग 50 झोपड़ीयों को बिना किसी नोटिस दिए ढहा दिया। यह सभी झोपड़ीयां गोंड़ आदिवासीयों, मुसहर जाति, दलित व अन्य ग़रीब समुदाय की थी। उनमें कुछ लोगों के नाम रामवृक्ष गोंड़, सीताराम पु़़़त्र रामेशर, बलीराम पुत्र सुकालु अहीर, सुखदेव पुत्र रामवृक्ष गोंड़, रामसूरत गोंड, कालीदास पुत्र मोतीलाल गोंड, मनोज पुत्र रामजीयावन गोंड, सुखराम पुत्र शिववरत गोंड, शिवकुमारी पत्नि रामदेव गोंड, माधो पुत्र टेगर मुसहर, विद्याप्रसाद पुत्र सुखई गडेरी, हीरालाल पुत्र गोवरधन मुसहर, बबुन्दर पुत्र मोती मुसहर, पुनवासी पत्नि टेगर मुसहर, कलावती पत्नि विक्रम मुसहर, राधेश्याम पुत्र रामप्यारे मुसहर, अंगद पुत्र रामप्यारे मुसहर, महरी पत्नि स्व0 रामवृक्ष मुसहर, राजेन्द्र पुत्र मोती मुसहर, कलावती पत्नि रामअवध अनु0 जाति, गंगा पुत्र सुखई गड़ेरी,कालीप्रसाद पुत्र तिवारी कोल, रामप्यारे पुत्र कतवारू मुसहर हैं। वनविभाग द्वारा यह कहा जा रहा है कि यह लोग अतिक्रमणकारी है जिसके लिए उन्हें जिलाधिकारी द्वारा र्निदेश दिए गए है इन अतिक्रमण को हटाने के लिए। जब जिलाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने इस तरह के किसी भी आदेश को देने से इंकार किया है। यह कार्यवाही उन परिवारों पर की गई है जो कि प्रदेश में लागू वनाधिकार कानून 2006 के अंतर्गत अपने अधिकारो को पाने के लिए हकदार है। और यह परिवार 15 दिसम्बर 2006 के पूर्व से यहां बसे हुए हैं। रा0 वनजन श्रमजीवी मंच से जुड़े कायकर्ता इस क्षेत्र में कई वर्षो से वनाधिकारों के मामले में सघन अनुसंधान कर रह हैं जिसके कारण हम इन परिवारों से पिछले दस वर्षो से जुड़े हुए है। इन परिवारों को सन् 2003 में में भी वनविभाग द्वारा इस भूमि से बेदखल किया गया था, इनकी फसलें उजाड़ दी गई थी और इन्हें अतिक्रमणकारी घोषित कर आदिवासीयों की ही भूमि पर वनविभाग द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया था। यह परिवार वनविभाग से लगातार संघर्ष करते रहे व फिर 2005 में इन परिवारों ने अपनी भूमि को वापिस हासिल किया। वनाधिकार कानून आने के बाद उनका उक्त भूमि पर दावा और भी मजबूत हुआ लेकिन चन्दौली जनपद के आदिवासीयों के साथ जनपद के बंटवारे के चलते एक बार फिर धोखाधड़ी हुई। सन् 2002 में सपा सरकार के ही दौरान प्रदेश के तेरह आदिवासी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया था उस समय चन्दौली जनपद वाराणसी में ही शामिल था। सन् 2004 में चन्दौली को पुन एक अलग जनपद बनाया गया, अलग जनपद बनते ही चन्दौली जनपद में रहने वाले तमाम अनुसूचित जनजातियों को प्राप्त दर्जा भी उनसे छीन लिया गया। जबकि अगर वे वाराणसी में अनु0 जनजाति में शामिल थे तो राज्य सरकार द्वारा उन्हें वहीं दर्जा जनपद चन्दौली में दिया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया जिसके कारण आज भी जनपद चन्दौली के निवासी अपनी पहचान से महरूम हैं। यह भी एक विडम्बना ही है कि इस जनपद के आदिवासीयों को एक सरकार ने अनु0 जनजाति का दर्जा और दूसरी सरकार ने इस दर्जे को छीन लिया। इस से ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात और क्या हो सकती है कि अभी तक यहां के आदिवासीयों को कोई भी सरकार उनके संवैधानिक अधिकार को बहाल नहीं कर पाई है। सरकारों द्वारा यहां के आदिवासीयों की संवैधानिक अधिकारों की बहाली न करने का खामियाजा आज भी यहां के आदिवासी चुका रहे हैं जिन्हें वनाधिकार कानून 2006 से वंिचत किया जा रहा है । वहीं वनविभाग द्वारा इस स्थिति का फायदा उठा कर मनमानी कार्यवाही की जा रही है व यहां पर रहने वाले आदिवासीयों का उत्पीड़न किया जा रहा है, उनके घरों से उन्हें बेदखल किया जा रहा है, उनके उपर झूठे मुकदमें लादे जा रहे हैं व उन्हें जेल भेजा जा रहा है। -- Upendra Kumar Manager Model Block, PVCHR/JMN, Sa 4/2A, Daulatpur, Varanasi, U.P.-India-221002. Mob:- +91-9935599338
महिला कांस्टेबल द्वारा पीडित महिला के साथ दुर्व्यवहार करना और सार्वजनिक रूप से मानसिक प्रताडित करने के सन्दर्भ मे ! दिनांक - 06 जून, 2012.
सेवा मे,
श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग,
नई दिल्ली - भारत !
विषय - महिला कांस्टेबल द्वारा पीडित महिला के साथ दुर्व्यवहार करना और सार्वजनिक रूप से मानसिक प्रताडित करने के सन्दर्भ मे !
महोदय,
हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश के वराणसी जनपद के सारनाथ थाना क्षेत्र के दनियालपुर् गांव के निवासनी शिल्पा की ओर आकृष्ट कराना चान्हुगा, जहा एसएसपी आफिस मे बने महिला प्रकोष्ठ के महिला कांस्टेबल द्वारा बयान लेने हेतु बुलाये गयी घरेलू हिंसा के प्रताडित पीडिता के साथ सार्वजनिक रूप से कचहरी परिसर मे एक वकील के चौकी पर मानसिक रूप से प्रताडित किया गया और फरमान जारी कर कहा कि चलो सुलह हो गयी !
एक तरफा कार्यवाही और दुर्वयवहार के कारण पीडिता रोने लगी तथा लडकी के परिजन ने जब कहा की इस तरह से गांव के लोंगो के सामने खिल्ली उडाना बन्द करे तब महिला कांस्टेबल ने डांट कर बोली की लडकी वालो को जेल भेज देंगे, कम उम्र मे शादी हुयी है. वहा पर सैकडो की सख्या मे लोंग ईकठ्ठा हो गये, फिर भी महिला कांस्टेबल ने वही पर कार्यवाही कराना जरूरी समझा !
समिति के लोंगो ने जब इस पर आपत्ति जाहिर किया तब वे बोली की मुझे इस योग्य समझा गया है, इसलिए मुझे जांच करने को सौपा गया है !
महिला कांस्टेबल ने लगाई कचहरी, खड़ा हुआ बखेड़ा • अमर उजाला ब्यूरो वाराणसी। महिला कांस्टेबल ने पूछा 'बताओ तुमने क्या तय किया?' पति ने कहा 'साथ जाना चाहती है। मैं उसे रखने को तैयार हूं।' कांस्टेबल ने कहा 'पत्नी की उमर कम है। मारना-पीटना नहीं। बीमार होने पर इलाज कराना। कोई शिकायत नहीं मिलनी चाहिए।' उसके बाद उसने दोनों के अभिभावकों को समझाना शुरू किया। लड़की की मां को डांटा 'कम उम्र में शादी कर देती हो, मुकदमा चलेगा तो समझ जाओगी।' फिर सबसे मुखातिब हुई और कहा कि दोनों की सास ही मिलने नहीं देना चाहतीं। लड़की की सास से कहा कि गांव की औरतों को बुलवाकर बहू की खिल्ली उड़ाना बंद करो। पूरी कार्रवाई एसएसपी आफिस में बने महिला प्रकोष्ठ की बजाय कलक्ट्रेट में एक अधिवक्ता की चौकी पर चल रही थी। इस तरह कचहरी लगाने का लड़की पक्ष के लोगों ने विरोध भी किया, लेकिन कांस्टेबल ने कुछ नहीं सुनी और फरमान जारी कर कहा कि चलो सुलह हो गई। जाओ फोटो खिंचवाकर आओ। उसके बाद लड़की फूट-फूटकर रोने लगी। वधू पक्ष के लोग बयान दिए बगैर ही चले गए। बखेड़ा खड़ा हो गया। ऐसे में कांस्टेबल पति को महिला प्रकोष्ठ ले गई और वहां बयान दर्ज किया। दनियालपुर के रहने वाली युवती की शादी खालिसपुर के एक युवक से हुई थी। युवती की मां ने आवेदन दिया कि उसने एक तोले सोने की चेन, मोटरसाइकिल के लिए 60 हजार रुपये तथा अन्य सामान दिए पर ट्राली चलाकर गुजारा करने वाला पति मनोज, ससुर मुन्नू, सास कलावती देवी और दो ननदें उसकी बेटी को प्रताड़ित कर रही हैं। उसपर 50 हजार रुपये लाने के लिए दबाव डाला गया। इनकार करने पर उसकी पिटाई की गई। बीमार होने पर उसका इलाज तक नहीं कराया जाता। इसी मामले की सुनवाई सरेआम कर दी गई। महिला के अधिवक्ता ने चेग्वारा रघुवंशी ने सार्वजनिक रूप से बयान लेने पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि महिला पहले से ही पीड़ित है। इस तरह उसे और प्रताड़ित किया जा रहा है। इसपर कांस्टेबल भड़क गई। आवेदन तमाम अधिकारियों के पास से यहां आया है। उन्होंने मुझे किसी काबिल समझा है तब तो जांच सौंपी है। प्रकोष्ठ में अंधेरा होने के कारण यहां बयान लेना पड़ रहा है। वधू पक्ष की ओर से आए मानवाधिकार कार्यकर्ता शिव प्रताप चौबे का कहना है कि वह इस मामले में जिलाधिकारी को शपथपत्र देंगे। •पीड़ित महिला से सार्वजनिक रूप से बयान लेने पर भड़का मामला, डीएम को देंगे शपथ पत्र -- Upendra Kumar Manager Model Block, PVCHR/JMN, Sa 4/2A, Daulatpur, Varanasi, U.P.-India-221002. Mob:- +91-9935599338
विषय - सिपाही के पिटाई के कारण वृद्ध की मौत के सन्दर्भ मे !
महोदय,
हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर जनपद के करंडा थाना क्षेत्र के मेदिनीपुर गांव के शिवजनम गुप्ता की ओर आकृष्ट कराना चान्हुगा, जहा करंडा थान के सिपाही के द्वारा मारपीट के दौरान उनकी मौत हो गयी !
विदित हो की इस तरह की समझौता कराने मे पुलिसकर्मी द्वारा एक पक्षीय कार्यवाही की जाती है और समझाने के जगह मारपीट कर रौब बनाना तथा चुप्पी की संस्कृति को बढावा दिया जाता है, इस मामले मे भी डी.के.बसु बनाम प0 बंगाल मे दिये गये फैसलो की धज्जिया उडायी गयी है.
अत: आपसे अनुरोध है की मामले मे न्यायिक जांच कराते हुए कानूनी कार्यवाही की जाए और पीडित परिजनो को सुरक्षा के साथ मुआवजा प्रदान कराने की कृपा करे !
सिपाही के थप्पड़ से वृद्ध की मौत ! •संवाददाता करंडा (गाजीपुर)। बहू के शिकायती पत्र पर पूछताछ के लिए रविवार को करंडा थाने में बुलाए गए एक वृद्ध की मौत हो गई। इस मामले में मृतक के पुत्र ने एक सिपाही पर कई आरोप लगाते हुए तहरीर दी है। उसका कहना था कि थाने में रौब गालिब करते हुए सिपाही ने मेरे पिता को थप्पड़ जड़ दिया। इससे उनकी हालत इस कदर बिगड़ी की वह चले बसे। एसपी सिटी ने मृतक को हार्ट का मरीज बताते हुुए कांस्टेबल पर लगाए गए आरोप को निराधार बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है। वाकया करंडा थाना क्षेत्र के मेदिनीपुर गांव का है। यहां शिवजनम गुप्ता के दो पुत्रों में बड़े पुत्र ताराचंद की मौत हो गई है। मृतक की विधवा चंद्रशीला अपने पुत्र भूपेंद्र गुप्ता के सहारे गुजर बसर कर रही है। हिस्से के बंटवारे को लेकर उसका घर में ही विवाद चल रहा है। बीते 29 जून को विधवा ने अपने ससुर शिवजनम गुप्ता तथा देवर कमला गुप्ता के खिलाफ पुलिस को तहरीर देकर मामले में न्याय की गुहार लगाई। रविवार को करंडा थाने के सिपाही विजय बहादुर कुशवाहा को थानाध्यक्ष दयाशंकर पांडेय ने मेदिनीपुर गांव भेजा और दोनों पक्षों को बुलाकर थाने पर लाने को कहा। साढ़े नौ बजे एक पक्ष से कमला गुप्ता पिता 80 वर्षीय शिवजनम गुप्त को बाइक पर बैठा कर थाने पहुंचा। कमला की मां मुराही देवी भी अपनी छोटी बहू बृजरानी के साथ थाने पर पहुंच गई। पिता को थाना परिसर में उतारा। थोड़ी ही देर में उनकी हालत बिगड़ गई और मौत हो गई। •गाजीपुर के करंडा थाना परिसर में हुई घटना
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Fwd: पीडित अमरनाथ शर्मा के पुत्र अमित कुमार के अपहरण मामले मे स्थानीय पुलिस थाना द्वारा हिला - हवाली करना और सम्भावित दोषियो के खिलाफ कार्यवाही नही करने के सन्दर्भ मे !
---------- Forwarded message ---------- From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com> Date: 2012/7/3 Subject: पीडित अमरनाथ शर्मा के पुत्र अमित कुमार के अपहरण मामले मे स्थानीय पुलिस थाना द्वारा हिला - हवाली करना और सम्भावित दोषियो के खिलाफ कार्यवाही नही करने के सन्दर्भ मे ! To: uppcc-up@nic.in Cc: lenin@pvchr.asia, Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>
दिनांक - 03 जुलाई, 2012. सेवा मे, श्रीमान पुलिस महानिदेशक, लखनऊ - उत्तर प्रदेश ! विषय :- पीडित अमरनाथ शर्मा के पुत्र अमित कुमार के अपहरण मामले मे स्थानीय पुलिस थाना द्वारा हिला - हवाली करना और सम्भावित दोषियो के खिलाफ कार्यवाही नही करने के सन्दर्भ मे ! महोदय, हम आपका ध्यान विषयक के सम्बन्ध मे आकृष्ट कराना चन्हुंगा, पीडित अमरनाथ शर्मा, पुत्र - स्व0 शिव प्रसाद शर्मा, निवासी - मोहल्ला - 12/87, सी0, लह्ंगपुरा, थाना - चेतगंज, वाराणसी जनपद के है, उनके 19 वर्षीय पुत्र अमित कुमार का दिनांक 29 मई, 2012 को लगभग 6:00 बजे शाम मे अपहरण किया गया ! जिसके तत्काल सूचना स्थानीय थाना चेतगंज के की गयी, वहा गुमशुदगी का मामला दर्ज की गयी ! इस सन्दर्भ मे दिनांक 05 जून, 2012 को पीडित द्वारा मु0अ0स0 144/12, थाना चेतगंज मे नामजद प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराया गया, लेकिन आज तक उनके पुत्र का कोई अता- पता नही चल सका है, दूसरी तरफ सम्भावित दोषियो सिद्धनाथ शर्मा, उनका साला दिलीप कुमार शर्मा पुत्र - मुरारी शर्मा द्वारा घूम - घूमकर कह रहे है की अबकि बारी अमरनाथ की है, जबकि F.I.R मे ये लोंग नामजद है. वही सम्बन्धित थाना जांच प्रक्रिया न चलाकर उल्टे पीडित को ही धमका रहे है, और विवेचना के नाम पर हिला - हवाली की जा रही है. न्यायोचित कानूनी कार्यवाही के लिए पीडित उच्च अधिकारियो से गुहार भी लगाये, लेकिन मामले मे किसी भी प्रकार की उचित कार्यवाही नही की गयी है, जिससे पीडित का मनोस्थिति बिगडती जा रही है और हताश व निराश है ! अत: श्रीमान से निवेदन है की मामले मे हस्तक्षेप कर पीडित के पुत्र को बरमदी करवाने तथा परिजन व गवाहो को सुरक्षा प्रदान कराते हुए सम्भावित दोषियो एवम थाना पर न्यायोचित कार्यवाही करने की कृपा करे !
किशुन, पुत्र - जगरनाथ मौर्य, निवासी :- ग्राम - हिन्दुवारी, थाना - राबर्टगंज, जिला - सोनभद्र, राज्य -उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जेल के अन्दर न्यायिक हिरासत मे मौत पर शिकायत के सन्दर्भ मे ! दिनांक - 03 जुलाई, 2012.
सेवा मे,
श्रीमान अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली – भारत ! विषय :- श्री किशुन, पुत्र - जगरनाथ मौर्य, निवासी :- ग्राम - हिन्दुवारी, थाना - राबर्टगंज, जिला - सोनभद्र, राज्य -उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जेल के अन्दर न्यायिक हिरासत मे मौत पर शिकायत के सन्दर्भ मे ! महोदय / महोदया, आपको उपरोक्त घटना के बारे में Detention Watch " गिरफ्तारी पर गश्त " के तहत मानावाधिकार जन निगरानी समिति ( PVCHR ) सूचित करा रहा है कि इस घटित उपरोक्त घटना की हालात के बारे में संदेह है ! इसलिए कानून के राज के तहत जबाबदेही के लिए आवश्यक कार्यवाही जरूरी हैं ! मैं राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से अनुरोध करता हू कि इस मामले में हो चुकी जांच पर यदि आवश्यक हो तो न्यायिक जांच गठित कर हस्तक्षेप करें ! यह भी जरूरी है की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी दिशा - निर्देशों के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा पालन करने और विधिवत सूचना दिया गया या नही ? मामले मे दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू किया जाना चाहिए ! मृतक के निकट आश्रित को न केवल पर्याप्त रूप से मुआवजा दिया जाना चाहिए, साथ ही साथ प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक – सामाजिक कार्यकर्ता से मनोवैज्ञानिक सहायता देना भी जरूरी है ! धन्यवाद ! भवदीय / भवदीया ( डा0 लेनिन) महासचिव – Detention Watch "गिरफ्तारी पर गश्त" C/O:- मानवाधिकार जन निगरानी समिति (PVCHR) सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश – 221002. ईमेल – lenin@pvchr.asia
विध्धुत करंट से झुलसे विध्धुत मज़दूर की मौत के सन्दर्भ मे ! दिनांक - 06 जून, 2012.
सेवा मे,
श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग,
नई दिल्ली - भारत !
विषय - विध्धुत करंट से झुलसे विध्धुत मज़दूर की मौत के सन्दर्भ मे !
महोदय,
हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश के वराणसी जनपद के काशी सब स्टेशन पर लगी आग बुझाने के दौरान झुलस गये मज़दूर अल्पू उम्र - 55 वर्ष की ओर आकृष्ट कराना चान्हुंगा ! जिसकी मौत एक निजी अस्पताल मे हो गयी !
मृतक संविदा पर कार्यरत था, पहले भी इस तरह की हादसे वहा हो चुके है, फिर भी अधिकारीगण इस ओर लापरवाही बरतते है और संविदाकर्मियो के प्रति उपेक्षा रखते है ! जो मानव गरिमा के साथ खिलवाड है !
अत: आपसे अनुरोध है की मामले मे न्यायोचित कानूनी कार्यवाही करते हुए पीडित के परिजन को उचित मुआवजा प्रदान कराने की कृपा करे ! .
भवदीय (डा0 लेनिन)
महासचिव मानवाधिकार जन निगरानी समिति - वाराणसी, सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी - 221002, उत्तर प्रदेश - भारत ! मो0 - +91-9935599333. ई - मेल - lenin@pvchr.asia
GAGANJIT SINGH, S/O KARTAR SINGH, निवासी :- जिला - FEROZEPUR, राज्य - PUNJAB के CENTRAL JAIL, FEROZEPUR के अन्दर मौत पर शिकायत के सन्दर्भ मे ! दिनांक - 30 मार्च, 2012.
सेवा मे,
श्रीमान अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली – भारत ! विषय :- दिनांक - 31/12/2011 को श्री / सुश्री GAGANJIT SINGH, S/O KARTAR SINGH, निवासी :- जिला - FEROZEPUR, राज्य - PUNJAB के CENTRAL JAIL, FEROZEPUR के अन्दर मौत पर शिकायत के सन्दर्भ मे ! महोदय / महोदया, आपको उपरोक्त घटना के बारे में Detention Watch " गिरफ्तारी पर गश्त " के तहत मानावाधिकार जन निगरानी समिति ( PVCHR ) सूचित करा रहा है कि इस घटित उपरोक्त घटना की हालात के बारे में संदेह है ! इसलिए कानून के राज के तहत जबाबदेही के लिए आवश्यक कार्यवाही जरूरी हैं ! मैं राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से अनुरोध करता हू कि इस मामले में हो चुकी जांच पर यदि आवश्यक हो तो न्यायिक जांच गठित कर हस्तक्षेप करें ! यह भी जरूरी है की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी दिशा - निर्देशों के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा पालन करने और विधिवत सूचना दिया गया या नही ? मामले मे दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू किया जाना चाहिए ! मृतक के निकट आश्रित को न केवल पर्याप्त रूप से मुआवजा दिया जाना चाहिए, साथ ही साथ प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक – सामाजिक कार्यकर्ता से मनोवैज्ञानिक सहायता देना भी जरूरी है ! धन्यवाद ! भवदीय / भवदीया ( शीरीन शबाना खान ) सिनियर मेम्बर मैनेजमेंट कमेटी – Detention Watch "गिरफ्तारी पर गश्त" C/O:- मानवाधिकार जन निगरानी समिति (PVCHR) सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश – 221002. ईमेल – shabana@pvchr.asia
उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद स्थित विकलाग युवक पर पुलिसिया कहर के सन्दर्भ मे !
दिनांक - 07 अप्रैल, 2012. सेवा मे, श्रीमान अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली - भारत ! विषय :- उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद स्थित विकलाग युवक पर पुलिसिया कहर के सन्दर्भ मे ! महोदय, हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद स्थित अस्पताल मे विकलाग युवक पर पुलिसिया कहर की ओर आकृष्ट कराना चाहुंगा, दिनाक 06 अप्रैल, 2012 को उक्त अस्पताल मे स्थानीय पुलिस कर्मी द्वारा विकलांग युवक को बेरहमी से पिटते हुए अस्पताल के बाहर फेंक दिया गया ! लिंक संलगन है :- http://www.youtube.com/watch?v=pZ1iDSYTVE4&feature=email अत: महोदय से निवेदन है की मामला मे स्वत: संज्ञान लेते हुए सम्भावित दोषी पुलिस कर्मी पर कठोर से कठोर कानूनी कार्यवाही करते हुए पीडित व गवाहो को सुरक्षा के साथ पीडित युवक को मुआवजा प्रदान कराने की कृपा करे ! भवदीय डा0 लेनिन मानवाधिकार जन निगरानी समिति, वाराणसी - उत्तर प्रदेश - भारत ! मो0 :- +91 - 9935599333. Please Visit :- www.pvchr.asia www.pvchr.net www.testimonialtherapy.org www.detentionwatch.blogspot.in
नाबालिक लड़की के साथ जबरदस्ती यौन उत्पीडन और केस को दबाने में प्रसाशन का आरोपी का साथ देने के सम्बन्ध में
---------- Forwarded message ---------- From: PVCHR MINORITY <minority.pvchr@gmail.com> Date: 2012/4/15 Subject: नाबालिक लड़की के साथ जबरदस्ती यौन उत्पीडन और केस को दबाने में प्रसाशन का आरोपी का साथ देने के सम्बन्ध में To: jrlawnhrc@hub.nic.in, akpnhrc@yahoo.com
सेवा में,
अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नई दिल्ली'
पीडिता का नाम - सुरु पुत्री सलूका, निवासिनी ग्राम - गुलकेडा गुड़ा साईं, पोस्ट - चिडूवेडा, थाना - चक्रधरपुर, जिला - पश्चिम सिंह भूम, राज्य- झारखण्ड.
संभावित आरोपी का नाम -
बैजू यादव भत्ता मालिक, निवासी ग्राम - पचवर (रेलवे लाइन के किनारे) थाना - केराकत, जौनपुर
महोदय,
विदित हो की उपरोक्त पीडिता को जनवरी २०१२ से उपरोक्त आरोपित दबंग भत्ता मालिक द्वारा अपने यहाँ जबरिया मजदूरी कराया जा रहा था. उक्त भत्ता मालिक काफी मनबढ़ व क्षेत्र में काफी प्रभाववाला व दबंग व्यक्ति है. जहाँ पीडिता का उक्त आरोपित द्वारा जबरिया यौन शोषण किया जा रहा था तथा पीडिता को उक्त आरोपित लगातार गर्भ धारण न करने वाली गर्भ निरोधक दवाये जबरिया खिला रहा था. इस पीडिता को बाल कल्याण समिति, वाराणसी के आदेशानुसार मुख्य चिकित्साधिकारी को मेडिकल जाँच करने हेतु भेजा गया था. परन्तु पीडिता के मेडिकल रिपोर्ट में हाईजीन रिपोर्ट पाजिटिव दर्शायी गयी है और सेक्सुअल सम्बन्ध की बात भी पुरे मेडिकल रिपोर्ट में कही भी नहीं दर्शायी गयी है. जिससे पीडिता के मेडिकल रिपोर्ट पर संदेह उत्तपन होता है की पीडिता का मेडिकल रिपोर्ट वास्तविकता से परे बनाई गयी है. इसके साथ ही जब पीडिता को मानवाधिकार कार्यकर्ती छाया कुमारी उक्त पीडिता का मेडिकल कराने ले गयी थी तो डॉ अनुपमा जिन्होंने मेडिकल जांच रिपोर्ट बनाई है. उनकी अभी नयी नियुक्ति हुयी है और बात चित के दौरान डाक्टर ने बताया की बलात्कार के १०-१५ दिन के बाद रिपोर्ट में कुछ भी नहीं आता है. इस मामले में यह कहना है की मेडिकल रिपोर्ट में शारीरिक सम्बन्ध की बाते स्पष्ट हो ही जाती है यदि किसी महिला के साथ लगातार दो-तीन महीने से यौनिक क्रिया हो रही हो तो हाईजीन रिपोर्ट पाजिटिव कैसे आ सकती है? उक्त तथ्यों को देखते हुए यह अनुरोध है की इस मामले में मेडिकल बोर्ड का गठन कर पीडिता का पुनः मेडिकल कराया जाय और यदि पीडिता की मेडिकल रिपोर्ट सही नहीं है तो सम्बंधित डाक्टर द्वारा अनुसूचित जाति की महिला के साथ भेद भाव पूर्ण व्यव्हार करने वाले डाक्टर के विरुद्ध एस सी/एस टी एक्ट के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया जाय. पीडिता इस वक्त अपने पिता की सुपुर्दगी में अपने स्थायी निवास राज्य- झारखण्ड में है.
· चूँकि पीडिता की उम्र १६ वर्ष है इसलिए आरोपित के विरुद्ध ३७६ IPC व SC/ST एक्ट के तहत मुक़दमा पंजीकृत किया जाय · पीडिता को जबरदस्ती भट्टे पर मजदूरी कराने वाले आरोपित भत्ता मालिक के विर्य्द्ध बंधुआ मजदूरी मुक्ति अधिनियम १९७६ के अंतर्गत भी मुक़दमा पंजीकृत किया जाय व मुक्ति प्रमाण पत्र प्रदान कर पुनर्वास किया जाय. · पीडिता को सक/सत अधिनियम के तहत मुआवजा भी दिलाया जाय. · पीडिता के बाल कल्याण समिति वाराणसी के समक्ष दिए गए बयां को साक्ष्य मानते हुए उपरोक्त आरोपित के ऊपर अविलम्ब कार्यवाही की जाय. · पीडिता का स्थानीय न्यायलय के सक्षम प्राधिकारी के समक्ष १६४ Crpc के तहत कलमबद्ध बयां दर्ज कराया जाय
भवदीय
डॉ लेनिन
(महासचिव) उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जनपद स्थित बाल गृह में मासूम बच्चियों से बलात्कार के सन्दर्भ मे !
सेवा मे, श्रीमान अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली - भारत ! विषय :- उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जनपद स्थित बाल गृह में मासूम बच्चियों से बलात्कार के सन्दर्भ मे ! महोदय, हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जनपद स्थित बाल गृह में मासूम बच्चियों से बलात्कार के सन्दर्भ की आकृष्ट कराना चन्हुंगा, जहा लगातार वहा के पहरूओ द्वारा हैवानित का खेल मासूम बच्चियो पर खेला जा रहा था. मामला प्रकाश मे आ जाने के कारण कार्यवाही की पहल हुई है, नही तो यह समझा जा सकता है की उन बच्चियो की रहन - सहन और बालपन पर क्या असर पड रहा था, और पडेगा ! महोदय इस मालले की स्थिति के देखते हुए कह सकते है की अन्य स्थानो की बाल गृह की स्थिति भी एसी हो सकती है, अगर चार दिवारी से बाहर बाते निकल कर आये, अधिकारो का हनन के लिए और सामंती प्रवृति के लोंगो के लिए इस तरह की गृह अनुकूल होती जा रही है ! जैसा की पढने और सुनने को भी मिलती है ! इस घटना से जुडी तथ्य निम्न और संलगन लिंक है :- बाल गृह में मासूम बच्चियों से बलात्कार इलाहाबाद: अनाथ बच्चों के बाल शिशु गृह में तीन बच्चियों के साथ बलात्कार की सनसनीखेज घटना सामने आई है. मामला संगम नगरी इलाहाबाद का है.
अनाथ बच्चों को सहारा देने के लिए इलाहाबाद में बनाए गए बाल शिशु गृह में उस वक्त इंसानियत शर्मसार हो गई जब तीन मासूम बच्चियों से बलात्कार के मामले का खुलासा हुआ. वीडियो देखें
घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने आरोपी चपरासी के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया. खबर है कि आरोपी ने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया है.
पीड़ित बच्चियां सात से नौ साल की हैं और ये अब भी शिशु गृह में ही रह रही हैं. बताया जा रहा है कि आरोपी चपरासी अफसरों के जाने के बाद रात को बच्चियों को डरा-धमका कर मनमानी करता था.
शिशु गृह की सुपरीटेंडेंट को लापरवाही के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है. इस मामले की खुलासा तब हुआ जब गोद ली गई एक बच्ची ने इसकी शिकायत की. http://star.newsbullet.in/crime/41-more/26855-2012-04-06-08-54-31 बच्चो और अन्य इस तरह के रखने और रहने वाले गृहो मे महिलाओ को ही रखना बेहतर है, गृहो की चाभी और देख - रेख मे प्रतिदिन की सलाहकार समितियो और जिम्मेदार व्यक्तियो को सौपा जाय और किसी भी पद या स्थान पर एक ही जैसी लोंगो को लगातार नही रखा जाए ! अत: महोदय से निवेदन है की मामला मे स्वत: संज्ञान लेते हुए निर्णायक आदेश पारित करे और दोषियो पर कठोर से कठोर कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करे ! भवदीय डा0 लेनिन मानवाधिकार जन निगरानी समिति, वाराणसी - उत्तर प्रदेश - भारत ! हालात-ए-बजरडीहा, आवाज-ए-बजरडीहा http://visfot.com/home/index.php/permalink/6106.html
मानवाधिकार जननिगरानी समिति एवं यूरोपियन यूनियन के संयुक्त प्रयास से भारत में मुस्लिमों पर बढ़ते पुलिसियां उत्पीड़न को कम करने व जमीनी स्तर पर मानवाधिकार संगठनों में मजबूतीकरण के लिए यूरोपियन यूनियन (नई दिल्ली) की दो महिला प्रतिनिधि एवं राजनैतिक सामाजिक स्तर के वरिष्ठ प्रगतिशील बुद्धजीवियों के साथ मुस्लिमों की वर्तमान सामाजिक आर्थिक स्थिति, पुलिसिया अत्याचार और समाज में व्याप्त साम्प्रादायिकता में कम करने के विकल्पों के मुद्दे पर साझा बैठक मदरसा, उस्मानियां बजरडीहा बनारस में हुआ।
कार्यक्रम में आये हुये प्रतिनिधियों का स्वागत मानवाधिकार जननिगरानी समिति के महासचिव डा0 लेनिन ने करते हुये मुस्लिमों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति को साझा किये तथा मानवाधिकार मार्गदर्शिका पुस्तिका का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।
बीएचयू के भूतपूर्व आइसा नेता सुनील यादव ने कहा कि उदारवाद के नाम पर जो बाजारवाद चल रहा हैं, उसके खिलाफ लड़ाई जारी रखते हुए इसकी दिशा तय करनी होगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब देश में कोई आतंकवादी घटना होती है तो उत्पीड़न मुस्लिमों के साथ ही होता हैं और राजनैतिक पार्टीयां लगातार तुष्टिकरण की बात करती हैं लेकिन सच्चर कमेटी ने इन सभी दावों की पोल खोल कर रख दी हैं। जिसमें साफ-साफ कहा गया हैं कि भारत में सबसे अधिक हासिये पर रही अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों से भी अधिक बुरी एवं बदतर स्थिति आज मुस्लिमों की हैं।
आगे की कड़ी में कौमी एकता दल के अतहर जमाल लारी ने कहा हम होली मिलन, ईद मिलन कार्यक्रम करते है, लेकिन कभी आत्ममीयता के स्तर पर ये सब नही करते, सरकार व प्रशासन के साथ समाज को भी समझने की आवश्यकता है कि सामाजिक सेवा व सौहार्द के नाम पर सभी कार्यक्रम केवल रस्म अदायगी के लिए न किया जाय बल्कि ईमानदारी व दिली ज़ज्बे के साथ किया जाये। शिक्षा के मुद्दे पर उन्होने कहा कि मुस्लिमों के बच्चें इस लिए पढ़ने नही जा पाते हैं, क्योंकि उनके माता-पिता फीस देने में असमर्थ है। इस लिए वह कुछ पैसे कमाने के लिए बचपन से ही दस्तकारी व बुनकारी में लग जाते है, साथ ही उन्होंने कहा जुवान से धर्म निरपेक्ष न हो बल्कि दिल से बने एवं ऐसे समाज का निर्माण करें।
काग्रेस के अनील श्रीवास्तव ने कहा कि मैं छात्र जीवन से ही राजनीति से जुडा रहा हूँ लेकिन उस समय में वहा न तो इस तरह की साम्प्रादायिक बातें होती थी और न ही जाति धर्म का बहुत मतलब होता था। आज समाज में पहले के मुकाबले लोग जागरुक हो रहे है। बुनकर केवल मुस्लिम ही नही बल्कि बुनकारी का काम हिन्दू भी करते है।
बजरडीहा के मुख्तार अंसारी ने कहा कि बजरडीहा के गोली काण्ड में मेरे बेटे का इन्तकाल हो गया। पुलिस ने फाइनल रिर्पोट लगाकर फाईल बन्द कर दिया था, लेकिन मानवाधिकार जननिगरानी समिति ने इस लड़ाई में मेरा साथ दिया और इन्साफ मिला।
कार्यक्रम के इसी कडी में शहर-ए-मुफ्ती जनाब मौलाना अब्दुल बातीन साहब ने डायण्म होटल में यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधियों से मुलाकात किया उन्होंने कहा कि बेशक आज के इस माहौल में भाईचारे व यकजहती के लिए सभी लोगों को साथ मिलकर कोशिश करनी होगी ताकि लोगों के बिच में मोहब्बत भाईचारा व अम्नो-अमान बना रहे और फिरकावाना ताकतो को शिकस्त मिले।
अन्त में समाज के सभी लोगों से मिलकर आहवान करते हुये डा0 लेनिन ने कहा कि किसी भी लड़ाई या दगें में टूटे हुये लोगों को संगठीत होकर लड़ाई लड़ने की जरुरत हैं, जिससे उन दोषियों पर कार्यवाही हो तथा कानून का राज स्थापित हो। आगे इस कार्यक्रम के अन्तर्गत त्ज्प् व त्ज्म् पर मुस्लिमों को जानने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जायेगा तथा साथ में यह भी कहा कि आगे के कार्यक्रम में डीआईजी व पुलिस के अन्य अधिकारियों को बुलाकर उनके सामने पीडितों का समस्याओं पर वार्ता करायेगी जायेगी।
कार्यक्रम में इदरीश अंसारी, सिद्दीक हसन, मौ0 असलम अंसारी, मासूम रहमानी, मदरसा उस्मानियां के सदर, मेहताब अहमद, इरसाद अहमद, कादिर, उपेन्द्र, जयकुमार मिश्रा, कात्यायनी आदि उपस्थिति रहे। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन श्रुति नागवंशी ने किया।
उत्तर प्रदेश के बदायू जनपद के लालपुर पुलिस चौकी मे 17 वर्षीय किशोरी के साथ बलात्कार के सन्दर्भ मे !
पुलिस अधीक्षक रतन कुमार श्रीवास्तव ने आज यहां बताया कि रामपुर की रहने वाली 17 वर्षीय लड़की कल अपने नाना इकराम अली के साथ 'बड़े सरकार' की मजार पर चादर चढ़ाने आयी थी। रात ज्यादा हो जाने पर वह मजार परिसर में ही ठहर गए। उन्होंने बताया कि इसी बीच वहां शहर कोतवाली अंतर्गत लालपुल पुलिस चौकी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने इकराम अली और उसकी नातिन को कथित रूप से आपत्तिजनक स्थिति में देखा और दोनों को चौकी परिसर में ले गये। बाद में वे पुलिसकर्मी गश्त पर चले गए।
श्रीवास्तव ने बताया कि रात करीब तीन बजे सुमित नामक पुलिस रंगरूट अपने साथी गोपाल के साथ आया और रिहाई के लिये अली से कथित रूप से धन मांगा जिसमें असमर्थता जताने पर गोपाल उस लड़की को पुलिस चौकी के अंदर बने कमरे में ले गया और सुमित बाहर से दरवाजे की कुंडी लगाकर पहरे पर बैठ गया। उन्होंने बताया कि कमरे में लड़की के चीखने की आवाज सुनकर आसपास मौजूद स्थानीय लोग पहुंच गये और गोपाल तथा सुमित को पकड़ लिया।
श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले में सुमित, पुलिस चौकी में तैनात सिपाहियों औसाफ अली और माजिद तथा बलात्कार के आरोपी गोपाल को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने बताया सुमित, औसाफ अली और माजिद को निलम्बित कर दिया गया है। श्रीवास्तव ने बताया कि पीड़ित लड़की को चिकित्सीय परीक्षण के लिये भेजा गया है। (एजेंसी) 2) http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20120529a_011190004&ileft=226&itop=77&zoomRatio=130&AN=20120529a_011190004 बदायूं की पुलिस चौकी में किशोरी से रेप •अमर उजाला ब्यूरो बदायूं। रामपुर के एक गांव से आई एक किशोरी के साथ रविवार की रात लालपुल की पुलिस चौकी में एक युवक ने बलात्कार किया। युवक सिपाही का दोस्त बताया गया है। युवती बड़े सरकार की दरगाह पर जियारत करने आई थी। हादसे की खबर लगते ही लोग जुट गए और रात ही में पुलिस चौकी घेर ली। हंगामा सोमवार सुबह तक चलता रहा। एसपी के आदेश पर दो सिपाहियों और एक रंगरूट को निलंबित कर गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने तीनों के साथ ही रेप के आरोपी युवक को भी गिरफ्तार कर चारों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। हादसे का शिकार किशोरी अपने रिश्ते के नाना (मां के खालू) के साथ रामपुर के एक गांव से यहां आई थी। रविवार रात उसके रिश्ते के नाना और किशोरी बड़े सरकार की दरगाह परिसर में एक ही तख्त पर सोए थे। वहां दूसरे जायरीनों को दोनों को साथ सोने पर कुछ संदेह हुआ तो उन्होंने शोर मचा दिया। इसी दौरान पुलिस चौकी के गश्ती सिपाही माजिद हुसैन, औसाफ अली एवं सुमित के अलावा उसका दोस्त गोपाल निवासी मोहल्ला ब्राह्मपुर वहां पहुंच गए। सिपाही दोनों को चौकी ले आए। आरोप है कि पुलिस ने किशोरी और उसके रिश्तेदार को छोड़ने के लिए 20 हजार रुपये मांगे। रुपये नहीं देने पर दोनों को चौकी में बैठाए रखा गया। सिपाही माजिद और औसाफ रात करीब 12 बजे फिर गश्त पर चले गए। इसी दौरान रंगरूट सुमित की मौजूदगी में उसके दोस्त गोपाल ने चौकी के ही कमरे में किशोरी के साथ बलात्कार किया। सोमवार को सुबह 11 बजे लालपुल पुलिस चौकी के सामने भीड़ ने रास्ता जाम कर दिया। एसपी रतन श्रीवास्तव के आदेश पर पीड़ित किशोरी की तहरीर पर सदर कोतवाली में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया गया।
पुलिस हिरासत मे पुलिस की पिटाई से नवयुवक की हालात हुई गम्भीर, ICU मे जीवन मौत से जुझ रहा पीडित के सम्बन्ध मे !
दिनांक - 22 मई, 2012. सेवा मे, श्रीमान अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली - भारत ! विषय - पुलिस हिरासत मे पुलिस की पिटाई से नवयुवक की हालात हुई गम्भीर, ICU मे जीवन मौत से जुझ रहा पीडित के सम्बन्ध मे ! महोदय, हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद स्थित चोलापुर थाने मे घटी घटना की ओर आकृष्ट कराना चन्हुंगा, जहा के 2 दरोगा और लगभग 7 पुलिस कर्मी 20 मई, 2012 को रात 12 बजे अपने जीप से गांव फकीरपुर (आदमपुर), थाना - चोलापुर, जिला - वाराणसी गये और वहा के निवासी श्री पन्नालाल चौहान, उम्र - लगभग - 36 वर्ष, पुत्र - स्व0 बसंतु चौहान को जबरदस्ती उठा ले गये ! अगले दिन जब पीडित के परिजन थाना गये तब पुलिस कर्मी बोले - 21 को चालन कर देंगे, वही उससे मिल लेना, फिर अचानक 22 मई, 2012 को पीडित परिजन को सूचना मिली की पन्ना लाल को वाराणसी शहर स्थित पंडित दीन दयाल उपाध्या अस्पताल मे गम्भीर हालत मे भर्ती कराया गया है. जब उसके परिजन वहा पहुंचे तब देखा की पीडित के नाक - मूह मे मास्क लगा है और सलेण्डर से कनेक्ट है. यहा से पीडित की स्थिति को देखते हुए बनारस हिन्दू विश्वविध्द्यालय अस्पताल रेफर किया गया, पीडित को पुलिस वाले खुद, S.O., चोलापुर सहित निजी अस्पताल शुभम मे भर्ती काराये और परिजनो से मिलने नही दिया गया ! बाद मे पीडित परिजनो ने जाकर क्षेत्राधिकारी - पिण्डरा से इस बाबत बात किये तब उन्होने कहा - जितना भी खर्च आयेगा मै करुंगा, तुम लोग कही लिखा पढी मत करना, दुसरी तरफ अगर कोई व्यक्ति पीडित से मिलने जाए तो चोलापुर पुलिस उसे कहते की कागज पर हस्ताक्षर कर दो, और इसका ईलज करवाओ, इसके लिए परिजनो को लगातार ढुंढा जा रहा है, जिससे परिजन भागे - भागे फिर रहे है! आज ही थाना के पैरोकार पीडित के वकील को चालन की फोटो कापी दिये, जिसमे 151 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है ! कृप्या संलग्नक देखे - Please find the attached files, and link of Video on youtube. http://www.youtube.com/watch?v=Gw7IQ5swIOY&feature=youtu.be शाम लगभग 5 : 30 बजे शुभम अस्पताल से पता चला की मजिस्ट्रेट साहब आकर बयान ले गये है, वही ए. सो. साहब बताये की मामला मे कल 6 बजे शाम को पकड्कर लाये थे, आज पेट मे दर्द होने के कारण भर्ती कराया गया है. पीडित को किसी से मिलने नही दिया जा रहा है, वहा दो पुलिसकर्मी हमेशा तैनात है ! महोदय, मामला अति गम्भीर है, अनहोनी घटना घट सकती है. पुलिस पीडित को 24 घण्टे के उपर अपने हिरासत मे रख लगातर उत्पीडन किये है. अत: महोदय मामले मे त्वरित कार्यवाही करते हुए पीडित को उचित ईलाज और गवाहो को सुरक्षा प्रदान कराते हुए मुआवजा दिया जाए और सम्भावित दोषी पुलिस कर्मियो पर कानून कार्यवाही करने की कृपा करे ! भवदीय डा0 लेनिन, (महासचिव) मानवाधिकार जननिगरानी समिति, सा 4/ 2 ए. दौलतपुर, वाराणसी - 221002 मो. - +91-9935599333. ई - मेल - lenin@pvchr.asia, Please Visit :- www.pvchr.asia www.pvchr.net www.testimonialtherapy.org www.detentionwatch.blogspot.in
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