नयी दिल्ली। वीरप्पन के चार सहयोगियों की मौत की सजा कुछ दिनों के लिए और स्थगित कर दी गई है। उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम आदेश को आगे बढ़ाते हुए उनकी मौत की सजा पर रोक लगा दी है। उन्हें वर्ष 1993 में कर्नाटक में बारूदी सुरंग में विस्फोट कर 22 पुलिसकर्मियों की हत्या करने के दोष में मौत की सजा सुनाई गई है । भारत के प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह मामले को लंबित रख रही है क्योंकि दूसरी पीठ ने भी इस याचिका पर सुनवाई की है और उसने फैसले को सुरक्षित रखा है । पीठ ने कहा, ''हमारे विचार में इस पर कार्यवाही तब तक स्थगित की जाती है जब तक दूसरी पीठ इस मामले में अपना फैसला नहीं सुना देती । इसलिए हम मामले की सुनवाई छह महीने के लिए स्थगित करते हैं ताकि दूसरी पीठ दूसरे लंबित मामले में अपना फैसला सुना सके ।'' इसने कहा, ''परिणामस्वरूप याचिकाकर्ताओं :वीरप्पन के सहयोगी: को फांसी पर लटकाने से संबंधित 18 फरवरी का अंतरिम आदेश जारी रहेगा ।'' पीठ में न्यायमूर्ति ए. आर. दवे और विक्रमजीत सेन भी शामिल हैं । पीठ ने कहा कि याचिका सजायाफ्ताओं की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने से संबंधित है जिन्होंने मौत की सजा में विलंब के आधार पर बदलाव की मांग की है । (भाषा) |
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