Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Monday, April 23, 2012

गोण्‍डा में मनरेगा घोटाला : रिपोर्ट दिए जाने के बाद भी सरकार की आंख बंद

http://news.bhadas4media.com/index.php/yeduniya/1206-2012-04-22-12-34-03

[LARGE][LINK=/index.php/yeduniya/1206-2012-04-22-12-34-03]गोण्‍डा में मनरेगा घोटाला : रिपोर्ट दिए जाने के बाद भी सरकार की आंख बंद   [/LINK] [/LARGE]
Written by NewsDesk Category: [LINK=/index.php/yeduniya]सियासत-ताकत-राजकाज-देश-प्रदेश-दुनिया-समाज-सरोकार[/LINK] Published on 22 April 2012 [LINK=/index.php/component/mailto/?tmpl=component&template=youmagazine&link=b7ce296257b28e7644d847ebef1760ab3ebcb2d8][IMG]/templates/youmagazine/images/system/emailButton.png[/IMG][/LINK] [LINK=/index.php/yeduniya/1206-2012-04-22-12-34-03?tmpl=component&print=1&layout=default&page=][IMG]/templates/youmagazine/images/system/printButton.png[/IMG][/LINK]
जहां भी घोटालों की बात हो रही हो वहां गोण्डा का नाम न आये ऐसा कैसे हो सकता है? गोण्डा भारत का वही पावन भूभाग है जहां के नेताओं और अधिकारियों ने गरीबों के निवाले को छीनकर अपना महल बनाया और अपने कमरों को नोटों से भरा और खाद्यान्न घोटाले को अन्जाम दिया। यहीं के अधिकारियों और कुछ लोगों की मिली भगत से कई सालों तक गरीब छात्र छात्राओं के हिस्से का वह करोडों रुपया, जो उन्हें छात्रवृत्ति के रूप में मिलता था, गैर मान्यता और अन्य तरीके से बन्दरबांट कर हजम कर गये। यहीं के अधिकारयों की मिली भगत से कई अपात्र और मरे हुये व्यक्ति कई वर्षों से पेंशन लेते रहे और जरूरतमंद व्यक्ति दर दर भटकते रहे। अब मनरेगा घोटाला कर दिया। यह वो योजना थी जिससे गरीबों का गांव से पलायन रोका जा सके, उनको अपने ही गांव में जरूरत का रोजगार मिले, जिससे वो जीवन यापन कर सकें, लेकिन ये योजना भी गोण्डा में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।


एक रिपोर्ट के अनुसार इस योजना में गोण्डा में पांच करोड अठहत्तर लाख पच्चीस हजार रुपये के सामान बगैर निविदा आमन्त्रित किये हुये अपनी मन चाही संस्थान से मनमर्जी के दामों पर खरीद लिये गये। खरीदे गये सामान का भुगतान मूल्य और बाजार की कीमत को 10 गुने से लेकर 50 गुने अधिक तक रहा। कई भुगतान तो बगैर सामान आपूर्ति के ही हो गये। एक करोड़ सोलह लाख अट्ठारह हाजर रुपये का भुगतान बगैर सामान लिये ही कर दिया गया। और इस पूरी अनियमितता के लिये तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी राज बहादुर, तत्कालीन परियोजना निदेशक जीपी गौतम, सुधीर कुमार सिंह- नाजिर/ सहायक लेखाकार, अवधेश सिंह- लेखाकार, दुर्गेश मिश्रा व राजकुमार लाल को जिम्मेदार ठहराया गया है। ये जांच संयुक्त विकास आयुक्त देवी पाटन मण्डल ने की और इस रिपोर्ट को शासन को कार्रवाई के लिये 8 नवम्बर 2011 को ही भेज दी गई, लेकिन अभी तक किसी भी तरह की कार्रवाई इस रिपोर्ट पर नहीं की गई है। ये रिपोर्ट जन सूचना अधिकार से प्राप्त की गई है। गोण्डा का विकास भवन जहां बैठ कर अधिकारी विकास की योजनायें बनाते हैं और उन पर अमल करवाते हैं। लेकिन अब ये विकास भवन न रह कर अब यह घोटाला भवन हो गया है। यहां से निकालने वाली सारी योजनायें घोटालों की भेंट चढ़ जाती हैं।

ऐसा ही एक घोटाला मनरेगा का हुआ जिसकी जांच संयुक्त विकास आयुक्त देवी पाटन मण्डल गोण्डा ने की। उन्होंने अपनी जांच में पाया कि गोण्डा में मनरेगा योजना में कई मदों में धांधली की गई थी। जैसे प्रपत्र पंजिका क्रय पत्रावली की जांच की तो  उन्होंने पाया कि बाजार मूल्य से कई गुना अधिक दामों पर प्रपत्र पजिंका का क्रय किया गया और करीब 34 लाख 89 हजार 890 रुपये के प्रपत्र पंजिका के क्रय में धांधली की गई, वहीं लेजर और कैश बुक के खरीद में 7 लाख 5 हजार 120 रुपये का भुगतान बगैर समान प्राप्त किये कर दिया गया। इस में खर्च किये गये 18 लाख 35 हजार 810 रुपये के भुगतान दरों का फाइल पर कोई विवरण ही नहीं है। इसी तरह से 19 लाख 42 हजार 859 रुपये के कम्प्यूटर खरीद लिये गये, जो बिना निविदा के खरीदे गये और भुगतान भी बाजार के मूल्य से कई गुना अधिक मूल्य पर कर दिया गया। वहीं साइन बोर्ड के क्रय में प्राप्त निविदा मूल्य 3550 के सापेक्ष 4660 रुपये प्रति साइन बोर्ड का भुगतान किया गया, जिसमें 8 लाख 99 हजार रुपये का गबन कर लिया गया। वहीं 40 लाख 62 हजार 937 रुपये के साइन बोर्ड बाजार कीमत से कई गुने अधिक दाम पर खरीद लिये गये। कुर्सी मेज की खरीद केन्द्रकृत रूप से जनपद स्तर पर कर ली गई, जिसे ग्राम पंचायतों को खरीदना था।

इसी प्रकार वर्कशेड पेयजल सुविधा व क्रश / खिलौना के क्रय में 54 लाख 70 हजार 260 रूपये का गबन कर लिया गया, जबकि 2 करोड 51 लाख 37 हजार 900 रुपये के खिलौने वर्कशेड बाजार मूल्य से कई गुने अधिक मूल्य पर खरीदे गये। ऐसे ही फर्स्‍ट एड बाक्स का 35 लाख 58 हजार 330 रुपये का फर्जी भुगतान कर दिया गया। और 90 लाख 59 हजार 130 रुपये के फर्स्‍ट एड बाक्स बाजार से कई गुने अधिक मूल्य पर खरीद लिये गये। ऐसे ही फावड़ा तसला के क्रय में भी 1 करोड 22 लाख 35 हजार 622 रुपये के फावडे़ तसले को बाजार से करीब 30 गुना अधिक मूल्य पर खरीद लिया गया। फावडे व तसले की खरीद में 52 लाख 17 हजार 930 रुपये का गबन कर लिया गया। और इन सब घोटालों की शिकायत डालने के लिये खरीदी गई शिकायत पेटिका भी घोटाले की भेंट चढ़ गई और शिकायत पेटिका की खरीद में 6 लाख 68 हजार 250 रुपये गबन कर लिये गये। 11 लाख 991 हजार 712 रुपये की शिकायत पेटिका बाजार से कई गुने अधिक मूल्य पर खरीद ली गई। जांच में पाया गया कि इस पूरी खरीद में तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी राज बहादुर, तत्कालीन परियोजना निदेशक जी पी गौतम, सुधीर सिंह- नाजिर, अवधेश सिंह - लेखाकार, दुग्रेश मिश्रा - संख्या सहायक और राज कुमार लाल उत्तरदायी है। ये रिपोर्ट संयुक्त विकास आयुक्त ने दिनाक 8 नवम्बर 2011 में शासन में कार्रवाई के लिये भेजी थी लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और सुधीर सहित अन्य सभी मनरेगा के ही पटल का कार्य कर रहे हैं और अन्य तरह के घोटालों को भी अंजाम दे रहे हैं।

 

[IMG]/images/stories/food/mangonda.jpg[/IMG]

No comments: