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Wednesday, September 4, 2013

सेज नहीं, पांच औद्योगिक पार्क बनायेगी राज्य सरकार। जमीन भी सीधे खरीदेगी राज्य सरकार।

सेज नहीं, पांच औद्योगिक पार्क बनायेगी राज्य सरकार। जमीन भी सीधे खरीदेगी राज्य सरकार।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


पश्चिम बंगल में उद्योग और कारोबार का माहौल सुधारने के लिए मुख्यमंत्री ममत बनर्जी अब कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती। एक तरफ तो राज्य सरकार राज्य में निवेश का माहौल सुधारने  के लिए हर कोशिश जारी है। पब्लिक प्रइवेट पार्टनरशिप को प्राथमिकता दी जा रही है। जंगी श्रमिक आंदोलन पर अंकुश लगाया गया है। वही राज्य सरकार अब सीधे जमीन खरीदकर एक दो नहीं, पांच पांच औद्योगिक पार्क बनाने जा रही है। यह जमीन बाकायदा बाजार भाव से पश्चिम बंगाल औद्योगिक ढांचा विकास निगम खरीदेगा।


गौरतलब है कि ममता बनर्जी की घोषित नीति है कि सरकार जमीन का अधिग्रहण नहीं करेगी। देशभर में उनकी पहचान सेज विरोधी आंदोलन को नेतृत्व देने की है। नंदीग्राम और सिंगुर भूमि आंदोलन की वजह से ही वे सत्ता में आयीं।


उद्योग जगत की दलील


बंगाल सरकार उद्योगपतियों से सीधे भाजार भाव के मुताबिक जमीन खरीदने के लिए कह रही है। यहां उद्योग लगाने के लिए सरकार भूमि अधिग्रहण नहीं करेगी। लेकिन उद्योग जगत का कहना है कि बंगाल भर में छोटी जोत होने की वजह से एक मुश्त

जमन उद्योग के लिए निकालना मुश्किल है। इसिए बाजार भाव के मुताबिक जमीन खरीदकर उद्योग सरकारी मदद और अधिग्रहण के बिना असंभव है। उद्योगपतियों की इस दलील को गलत साबित करने के लिए राज्य सरकार बिना जमीन अधिग्रहण किये इच्छुक किसानों से बाजार भाव के मुताबिक जमीन खरीदकर पांचोंऔद्योगिक  पार्क बनाकर निवेशकों की आस्था हासिल करना चाहती है।


सरकारी दावा


निगम की ओर  से पांच  सौ से लेकर ढाई हजार एकड़ तक जमीन पांच जिलों  में  पांच औद्योगिक पार्क बसाने के लिए खरीदने की योजना है।राज्य सरकार का दावा है कि उद्योग जगत को जवाब देने के लिए नहीं बल्कि राज्य में औद्योगिक माहौल बनाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।


एसोचैम ने किया स्वागत


राज्य के उद्योग मंत्री ने इस योजना का खुलासा करते हुए जानकारी दी है कि उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, कूच बिहार, पुरुलिया और पश्चिम मेदिनीपुर में नये औद्योगिक पार्क बनेंगे।उन्होंने कहा कि चूंक सरकार भूमि अधिग्रहण के खिलाफ है इसलिए इच्छुक किसानों से बाजार दर पर इन पार्कों के लिए सरकार की तरफ से निगम जमीन खरीदेगा।उद्योगमंत्री की इस घोषणा का एसोसिएशन आफ चैंबर्स ने स्वागत करते हुए बड़ी संख्या में ऐसे पार्क बनाने की माग की है।


कौन लगायगा उद्योग, निवेश कौन करेगा

अब उद्योग मंत्री ने यह नहीं बताया कि जमीन खरीदेगी राज्य सरकार,पार्क भी बनायेगी राज्य सरकार लेकिन इन पार्कों में जो सौ एकड़ के भी हो सकते हैं, किस तरह के उद्योग लग सकेंगे और ऐसे उद्योग लगायेंगे कौन, निवेश कौन करेगा।


बंद कलकारखानों की जमीन पर भी उद्योग लगेंगे


इसी बीच, यह भी तय हो गया है कि औद्योगिक माहौल को बेहतर बनाने के लिए बंगाल में बंद पड़े कलकारखानों की जमीन पर नये उद्योग लगेंगे।इसकी प्रक्रिया शुरु कर दी है राज्य सरकार ने। सरकार को उम्मीद है कि इससे उद्योगों के लिए जमीन का संकट काफी हद तक सुलझ जायेगा और निवेशकों की आस्था भी बहाल होगी।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देशानुसार भूमि व भूमि सुदधार विभाग ने ऐसे पचास बंद और रुग्ण कारखानों की कई हजार एकड़ जमीन चिन्हित की है,जहां नये उद्योग लगाये जा सकते हैं।इसके अलावा विभाग ने गैरकानूनी तरीके से कंपनियों द्वारी हड़पी गयी 1900 एकड़ जमीन को खास करार दिया है।इन कंपनियों में गैरकानूनी चिटफंड कंपनियों के साथ रियल एस्टेट कंपनियां भी शामिल हैं।


जहां उद्योग लगने हैं


राइटर्स के सूत्रों के मुताबिक उत्तर 24 परगना की गौरी जूट मिल की 110 एकड़ और कैलकाटा सिल्क व जेनसन एंड निकलसन का क्रमशः 7.6 व 23. 76 एकड़ जमीन की वापसी प्रस्तावित है।


हावड़ा में जीकेडब्लू,भारत आइरन एंड स्टील और बाली जूट मिल,हुगली में ब्रेकमैंस ब्रदर,यंग इंडिया काटन मिल,बेंगल फाइन स्पिनिंग एंड विभिंग मिल,युनाइटेड वैजिटेविल और एशिया बेल्टिंग की जमीन वापस ली जायेगी।वर्द मान में साइकिल कारपोरेशन,रेकिट कोलमैन,बेंगल पेपर मिल और चार राइस मिलों की जमीन वापस ली जानी है। इन तमाम कारखानों की जमीन की पैमाइश चल रही है।


पुराना कार्यक्रम,अमल अभी


गौरतलब है कि नंदीग्राम सिंगुर भूमि आंदोलन के दौरान ममता बार बार बंद कल कारखानों की जमीन पर नये उद्योग लगाने की मांग करती रही हैं। चुनाव से पहले उन्होंने जनता से ऐसा करने का वायदा भी किया ता जिसे वाम सासकों ने सिरे से खारिज कर दिया था।अब प्रबल जन समर्थन के बल पर दीदी अपना पुराना कार्यक्रम कार्यान्वित करने की दिशा में तेजी से बढ़ रही हैं।


बड़े उद्योग लग नहीं सकते


समस्या यह है कि यह जमीन कानूनी लफड़ों के पार हासिल भी हो गयी तो वहां बड़े उद्योग लगाने की संभावना नहीं है। लेकिन छोटे और मंझौले उद्योग मजे में लगाये जा सकते हैं।दीदी .ही करके फिलहाल सुरसामुखी बेरोजगारी की समस्या से दो दो हाथ करना चाहती हैं।


गैरकानूनी कब्जा


गौरतलब है कि कागजाती तौर पर जिस 1900 एकड़ जमीन के भूमि व भूमि सुधार विबाग ने कास करार दिया है,उस पर दखलदारों का कब्जा बना हुआ है।बेदखली की कार्रवाई अभी शुरु ही नहीं हो सकी है।चहारदीवारी डालकर इस जमीन पर कब्जा के लिए लैंड रिकार्ड और सर्वे विबाग ने दो दो बार हालांकि राइयर्स को चिट्ठी बेज दी है।दरअसल बेदखली के पहले दखलदारों की सुनवाई अभी बाकी है और सुनवाई भूमि सचिव करेंगे। लेकिन भूमि सचिव ने अभी किसी को बुलाया नहीं है।


बंद होगा गोरखधंधा


ममता बनर्जी गैरकानूनी ढंग से हजारों एकड़ जमीन हड़पने के इस गोरखधंधे के खिलाफ हमेशा मुखर रही हैं।अब वह इस गोरखधंधे को बंद करके हड़पी गयी जमीन पर उद्योग लगाने की योजना को अमल में ला रही हैं।सत्ता में आते ही उन्होंने ऐलान कर दिया था कि उद्योग लगाने के लिए ली गयी जमीन पर अगर उद्योग न लगे।अगर उसी जमीन पर उद्योग लगाने की मंशा हो तो वह जमीन दीर्घकालीन लीज पर भी दी जा सकती है।गौरतलब है कि इसी बीच चौदह संस्थाओं को इसी शर्त पर जमीन लीज पर दी गयी है और 29 संस्ताओं के प्रस्ताव विचाराधीन हैं।


सरकारी इजाजत जरुरी


राज्य सरकार ने फैसला किया है कि बिना सरकारी इजजत के भविष्य में इस तरह जमीन खरीदने वाली संस्थाओं को कोई जमीन लीज पर नहीं दी जायेगी।जमीन की खरीद की इजाजत देने से पहले सरकार यह जरुर देखेगी कि वह जमीन कृषि योग्य तो नहीं है। इसके साथ ही जमीन खरीदने वालों को यह हलफनामा भी दायर करना पड़ेगा कि जमीन मालिक पर किसी किस्म का दबाव नहीं डाला गया है।








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