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Friday, April 24, 2015

बिजनेस फ्रेंडली राजकाज का धतकरम रेटिंग एजंसियों और ओबामा के अलावा कारोबारी जगतभी समझ नहीं रहा।आप समझ सकें तो बलिहारी आपकीतो फेर समझ लिज्योः कल्कि अवतार की लीला में सनी लिओन मैन फोर्स जलवे की दिलफरेब मंकी बातें मोदी बड़का अंबेडकरी और सारे काम अंबेडकर का काम तमाम करने के बिजनेस फ्रेंडली बेलगाम अश्वमेधी घोडो,मुक्ताबाजारी बेलगाम सांढ़ो और घोड़ों की अंधी दौड़,मिलियनर बिलियनर तबके के थ्री एक्स फाइव एक्स नंगा कार्निवाल,विधर्मियों के धर्मस्थलों पर रोज हमले,रोज अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न,गिरजाघरों में आगजनी रोज रोज और गरीबनवाज की दरगाह पर खून की नदियां चादर में समेटकर भेंट करने का गणतंत्र भी समझ लीजिये। पलाश विश्वास

बिजनेस फ्रेंडली राजकाज का धतकरम रेटिंग एजंसियों और ओबामा के अलावा कारोबारी जगतभी समझ नहीं रहा।आप समझ सकें तो बलिहारी आपकीतो फेर समझ लिज्योः

कल्कि अवतार की लीला में सनी लिओन मैन फोर्स जलवे की दिलफरेब मंकी बातें

मोदी बड़का अंबेडकरी और सारे काम अंबेडकर का काम तमाम करने के

बिजनेस फ्रेंडली बेलगाम अश्वमेधी घोडो,मुक्ताबाजारी बेलगाम सांढ़ो और घोड़ों की अंधी दौड़,मिलियनर बिलियनर तबके के थ्री एक्स फाइव एक्स नंगा कार्निवाल,विधर्मियों के धर्मस्थलों पर रोज हमले,रोज अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न,गिरजाघरों में आगजनी रोज रोज और गरीबनवाज की दरगाह पर खून की नदियां चादर में समेटकर भेंट करने का गणतंत्र भी समझ लीजिये।


पलाश विश्वास

लोकतंत्र केफरेब कोसमझें दोस्तों।अर्थव्यवस्ता को मुकम्मल मुनाफा वसूली बनाने के चिटफंड घोटाले को समझें कि समझें बाजार में सांढ़ों और भालुओं के जरिये सेबी का कारपोरेट,विदेशी निवेशकों की जेबें भरने का खेल।तीस हजार के पचम लहराने के बाद अब बाजार में बिकवाली का दौर जारी है। सेंसेक्स और निफ्टी में 0.5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। सेंसेक्स 27600 के नीचे फिसल गया है, तो निफ्टी 8350 के नीचे आ गया है।


समझें गजेंद्र का अंतिम संस्कार, मौत पर जमकर बवाल


समझें डर्टी पिक्चर का असली जलवा इस पीपीली लाइव चौबीसों घंटे का।


बजट में अनुसूचितों का बजट काटा गया है।बजट में किसानों के लिए कुछ नहीं है।बजट में स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च का खुछ भी इंतजाम नहीं है।तेल कीमतें गिरी हैं और सब्सिडी नकद कैश के तिलिस्म में खतम।बजट में शिक्षा के लिए कुछ नहीं है।


बजट में कारपोरेट टैक्स में पांच फीसदी छूट।हमारी सब्सिडी खतम।कोरपोरेट को चैक्स होलीडे हरसंभव।बिल्डरों की बल्ले बल्ले।


बजट में विदेशी पूंजी का खुल्ला खेल फर्रुकाबादी।निवेशकों को सोने की चिड़िया के आखेट की छूट।जनकल्याण की सारी योजनाएं बंद।कारपोरेट परियोजनाओं  को एक मुश्त हरीझंडी से किसानों की देश व्यापी बेदखली और उनकी थोक आत्महत्याओं का इंतजाम।


जमीन छीनने के लिए तमाम कानूनों का काम तमाम रोजगार छीनने के लिए रोज रोज अंबेडकर की हत्या और उनके लिए भव्य राममंदिर।


और अब दिल्ली में प्रोजक्टेड किसान खुदकशी से चौतरफा घेरे बंदी में कल्कि अवतार की लीला समझिये। देश में किसानों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सरकारी एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। रिजर्व बैंक ने छोटे किसानों को ज्यादा कर्ज दिलाने के लिए मौजूदा नियमों मे बदलाव करने की घोषणा की है। छोटे व सीमांत किसानों को बैंकों से अब ज्यादा कर्ज मिलेगा। बैंकों की तरफ से दिए जाने वाले कुल कर्ज का आठ फीसद अब छोटे किसानों को देना होगा। इसके लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को दिए जाने वाले कर्ज की नीति में बदलाव किया गया है। रिजर्व बैंक ने एक समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए यह सकदम उठाया है।


फिर भी समझाना होगा कि मेहनतकश तबके को क्यों मनाना चाहिए मई दिवस?


अपढ़ ना समझें तो उनका दोष नाहीं गुसाई,लेकिन अंबेडकर महिमा से जो लोग खूबै पढ़े लिखै मालदार मलाईदार समझदार जानकार हैं,वे न समझें तो किस किसको समझायें हम?


समझें कि वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि राजकोषीय घाटे को कम करके वर्ष 2017-18 तक जीडीपी के 3 प्रतिशत लाने का लक्ष्य एक बड़ी चुनौती है लेकिन इसे हासिल करने के क्रम में सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के आधारभूत ढांचे और सिंचाई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने से समझौता नहीं करेगी। लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने कहा, 'हमें खुशी है कि हम पिछले वर्ष राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.1 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य हासिल करने में सफल रहे।'


समझें कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अगले कुछ माह में पूरे देश में 120 कामधेनु नगरों का निर्माण करना चाहता है। संघ का कहना है कि इससे हिंदू परंपरा में शुभ माने जाने वाले पशुओं कों सम्मानित किया जायेगा और उनके साथ जनता के रिश्ते में मजबूती आयेंगी। संघ ने आशा जाताई है कि इससे क्राइम में कमी आएगी और अपराधियों को सबक सिखाया जा सके। कामधेनु नगर दरअसल गोशालाएं होंगी, जिन्हें रेजिडेंशल कॉलोनियों के नजदीक बनाया जाएगा।


फिर समझ लें कि निशाने पर कौन हैं ,कौन नहीं है और अंबेडकरी विचार क्या हैं,अंबेडकरी जाति उन्मूलन का एजंडा क्या है,अंबेडकरी आंदोलन क्या है और हिंदू साम्राज्यवादी एजंडे में अंबेडकर को विष्णु अवतार बनाने का आशय क्या है।


समझें संदीय सहमति का मिलियनर बिलियनर खेल,पुणे करार का स्थाई बंदोबस्त कि  केंद्र सरकार की ओर से गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स बिल को आज लोकसभा में पेश किया, जिसे लेकर पूरे विपक्ष ने वॉक आउट किया। सरकार की ओर से वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसे लोकसभा के पटल पर रखा। बिल को पास कराने के लिए सरकार को लोकसभा में दो तिहाई बहुमत की जरूरत है। इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक कर जीएसटी पर चर्चा की थी। इस बैठक के दौरान तमिलनाडु को छोड़कर अन्य सभी राज्यों ने अपनी सहमति दे दी है। सरकार की ओर से 1 अप्रैल 2016 तक देश में जीएसटी को लागू करने का लक्ष्य रखा गया है।


गौरतलब है कि दिल्ली में जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी की रैली के दौरान खुदकशी करने वाले किसान गजेंद्र सिंह के परिजनों ने इस मामले के पीछे साजिश की आशंका जताते हुए कहा कि वह (गजेंद्र) ऐसा कर ही नहीं कर सकता और उसे किसी ने उकसाया होगा।


राजस्थान के दौसा जिले के नांगल झामरवाडा के रहने वाले गजेंद्र की मां ने कहा माफी मांगने से अब क्या होगा। मेरे पूत (बेटे) की तो जान चली गयी। गजेंद्र सिंह की मां और बहन रेखा आज नांगल झामरवाडा में संवाददाताओं से बात कर रही थीं।

रेखा ने कहा जब मेरा भाई पेड़ पर था, तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दो मिनट के लिए अपना भाषण और रैली क्यों नहीं रोकी। मेरे भाई को क्या दुख था जो वह ऐसा करता। उसे जरूर किसी ने उकसाया है। इसमें किसी की साजिश है। मेरा भाई ऐसा कभी कर ही नहीं सकता था।


गजेंद्र की पुत्री मेधा ने कहा पिताजी फसल खराब होने के कारण परेशान जरूर थे, लेकिन ऐसा लगता नहीं था कि वे खुदकशी कर लेंगे। उसने कहा कि गजेंद्र के पास से मिले पत्र की लिखावट उसके पिता की नहीं है। पिता जी आप की रैली में दिल्ली गये थे। पता नहीं, उनको क्या हो गया।


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गजेंद्र सिंह के खुदकशी करने पर माफी मांगी है, लेकिन गजेंद्र की मां ने उनकी माफी को खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि साफा बांधने में महारथ रखने वाले गजेंद्र ने बुधवार को दिल्ली में आप की रैली के दौरान एक पेड़ पर फंदे से लटक कर खुदकशी कर ली थी।


यह प्रहसन दरअसल मोदी के पीपीपी विकास का सामाजिक यथार्थ है जहां हमाम में नंग तमाम लोग परदे के सामने अपनी अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाकर लोकतंत्र को लूटतंत्र बनाये हुए है और हम तमाशबीन भारतीय देशभक्त नागरिक इस राज्यतंत्र को बनाये रखने के अंध धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद में नख से शिख तक निष्णात हैं।


बिजनेस फ्रेंडली राजकाज का धतकरम रेटिंग एजंसियों और ओबामा के अलावा कारोबारी जगतभी समझ नहीं रहा।आप समझ सकें तो बलिहारी आपकीतो फेर समझ लिज्योः

कल्कि अवतार की लीला में सनी लिओन मैन फोर्स जलवे की दिलफरेब मंकी बातें।


मोदी बड़का अंबेडकरी और सारे काम अंबेडकर का काम तमाम करने के।


शत प्रतिशत हिंदुत्व के साथ बाबरी विध्वंस की राजनीति का वसंत बहार,20121 तक हिंदूराष्ट्र विधर्मी मुक्त गैरनस्ली आबादी मुक्त का एजंडा,लालकिले और ताजमहल से लेकर मोहंजोदोड़ो और हड़प्पा की विरासत और इतिहास भूगोल का दावा और सोने की चिड़िया बेचो,देश तोड़ो का गोर्बाचेवी हिंदुत्व ब्रिगेड अबाध पूंजी की तरह रेडियोएक्टिव।


बिजनेस फ्रेंडली बेलगाम अश्वमेधी घोडो,मुक्ताबाजारी बेलगाम सांढ़ो और घोड़ों की अंधी दौड़,मिलियनर बिलियनर तबके के थ्री एक्स फाइव एक्स नंगा कार्निवाल,विधर्मियों के धर्मस्थलों पर रोज हमले,रोज अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न,गिरजाघरों में आगजनी रोज रोज और गरीबनवाज की दरगाह पर खून कीनदियां चादर में समेटकर भेंट करने का गणतंत्र भी समझ लीजिये।


रिजर्व बैंक खत्म,खत्म लोकतंत्र,खत्म कानून का राज,सेबी का पोंजी कार्यक्रम में तबाह कृषि,कारोबार,उद्योग,आजीविका ,रोजगार,जल जमीन जंगल,प्रकृति और पर्यावरण।


भारत महाभारत में कुरुक्षेत्र का नजारा पीपीपी बुलेट विकास।


अंबेडकर के संविधान की रोज रोज हत्या कर रहे सारे श्रम कानून खत्म कर चुके संपूर्ण निजीकरण,संपूर्ण विनिवेश,संपूर्ण विनियमन,संपूर्ण विनियंत्रण, संपूर्ण पीपीपी गुजरात माडल,संपूर्ण अमेरिकी इजरायली उपनिवेश,उग्र राष्ट्रवाद का सलवा जुड़ुम,आफसा और बायोमैट्रिक आधार के ड्रोन अंब्रेला में जो गैस चंबर है आदिगंत,वहां भव्य अंबेडकरी राममंदिर का आशय भी समझ लीजिये।


अपने कल्कि अवतार की लीला शत प्रतिशत हिंदुत्व का एजंडा जितना है,उतना वह दिलफरेब लोक लुभावन शत प्रतिशत सनी लिओने मैन फोर्स जलवा खुल्ला खेल फर्रुखाबादी है।


समझे या न समझे,मजा खूब आ रहा है और संसद में मंकी बातें संसदीय है या नहीं,इस पर बहसें जारी हैं तो किसान की खुदकशी तके तमाशे पर घड़ियाली आंसू में सातों समुंदर में सुनामी है और भूमि अधिग्रहण पर अडिग प्रधानमंत्री का बयान है कि किसान की जान से बड़ी कोई चीज नहीं होती।


वाह कथनी।वाह करनी।

वाह वाह वाह मंकी बातें और वाह सनी लिओने की छप्परफाड़ लोकप्रियता।

वाह कल्कि अवतार की सेनसक्सी लीला अपरंपार।


वरिष्ठ चिंतक व सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष गाताडे की पुस्तक "हेडगेवार-गोलवलकर बनाम अम्बेडकर" क्रमवार हम अपने पाठकों के लिए प्रकाशित कर रहे हैं। हर रोज़ एक कड़ी इस पुस्तक की आपके सामने होगी। इस पुस्तक में सुभाष गाताडे जी ने उदाहरणों के साथ बताया है कि किस तरह संघ परिवार डॉ. अंबेडकर के विरुद्ध घृणा अभियान चला रहा है।… इस श्रंखला का हर लेख पढ़ें और अधिक से अधिक मित्रों के साथ शेयर भी करें।


हम मंकी बातों के साथ हिंदू साम्राज्यवाद के उग्र राष्ट्रवाद की कूटभाषा को डीकोड करने के लिए माननीय राम पुनियानी,आनंदस्वरुप वर्मा,दिवंगत असगर अली इंजीनियर,इरफान इंजीनियर,शेष नारायण सिंह,आनंदस्वरुप वर्मा,आनंद तेलतुंबड़े,सुभाष गाताडे,नीलाभ, विद्याभूषण रावत,दारापुरी जैसे विशेषज्ञों को लगातार हस्तक्षेप के मंच पर पेश कर रहे हैं,जहां विद्वतजनों और विशेषज्ञों के साथ साथ आम लोगों और खासतौर पर उत्पीड़ित वंचित आवाम की हर आवाज की गूंज देशदुनिया में पैदा करना हमारा एकमात्र मकसद है।हम संघ परिवार के अंबेडकरी विमर्श का खुलासा लागातार खुलासा कर रहे हैं तो अर्थव्यवस्था से बहुसंख्य जनगण के बहिस्कार के नरमेधी अश्वमेध की गतिविधियों की एक एक सूचना आपको तत्काल लगातार देने की अपनी क्षमता से बढ़कर कोशिशें कर रहे हैं।


दरअसल हम वैकल्पिक मीडिया को लोकतंत्र और मीडिया में अनुपस्थित जन सुनवाई का राष्ट्रीय मंच बनाना चाहते हैं और आपको भी इस मंच का अपरिहार्य हिस्सा बनने का खुल्ला न्यौता रोज रोज दे रहे हैं।


इसी सिलसिले में माफ कीजिये मित्रों,हमने आज भी अमलेंदु से कहा कि हस्तक्षेप को जारी रखने  के लिए बहद जरुरी समर्थन की अपील अंग्रेजी में अब जारी कर ही दी जाये, क्योंकि हिंदी समाज में सामाजिक यथार्थ के मद्देनजर  विमर्श का अभ्यास सिरे से खत्म है और हमारी बार बार अपील के बावजूद जब कहीं से कोई प्रतिक्रिया भी नहीं मिल रही है तो उम्मीद छोड़ ही देनी चाहिए।धर्म कर्म में निष्णात हिंदी जनता का शायद सामाजिक यथार्थ और बदलाव के विमर्श में कोई दिलचस्पी नहीं है और उनकी तरफ से अनाप शनाप खर्च चाहे जितने हो,हमें मदद करने वाला कोई नही है।


गनीमत है कि हम गलत साबित हुए।


हिंदी सिर्फ हिंदी भाषियों की भाषा नहीं है।हिंदी में लिखा अहिंदी भाषी लोग भी व्यापक पैमाने पर पढ़ते हैें।


हिंदी पट्टी से अभी हमें कोई जवाब नहीं मिला लेकिन महाराष्ट्र के साथियों ने हस्तक्षेप जारी रखने के लिए हरसंभव मदद करने का वायदा किया है।


मदद मिले न मिले भविष्य की बात है,लेकिन इससे हमारा हौसला जरुर बुलंद हुआ है।महाराष्ट्र से अगर वायदे के मुताबिक मदद मिलने लगे तो हम बहुत जल्द हस्तक्षेप का मराठी पेज भी शुरु करेंगे बशर्ते कि लिखनेवाले भी हों।जिस क्षेत्र से भी हमें उनकी भाषा में तोपखाना चलाने की इजाजत और मदद होगी,हम यकीनन वैसा ही करेंगे।


जिनको भी लगें कि हमारे साथ खड़ा होना जरुरी है ,वे तुरंत अमलेंदु को फोन लगायें और बतायें कि वे कैसे हमारी मदद कर सकते हैं।हमें देश के कोने कोने से हकीकत बयां करने वाले हकीकत के साथ खड़ा होने वाले साथियों की तलाश है।

अमलेंदु का फोन नंबरः09312873760

अमलेंदु का ईमेलःamalendu.upadhyay(at)gmail.com

http://www.hastakshep.com/contact-us


कृपया वर्धा विश्वविद्यालय के जुझारु छात्रों से तुरंत संपर्क साधे।

मजदूर का फोन नंबर हैछ09767859227

कुमार गौरव निरंतर फेसबुक पर हैंः

https://www.facebook.com/Kumar.mishra00?fref=ts




दरअसल हम हर भारतीय भाषा में संवाद तेज करना चाहते हैं।


इस सिलसिले में बांग्ला में पेज पहले से लगा है।लेकिन बांग्ला में यूनीकोड में भारत के बंगालियों को लिखने का अभ्यास नहीं है और एक ही लेखक को बार बार दोहराया नहं जा सकता ,जबकि दूसरे न लिख रहे हों।सीमा के आरपार पाठक तो मिले और बांग्लादेश से नियमित कांटेट आ रहा है लेकिन भारत पर बांग्ला में लिखने वाले लोग नहीं है।इसलिए नियमित बांग्ला पेज का कांटेट अपडेट कर नहीं पा रहे हैं।लोकबल और साधनों की किल्लत ने हमारे हात पांव बांध दिये हैं।


मसलन हम तुरंत पंजाबी में विमर्श चाहते हैं।पंजाब से मदद की उम्मीदें भी हैं।मसला फिर वही है कि हिंदी में यूनीकोड यूनिवर्सल है तो लिकने और पढ़नेवाले लोग नहीं है।दूसरी ओरयूनीकोड में लिखने के अभ्यस्त पंजाब के लोग भी नहीं है।वरना हम पंजाबी में तुरंत पेज शुरु करना चाहते हैं।


हम कोई बंगला बांधने के लिए मदद नहीं मांग रहे हैं।अपने मंच को जारी रखने के जरुरी खर्च को वहन करने में चूंकि हम असमर्थ होते जा रहे हैं,इसलिए आपसे न्यूनतम मदद मांगी जा रही है।


हमारे लोग खाल्ली पड़े हैं।हम उनकी सेवाएं मांग नहीं सकते क्योंकि हम उनकी आजीविका में कोई मदद करने की हैसियत में नहीं हैं।


हम भीतर ही भीतर अश्वत्थामा अपने ही जख्म चाटते हुए रोज खून से लथपथ हैं,लेकिन हिंदी समाज हमारे साथ नहीं है,उनके साथ हैं जो मंकी बातें प्रसारित करके लोकतंत्र को फरेब में तब्दील करके जनसंहार संस्कृति के झंडे दुनियाभर में  फहराने के लिए सारे साधन संसाधन न्योच्छावर कर रहे हैं।


हम नहीं जानते कि हस्तक्षेप हम कब तक चला पायेंगे।लेकिन जब तक चलेगा वह जन सुनवाई का मंच बना रहेगा और उसका तेवर बदलेगा नहीं।


दरअसल, कोलकाता से हमने जो मई दिवस मनाने की अपील के साथ परचा जारी किया है,देश के बाकी हिस्सों की तरह महाराष्ट्र में भी उसे छापने की तैयारी है।


वह परचा पढ़ने के बाद नागपुर में बामसेफ के पूर्व अध्यक्ष साथी इंजीनीयर रामटेके ने शंका जतायी कि परचा में भारत के कायदे कानून और संवैधानिक व्यवस्था बनाने की जो बातें हम कर रहे हैं,वे ही बातें मोदी क्यों कर रहे हैं।


इससे पहले हमारा संवाद बंगलूर के प्रभाकर के अलावा दक्षिण के साथियों से संघ परिवार के अंबेडकरी एजंडा के सिलसिले में हुआ है,जिसे हमने हस्तक्षेप पर साझा भी किया है।


हमने उनसे निवेदन किया कि अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो बाबासाहेब के बनाये सारे के सारे श्रम कानूनों को वे कैसे खत्म कर पाये,इसी सवाल का जवाब मांगने के लिए देश भरमें केसरिया के खिलाफ रंगों का इंद्रधनुष तानने के लिए हम हर गांव हर गली में  मई दिवस मनाने की अपील कर रहे हैं।


हमने उनसे निवेदन किया कि अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो बाबासाहेब के हिंदू कोड बिल के खिलाफ बाबासाहेब के पुतले क्यों जलाते रहे वे लोग।हस्तक्षेप पर लगे सुभाष गाताडे के आलेख श्रृंखला  की पहली किश्त को गौर से पढ़ियेः


शोषित-उत्पीड़ित अवाम के महान सपूत बाबासाहब डा भीमराव अम्बेडकर की 125 जयन्ति मनाने की तैयारियां जगह-जगह शुरू हो चुकी हैं।  वक्त़ बीतने के साथ उनका नाम और शोहरत बढ़ती जा रही है और ऐसे तमाम लोग एवं संगठन भी जिन्होंने उनके जीते जी उनके कामों का माखौल उड़ाया, उनसे दूरी बनाए रखी और उनके गुजरने के बाद भी उनके विचारों के प्रतिकूल काम करते रहे, अब उनकी बढ़ती लोकप्रियता को भुनाने के लिए तथा दलित-शोषित अवाम के बीच नयी पैठ जमाने के लिए उनके मुरीद बनते दिख रहे हैं।

ऐसी ताकतों में सबसे आगे है हिन्दुत्व ब्रिगेड के संगठन, जो पूरी योजना के साथ अपने अनुशासित कहे जानेवाली कार्यकर्ताओं की टीम के साथ उतरे हैं और डा अम्बेडकर – जिन्होंने हिन्दू धर्म की आन्तरिक बर्बरताओं के खिलाफ वैचारिक संघर्ष एवं व्यापक जनान्दोलनों में पहल ली, जिन्होंने 1935 में येवला के सम्मेलन में ऐलान किया कि मैं भले ही हिन्दू पैदा हुआ, मगर हिन्दू के तौर पर मरूंगा नहीं और अपनी मौत के कुछ समय पहले बौद्ध धर्म का स्वीकार किया /1956/ और जो 'हिन्दू राज' के खतरे के प्रति अपने अनुयायियों को एवं अन्य जनता को बार बार आगाह करते रहे, उन्हें हिन्दू समाज सुधारक के रूप में गढ़ने में लगे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया जनाब मोहन भागवत ने पिछले दिनों कानपुर की एक सभा में यहां तक दावा किया कि वह 'संघ की विचारधारा में यकीन रखते थे' और हिन्दू धर्म को चाहते थे….

यह बात लोकस्मृतियों तक में भी दर्ज है कि कृष्ण गोपाल जिस हिन्दूवादी धारा से ताल्लुक रखते हैं, उसने स्वतंत्र भारत के लिए संविधान निर्माण की प्रक्रिया जिन दिनों जोरों पर थी, तब डा अम्बेडकर के नेतृत्व में जारी इस प्रक्रिया का विरोध किया था, और अपने मुखपत्रों में मनुस्मति को ही आज़ाद भारत का संविधान बनाने की हिमायत की थी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे सुप्रीमो गोलवलकर गुरूजी से लेकर सावरकर, सभी उसी पर जोर दे रहे थे। अपने मुखपत्र 'आर्गेनायजर', (30 नवम्बर, 1949, पृष्ठ 3) में संघ की ओर से लिखा गया था कि

'हमारे संविधान में प्राचीन भारत में विलक्षण संवैधानिक विकास का कोई उल्लेख नहीं है। मनु की विधि स्पार्टा के लाइकरगुस या पर्सिया के सोलोन के बहुत पहले लिखी गयी थी। आज तक इस विधि की जो 'मनुस्मृति' में उल्लेखित है, विश्वभर में सराहना की जाती रही है और यह स्वतःस्फूर्त धार्मिक नियम -पालन तथा समानुरूपता पैदा करती है। लेकिन हमारे संवैधानिक पंडितों के लिए उसका कोई अर्थ नहीं है।''

इतना ही नहीं उन दिनों जब डा अम्बेडकर ने हिन्दू कोड बिल के माध्यम से हिन्दू स्त्रिायों को पहली दफा सम्पत्ति और तलाक के मामले में अधिकार दिलाने की बात की थी, तब कांग्रेस के अन्दर के रूढिवादी धड़े से लेकर हिन्दूवादी संगठनों ने उनकी मुखालिफत की थी, उसे हिन्दू संस्कति पर हमला बताते हुए उनके घर तक जुलूस निकाले गए थे। उन दिनों स्वामी करपात्री महाराज जैसे तमाम साधु सन्तों ने भी – जो मनु के विधान पर चलने के हिमायती थे – अंबेडकर का जबरदस्त विरोध किया था।

याद रहे इतिहास में पहली बार इस बिल के जरिए विधवा को और बेटी को बेटे के समान ही सम्पत्ति में अधिकार दिलाने, एक जालिम पति को तलाक देने का अधिकार पत्नी को दिलाने, दूसरी शादी करने से पति को रोकने, अलग अलग जातियों के पुरूष और स्त्री को हिन्दू कानून के अन्तर्गत विवाह करने और एक हिन्दू जोड़े के लिए दूसरी जाति में जनमे बच्चे को गोद लेने आदि बातें प्रस्तावित की गयी थीं। इस विरोध की अगुआई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने की थी, जिसने इसी मुददे पर अकेले दिल्ली में 79 सभाओं-रैलियों का आयोजन किया था, जिसमें 'हिन्दू संस्कृति और परम्परा पर आघात करने के लिए' नेहरू और अम्बेडकर के पुतले जलाए गए थे।/ देखें, रामचन्द्र गुहा, द हिन्दू, 18 जुलाई 2004/

http://www.hastakshep.com/book-excerpts/2015/04/21/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%98-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A5%8C%E0%A4%A8-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%95%E0%A4%B0



हमने उनसे निवेदन किया कि अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो संविधान सभा के गठन के दौरान संविधान निर्माण प्रक्रिया का विरोध करते हुए मनुस्मृति को ही भारत का संविधान बनाने का अभियान क्यों चलाया संघ परिवार ने।जो आज भी जारी है।


हमने उनसे निवेदन किया कि अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो मेकिंग इन गुजरात के पीपीपी माडल के तहत संपूर्ण निजीकरण, संपूर्ण विनेवेश,संपूर्ण विनियमन और संपूर्ण विनियंत्रण के शत प्रतिशत एजंडा के साथ विधर्मियों की घर वापसी के नाम पर नस्ली नरसंहार का आयोजन क्यों है?


हमने उनसे निवेदन किया कि अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो बाबासाहेब के जाति उन्मूलन के एजंडा पर खामोश संघ परिवार क्यों?


जाति व्यवस्था,वर्ण वर्चस्व और नस्ली भेदभाव जस का तस रखकर समता और सामाजिक न्याय के बाबासाहेब के लक्ष्य को ब्राह्मणवादी हिंदू साम्राज्यवाद के एजंडे में शामिल करने का अभियान चलाये हुए है और सामाजिक समरसता की बातें बढ़ चढ़कर करने के बावजूद जीवन के किसी भी क्षेत्र में गैर नस्ली गैरब्राह्मणों को जनसंख्या के अनुपात में भागेदारी देने के बदले,बाबासाहेब के मतानुसार संसाधनों के बंटवारे के बदले बाबासाहेब के दिये संवैधानिक रक्षाकवच,पांचवी और छठीं अनुसूचियों के साथ साथ भारतीय संविधान के प्रतिकूल आर्थिक सुधारों और विकास के नाम पर एक के बाद एक आर्थिक सुधार के तहत आरक्षण के जरिये जो थोड़ा बहुत प्रतिनिधित्व बहुजनों को मिला है,उसे सिरे से खत्म करने पर क्यों तुले हैं मोदी और संघ परिवार।


बाबासाहेब ने तो भूमि सुधार पर जोर दिया था।प्राकृतिक संसाधनों के राष्ट्रीयकरण पर जोर दिया था।


तो प्राकतिक संसाधनों से संपन्न सोने की चिड़िया भारत को विदेशी पूंजी के हवाले क्यों कर रहे हैं मोदी और उनकी सरकार?


भूमि सुधार के बदले भूमि अधिग्रहण पर इतना जोर क्यों है?



बाबासाहेब को मानने वाले मोदी और संघ परिवार बिलियनर मिलियनर सत्ता वर्ग के एक प्रतिशत से कम लोगों के मुनाफे और वर्चस्व के लिए कृषि आजीविका वाले बहुसंख्य भारतीय समेत सवर्ण असवर्ण हिंदू गैरहिंदू नब्वे फीसद जनता की आजीविका और रोजगार क्यों छीन रहे हैं?


क्यों एफडीआई राज है?


क्यों निरंतर बेदखली अभियान है देश के चप्पे चप्पे में और क्यों बिल्डर माफिया प्रोमोटरों के कब्जे में है देश के सारे संसाधन ,जिस बिजनेस फ्रेंडली राजकाज कहा जा रहा है?


क्यों विदेशी निवेशकों के हितों के मुताबिक भारत की समूची उत्पादन प्रणाली तहस नहस करे भारतीय अर्थव्यवस्था को शेयर बाजार तक सीमाबद्ध करके पीएफ पेंशन और बीमा तक बाजार में झोंका जा रहा है?



रिजर्व बैंक के आपिसियल साइट पर रिजर्व बैंक के गठन में बाबासाहेब की भूमिका को मान्यता दी गयी है।


बाबासाहेब के शोध प्राब्लम आफ रुपी में गोल्ड स्टैंडर्ड अपनाये जाने की दलील पर रायल कमीशन ने उनकी सुनवाई के बाद भारतीय मुद्रा बंदोबस्त के लिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया का गठन किया जिसकी कोख से निकली बैकिंग प्रणाली।


सरकारी क्षेत्रों के बैंकों में बहुजनों को सबसे ज्यादा अनुपात में नौकरियां मिलती हैं, अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो  रिजर्व बैंक के सभा 27 विभागों में निजी कंपनियों के निदेशक तैनात करके रिजर्व बैंक के अधिकार सेबी को सौंपकर कारपोेरेट घरानों के फायदे के लिए सारी खिड़कियां खोलकर सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को होल्डिंग कंपनियां बनाने की तैयारी क्यों है?


हमने उनसे निवेदन किया कि अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो क्यों बाकी सेक्टरों में भी विनिवेश की तैयारी है?


हमने उनसे निवेदन किया कि अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो क्यों भारतीय रेलवे का निजीकरण हो रहा है और रक्षा उत्पादन से लेकर विनिर्माण,विमानन,हवाई अड्डे,तमाम खानें कोयला और इस्पात समेत.संचार और बंदरगाह,और अर्थव्यवस्ता का आधारभूत ढांचा निजी कंपनियों को सौंपे जा रहे हैं?


अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो भरतीय संविधान की पांचवीं और छठीं अनुसूचियों का खुल्ला उल्लंघन करके सारे कायदे कानून बदलकर आदिवासियों को जल जंगल जमीन आजीविका पर्यावरण नागरिक और मानवाधिकारों से वंचित करने का अश्वमेध सलवा जुड़ुम क्यों जारी है?


अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो  संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांतों और मौलिक अधिकारों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन करते हुए तमाम लोकतांत्रिक संस्थान खत्म क्यों किये जा रहे हैं?


अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो नागरिकता को बायोमेट्रिक डिजिटल रोबोटिक बनाकर आम नागरिकों की गोपनीयता और संप्रभुता के साथ साथ उनकी जान माल को विदेशी निगरानी के तहत क्यों किया जा रहा है?


क्यों सारी जरुरतों और शिक्षा चिकित्सा उर्जा परिवहन समेत तमाम जरुरी सेवाओं को बाजार के हवाले करके लोक गणराज्य की हत्या की जा रही है?


नभाटा की यह रपट देखें,पफिर समझ लें कि क्यों मई दिवस मनाना जरुरी हैः


मोदी सरकार विदेशी निवेशकों को लुभाने और गरीबों की मदद करने का प्रयास एक साथ कर रही है, लेकिन फाइनैंस बिल के एक अजीब से नियम से उसके सभी प्रयासों को नुकसान पहुंच सकता है।इस नियम में लाखों कर्मचारियों के रिटायरमेंट की बचत पर इनकम टैक्स लगाए जाने का प्रावधान है भले ही वह बमुश्किल 2120 रुपए की ही रिटायरमेंट सेविंग करते हों


फिलहाल यदि कोई व्यक्ति साल में 2.5 लाख रुपए या उससे अधिक कमाता हो तो उसे आयकर देना होता है।


1 जून से जिस कर्मचारी की रिटायरमेंट सेविंग साल में 30 हजार से ज्यादा है, अगर वह पांच साल पूरा होने से पहले अपना प्रविडेंट निकलवाता है, तो उस पर 10.3 फीसदी टैक्स या अधिकतम 30.6 मार्जिनल रेट का भुगतान करना होगा।

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नए सेक्शन 192ए के अनुसार, जिन कर्मचारियों के पास करदाताओं की पहचान के लिए बना पैन कार्ड नहीं है, उनके प्रविडेंट फंड से टैक्स अधिकतम दर से काटा जाएगा।


इतना ही नहीं अधिक बचत और इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले कर्मचारियों को भी अपने वे रिटर्न दोबारा फाइल करने होंगे जहां उन्होंने ईपीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन के लिए क्लेम किया था।


पीएफ ऑफिस के अधिकारियों का कहना है कि ईपीएफ ऑर्गनाइजेशन के 90 फीसदी यानी करीब 8.5 करोड़ लोगों के पास पैन कार्ड नहीं है। ऐसे में उन्हें अपनी बचत पर 'हद से ज्यादा और नाजायज' तौर पर टैक्स का भुगतान करना होगा। ईपीएफओ बोर्ड के अध्यक्ष और रोजगार मंत्री बालेंद्रु दत्राये ने पिछले महीने वित्त मंत्रालय के समक्ष इस मसले को उठाया था।


कोई भी कंपनी जिसमें 20 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं के लिए, महीने में 15 हजार तक कमाने वाले सभी कर्मचारियों का ईपीएफ अकाउंट खुलवाना जरूरी है। कानून के मुताबिक कर्मचारी के वेतन का 24 फीसदी उसके पीएफ अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है ताकि बुढ़ापे में उसे सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा दी जा सके।


फाइनैंस बिल में प्रस्तावित इस नए नियम से जो कर्मचारी 59 महीनों तक हर महीने में सिर्फ 508 रुपए ही ईपीएफ में भागीदारी करता है, को भी कर का भुगतान करना होगा। अगर आपके पास पैन कार्ड नहीं है और आप महीने में 2120 रुपए या इससे अधिक की बचत करते हैं तो आप पर 30.9 फीसदी तक का कर लग सकता है।


http://navbharattimes.indiatimes.com/business/tax/tax-news/tax-to-be-levied-on-pf-withdrawn-before-five-years/articleshow/47036253.cms


GST के लिए इसी हफ्ते संविधान संशोधन विधेयक


फिर संसदीय सहमति का यह नजारा भी समझ लें और मनायें मई दिवसः


जीएसटी को अप्रैल 2016 से लागू करने के मकसद से सरकार संसद में दो दिनों के भीतर संविधान संशोधन विधेयक पेश करेगी। हालांकि बुधवार को हुई मीटिंग में मैन्युफैक्चरिंग स्टेट्स को होने वाले रेवेन्यू लॉस और उसकी भरपाई को लेकर एकराय नहीं बन पाई।


फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स पर राज्यों के फाइनैंस मिनिस्टर्स की अधिकार प्राप्त कमेटी के सदस्यों के साथ मीटिंग के बाद बुधवार को कहा, 'राज्यों के लगभग पूरे सपॉर्ट को देखते हुए लगता है कि इससे सबको फायदा होगा। हम संसद के मौजूदा सत्र में संविधान संशोधन का प्रस्ताव पेश करेंगे।'


कमिटी के चेयरमैन के एम मणि ने कहा कि इस बात को लेकर लगभग एकराय है कि विधेयक को तुरंत पास कर दिया जाना चाहिए ताकि जीएसटी को लागू किया जा सके। मणि ने कहा, 'प्राइम मिनिस्टर ने वादा किया था कि प्राथमिकता के आधार पर संविधान संशोधन विधेयक पास करने के लिए शुरुआती कदम उठाए जाएंगे।' मणि ने बुधवार को ही प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।


मीटिंग के दौरान कुछ राज्यों ने सेंट्रल सेल्स टैक्स के मुआवजे पर चिंता जताई थी। मणि के मुताबिक, उनकी मांग है कि जीएसटी लागू किए जाने के चलते होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए उनको 10 साल या उससे ज्यादा वक्त के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए। महाराष्ट्र और गुजरात जैसे मैन्युफैक्चरिंग राज्यों की मांग है कि उनको स्टेट जीएसटी रेट से 2 पर्सेंट ऊपर टैक्स लेने की इजाजत दी जानी चाहिए।


तमिलनाडु सरकार का कहना है कि नई इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था से जुड़ी फिक्रवाली बातों को जीएसटी काउंसिल के जरिए दूर करने के लिए सेंटर का प्रपोजल उसको मंजूर नहीं है। तमिलनाडु के मिनिस्टर फॉर कमर्शल टैक्स ऐंड रजिस्ट्रेशन एम सी संपत ने कहा, 'जीएसटी पर संविधान संशोधन विधेयक पेश करने और फिर खासतौर पर जीएसटी काउंसिल के जरिए असल टैक्स रेट और टैक्स बैंड जैसे जीएसटी के अलग अलग पहलुओं पर एकराय बनाने का भारत सरकार का मौजूदा प्रपोजल हमें मंजूर नहीं है।' उन्होंने कहा, 'विधेयक को पेश किए जाने से पहले अहम मुद्दों पर आमराय अधिकार प्राप्त कमेटी के जरिए बनाई जानी चाहिए।'


मौजूदा रूप में GST संविधान संशोधन विधेयक में सभी राज्यों के लिए रेवेन्यू लॉस के मुआवजे के तौर पर जीएसटी रेट से ऊपर 1 पर्सेंट अडिशनल टैक्स कवर लेने की इजाजत दिए जाने का प्रपोजल है। जेटली ने कहा, 'मैं नोटिस भेजूंगा ताकि उस पर अगले दो दिन में लोकसभा में चर्चा हो सकेगी।'


जेटली ने कहा है कि सेंटर और स्टेट अप्रैल 2016 को जीएसटी लागू किए जाने के लिए टारगेट डेट बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'टारगेट हासिल होने को लेकर हमें पूरा भरोसा है।' मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर फाइनैंस जयंत सिन्हा ने कहा, 'हमें जीएसटी के लिए 1 अप्रैल 2016 की टाइमलाइन हासिल होने में कोई बाधा नजर नहीं आ रही है।'

संघ बनाएगा 120 कामधेनु नगर, खोलेगा गोकुल गुरुकुल

इकनॉमिक टाइम्स (हिंदी)| Apr 24, 2015

वसुधा वेणुगोपाल । नई दिल्ली


आरएसएस अगले कुछ महीनों में देशभर में 120 कामधेनु नगर बनाना चाहता है। संघ का मानना है कि इससे हिंदू परंपरा में पवित्र माने जाने वाले पशुओं का सम्मान होगा और उनके साथ लोगों का रिश्ता मजबूत होगा । संघ को उम्मीद है कि इससे अपराध में कमी आएगी और अपराधियों को सुधारा जा सकेगा। कामधेनु नगर दरअसल गोशालाएं होंगी, जिन्हें रेजिडेंशल कॉलोनियों के पास बनाया जाएगा।


संघ से जुड़े अखिल भारतीय गो सेवा के अध्यक्ष शंकर लाल ने कहा, 'गायों की रक्षा तभी की जा सकती है, जब वे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन जाएं।' उन्होंने कहा, 'हमारी बातचीत रेजिडेंशल सोसायटीज से हो रही है, जो अपनी जमीन गोशालाओं के लिए देने को तैयार हैं। इन गोशालाओं से कॉलोनियों को दूध, दवाएं और गोबर गैस मिलेगी। बदले में कॉलोनियां इन गोशालाओं की देखभाल में मदद करेंगी।'


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संघ ने वेस्ट बंगाल, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में 100 से अधिक स्थान चिह्नित किए हैं। लाल ने कहा, 'इन गोशालाओं में विशुद्ध भारतीय नस्ल की गायें रखी जाएंगी।' उन्होंने कहा, 'अपराध मुक्त भारत के लिए जरूरी है कि हमारे बच्चे भारतीय गायों का ही दूध पियें क्योंकि इससे वे सात्विक बनेंगे। जर्सी गायों और भैंस का दूध पीने से दिमाग में बुरे विचार आते हैं और लोग अपराधी बन जाते हैं।'


संघ की इस साल बड़े आवासीय स्कूलों में 80 गोकुल गुरुकुल खोलने की योजना भी है। लाल ने कहा, 'बच्चे अगर पशुओं के साथ भी रहें तो इसमें बुराई क्या है। बानकेड़ी और ग्वालियर में हमारे ऐसे स्कूल पहले से हैं।'


यह सब गायों की रक्षा से जुड़े संघ के 18 सूत्री अजेंडा का हिस्सा है। इसके तहत गोधन पर आधारित खेती को बढ़ावा देने, जेलों में गोशालाएं बनाने, स्कूली बच्चों को स्कॉलरशिप देने के लिए गायों के बारे में परीक्षा कराने, गो विज्ञान के अध्ययन के लिए एक विश्वविद्यालय खोलने, हर राज्य में एक गाय अभयारण्य खोलने और मंदिरों में हर सप्ताह गो कथा कराने की बातें हैं।


संघ के प्रचारक अभिनव शर्मा ने कहा कि राजस्थान में हाल में स्कूली बच्चों के लिए गो ज्ञान परीक्षा हुई थी और हम ऐसा दूसरे राज्यों में भी करना चाहते हैं। जेलों में गोशालाओं के बारे में लाल ने कहा, 'गायों की सेवा करने से कैदियों के व्यवहार में बदलाव आएगा। मध्य प्रदेश में इसमें सफलता मिली है।'


संघ ने फिनायल, ब्यूटी प्रॉडक्ट्स, मच्छर भगाने वाले उत्पादों सहित 104 चीजों की लिस्ट बनाई है, जिसे उससे जुड़े तमाम एनजीओ ने तैयार किया है। संघ की योजना ऐसा ट्रैक्टर बनाने की भी है, जिसे बैलों से खींचा जा सकेगा। इस तरह किसानों को पशु आधारित खेती की व्यवस्था की ओर लौटाया जा सकेगा।

http://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/sangh-to-form-120-kamdhenu-nagar/articleshow/47035319.cms


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