Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Friday, April 26, 2013

फिलहाल पंचायत और पालिका चुनाव के आसार नहीं!राजकाज अब दमकल सेवा में तब्दील है।

फिलहाल पंचायत और पालिका चुनाव के आसार नहीं!राजकाज अब दमकल सेवा में तब्दील है।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


३१ जुलाई तक राज्य में पंचायत चुनाव और तेरह पालिकाओं का कार्यकाल खतम होने को है। पर अदालती विवादों में फंसे राज्य चुनाव आयोग​​ और राज्य सरकार की ओर से इस बीच चुनाव प्रक्रिया पूरी कर लेने की कोई  संबावना तकनीकी रुप से नहीं है। हाईकोर्ट में मामला लंबित है। सुनवाई चल रही है। चुनाव की तिथियों को लेकर विवाद है। केंद्रीय वाहिनी के बिना आयोग चुनाव के लिए तैयार है नहीं और राज्य सरकार को इस पर घनघोर एतराज है।इसके अलावा इलाका पुनर्विन्यास का

काम अधूरा है, जिसके बिना मतदान कराया नहीं जो सकता। आरक्षित सीटों के निर्धारण को लेकर भी याचिकाओं की हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है। वह फैसला न आने तक भी चुनाव कराना मुश्किल है।​ राज्य चुनाव आयोग ने  कलकत्ता उच्च न्यायालय से अपील की है कि राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित पंचायत चुनाव की तारीख खारिज की जाए। चुनाव आयोग के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी न्यायालय की शरण ली है। भाजपा ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में अलग से एक याचिका दायर की है।आयोग की चुनाव समिति ने जहां न्यायालय में पंचायत चुनाव को लेकर जारी की गई राज्य सरकार की अधिसूचना को निरस्त किए जाने की गुहार लगाई है, वहीं भाजपा ने अपनी याचिका में पश्चिम बंगाल पंचायत अधिनियम की उस धारा को खत्म किए जाने के लिए अपील की है, जिसके तहत तृणमूल कांग्रेस को चुनाव की तिथि तय करने का अधिकार मिला हुआ है। कांग्रेस भी बंगाल सरकार के खिलाफ इस कानूनी लड़ाई में राज्य चुनाव आयोग के साथ खड़ी है।पश्चिम बंगाल सरकार ने  राज्य में नये सिरे से पंचायती चुनावों की तारीख पांच और आठ मई घोषित कर दीं। लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में कहा, कि वह केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती के बिना चुनाव नहीं कराएगा।

​​

​राज्य चुनाव आयोग से राज्य सरकार की अदालती रस्साकशी चल ही रही थी कि दो दो सुदीप्त के मामले ने बाकी कसर पूरी कर दी। कानून और ​​व्यवस्था के मद्देनजर पहले ही प्रेसीडेंसी पर हुए हमले का हवाला देते हुए चुनाव आय़ोग केंद्रीय बल तैनात करने पर अड़ा हुा है। अब चिटफंड फर्जीवाड़े से पूरे राज्य में आग लगी है। कानून व्यवस्था दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। राजनीति कटघरे में है। आस्थाएं लगातार अनास्था में तब्दील होती जा रही है। इसलिए राजनीतिक तौर पर फिलहाल चुनाव कराना आत्मघाती भी साबित हो सकती है। पहले खिसकती जनाधार को बहाल करने की प्राथमिकता है। सत्तादल इसी कवायद में इन दिनों ज्यादा व्यस्त है। राजकाज अब दमकल सेवा में तब्दील है।


अदालत से बाहर दोनों पक्षों का बीच कोई संवाद न होने से हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। वक्त बीतता चला जा रहा है। स्थानीय निकायों के चुनाव समय पर न होने से केंद्रीय अनुदान बंद करने की चेतावनी दे चुके हैं जयराम रमेश। इस चेतावनी का कोई असर होता नहीं दीख रहा है।इसी बीच बाजार पर निगरानी रखने वाली कंपनी सेबी ने पश्चिम बंगाल सरकार को बड़े खतरे से आगाह करते हुए एक खत लिखा है। इस खत में शारदा ग्रुप जैसी ही चार कंपनियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। सिफारिश में कहा गया है कि ये कंपनियां और निवेशक दोनों खतरे में हैं। मामला कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सेबी के अधिकारी ने यहां तक कहा है कि इस वक्‍त पश्चिम बंगाल में प्रेशर कुकर बम जैसी स्थिति बन गई है। कई संदिग्ध वित्तीय संस्थान अस्तित्व में आ रहे हैं जो जल्दी पैसा बनाने का लालच दे कर लाखों निवेशकों को ठग रहे हैं। शारदा समूह अचल संपत्ति और रिजॉर्ट से लेकर समाचार पत्र और टेलीविजन चैनल तक चला रहा था लेकिन उसका मुख्य स्रोत थी वह नकदी जो गांवों और छोटे कस्बों के हजारों लोगों ने उसके पास जमा कर रखी थी। समूह के तृणमूल कांग्रेस से रिश्तों के चलते संग्रह अभिकर्ताओं को भी बहुत दिक्कत नहीं हुई और अब उन्हें जनता का सामना करना है जिसे अपनी पूंजी गंवाने का डर सता रहा है।ऐसे में ग्राम बांग्ला हो या फिर शहरी मतदाता, उनका सामना कैसे करेगी राजनीति, सवाल यह है।


राज्य चुनाव आयोग के  वकील समरादित्य पाल पहले ही दलील दी है कि हिंसा की आशंका के चलते चुनाव आयोग के लिए केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती के बिना चुनाव संपन्न कराना संभव नहीं है। राज्य चुनाव आयोग द्वारा राज्य सरकार को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए पाल ने कहा है कि आयोग ने बार बार कहा है कि चुनाव तीन चरणों में कराए जाएं और राज्य के जिलों में व्याप्त हालात को देखते हुए केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की 800 कंपनियां तैनात की जाएं।अब बदली हुई हालत में चुनाव आयोग की दलीलें क्या हो सकती हैं, समझ लेनी चाहिए।


वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस ने आरोप लगाया है, 'हमें पता चला है कि राज्य सरकार द्वारा पंचायत चुनाव कराने में विलंब करना पूर्व नियोजित षड्यंत्र है।'विधानसबां में माकपा के नेता सूर्य कांत मिश्र से लेकर कांग्रेस और भाजपा नेता भी राज्य सरकार पर चुनाव टालने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने का आरोप लग रहे हैं। आर्थिक बदहाली के आलम में ्गरस्थानीय निकायों के चुनाव नहीं हुए और रमेश की चेतावनी के मुताबिक केंद्रीय अनुदान पर अंकुश लग गया, तो  यह एक और बड़ा संकट हो जायेगा, जिसके आसार पूरे हैं।


No comments: