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Saturday, June 9, 2012

ये एटीएस वाले मुसलमानों को आखिर समझते क्‍या हैं?

http://mohallalive.com/2012/06/08/a-report-on-role-of-up-govt-and-up-ats-in-fabricating-shakil-as-terrorist/

मोहल्ला लखनऊसंघर्ष

ये एटीएस वाले मुसलमानों को आखिर समझते क्‍या हैं?

8 JUNE 2012 NO COMMENT

यूपी एटीएस के आतंकी कुचक्र में फसा शकील

♦ राजीव यादव


अपनी मासूम बच्‍ची के साथ साइमा खातून

साइमा खातून अपनी तीन साल की बेटी उम्म-ए-ऐमन के साथ जब हमसे मिलने के लिए आयीं, तो बहुत देर तक हमारे बीच खामोशी बनी रही। पर जब बात शुरू हुई, तो एक-एक कर चार महीनों से चल रही गैरकानूनी पुलिसिया पूछताछ की जो दास्तान हमारे सामने आयी, उसने सपा सरकार के पूरे चुनावी घोषणा पत्र को धता बताते हुए यूपी में मुस्लिम समाज की घुटन भरी जिंदगी के दरवाजे खोल दिये। पिछली 19 मई को साइमा अपनी पति की बेगुनाही के सबूत लेकर 'नये मुख्यमंत्री' अखिलेश यादव के दरबार में भी जा चुकी हैं।

बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने के एजेंडे के साथ सत्ता में आयी 'सपा के राज' में 12 मई की सुबह 8 बजे के तकरीबन जब साइमा के पति मो शकील अपने घर दुबग्गा लखनऊ से मलीहाबाद कटौली के लिए मकतब के काम से निकले तो वापस नहीं लौटे और उनका कोई पता नहीं चला। मोबाइल भी बंद हो गया। फोन नं 8447733703 से 12 बजे रात में फोन आया कि मैं दिल्ली एटीएस अफसर बोल रहा हूं और शकील को दिल्ली लेकर जा रहा हूं।

दो दिनों बाद जब साइमा को पता चला कि उसके शौहर पर आतंकवादी होने का ठप्पा लगा दिया गया है, तो उसके पांव के नीचे से जमीन खिसक गयी। साइमा बताती हैं कि उनके शौहर को आतंक के आरोप में फसाने की तैयारी यूपी एटीएस उनके नंदोई बशीर हसन के मामले में पूछताछ के नाम पर चार महीने से कर रही थी।

गौरतलब है कि 5 फरवरी 2012 को बशीर हसन को एटीएस ने उठा लिया और बाद में उन पर आतंकी होने का आरोप लगाया। उस दरम्यान शकील अपने परिवार के साथ सीतापुर में रहते थे। शकील के भाई इशहाक बताते हैं कि यूपी एटीएस के एक अधिकारी, (जिनका नाम पूछने पर वे कहते हैं कि साहब ही सभी उनको कहते थे) ने कहा कि शकील को पीसीओ से फोन करो कि वो मेरे पास आ जाए और कह देना कि अपना मोबाइल बंद कर ले। और किसी से कोई बात न करे।

साइमा बताती हैं, 'आठ फरवरी को मेरे पति शकील को बुलवाकर यूपी एटीएस अपने ऑफिस गोमती नगर ले गये। एक हफ्ते तक उनसे लंबी पूछताछ की गयी। फिर एटीएस ने शकील पर दबाव बनाते हुए कहा कि वो लखनऊ में ही रहे और अपना मोबाइल बंद रखे। दिल्ली एटीएस उसकी तलाश में है।' ऐसे में यूपी एटीएस और दिल्ली एटीएस की दोहरी मार झेल रहा शकील अपने साढूं मुशीर अहमद के घर दुबग्गा में रहने लगा। इस दरम्यान लखनऊ एटीएस का एक व्यक्ति, साइमा जिसका नाम तनवीर बताती हैं, वो लगातार उनकी हर गतिविधि की निगरानी और शकील का हमदर्द बनकर उससे बातें करता था। यूपी एटीएस की इस गैरकानूनी पूछताछ और निगरानी ने उन्हें भय और आतंक में जीने को मजबूर कर दिया।

इशहाक बताते हैं कि शकील से यूपी एटीएस का तनवीर कहता था कि जिस तरह से मैं बताऊं, वैसे चलकर तुम ऑफिस में कहना, वरना तुम भी अंदर हो जाओगे। और शकील से कहा कि तुम घर से मत निकलना और अपना मोबाइल भी बंद रखना। हमें कुछ पूछना होगा तो हम खुद आकर मिल लेंगे या तुम्हारे भाई इशहाक के जरिये बात कर लेंगे।

यूपी एटीएस की इस गैरकानूनी पूछताछ ने शकील को मानसिक तौर पर परेशान कर दिया, पर शकील जहां अपने गांव में मदरसे में पढ़ा रहा था, उससे उसका मदरसा छोड़कर लखनऊ में छुपकर रहने के लिए मजबूर किया गया। और उसमें एक अपराधबोध पैदा किया गया कि उसका बहनोई बशीर आतंकी करतूतों में शामिल है और ऐसे में अगर जैसा यूपी एटीएस कह रही है, वैसा वो नहीं करेगा तो उसे आतंक के इसी जाल में फसा देंगे। यूपी एटीएस ने उससे पूछताछ के नाम पर मुस्लिम युवकों को फंसाने के लिए झूठे सबूत भी इकट्ठा करवाने की कई बार कोशिश की, पर जब उसने तंग आकर मना कर दिया तो यूपी एटीएस को लगा कि वो अब उनके किसी काम का नहीं है और अगर ये बातें वो किसी को बता देगा, तो उससे यूपी एटीएस की पोल खुल जाएगी तो उसने उसे भी आंतक के झूठे कुचक्र में फंसा दिया।

साइमा बताती हैं, 'सात मई को भी एटीएस का शकील के फोन नं 08756861060 पर फोन आया और नदवा में उनके साथ पढ़ने वाले भटकल के लड़कों के नाम और फोटो देने को कहा, फिर 9 मई को दिन में कई बार एटीसएस के फोन आये, और इतना ज्यादा धमकाया कि वह रोने लगे, और रात भर सो नहीं सके।'

इशहाक बताते हैं कि 9 मई को दिन में कई बार फोन करके शकील पर दबाव बनाते रहे, जब उसने कहा कि यह काम मेरे बस से बाहर है तो 11 तारीख को एक आदमी के जरिये लखनऊ एटीएस ने मुझे फोन नं 7275265518 पर फोन करवाया कि तुम लोग होशियार रहना। 12 मई को 9 बजे मैंने तनवीर को फोन किया कि क्या बात है? तो उन्‍होंने कहा कि पीसीओ से बात करो तो मैंने दूसरे नंबर 7388923992 से बात की, तो उन्होंने शकील के बारे में पूछा कि वह कहां है? मैंने बताया कि दुबग्गा में अपने साढू के घर पर है। इस वक्त पढ़ाने गया होगा, तो तनवीर ने कहा कि पता कर लो। फिर मैंने शकील को फोन किया तो उसका मोबाइल बंद था। जब शाम तक घर नहीं पहुंचा तो मैंने फिर तनवीर को फोन किया तो उसने कहा कि पहले बता दिया था कि होशियार रहना। उसने कहा कि दिल्ली एटीएस वाले ले गये हैं। फिर मैंने एटीएस के साहब को फोन किया और शकील के बारे में पता किया तो उन्होंने कहा कि हमें नहीं मालूम है। मैंने तनवीर की बात का हवाला दिया तो उन्होंने कहा कि दिल्ली वाले ले गये होंगे।

इशहाक ने एटीएस के साहब से कहा कि फरवरी में जब आपने उसे बुलवाया था, तो फौरन वह आपके पास हाजिर हो गया था, और आपने उससे पूरी इनक्वाइरी कर ली थी और तीन महीने से आपके संपर्क में था, तो अगर वह मुजरिम था, तो आपने उस वक्त उसे क्यों नहीं पकड़ा? और अब आपने दिल्ली वालों के हवाले कर दिया। आपके लोग ही उसको पहचानते थे और आपके पास ही उसका नंबर था, तो उन्होंने कहा कि हमें उसकी कोई जरूरत नहीं थी, दिल्ली वालों को रही होगी, इसलिए वो ले गये। लखनऊ आओ तो बात करेंगे, और फोन काट दिया।

आज भी साइमा शकील के अंतिम बार घर से निकलकर जाने वाली बात को बार-बार याद करती हुई कहती हैं कि 12 मई को स्कूल जाते वक्त रास्ते से दिल्ली एटीएस ने उन्हें उठा लिया। और कहती हैं कि हमें नहीं मालूम था कि एटीएस वाले हमारे साथ साजिश रच रहे हैं।

(राजीव यादव। पीयूसीएल यूपी के प्रदेश संगठन सचिव। आईआईएमसी से पत्रकारिता की पढ़ाई के बाद अपने प्रदेश में चल रहे जनसंघर्षों की रिपोर्टिंग में रम गये। वाम प्रतिबद्धता वाले युवा पत्रकारों के संगठन जेयूसीएस (जर्नलिस्‍ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी) से भी जुड़े हैं। उनसे rajeev.pucl@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)


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