वाशिंगटन। एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन का आरोप है कि पुणे स्थित सांस्कृतिक समूह 'कबीर कला मंच' के कलाकारों के खिलाफ दर्ज मामला राजनीति से प्रेरित है और भारत को इस मामले की निष्पक्ष समीक्षा करनी चाहिये। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच की दक्षिण एशिया मामलों की निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, ''भारतीय अधिकारियों को माओवादियों द्वारा व्यक्त की गई उत्पीड़न और सामाजिक असमानता के प्रति सहानुभूति व्यक्त करने को उनकी हिंसा मेंं आपराधिक मिलीभगत के साथ नहीं जोड़ना चाहिए।'' उन्होंने कहा, ''सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शांतिपूर्ण कार्यकर्ता आतंकवाद के आरोप लगने के डर के बिना खुल कर अपनी बात कह सकें।'' ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपने बयान में आरोप लगाया है कि भारत की आतंक विरोधी और देशद्रोह कानूनों का आदिवासी समूह, धार्मिक एंव जातीय अल्पसंख्यकों और दलितों जैसे राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ दुरच्च्पयोग किया जाता है। गौरतलब है कि वर्ष 2011 में महाराष्ट्र मेें अधिकारियों ने 15 लोगों पर प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी के सदस्य होने का आरोप लगाया था। पुलिस ने इनमें से 11 लोगों को गिरफ्तार कर लियाा था, जिनमें से छह लोग गायकों, चित्रकारों और कलाकारों के एक सांस्कृतिक समूह कबीर कला मंच के सदस्य थे। मानवाधिकार संगठन का कहना है कि मुख्य रूप से दलित युवकों का यह समूह संगीत, कविता और नुक्कड़ नाटकों के जरिए दलितों और आदिवासियों का उत्पीड़न, समाजिक असमानता, भ्रष्टाचार और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर जागरूकता फैलाने का काम करता है। (भाषा) |
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