Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Monday, March 25, 2013

जी क्‍या आप यह बताने का कष्‍ट करेंगे कि वे कौन से प्रखर मार्क्‍सवादी हैं जो बिना जनता के भी क्रांति करने में सक्षम ? मैं चंडीगढ़ संगोष्‍ठी में मौजूद था। वहां तो किसी वक्‍ता ने ऐसी कोई बात नहीं की। उल्‍टे, अपने तमाम मतभेदों के बावजूद सभी वक्‍ता इस बात पर तो सहमत थे कि मेहनतकश दलित आबादी के बिना भारत में क्रांति सम्‍भव नहीं। शायद आपने कोई अफ़वाह सुन ली है। इतने गम्‍भीर मसले पर अफवाहों पर ध्‍यान मत दीजिये। मैं संगोष्‍ठी के मुख्‍य पेपर का लिंक भेज रहा हूं, उसके पढि़ये और फिर बेशक आलोचना रखिये। यह तो आप भी मानेंगे कि अफवाहों पर ध्‍यान देने से न तो क्रांति का भला होगा और न ही दलितों का।

Anand Singh (friends with Ram Puniyani) commented on your link.
Anand wrote: "aarti Punia जी क्‍या आप यह बताने का कष्‍ट करेंगे कि वे कौन से प्रखर मार्क्‍सवादी हैं जो बिना जनता के भी क्रांति करने में सक्षम ? मैं चंडीगढ़ संगोष्‍ठी में मौजूद था। वहां तो किसी वक्‍ता ने ऐसी कोई बात नहीं की। उल्‍टे, अपने तमाम मतभेदों के बावजूद सभी वक्‍ता इस बात पर तो सहमत थे कि मेहनतकश दलित आबादी के बिना भारत में क्रांति सम्‍भव नहीं। शायद आपने कोई अफ़वाह सुन ली है। इतने गम्‍भीर मसले पर अफवाहों पर ध्‍यान मत दीजिये। मैं संगोष्‍ठी के मुख्‍य पेपर का लिंक भेज रहा हूं, उसके पढि़ये और फिर बेशक आलोचना रखिये। यह तो आप भी मानेंगे कि अफवाहों पर ध्‍यान देने से न तो क्रांति का भला होगा और न ही दलितों का। http://arvindtrust.org/wp-content/uploads/2013/03/Jaati-Prashn-aur-uska-Samaadhaan-Ek-Marxvadi-Dristikon.pdf"

आनंदजी, आपकी दलील वाजिब है।पर जो रपटें आयीं और जिस आक्रामक अंदाज में अभिनव जी ने मुक्त बाजार के लिए अंबेडकर के आर्थिक चिंतन को आधार बताया, उन्हें पूंजीवाद और साम्राज्यवाद का समर्थक घोषित किया, फिर यह घोषित कर दी दलित मुक्ति के लिए अंबेडकर की कोई परियोजना नहीं है। उससे संगोष्ठी में शामिल हर किसी को लग सकता है कि बहुसंख्यक जनता को हाशिये पर रखकर जाति वमर्श के बहाने अंबेडकर को खारिज किया जा रहा है। बेहतर हो कि अभिनव जी के अलावा आप सभी जो बहस छिड़ चुकी है, उसमें शामिल होकर संवाद को रचनात्मक आयाम दें , जिससे प्रतिरोध और आत्मरक्षा  के लिए निनानब्वे फीसद जनता का एका हो सकें।

आपने यह लिंक भेजा, इसके लिए आभारी हूं। भ्रामक रपटों से पहले, आक्रामक बयानबाजी से पहले आप लोगों ने विमर्श के बिंदुो का खुलासा किया होता और वहां प्रस्तुत आलेख पेश किये होते  तो यह कटुता न होती। बहरहाल मैं निजी तौर पर बहस को ठीक मानता हूं। सिद्धांतों और अवधारणाओं पर बहस संभव है पर रणनीति के खुलासे में संयम बरता जाना चाहिए। राष्ट्रव्यापी मुक्तिकामी जनांदोलन के समान लक्ष्यं के लिए विमर्श जरुरी है।हस्तक्षेप की वजह से सबसे अच्छी बात है कि हमें भी इस बहस में शिरकत करने का मौका मिला है। अभिनव जी के सिद्धांतों और विश्लेषण का हमने खंडन नहीं किया है, बल्कि ाप जो कह रहे हैं, वही हम कहने की कोशिश कर रहे हैं। जो हम कह नहीं पा रहे हैं। उसे समझ लेने की जरुरत है।उसका खुलासा उचित नहीं है। दूसरी ओर, जिस विमर्श को आपने शुरु किया, वह सामान्य पाठक वर्ग तक पहुंचने लगा है। अंबेडकर को लोग भूल गये हैं और सत्ता की भागेदारी और आरक्षण तक सीमित होगये अंबेडकर। बहुजनों की आर्थिक संपन्नता और जाति उन्मूलन के मुद्दे गौण हो गये हैं। व्यक्तिगत कुत्सा अभियान में बहस तब्दील न हो और सामूहिक विमर्श व संवाद की हालत बने तो इस संवाद के रचनात्मक निष्कर्ष निकल सकते हैं।

पलाश विश्वास

पुनश्चः इस आधार आलेख को सार्वजनिक किया जाये तो संवाद की नय़ी दिशा खुल सकती है।यह हम तो पढ़ सकते हैं , पर यूनीकोड में न होने की वजह से शेयर नहीं कर पा रहे हैं।
पलाश


No comments: