राजा कृष्ण ने नरकासुर का वध कर के सोलह हज़ार रानियों को अपने रनिवास में रख लिया था . मतलब वो महिलायें असुरों से छीनी गई थें . पहले की बात छोडिये अब तो आप जानते ही हैं कि असुर मतलब आदिवासी . यानि सोलह हज़ार आदिवासी औरतों को तत्कालीन राजा ने अपने महल में रखा हुआ था . बाद में वो राजा कृष्ण एक आदिवासी के तीर से मारा जाता है . उस राजा का एक नज़दीकी योद्धा अर्जुन उन आदिवासी महिलाओं को द्वारका यानि गुजरात से इन्द्रप्रस्थ यानि दिल्ली ला रहा था तब आदिवासी अपनी महिलाओं को राजा के योद्धा अर्थात अर्जुन से मुक्त करवा लेते हैं . हमारी सारी माय्थोलोजी में ये आदिवासी खलनायक की तरह सामने क्यों आकर खड़े हो जाते हैं ? मनमोहन सिंह भी इन्हें सबसे बड़ा खतरा बताते हैं कृष्ण इनकी औरतों को छीन लेते हैं और राम ताड़कासुर का वध करते हैं अर्थात ताड़ी पीने वाले असुरों को मार डालते हैं . विश्वामित्र यज्ञ की अग्नि की रक्षा के लिये राम को ले कर जाते हैं . ये वह अग्नि है जो गाय पालने वाले आर्य जंगलों को जला कर वहाँ अपने जानवरों के लिये चारागाह बनाना चाहते हैं और इस आर्यों की लगाई गई जंगलों की इस इस आग को आदिवासी बार बार बुझा देते हैं .
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