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Friday, March 22, 2013

कुत्‍सा प्रचार और प्रति-कुत्‍सा प्रचार की बजाय एक अच्‍छी बहस को मूल मुद्दों पर ही केंद्रित रखा जाय

जाति प्रश्न और मार्क्सवाद' विषय पर भकना भवन, चंडीगढ़ में सम्पन्न अरविन्द स्मृति संगोष्ठी की रिपोर्ट्स हस्तक्षेप पर प्रकाशित होने के बाद कुछ आपत्तियाँ आयीं। हमने उन आपत्तियों और स्वयं के ऊपर लगे आरोपों को भी स्थान देते हुये पूरे प्रकरण पर एक स्वस्थ बहस चलाने का प्रयास किया। हालाँकि इस बीच कमेन्ट्स के रूप में थोक भाव में गालियाँ भी आईँ लेकिन जैसी कि हमारी पुरानी नीति है कि हम कमेन्ट्स के रूप में भी गालियों का प्रकाशन नहीं करते हमने उन्हें सख्ती के साथ खारिज किया। समस्या तभी उत्पन्न होती है जब लोग शोशेबाजी, फतवेबाजी और बहस के बीच का अन्तर मिटा देते हैं। बहरहाल, स्वस्थ बहस का तहे दिल से स्वागत है भले ही उस बहस से कुछ पुरानी मान्यतायें टूटें। हमें अरविन्द स्मृति संगोष्ठी के आयोजकों में से एक 'मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान' के संपादक अभिनव सिन्‍हाका एक मेल प्राप्त हुआ है, उसे हम यहाँ दे रहे हैं। शायद इस पत्र के प्रकाशित होने के बाद कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग देखकर बहस सही पटरी पर आये और कुछ चिंतकों और उनकी जंगजू सेनाओं को भी दायें-बायें न देखना पड़े – खैर, हमारा मानना है किसी बहस में केन्द्र बिन्दु व्यक्ति नहीं विचार होना चाहिये जब तक कि व्यक्ति विचार से बड़ा न बन जाये। बहस में आप सभी का स्वागत है। भगवा, हरा, नीला, लाल, हर रंग के फण्डामेन्टलिस्ट्स के खिलाफ़ हमारी आवाज़ जारी रहेगी …सम्पादक-हस्तक्षेप

 

'मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान' के संपादक अभिनव सिन्‍हा,

आप 'हस्‍तक्षेप' पर बहस को जारी रखकर एक बेहद महत्‍वपूर्ण योगदान कर रहे हैं। हस्‍तक्षेप की पहुंच काफी व्‍यापक है, और शायद हम स्‍वयं यह बहस उतने व्‍यापक स्‍तर पर और विशेष तौर पर हिन्‍दी जगत में मौजूद पाठकों तक नहीं पहुंचा पाते। आप इसके लिए बधाई के पात्र हैं।

साथी, हमें लगा कि अगर हम आनन्‍द तेलतुंबड़े से हुई पूरी बहस को ऑनलाइन कर दें तो इससे बहस में हस्‍तक्षेप कर रहे लोगों को काफी आसानी होगी। पूरी बहस का लिंक मैं आपको भेज रहा हूं। हमारा आग्रह है कि इसे 'हस्‍तक्षेप' पर भी डालें। यह वीडियो करीब 2 घंटे लंबा है, जिसमें पहले आनन्‍द जी ने बात रखी है और उसके बाद मैंने बात रखी है। अंत में, आनन्‍द जी ने कहा कि वे सभी बातों से सहमत हैं और वे अम्‍बेडकर और जॉन डेवी से सहमत नहीं हैं। लेकिन अब आनन्‍द जी अपनी ही बातों से मुकर रहे हैंइसलिए हमें लगा कि पूरा वीडियो ऑनलाइन डालना बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए भी है कि हम पर बेजा तोहमतें लगायी जा रही हैं, यहां तक कि संगठन के लोगों के बारे में व्‍यक्तिगत आरोप-प्रत्‍यारोप भी शुरू हो गया है।

लेकिन हम चाहते हैं कि कुत्‍सा प्रचार और प्रति-कुत्‍सा प्रचार की बजाय एक अच्‍छी बहस को मूल मुद्दों पर ही केंद्रित रखा जाय। हम ऐसे महाभियोगों और आरोप-पत्रों का जवाब देने की बजायबहस को राजनीतिक तौर पर जारी रखने का प्रयास करेंगे।

वीडियो के लिंक इस प्रकार हैं :

http://www.youtube.com/watch?v=TYZPrNd4kDQ

http://www.youtube.com/watch?v=eBD9UMNI5mw

http://www.youtube.com/watch?v=E5goWuZj09A&feature=youtu.be

http://www.youtube.com/watch?v=fn_-sebfHc4&feature=youtu.be

आपने इस बहस की पहुंच का बहुत व्‍यापक बना दिया है, हम इसके लिए आपको तहे दिल से शुक्रिया कहना चाहेंगे, और उम्‍मीद करेंगे कि यह जीवन्‍त बहस आगे भी जारी रहेगी। सत्‍यम शीघ्र ही सेमिनार में पेश प्रमुख पेपर आपको भेज देंगे।

क्रांतिकारी अभिवादन के साथ,

अभिनव.

 

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