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Saturday, April 20, 2013

पीएफ और पेंशन का बारह बजना तय!भारत सालाना 50 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) खपा सकता है।

पीएफ और पेंशन का बारह बजना तय!भारत सालाना 50 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) खपा सकता है।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

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​भविष्यनिधि को बाजार में खपाने का खेल पहले से जारी है। पीएफ आनलाइन होने काम तलब यह नहीं है कि आप आधा पैसा भी निकालने के लिए स्वतंत्र है। मालिक पक्ष की ओर से जमा कराये जाने वाली रकम से पेंशन बनेगी, सो उस पर हाथ नहीं डाल सकते। बाकी जो आपकी ओर ​​से जो रकम जमा  है, उसका  एक हिस्सा जरुर आप निकाल सकते हैं। बाकी जो जमा रहेगा, पीएफ और पेंशन दोनों को निवेशकों के हित में​​ खपाने का खेल जारी है। पिछले सत्र की तरह संसद का बाकी बजट सत्र भी अब दिल्ली बलात्कारकांड के हवाले है।संघ परिवार के समर्थन​​ से भूमि अधिग्रहण बिल पास हो ही जाना है। पेंशन बिल भी पास हो जाये तो पीएफ और पेंशन का बारह बजना तय है।सरकारी कोशिश होगी​​ कि अधिकतम रकम पीएफ और पेंशन से निकालकर निवेशको के हित में बादजार में खपाया जाये। फिर जो हाल जीवन बीमा को हो रहा ​​है, आप सेनसेक्स की कलाबाजी को रेते रहिये। ​नये खेल का तर्क यह है कि संगठित क्षेत्र की कंपनियां अब अपने कर्मचारियों के वेतन को भत्तों में बांट कर कम भविष्य निधि (पीएफ)  काटने का खेल नहीं कर पाएंगी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की स्कीम के तहत अब पीएफ काटने के लिए मूल वेतन के साथ भत्तों को जोडऩे का रास्ता साफ हो सकता है।सरकार की ओर से गठित एक समिति को मूल वेतन में भत्ते मिलाकर पीएफ काटने का विचार बेहद पसंद आया है। यह प्रस्ताव लागू होने पर कर्मचारियों की बचत में तो इजाफा होगा, लेकिन उनके खाते में आने वाला वेतन कम हो जाएगा। समिति ने सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) स्कीम का दायरा बढ़ाने का मन बना लिया है। समिति के सुझावों को श्रम मंत्रालय का समर्थन हासिल है। सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों का वेतनमान इतना ज्यादा है और उससे इतर जो ऊपरी सुविधाएं हैं उन्हें, भत्तों पर पीएफ कटने से उन्हें शायद​​ ही  कोई फर्क पड़े। पर हकीकत यह है कि  इस कदम से निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की पीएफ राशि तो बढ़ेगी, लेकिन उनकी 'टेक होम सैलरी' कम हो जाएगी।अभी तक मूल वेतन (बेसिक सैलरी) से ही आपके पीएफ की कटौती की जाती थी।


दूसरी ओर, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) करीब पांच करोड़ पीएफ खाताधारकों को राहत पहुंचाते हुए आगामी 1 जुलाई से पीएफ फंड के ऑनलाइन ट्रांसफर और निकासी की सुविधा भी देने जा रहा है।तो जनाब आप खुशी मनाइये कि कर्मचारी भविष्य निधि के पैसों के लिए अब पीएफ दफ्तर के चक्कर लगाने के झंझट से जल्द ही निजात मिलने वाली है।खाताधारकों के आवेदनों का निपटारा भी अब एक निश्चित समय सीमा के अंदर किया जाएगा। यही नहीं, पीएफ खाते के विवरण को पिछले नियोक्ता से सत्यापित कराने की जिम्मेदारी अब ईपीएफओ की होगी।नौकरी बदलने के साथ नया भविष्य निधि खाता खोलने की परेशानी भी अगले वर्ष से समाप्त हो सकती है। ईपीएफओ खाताधारकों को एक स्थायी पीएफ खाता नंबर देकर यह राहत देने की तैयारी कर रहा है।इससे नौकरी या स्थान बदलने पर नए पीएफ खाते की जरूरत नहीं पड़ेगी। ईपीएफओ के मुताबिक अगले 8-10 माह में यह सुविधा शुरू हो जाएगी।


इसी बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में नरमी को थोड़े वक्त का बताते हुए वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने न्यूयार्क में  कहा कि यह दो साल में 8 फीसदी के ग्रोथ रेट पर लौट आएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत सालाना 50 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) खपा सकता है।गौरतलब है कि इसी सिलसिले में अटके पड़े बीमा और पेंशन बिल के सवाल पर उन्होंने कहा कि बिल पहले ही संसद में है और उन्होंने इस बारे में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और अरुण जेटली से विचार-विमर्श किया था। इन नेताओं ने अपनी पार्टी में आंतरिक विचार-विमर्श के बाद राय देने का वादा किया है। चिदंबरम इसी सप्ताह आईएमएफ-वर्ल्ड बैंक की बैठक में भाग लेने वाले हैं।मालूम हो कि इन दोनों विधेयकों का मकसद बीमा और पेंशन को पूरी तरह बाजार में खपाना है।प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से बी असंगठित​ ​ और संगठित दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों की शामत आने वाली है। जाहिर है कि पीएफ को पेंशन से जोड़ दिये जाने के बाद पेंशन बिल का असर सीधे तौर पर पीएफ पर होना है और उसीके मुताबिक बंदोबस्त चाकचौबंद होना है।


चिदंबरम ने चालू खाते के घाटे के अधिक होने की वास्तविकता को स्वीकारते हुए उम्मीद जताई कि तेल की कीमतों में नरमी से यह घाटा घटाने में मदद मिलेगी। यह 2012-13 में बढ़कर जीडीपी का लगभग पांच फीसदी हो गया है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि सरकार सेक्टर के हिसाब से एफडीआई लिमिट की समीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा, 'भारत 8 फीसदी का संभावित ग्रोथ रेट हासिल करने को तैयार खड़ा है और देश ने विदेशी निवेश की कोई सीमा तय नहीं की है।' उन्होंने कहा, 'देश में हम 50 अरब डॉलर का निवेश एक साल या अधिक अवधि में खपा सकते हैं। विदेशी मुद्रा प्रवाह के लिहाज से पहली वरीयता एफडीआई की है, उसके बाद एफआईआई और विदेशी वाणिज्यिक उधारी है।' उन्होंने कहा कि एफडीआई किसी भी और देश की तरह भारत के लिए भी अहम है।चिदंबरम ने इसी हफ्ते कनाडा और अमेरिका में निवेशकों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि भारतीय नरमी फौरी है। उन्होंने बताया, '2004 से 2012 के दौरान छह साल के लिए हमारी ग्रोथ रेट 8 फीसदी रही, जबकि चार साल यह दर 9 फीसदी थी। हम इसी साल 6 फीसदी की दर पर लौटेंगे। 2012-13 में दिखी नरमी स्थायी नहीं है और अनुमान बेहतरी का संकेत देते हैं।' चिदंबरम ने कहा कि चालू खाते के घाटे को कम करने के लिए कोई टारगेट तय नहीं किया गया है और उम्मीद जताई कि 2012-13 में यह जीडीपी का लगभग 5 फीसदी होगा। उन्होंने कहा, 'चालू खाते के घाटे के बड़े आकार को मैं जानता हूं और इसे 2.5 फीसदी पर लाने के लिए हमें कुछ समय चाहिए। यह साल-दो साल में हो सकता है। इसका कोई आंकड़ा नहीं है। सावधानी इसको 2.5 फीसदी या इसके आस-पास रखने में है।'उन्होंने कहा कि 2012-13 की तीसरी तिमाही में यह घाटा काफी ऊंचा रहा था लेकिन चौथी तिमाही इस लिहाज से बेहतर रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि यह घाटा आयात की लागत और निर्यात में बढ़ोतरी समेत कई कारकों पर निर्भर करता है। भारत और वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों के सवाल पर वित्तमंत्री ने कहा कि इनमें गिरावट है लेकिन आशंका भी है कि लोग और अधिक सोना इंपोर्ट कर सकते हैं।चिदंबरम ने 2012-13 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान 6.1 से 6.7 फीसदी के बीच रखा। चिदंबरम ने भारतीय और अमेरिकी मीडिया द्वारा पूछे गए कई सवालों का जवाब इस दौरान दिया। पिछले कुछ साल में भारत में निवेश के कमी के सवाल पर चिदंबरम ने कहा कि यह तो उनके खुद के मुद्दों या घरेलू समस्याओं के कारण हुआ है। उन्होंने कहा, ' वे (निवेशक) और सचेत हो गए हैं और उन्हें अपने संसाधनों के लिए धन चाहिए। उनकी अर्थव्यवस्थाओं को अधिक धन की जरूरत है।'


भारत में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों और बुनियादी ढांचे में कमी को लेकर जताई जा रही चिंताओं पर चिदंबरम ने कहा, 'निश्चित रूप से भ्रष्टाचार है। निवेशकों के साथ बैठकों में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा, लेकिन यह मुख्य मुद्दा नहीं था। बीते दो दिन में अगर भ्रष्टाचार पर दो सवाल पूछे गए, तो 20 सवाल ढांचागत विकास पर थे।' उन्होंने कहा कि भारत को अगले पांच साल में केवल ढांचागत परियोजना में ही 1000 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। इसमें से 47 फीसदी निजी क्षेत्र से, जबकि बाकी सार्वजनिक क्षेत्र से आएगा। उन्होंने कहा कि एक कमिटी कई क्षेत्रों में एफडीआई की अधिकतम सीमा की समीक्षा कर रही है। कमिटी की रिपोर्ट के बाद कई क्षेत्रों की एफडीआई सीमा में बदलाव हो सकता है।


पीएफ काटने के लिए मूल वेतन के साथ भत्तों को जोडऩे के मसले पर गठित की गई समीक्षा समिति ने ईपीएफ स्कीम के तहत सामाजिक सुरक्षा लाभ बढ़ाने के विचार का समर्थन किया है। इस बारे में गत 30 नवंबर को ईपीएफओ ने सर्कुलर जारी किया था। बाद में इस पर विवाद को देखते हुए श्रम मंत्रालय ने सर्कुलर को स्थगित कर दिया था।


पूर्व सेंट्रल पी.एफ कमिश्नर आर.सी मिश्रा ने को बताया कि निजी कंपनियां जानबूझकर अपने कर्मचारियों की ज्यादातर सैलरी भत्तों में दिखाती हैं। इससे उन्हें पीएफ में कम योगदान करना पड़ता है। इसके अलावा, इसको लेकर ईपीएफओ में भ्रम था।

इसका फायदा उठाकर ईपीएफओ के कर्मचारी कंपनियों से मोल-भाव करते थे जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा था। ऐसे में इस पर रोक लगाने के लिए कई तरह के भत्तों को मूल वेतन के साथ जोडऩे को लेकर सर्कुलर जारी किया गया था। मिश्रा के मुताबिक इससे कर्मचारियों की पीएफ जमा में इजाफा होगा और ज्यादा से ज्यादा कर्मचारी पीएफ के दायरे में आएंगे।


ईपीएफओ की फैसले लेने वाली शीर्ष संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीबीटी) के सदस्य एवं भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बी.एन.राय ने बताया कि समीक्षा समिति की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद यह प्रस्ताव अब सीबीटी की बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा।राय का कहना है कि मौजूदा समय में निजी क्षेत्र की कंपनियां वित्तीय देनदारी कम करने के लिए कर्मचारियों का मूल वेतन कम रखती हैं और शेष वेतन को कई तरह के भत्तों में बांट देती हैं।इससे कंपनियों को पीएफ मद में अपना योगदान कम रखने में सफलता मिलती है। वहीं, कर्मचारियों का पीएफ कम कटता है। इससे कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने का मकसद पूरा नहीं होता है।


कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के खाताधारकों को पेंशन देने में मुश्किल आ सकती है क्योंकि सरकार के पास 95% खाताधारकों की जन्म तारीख का ही रिकार्ड नहीं है।इसके अलावा ईपीएफ के खातों में दूसरी मुश्किल यह आ रही है कि बड़ी तादाद ऐसे खाताधारकों की है जिन्होंने किसी को अपना नॉमनी नहीं बनाया है।दरअसल ईपीएफ के खाताधारकों को 1000 रुपए की न्यूनतम पेंशन दी जानी है जिसके लिए सरकार सैद्धांतिक रूप से सहमत भी हो गई है। खाताधारकों की जन्म तारीख का रिकार्ड नहीं होने पर श्रम और रोजगार मंत्रालय यह कह रहा है कि उसे यही नहीं पता है कि कौन खाताधारक कब रिटायर होगा, इसलिए पेंशन की गणना करने में मुश्किल आना स्वाभाविक है।आने वाले दिनों में ईपीएफ के खातों का जब कंप्यूटर से रखरखाव शुरू हो जाएगा तो शायद खाताधारकों की जन्म तारीख का रिकार्ड भी व्यवस्थित हो जाए। श्रम और रोजगार मंत्रालय के उच्च अधिकारियों का कहना है कि ईपीएफ खाताधारकों की जन्म तारीख का रिकार्ड ठीक करने के लिए नियोक्ता को भी कहा जा रहा है और इसे ठीक कराने के काम में भविष्यनिधि के दफ्तर जुटे हुए हैं।


ईपीएफ के खाताधारकों को न्यूनतम पेंशन देने की बात लगातार उठा रहे भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के नेता गिरीश अवस्थी ने फोन पर कहा कि जन्म तारीख नहीं होने की बात कर पेंशन में अब और देरी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो यह कर सकती है कि जिनकी जन्म तारीख का उसके पास रिकार्ड है उनकी न्यूनतम पेंशन तुरंत शुरू कर दे।बीएमएस नेता ने कहा कि जब पेंशन की शुरुआत हो जाएगी तो बाकी खाताधारक भी अपनी जन्म तारीख का रिकार्ड स्वयं ठीक करा लेंगे। उन्होंने कहा कि बमुश्किल 5% खाताधारकों का ही जन्म तारीख का रिकार्ड नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पेंशन से संबंधित विषय पर जब समिति ने विचार किया था तो यह मामला सामने नहीं आया था कि खाताधारकों की जन्म तारीख का रिकार्ड नहीं है और इसकी वजह से पेंशन देने में मुश्किल आ सकती है।


ईपीएफ खातों में गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं


श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कहा है कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के खातों में अनिवार्य रूप से कर्मचारियों की राशि जमा नहीं कराए जाने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त अनिल स्वरूप ने पीएचडी चैम्बर में रखे गए एक संवाद कार्यक्रम में कहा कि अगर ठेकेदार कर्मचारियों की भविष्य निधि की राशि जमा नहीं कराते हैं तो कंपनियों को ऐसे ठेकेदारों को काली सूची में डाल देना चाहिए। भविष्य निधि आयुक्त ने कहा कि श्रम और रोजगार मंत्रालय इंस्पेक्टर राज के पक्ष में नहीं है, लेकिन नियोक्ता को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके यहां श्रम कानूनों का ठीक से पालन हो रहा है और कर्मचारी भविष्य निधि का धन समय से जमा हो रहा है।


भविष्य निधि आयुक्त ने बताया कि 1 जुलाई से इंटरनेट के जरिए कर्मचारी भविष्य निधि के खातों का रखरखाव शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ईपीएफ से संबंधित सभी समस्याओं के लिए इंटरनेट से ही आवेदन किए जा सकेंगे जिन पर एक निश्चित समय सीमा में कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी।


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