यह दुखद है कि बहुजन समाज के दूसरे तबके, जिन्हे हम ओबीसी या अन्य पिछड़ा वर्ग कहते हैं, स्वतंत्रता प्राप्ति के सालों बाद भी न तो संगठित हैं और न ही कोई अधिकार पा सके हैं. एससी-एसटी की स्थिति में तो कानूनों के जरिए सुधार आया है परंतु इन लोगों के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ.
हमारे लिए जो मुद्दा महत्वपूर्ण है वह यह है कि आरक्षण हमारे लिए रोटी का प्रश्न नहीं है, वह हमारे लिए नौकरी का प्रश्न नहीं है. आरक्षण हमारे लिए सरकार और प्रशासन में भागीदारी का प्रश्न है. इस देश में लोकतंत्र है, अगर देश के 52 प्रतिशत ओबीसी लोग गणतंत्र का हिस्सा नहीं हैं तो वे किस तंत्र का हिस्सा हैं?
-मान्यवर कांशीराम
मान्यवर कांशीराम को उनके जन्मदिवस पर शत्-शत् नमन !
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