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Friday, May 31, 2013

हिंदी समय में इस हफ्ते

मित्रवर

पिछले कुछ कई दशकों में बाबर की एक आक्रांता की इकहरी छवि लगातार गढ़ी जाती रही है। वह भारत आक्रमणकारी की हैसियत से आया था इसमें भी शायद ही किसी को संदेह हो। पर वह समय ही दूसरा था जब चीजें आज के अर्थों और तर्कों से नहीं चलती थीं। बहरहाल जो भी हो पर बाबर के व्यक्तित्व में बहुतेरे आयाम समाहित थे जिन्हें बाबर की आत्मकथा बाबरनामा में बखूबी देखा जा सकता है। यहाँ पर देवेंद्रनाथ शर्मा के एकांकी बाबर की ममता में वह एक ममतालु पिता की भूमिका में उपस्थित है जहाँ वह अपने पुत्र हुमायूँ के जीवन की रक्षा के लिए अपना जीवन कुर्बान कर देता है। हिंदीसमय (www.hindisamay.com) पर इस भूले-बिसरे एकांकी को पेश करते हुए हमें विशेष खुशी महसूस हो रही है।

 

इस बार हम यहाँ हिंदी के तीन विशिष्ट कथाकारों की कहानियाँ प्रस्तुत कर रहे हैं। कहानियाँ हैं भगवती प्रसाद वाजपेयी की कहानी मिठाईवाला, राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह की कहानी कानों में कँगना और दूधनाथ सिंह की दो नई कहानियाँ अम्माएँ और सरहपाद का निर्गमन। दूधनाथ जी इन दिनों हमारे विश्वविद्यालय में अतिथि लेखक के रूप में मौजूद हैं और ये दोनों कहानियाँ उन्होंने यहाँ आने के बाद लिखी हैं। हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि ये कहानियाँ सर्वप्रथम हिंदी समय पर ही प्रकाशित हो रही हैं।

 

जीवन भर तरह तरह की कट्टरताओं से लोहा लेने वाले असगर अली इंजीनियर पिछले दिनों हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने अपने विचारों से कभी समझौता नहीं किया।                     मेरे पिता की विरासत शीर्षक से यहाँ उनका स्मरण कर रहे हैं उनके योग्य सुपुत्र इरफान इंजीनियर। विशेष के अंतर्गत प्रस्तुत हैं वर्जिनिया वूल्फ के कुछ विचार।

 

इस बार यश मालवीय के गीत भी हमारी विशेष प्रस्तुति हैं।

     

हमने आपसे बताया था कि हम अलिफ लैला की कहानियों को नियमित रूप से आपके सामने पेश करते रहेंगे सो पाँच कहानियाँ पेश हैं - किस्सा तीसरे फकीर का,  किस्सा जुबैदा का, किस्सा अमीना का, किस्सा सिंदबाज जहाजी का और सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

 

हम उम्मीद करते हैं कि हमारा यह प्रयास आपको हमेशा की तरह पसंद आएगा।

 

अगले हफ्ते फिर मिलते हैं।

सादर,

राजकिशोर

संपादक

हिंदी समय     

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