Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Sunday, April 21, 2013

लोगों की रक्षा करने में गुजरात सरकार रही विफल: अमेरिकी रिपोर्ट

लोगों की रक्षा करने में गुजरात सरकार रही विफल: अमेरिकी रिपोर्ट
Sunday, 21 April 2013 15:48

वाशिंगटन । 2002 के साम्प्रदायिक हिंसा में असफलता को लेकर सिविल सोसाइटी अभी भी चिंता व्यक्त करती है।

मानवाधिकारों पर एक अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात सरकार की लोगों की रक्षा या वर्ष 2002 के साम्प्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करने में असफलता को लेकर भारत की सिविल सोसाइटी अभी भी चिंता व्यक्त करती है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने मानवाधिकार पर 'कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेस फॉर 2012' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा है कि मानवाधिकार समूह अभी यह आरोप लगाते हैं कि जांच संस्थाएं अपनी रिपोर्ट में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफदारी करती हैं। 
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी द्वारा गत शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ''सिविल सोसाइटी के कार्यकर्ता अभी भी गुजरात सरकार के लोगों की रक्षा करने या वर्ष 2002 में उस हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करने में असफलता पर चिंता जताते हैं जिसमें 1200 से अधिक व्यक्ति मारे गए थे तथा मारे गए लोगों में बहुसंख्यक मुस्लिमों की थी।''

अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है, ''मानवाधिकार समूह अभी भी यह आरोप लगाते हैं कि जांच संस्थाएं अपनी रिपोर्टों में मोदी के पक्ष में तरफदारी दिखाते हैं।''     
भारत पर रिपोर्ट 60 पृष्ठों की है। इसके अनुसार भारत में वर्ष 2012 में सबसे महत्वपूर्ण मानवाधिकार समस्या पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा ज्यादतियां थीं जिसमें न्यायेत्तर मौतें, प्रताड़ना और बलात्कार, सरकार के सभी स्तरों पर व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार, न्याय से वंचित होने और अलगाववाद, आतंकवाद और सामाजिक हिंसा शामिल है। 

No comments: