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Tuesday, September 10, 2013

Fwd: Rihai Manch- लोकतांत्रिक भारत के हालात पाकिस्तान के फौजी हुकूमत जैसे हो गए हैं- नूर जहीर. Indefinite dharna to bring Khalid Mujahid's killers to justice completes 112 Days.




RIHAI MANCH
(Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism)
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लोकतांत्रिक भारत के हालात पाकिस्तान के फौजी हुकूमत जैसे हो गए हैं- नूर जहीर
आरएसएस के पुराने वफादार सिपाही हैं मुलायम सिंह- अजय सिंह
15 सितम्बर की शाम से मशाल जुलूस से शुरू होगा रिहाई मंच का घेरा
डालो-डेरा डालो आंदोलन

लखनऊ,10 सितम्बर 2013। यह कितने शर्म की बात है कि इस देश में एक चुनी
हुई लोकतांत्रिक सरकार होने के बावजूद यहां के हालात पाकिस्तान के फौजी
हुक्मरानों वाले हालात से मेल खा रहे हैं। सबसे अहम प्रश्न यह है कि क्या
हम ऐसी ही जम्हूरियत चाहते हैं जहां पर दंगों में बेगुनाह मुसलमानों का
कत्लेआम होता हो। सरकार के लोग ही अपने खुद के सियासी फायदे के लिए
बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को आतंकवाद के नाम पर जेलों में सड़ा रही हैं।
जाहिर है ऐसी जम्हूरियत किसी को भी पसंद नहीं हो सकती जो खून और लाश के
ऊपर अपना अस्तित्व कायम रखे हुए हो। लोकतंत्र को बचाने के लिए रिहाई मंच
की यह लड़ाई आज के समय में बेहद प्रासंगिक है। उपरोक्त विचार प्रख्यात
उर्दू लेखक सज्जाद जहीर की बेटी व चर्चित हिन्दी उपन्यासकार व लेखिका नूर
जहीर ने रिहाई मंच के धरने का समर्थन करते हुए धरने के 112 वें दिन
मंगलवार को धरने पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहीं।

लेखिका नूर जहीर ने कहा कि आज मुल्क के जो हालात हैं वह काफी चिंताजनक
हैं। उन्होंने लेनिन की एक बात का उद्धरण देते हुए वर्तमान हालात पर कहा
कि आज निर्वाचित लोग न केवल अपने को राजा समझ बैठे हैं बल्कि आज वे ही
लोकतंत्र के सबसे बड़े शत्रु बन गये हैं। इस गंभीर संकट के समय में आज हम
लेखकों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है और  इस समय हम लेखकों को संजीदा
होकर सोचना चाहिए कि आज हमारी कलम किसकी आवाज बन रही है। इस दौर में
लेखकों के भी आत्म चिंतन का समय आ चुका है।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने कहा कि आईबी
द्वारा यह कहना कि आईएम के कथित आतंकी यासीन भटकल की कस्टडी वह दूसरे
राज्यों की पुलिस और एटीएस को नहीं देगी क्योंकि इससे भटकल के बयानों में
अंर्तविरोध पैदा हो जाएगा, साबित करता है कि यासीन भटकल आईबी की गिरफ्त
में ही था और आतंकी वारदातों में उसके संल्प्ति होने की कहानी आईबी
द्वारा गढ़ी गयी है। क्योंकि अगर यासीन सचमुच आतंकी होता और इन वारदातों
में शामिल होता तो उसके बयानों में अंर्तविरोध नहीं रहता और वह स्वीकार
करता कि उसने कहां-कहां और किस-किस तरीके से विस्फोट किये। लेकिन चूंकि
यासीन पहले से ही आईबी की कस्टडी में था जिसे सबसे पहले भटकल में तैनात
आईबी अधिकारी सुरेश, जो अब मंैगलोर में तैनात है, ने अपने ट्रैप में लिया
था और उसके नाम पर इंडियन मुजाहिदीन नाम के फर्जी आतंकी संगठन का हैव्वा
खड़ा किया गया था, इसलिए आईबी को डर है कि अलग-अलग राज्यों की पुलिस और
एटीएस के सामने शायद यासीन आईबी की पटकथा से हट कर कुछ न बोल दे और आईएम
की पूरी फर्जी कहानी बेपर्दा न हो जाए। प्रवक्ताओं ने कहा कि इसी डर से
आईबी यासीन को दिल्ली में अपनी गिरफ्त से आजाद नहीं करना चाहती। उन्होंने
यह भी कहा कि यासीन भटकल मामले में जिस तरह से आईबी तथ्यों को छुपाने की
कोशिश कर रही है उससे यह साफ हो जाता है कि जो मुस्लित युवक अचानक गायब
बताए जाने लगते हैं वे आईबी की ट्रैप में हैं और आईबी खुद द्वारा कराए
आतंकी वारदातों में उन्हें लिप्त बता कर झूठ सुबूत गढ़ती है।

इस अवसर पर धरने को संबोधित करते हुए पत्रकार अजय सिंह ने कहा कि आज जिस
तरह से मुजफ्फरनगर को अपने वोट बैंक और सियासी फायदे के लिए जलाया जा रहा
है, ऐसे में इस धरने का महत्व अब और भी बढ़ जाता है। इस देश की फासीवादी
ताकतें आज लोकतांत्रिक मूल्यों और उनके सिपहसलारों को निशाना बना रही
हैं, यह बेहद खतरनाक है। उन्होंने कहा कि यह धरना आज लोकतंत्र के दमन का
एक सशक्त प्रतिरोध है। उत्तर प्रदेश में आज मुलायम सिंह अपनी खिसकती जमीन
को बचाने के लिए जहां एड़ी चोटी एक करने पर लगे हैं वहीं भाजपा आज अपने
अस्तित्व की आखिरी लड़ाई लड़ रही है। मुजफ्फरनगर में चल रहा यह मौत का
तांडव दोनों के लिए ही फायदेमंद है। भाजपा और सपा जैसी सांप्रदायिक
पार्टियों के अस्तित्व की बुनियाद ही सांप्रदायिक ध्रुवीकरण रहा है।
उन्होंने कहा कि मुलायम संघ के एक सच्चे सिपाही की तरह उत्तर प्रदेश में
गुजरात दोहरा रहे हैं। उन्होंने लोकतांत्रिक ताकतों की मजबूत गोलबंदी की
जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इस हालात से निपटने के लिए देश की प्रगतिशील
अमन पसंद जनवादी ताकतों को आगे आ कर एक संघर्ष छेड़ना चाहिए।

इस अवसर पर देश में बन रहे परमाणु बिजलीघर से नुकसानों पर काम कर रही
अरुंधती धुरु ने कहा कि सपा और भाजपा के इस नापाक गठजोड़ ने मुजफ्फरनगर
में जो कहर बरपाया है उससे इस प्रदेश की पूरी साझी संस्कृति को ही एक
खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि दंगे दर दंगे होते रहे लेकिन सपा
सरकार इन्हे रोकने में अक्षम रही। सरकार का यह कहना कि इन दंगों के लिए
विपक्षी पार्टियां जिम्मेदार हैं सही नही है क्योंकि कानून और व्यवस्था
की जिम्मेदारियों से सरकार बच नही सकती। मुजफ्फरनगर के इस जनसंहार के लिए
सपा ही जिम्मेदार है।

इस अवसर पर रिशा सैयद ने कहा कि पहले सरकार ही दंगा करवाती है और उसके
बाद मुआवजे की राजनीति करती है। उन्हांेने सपा सरकार से सवाल किया कि
उसने इस प्रदेश के मुसलमानों को पिछले 18 महीने के कार्यकाल में दंगे के
अलावा और क्या दिया। सपा सरकार ने किस तरीके से आम जनता के बीच जहर घोला
है इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि अब ग्रामीण इलाकों में भी दंगे फैल
रहे हैं। बेगुनाहों को न्याय कब मिलेगा। धारा 144 के लागू होने के बावजूद
महा पंचायत कैसे हो गयी इसका पूरा जवाब सपा सरकार को देना ही होगा।

धरने को संबोधित करते हुए मो0 इसहाक नदवी ने कहा कि मुसलमानों के फर्जी
मसीहा मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव की सरकार में बराबर मुसलमानों पर
जुल्म हो रहा है, और जालिमों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है, उल्टे
पीडि़त लोगों को ही साम्प्रदायिकता के इल्जाम में गिरफ्तार किया जा रहा
है। मुजफ्फरनगर में जिस तरह साम्प्रदायिक माहौल बनाने और हिंसा भड़काने
की खुली छूट दी गयी और फिर अवाम को उनके घरों में कैद कर दिया गया है,
इससे सपा सरकार की मुस्लिम विरोधी मानसिकता जाहिर हो जाती है। इन हालात
के बावजूद आजम खां सरकार को कोई ठोस कदम उठाने पर मजबूर करने के बजाए
अपनी निकम्मेपन और बेशर्मी को छुपानें के लिए अवाम को घुटघुट कर जीने के
लिए़ सब्र करने का पाठ पढ़ा रहे हैं और अपोजीशन को डाल पर बैठ कर उसी डाल
को काटने का इलजाम देते हैं। लेकिन वह बेचारे सपा की गुलामी में यह भी
भूल गये कि उन्होंने जिस ढिठाई से हज की पवित्र यात्रा पर जाने वालों के
बीच यह झूट बोला है, जबकि सच यह हैं कि सपा सरकार को जिन लोगों ने बड़ी
उम्मीदों के साथ जिस डाल पर बिठाया था, यह सरकार डेढ़ साल से वही डाल
काटने पर तुली हुई है। इसलिए बेबस अवाम के सब्र का घूंट 2014 में सपा
सकार और उनके जमीर फरोश मुस्लिम बेगारियों के लिए जहर का घूंट बन जाएगा।

पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक मलिक और शिवनारायण कुशवाहा ने कहा कि
दंगे के बाद अब मुजफ्फरनगर के मुसलमान अब कफ्र्यू के चलते दवाओं और खाने
के बिना मरने के कगार पर पहंुच गयी है। उन्होंने सरकार से कफ्र्यू ग्रस्त
इलाकों में खाने और दवाओं की व्यवस्था की गारंटी की मांग की।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि आई बी
द्वारा इंडियन मुजाहिदीन के कथित आतंकवादी यासीन भटकल की कस्टडी, दूसरे
राज्यों की पुलिस और एटीएस यूपी की कचहरियों में 2007 में हुए धमाकों में
पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना
खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन
रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और
आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग को लेकर रिहाई मंच का
धरना मंगलवार को 112 वें दिन भी लखनऊ विधानसभा धरना स्थल पर जारी रहा।

द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752
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Office - 110/60, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh
Road, Lucknow
Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism
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