Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Friday, September 14, 2012

एजेंडा साफ है, आर्थिक सुधारों पर सियासत न हो! विपक्ष का जनसरोकार इतना मजबूत होता, तो घोटालों में घिरी सरकार ऐसी हिम्मत कैसे करती?सर्वदलीय सहमति के बिना देश का इतना व्यापक सर्वनाश होना​ ​ असंभव!

एजेंडा साफ है, आर्थिक सुधारों पर सियासत न हो! विपक्ष का जनसरोकार इतना मजबूत होता, तो घोटालों में घिरी सरकार ऐसी हिम्मत कैसे करती?सर्वदलीय सहमति के बिना देश का इतना व्यापक सर्वनाश होना​ ​ असंभव!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

देश के सत्तावर्ग किसतरह विदेशी पूंजी और कारपोरेट हितों के लिए जनता के चौतरफा सत्यानाश करने में जुटा है, आर्थिक सुधारों के दूसरे चरण को बेरहमी से लागू करने में संसदीय बेशर्म मिलीभगत से इसका पर्दाफाश हुआ है। भले ही विदेशी पूंजी निवेश, ईंधन मूल्य और विनिवेश के मुद्दे पर राजनेता अलग अलग सुर अलापते हुए चुनावी समीकरण साध रहे हैं, पर सर्वदलीय सहमति के बिना देश का इतना व्यापक सर्वनाश होना​ ​ असंभव है। सिलसिला इंदिरा के दूसरे कार्यकाल से जो शुरु हुआ, उत्पादन प्रणाली और कृषि की कीमत पर सर्विस, परमाणु ऊर्जा, ​​सैन्यीकरण, मुक्त बाजार, उदारीकरण, निजीकरण, निर्माण, तकनीक और सर्विस को प्राथमिकता देने की, उसमें पिर कोई व्यवधान नहीं ​​आया।राजनीतिक अस्थिरता और सत्ताबदल का देश के अमेरिकीकरण पर कोई असर हुआ ही नहीं।सरकारें आती जाती रहीं, पर आर्थिक​​ नीतियों की दशा दिशा बराबर रही। नरसंहार की संस्कृति बदस्तूर जारी है। चूंकि राजनीति हमेशा जनता के साथ विश्वासघात करती रही है, इसलिए इस आत्मघाती बाजारू समय का कोई असरदार विरोध प्रतिरोध हुआ ही नहीं। मारे जा रहे लोगों की आत्मा की सांति के लिए रस्म अदायगी ही​ ​ होती रही। अब भी वही परंपरा जारी है।अगर विपक्ष का जनसरोकार इतना मजबूत होता, तो घोटालों में घिरी सरकार ऐसी हिम्मत कैसे करती?भारत सरकार ने मल्टीब्रांड खुदरा व्यापार में 51 प्रतिशत विदेशी पूँजी निवेश को मंजूरी दे दी है।पिछले कई साल से इसी घोषणा का इंतजार कर रही वॉलमार्ट, कार्फू और टेस्को को इससे राहत मिली होगी। भारत सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने शुक्रवार को हुई एक बैठक में ये फैसला लिया है। इसी के साथ सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियों में भी विनिवेश को मंजूरी दे दी गई है।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र तथा कुछ अन्य क्षेत्रों को एफडीआई के लिए खोलने के फैसलों को उचित ठहराते हुए कहा है कि इससे आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी।विदेशी विमानन कंपनियां अब भारत की नागर विमानन सेवा कंपनियों में 49 प्रतिशत तक हिस्सेदारी ले सकती हैं। इससे नकदी के संकट से जूझ रहे विमानन कंपनियों को जबरदस्त प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।

नीतिगत जड़ता को सरकार ने शुक्रवार को बड़े धमाके के साथ तोड़ा। आर्थिक सुधारों से जुड़े ताबड़तोड़ फैसले लेकर सरकार ने अंतरराष्ट्रीय और घरेलू निवेशकों को संकेत दिया है कि वह तमाम राजनीतिक विरोध के बावजूद आगे बढ़ने को तैयार है।केंद्र सरकार के इन फैसलों की घोषणा होने के साथ ही व्यापक विरोध भी शुरू हो गया।राजनीतिक मोर्चे पर सरकार की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही है। ममता बनर्जी ने समर्थन वापसी की धमकी देते हुए सरकार को फैसले वापस लेने के लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। समाजवादी पार्टी भी नाराज है। क्या महंगाई और एफडीआई के चक्कर में मनमोहन सरकार ही चली जाएगी? क्या दो दिन में दो तूफानी फैसलों के भंवर में खुद यूपीए सरकार फंसने वाली है? क्या इन्हीं फैसलों के कारण पड़ेगी यूपीए में आखिरी दरार? ममता और मुलायम के तेवर सख्त हैं लेकिन मनमोहन आश्वस्त! महंगाई और एफडीआई को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार से ममता बनर्जी हैं बेहद खफा!मुलायम ने हरबार सत्ता का साथ दिया है तो बंगाल की अग्निकन्या राजनैतिक सौदेबाजी तक सीमाबद्ध रही है। इसलिए ममता या मुलायम सरकार गिरा देंगे. ऐसे आसार नहीं है।तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटल दिया है वहीं उसे समर्थन दे रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी कड़ा विरोध किया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जनता दल (युनाइटेड) ने फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरने का ऐलान करते हुए विरोध कर रहे संप्रग के सहयोगी दलों को सरकार से बाहर आने की चुनौती दे डाली है।

आर्थिक सुधारों का दूसरा चरण लागू करते हुए मनमोहन ने कोयला घोयाले को तो रफा दफा कर ही दिया और बाजार का समर्थन हासिल कर लिया। सत्ता के लिए बाजार निर्णायक है, यह साबित करने की जरुरत नहीं है।उद्योग जगत ने सरकार के इन फैसलों का स्वागत किया है।आर्थिक सुधारों को लेकर मनमोहन सरकार जाग गई है। सहयोगियों के दबाव के सामने बार-बार कदम पीछे खींचने वाली मनमोहन सरकार ने कड़ा रुख दिखाते हुए रीटेल में एफडीआई, एविएशन और 4 सरकारी कंपनियों के विनिवेश को हरी झंडी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक पीएम ने सीसीपीए की बैठक में कहा है कि सरकार अगर जाती है तो लड़ते हुए जाएगी। एजेंडा में आज बात इसी पर- क्या भ्रष्टाचार की बजाय आर्थिक सुधारों को मुद्दा बनाने के लिए सरकार ने कड़े फैसले लिए हैं?हमारा एजेंडा साफ है, आर्थिक सुधारों पर सियासत न हो।

अमेरिकी अर्थव्यस्था के लिए फेडरल रिजर्व की ओर से बड़े राहत पैकेज की घोषणा और केंन्द्र सरकार की ओर से डीजल कीमतों में बढ़ोतरी कर आर्थिक सुधारों की पहल के बीच घरेलू शेयर बाजार शुक्रवार को लगातार आठवें कारोबारी सत्र मजबूती लेकर सात महीनों के उच्चतम स्तर पर बंद हुआ।बांबे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 443.11 अकं की उड़ान भरता हुआ 18464.27 अंक के स्तर पर और नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 142.30 अंक उपर 5577.65 अकं के स्तर पर पहुंच गया। बाजार ने अगस्त महीने में 7.55 प्रतिशत पर पहुंची मंहगाई के आकंडों को नजर अदांज करते हुए यह तेजी ली। बीएसई के मिडकैप और स्मालकैप में भी क्रमश 0.88 और 0.45 प्रतिशत की तेजी रही।फेडरल रिजर्व ने अमेरिका में रोजगार परिदृश्य सुधारने के लिए हर महीने आर्थिक तंत्र में 40 अरब डालर झोंकने का एलान किया जो निवेशकों की उम्मीद पर खरा उतरा। विदेशी बाजारों ने इस खबर पर सरपट दौड़ लगाई। अमेरिका, यूरोप और एशियाई बाजार एक से तीन प्रतिशत की तेजी पर रहे। एफएमसीजी और एचसी को छोडकर रियलटी, धातु और बैकिंग वर्ग के शेयरों की अगुवाई में बीएसई समूह के सभी वर्ग आधे से लेकर करीब पांच प्रतिशत की बढत में रहे।वैश्विक तेजी के बीच लगातार लिवाली के चलते दिल्ली सर्राफा बाजार में सोने के भाव शुक्रवार को 32900 रुपए प्रति 10 ग्राम की नई ऊंचाई तक जा पहुंचे।  

सरकार ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियों हिंदुस्तान कॉपर, आयल इंडिया, एमएमटीसी तथा नाल्को में विनिवेश को मंजूरी दे दी है।इससे सरकार को 15,000 करोड़ रुपए जुटाने में मदद मिलेगी। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की शुक्रवार को हुई बैठक में हालांकि नेवेली लिग्नाइट के शेयरों की बिक्री पर कोई फैसला नहीं हुआ। नेवेली का मामला भी एजेंडा में था।सूत्रों ने बताया कि सरकार ने आयल इंडिया में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री तथा हिंदुस्तान कॉपर लि़ में 9.59 प्रतिशत विनिवेश को मंजूरी दी है। इसके अलावा नाल्को की 12.15 प्रतिशत तथा एमएमटीसी की 9.33 फीसदी हिस्सेदारी बिक्री की मंजूरी कंपनी की ओर से बिक्री का प्रस्ताव (ओएफएस) के जरिए करने के प्रस्ताव को मंजूर किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि नेवेली लिग्नाइट के 5 प्रतिशत विनिवेश पर सीसीईए ने विचार नहीं किया। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पिछले महीने अधिकारियों से विनिवेश की प्रक्रिया तेज करने को कहा था जिससे सरकार को चालू वित्त वर्ष के लिए 30,000 करोड़ रुपए का विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में मदद मिले।

चालू वित्त वर्ष के पांच माह बीतने के बावजूद सरकार अभी तक एक भी सार्वजनिक निर्गम नहीं ला पाई है। राजकोषीय घाटे पर अंकुश के लिए विनिवेश के जरिये धन जुटाना काफी जरूरी है। खाद्य, ईंधन और उर्वरक सब्सिडी बिल की वजह से इस पर दबाव पड़ रहा है।शेयर बाजार में खराब हालात की वजह से सरकार ने इससे पहले राष्ट्रीय इस्पात निगम (आरआईएनएल) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) टाल दिया था। आरआईएनएल का 2,500 करोड़ रुपए का आईपीओ पहले जुलाई में आना था।

डीजल मूल्य में पांच रुपये प्रति लीटर बढ़ोत्तरी के ठीक एक दिन बाद नीतिगत असमंजस की केंचुली उतार फेंकने का दूसरी बार संकेत देते हुए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बहुब्रांड रिटेल में 51 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दे दी। सरकार ने इसके साथ ही एकल ब्रांड रिटेल में भी सौ फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी।आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में शुक्रवार को यह फैसला लिया गया। इस फैसले से वालमार्ट और केयरफोर जैसी वैश्विक रिटेल कम्पनियों को भारत में अपने स्टोर खोलने का अवसर हासिल होगा।कई वैश्विक कम्पनियों के भारत में पहले से स्टोर हैं, लेकिन उन्हें सीधे आम लोगों को उत्पाद बेचने का अधिकार अब तक नहीं था। वे दूसरे स्टोरों को माल बेच सकते थे। अब वे आम लोगों को भी माल बेच पाएंगे।व्यापारिक संगठनों ने सरकार द्वारा बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी के फैसले की आलोचना करते की है। व्यापारियों ने कहा कि देशभर में इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी और केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा की।

व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अध्यक्ष बी सी भरतिया तथा महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने एक बयान में कहा कि सरकार का यह निर्णय तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा दिए गए आश्वासन के उलट है। खंडेलवाल ने कहा कि इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों को देश के रिटेल व्यापार पर काबिज होने में मदद मिलेगी।कैट ने कहा है कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के खिलाफ 20 और 21 सितंबर को वंदावन में एक सम्मेलन बुलाया गया है, जिसमें आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

ट्रक परिचालकों के संगठन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा है कि अगर सरकार डीजल के दाम में वृद्धि को वापस नहीं लेती है तो वह देश भर में अनिश्चित कालीन हड़ताल कर सकती है। इस बीच संगठन ने देश भर में ट्रक माल भाड़ा 15 प्रतिशत बढ़ा दिया है।संगठन के प्रवक्ता जी पी सिंह ने कहा कि हमने सरकार को डीजल के दाम में वृद्धि वापस लेने के लिए मंगलवार तक का समय दिया है़, हम अपनी अंतिम कार्यनीति पर मंगलवार को फैसला करेंगे। इनमें देश भर में परिवहन परिचालन अनिश्चित काल के लिए बंद करने का विकल्प भी है।उन्होंने कीमतों में वृद्धि को अप्रत्याशित तथा बिना नोटिस वाला बताया। उन्होंने कहा कि संगठन की संचालन समिति की बैठक मंगलवार को मुंबई में होगी, जिसमें कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। यह संगठन 80 लाख ट्रकों का प्रतिनिधित्व करता है।इससे पहले दिन में एआईएमटीसी ने कहा था कि डीजल कीमतों में वृद्धि के बाद उसने देश भर में भाड़ा 15 प्रतिशत बढ़ा दिया है। संगठन का कहना है कि उसने डीजल कीमतों में वृद्धि का बोक्ष ग्राहकों पर डालने का फैसला किया है, क्योंकि परिवहन उद्योग इस मूल्य वृद्धि को वहन करने की स्थिति में नहीं है।

विमानन क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण निर्णय की उम्मीद में शुक्रवार को बंबई शेयर बाजार में किंगफिशर का शेयर 7.88 प्रतिशत, स्पाइसजेट का शेयर 4.39 प्रतिशत और जेट एयरवेज का शेयर 1.97 प्रतिशत की बढ़त लेकर बंद हुआ।

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विदेशी एयरलाइंस को घरेलू एयरलाइंस में हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति देने के प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी दे दी।

बैठक के बाद नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि मंत्रिमंडल ने विदेशी एयरलाइंस को भारतीय विमानन कंपनियों में 49 प्रतिशत तक हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति देने का प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। वर्तमान एफडीआई नियमों के तहत गैर-विमानन क्षेत्र के विदेशी निवेशकों को भारतीय विमानन कंपनियों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 49 प्रतिशत तक हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति है, लेकिन विदेशी एयरलाइंस को घरेलू विमानन कंपनियों में हिस्सेदारी लेने की अनुमति नहीं थी।

उल्लेखनीय है कि विमान ईंधन पर अत्यधिक कर, बढ़ते हवाईअडडा शुल्क, महंगे ऋण, खराब ढांचागत सुविधाओं और गलाकाट प्रतिस्पर्धा के चलते ज्यादातर भारतीय विमानन कंपनियां घाटे में चल रही हैं। इंडिगो को छोड़कर सभी विमानन कंपनियों को बीते वित्त वर्ष में घाटा हुआ।

शर्मा ने बताया कि एकल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी और बहुब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है।
मंत्रिमंडल ने पिछले साल नवम्बर में बहुब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई का फैसला कर लिया था। लेकिन विपक्ष और कुछ सहयोगी दलों के विरोध के कारण तब फैसले को स्थगित कर दिया गया था। फैसला लिया गया है कि न्यूनतम निवेश के लिए 550 करोड़ जरूरी होगा। आई एंड बी मिनिस्टर अंबिका सोनी ने एफडीआई पर बताया कि सिंग्ल ब्रांड में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है।

इस फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ''बड़े आर्थिक सुधारों का वक्त आ गया है।''
सरकार ने अपने फैसले में विरोधियों की राय को भी ध्यान में रखा है और राज्य सरकारों को अधिकार दिया है कि वे अपनी भूमि पर बहुब्रांड रिटेल को अनुमति देने के बारे में फैसला ले सकते हैं।उन्होंने इन फैसलों पर सभी से समर्थन मांगते हुए कहा कि ये कदम राष्ट्रीय हित में उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने ये फैसले अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने तथा भारत को विदेशी निवेश और अधिक आकर्षक गंतव्य बनाने के लिए किए हैं। बयान में बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र, विमानन, प्रसारण तथा बिजली क्षेत्रों में एफडीआई व्यवस्था को उदार बनाने के कदमों को उचित ठहराया गया है।सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि इन कदमों से हमारी अर्थव्यवस्था की रफतार मजबूत होगी और कठिन समय में रोजगार के अवसरों का सृजन हो सकेगा। उन्होंने कहा कि मैं सभी से कहता हूं कि वे राष्ट्रीय हित में लिए गए इन फैसलों का समर्थन करें।

उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी (सपा), तृणमूल कांग्रेस सहित वामपंथी दल भी इसका जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। कई राज्य सरकारें भी इसका विरोध कर रही हैं।

शर्मा ने कहा कि आंध्र प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसी राज्य सरकारें एफडीआई के पक्ष में थीं।उन्होंने कहा, ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगाल ने इसका विरोध किया था।

शर्मा ने कहा, ''जो राज्य एफडीआई चाहते हैं, वे ऐसा कर सकते हैं। जो राज्य नहीं चाहते हैं वे इस पर रोक लगा सकती हैं।''
शर्मा ने कहा कि औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग जल्द ही मंत्रिमंडल के फैसले को लागू करने के बारे में अधिसूचना जारी करेगा।उन्होंने कहा, ''यह नीतिगत फैसला है। विभाग इसे अधिसूचित करेगा। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि इस पर कोई देरी नहीं होगी।''

तृणमूल कांग्रेस ने मल्टीब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई और डीजल के मूल्य में वृद्धि को वापस लेने के लिए संप्रग सरकार को शुक्रवार को 72 घंटे की समय सीमा दी है। पार्टी ने संसदीय दल की 18 सितंबर को आपात बैठक बुलाने का फैसला किया।

तृणमूल महासचिव और रेल मंत्री मुकुल रॉय ने कहा कि हम फैसले को वापस लेने के लिए 72 घंटे की समय सीमा दे रहे हैं। अगर सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी तो मंगलवार को होने वाली तृणमूल संसदीय पार्टी की बैठक में हम चर्चा करेंगे और कठोर रुख अपनाएंगे।उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस खुदरा, बीमा और उड्डयन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एफडीआई की अनुमति देने की प्रबल विरोधी हैं, क्योंकि यह देश की जनता के लिए नुकसानदेह होगा।उन्होंने कहा कि हम खुदरा कारोबार में एफडीआई के पक्ष में नहीं हैं। हम उड्डयन क्षेत्र में भी एफडीआई के पक्ष में नहीं हैं। हम हमेशा आम आदमी के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि अपने चुनाव घोषणा पत्र में जो कुछ भी हमने उठाया उसपर हम कायम रहेंगे।

बहुब्रांड रिटेल और एकल ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी देने के फैसले का पुरजोर विरोध करते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे वापस लेने की मांग की।

मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार में आ रही कमी से परेशान केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से अपील की है कि अपने राज्यों में मैन्यूफैक्चरिंग जोन बनाएं। केंद्र सरकार इस कदम से मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी लाने और रोजगार के नए अवसर पैदा होने की उम्मीद कर रही है। केंद्र सरकार निवेश में तेजी लाने के लिए पॉलिसी के स्तर पर भी कई सारे कदम आने वाले दिनों में उठाने के संकेत दे रही है।

गुरुवार को वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा के साथ राज्यों के प्रमुख सचिवों और मुख्य सचिवों की बैठक में इस बात की अपील केंद्र सरकार द्वारा की गई है। बैठक के दौरान आनंद शर्मा ने कहा कि भूमि इस समय एक अहम मुद्दा है। राज्य भूमि-अधिग्रहण में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। इनके सहयोग से विश्वस्तरीय औद्योगिक शहरों को विकसित किया जा सकता है। शर्मा ने कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए राज्यों को अहम भूमिका निभानी होगी। ऐसे में यह जरुरी है कि राज्य नेशनल इनवेस्टमेंट एंड मैन्यूफैक्चरिंग जोन के लिए भूमि का अधिग्रहण करें।

उन्होंने कहा कि बिना मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी लाएं रोजगार के अवसर पैदा करना संभव नहीं है। केंद्र सरकार ने नौ नेशनल इनवेस्टमेंट एंड मैन्यूफैक्चरिंग जोन को अधिसूचित किया है। जो कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में स्थापित किए जाने हैं। उत्तर प्रदेश के तहत दादरी-नोएडा-गाजियाबाद निवेश क्षेत्र शामिल है। बैठक के दौरान शर्मा ने कहा कि यदि हम 15 जोन स्थापित कर लेते हैं, तो हमारे लिए काफी खुशी की बात होगी।

इस मौके पर कैबिनेट सेक्रेटरी अजीत सेठ ने कहा कि सरकार निवेश में तेजी लाने के लिए कई तरह के कदम उठाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत सरकार कई सारे नीतियों के स्तर पर कदम उठाएगी, जिससे कि निवेश में तेजी आ सके। जुलाई में देश का इंडस्ट्रियल आउटपुट केवल 0.1 फीसदी बढ़ा है। इसके तहत मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ नकारात्मक रही है।

डीजल की कीमत में 5 रुपये प्रति लीटर बढ़ाकर सरकार ने आम आदमी का महंगाई के दलदल में डालने की तैयारी कर ली है। कीमतों में इजाफे का सीधा असर आम आदमी की लहुलुहान जेब पर देखने को मिलेगा। इन सबके बीच डीजल के बढ़े दाम के दबाव को कम करने के लिए ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोटर्स एसोसिएशन ने भी किराये में 15 फीसदी के भारी इजाफे की घोषणा कर दी है। कीमतों में इस इजाफे को सरकार जहां अपनी मजबूरी मान रही है वहीं, आम आदमी से लेकर राजनीतिक पार्टियां तक सभी इसे सरकार का गलत फैसला मान रही हैं।






उधर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने सरकार के इस फैसले को मजबूरी बताते हुए इसे सरकार की मजबूरी बताया है। आहलूवालिया का कहना है कि कड़े फैसलांे से ही देश की विकास दर को 8.2 फीसदी पहुंचाया जा सकता है। डीजल के दाम न बढ़ाने पर तेल कंपनियां बरबाद हो जातीं।

डीजल की कीमत में पांच रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी का बड़ा असर रेलवे पर पड़ने वाला है। रेलवे को अब हर साल 1250 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च करने होंगे। इससे आम आदमी की जेब कटेगी। ट्रांसपोर्टरों द्वारा भाड़ा बढ़ाने के फैसले के साथ ही रेलवे की तरफ से मालभाड़ा बढ़ाने की अटकलें शुरू हो गई हैं। अगर रेलवे मालभाड़ा बढ़ाता है तो खाद, लोहा और सीमेंट के दाम बढ़ना भी तय है।

रेलवे बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, रेलवे में हर साल करीब ढाई सौ करोड़ लीटर डीजल की खपत होती है। सीधे तौर पर बात करें तो रेलवे को अब हर साल 1250 करोड़ रुपये अधिक खर्च करने होंगे। मोटे तौर पर करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये रोज का खर्च बढ़ेगा। पहले से ही आर्थिक तंगी झेल रहे रेलवे के लिए यह बड़ा झटका होगा।

यहां यह भी ध्यान रखना जरूरी होगा कि रेलवे ने काफी लंबे समय से यात्री किराया नहीं बढ़ाया है। रेल बजट में यात्री भाड़ा बढ़ाने का प्रस्ताव करने वाले दिनेश त्रिवेदी को ममता बनर्जी के आदेश पर अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। फिलहाल डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते होने वाले घाटे की भरपाई के बारे में रेलवे बोर्ड के अफसर कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। उनका मानना है कि सुपर रेलमंत्री ममता बनर्जी ऐसा कुछ नहीं होने देंगी जिससे आम आदमी पर असर पड़े। इसलिए रोजमर्रा की चीजों की ढुलाई दर बढ़ने की उम्मीद कम है। हालांकि, लोहा, सीमेंट, खाद और खनिजों की ढुलाई की दर बढ़ सकती है।

अगस्त महीने में महंगाई की दर जून के 6.87 फीसदी के मुकाबले 0.68 फीसदी उछलकर 7.55 फीसदी पर जा पहुंची। इस बढ़ोतरी के बाद सोमवार को होने वाले आरबीआई के ऐलान के बाबत अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं की राय अलग-अलग हो गई है। जुलाई में औद्योगिक उत्पादन महज 0.1 फीसदी बढ़ा, ऐसे में उम्मीद की जाने लगी कि आरबीआई निश्चित तौर पर नीतिगत दरों में कटौती करेगा।

अगस्त में खाद्य महंगाई जुलाई के 10.06 फीसदी के मुकाबले लुढ़ककर 9.14 फीसदी पर आ गई, लेकिन विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी की दर 6.14 फीसदी पर पहुंच गई जबकि पहले यह 5.58 फीसदी थी। ऐसे में कुछ अर्थशास्त्रियों को लगता है कि आरबीआई नीतिगत दरों के मामले में यथास्थिति बनाए रखेगा। एक अन्य मुद्दा महंगाई की दरों में संशोधन का है। जून की महंगाई दर संशोधित कर 7.58 फीसदी कर दी गई है जबकि पहले यह 7.25 अनुमानित थी। ऐसे में स्पष्ट तौर पर यह महंगाई के ऊपर जाने का संकेत देता है। इसके अतिरिक्त तेल के मोर्चे पर सरकार की तरफ से गुरुवार को उठाए गए कदम से महंगाई में 1.5 फीसदी के इजाफे की संभावना है, जब कीमतों पर इसका पूरा असर दिख जाएगा।

खाने-पीने के सामानों पर नजर डालें तो गेहूं में अचानक 12.85 फीसदी की उछाल आई है जबकि पहले यह 6.67 फीसदी थी। लेकिन सब्जियों की कीमतें 9.98 फीसदी घटी हैं। अंडे, मांस और मछली के साथ-साथ दूध की कीमतों में बढ़ोतरी की रफ्तार धीमी है।

विनिर्मित उत्पादों में हालांकि खाने-पीने की चीजों (प्रसंस्कृत) की महंगाई अगस्त के दौरान बढ़कर 9.01 फीसदी पर पहुंच गई जबकि पहले यह 6.25 फीसदी थी। इसमें सबसे ज्यादा योगदान चीनी का रहा, जो 7.91 फीसदी के मुकाबले उछलकर 16.15 फीसदी पर जा पहुंची। खाद्य तेल की महंगाई 10.37 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 10.47 फीसदी पर पहुंच गई।

यही वजह है कि कोर इन्फ्लेशन (गैर-खाद्य विनिर्मित उत्पादों) की दरें बढ़ी हैं, लेकिन उतनी ज्यादा नहीं। यह अगस्त में एक महीने पहले के 5.45 फीसदी के मुकाबले 5.58 फीसदी पर पहुंची हैं। र्ईंधन व बिजली की महंगाई 5.98 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 8.32 फीसदी पर पहुंच गई। हालांकि अर्थशास्त्रियों ने आधिकारिक आंकड़ों पर आश्चर्य जताया।

एचएसबीसी ने वित्तवर्ष 2012-13 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया।
इससे पहले एचएसबीसी ने देश की आर्थिक वृद्धि दर वित्तवर्ष 2012-13 में 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था।
एचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक आर्थिक मोर्चे पर सुस्ती तथा सुधारों की धीमी गति के कारण वृद्धि दर के अनुमान को कम किया गया। वित्त वर्ष 2013-14 के लिए वृद्धि दर के अनुमान को पूर्व के 7.4 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत किया गया।


रिपोर्ट के अनुसार संसद का मानसून सत्र निराशाजनक रहने के बाद अब निकट भविष्य में ढांचागत सुधारों को लेकर अर्थपूर्ण प्रगति की उम्मीद कम है। इसके अलावा वर्ष 2012 में मानसून सामान्य से कम रहने की वजह से भी अक्टूबर-दिसंबर 2012 तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर प्रभावित होगी। वैश्विक आर्थिक परिदृश्य कमजोर होने की वजह से व्यापार, वित्त और विश्वास पर प्रभाव पड़ेगा।


विदित हो कि इससे पहले सितंबर 2012 में मॉर्गन स्टेनले ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 5.8 प्रतिशत से घटाकर 5.1 प्रतिशत किया था। कई अन्य एजेंसियों ने भी अनुमान में कमी की है।

देश में डीजल के मूल्य में वृद्धि होने के चौबीस घंटे के अंदर ही तय हो गया कि बिहार में बस और ट्रक का भाड़ा बढ़ेगा। भाड़े में 10 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की सम्भावना है।

बिहार राज्य ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के अध्यक्ष उदय शंकर प्रताप सिंह ने शुक्रवार को कहा कि अब उनकी मजबूरी हो गई है कि भाड़ा बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि बीमा कराने की राशि, मोबिल और मोटर पार्ट्स के मूल्यों में पूर्व में भी बड़ी वृद्धि की गई थी और अब डीजल के मूल्यों में वृद्धि हो गई है। ऐसे में अब भाड़े में वृद्धि के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

वह स्पष्ट कहते हैं कि अगर भाड़े में वृद्धि नहीं की गई तो वाहनों को खड़ा करने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं है। सिंह ने कहा कि शुक्रवार को फेडरेशन की एक बैठक होगी और इसमें भाड़ा वृद्धि का निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह वृद्धि 10 से 20 प्रतिशत तक की होगी। नया भाड़ा शनिवार से लागू होगा। उल्लेखनीय है कि गुरुवार को डीजल के मूल्य में प्रति लीटर पांच रुपये की वृद्धि कर दी गई।


उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा, ''केन्द्र सरकार का यह फैसला देश हित में नहीं है। हमारी पार्टी एफडीआई को लेकर लिए गए इस निर्णय का विरोध करती है।''

चौधरी ने कहा, ''समाजवादी पार्टी का प्रारम्भ से ही यह मत रहा है कि खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेश निवेश का भारतीय बाजार और खेती पर विपरीत असर पड़ेगा। केन्द्र सरकार द्वारा एफडीआई को मंजूरी देने से भारतीय अर्थव्यवस्था छिन्न भिन्न हो जाएगी। इससे किसान और दुकानदार बर्बाद हो जाएंगे।''

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर ने आईएएनएस से कहा, ''बसपा एफडीआई को मंजूरी के फैसले का पुरजोर विरोध करती है। केंद्र सरकार का यह फैसला छोटे दुकानदारों और गरीबों पर कुठाराघात है।''

उन्होंने कहा, ''बसपा शुरू से एफडीआई को मंजूरी के निर्णय के खिलाफ रही है। इस निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए। बसपा आने वाले दिनों में इस निर्णय के खिलाफ उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन करेगी।''

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेई ने आईएएनएस से कहा, ''कांग्रेस की सरकार का ये फैसला छोटे दुकानदारों और व्यापारियों को भुखमरी के कगार पर पहुंचा देगा। इतिहास इस केंद्र सरकार को कभी माफ नहीं करेगा। भाजपा सड़कों पर उतरकर इसका पुरजोर विरोध करेगी।''

रिटेल में एफडीआई के मसले पर भारी विरोध के बावजूद सरकार ने मंजूरी दे दी है। विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ सरकार की तृणमूल जैसी सहयोगी पार्टियां भी विरोध कर रही है। विपक्ष का कहना है कि इससे बेरोजगारी की समस्या बढ़ जाएगी। क्या हैं विपक्ष के दावे और क्या कहते हैं सरकार के तर्क आप भी डालिए एक नजरः-

रिटेल में एफडीआई के विरोध में दिए जाने वाले तर्क

-जरूरत के सामान की सप्लाई पर विदेशी कंपनियों का अधिकार हो जाएगा। विदेशी कंपनियां दाम घटाकर लोगों को लुभाएंगी और उनका मुकाबला देसी कंपनियों के बस का नहीं होगा।

क्यों विरोध– लगता है इससे छोटे दुकानदारों का धंधा ठप हो जाएगा और किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य नहीं मिलेगा।

-बड़ी विदेशी कंपनियां बाजार का विस्तार नहीं करेंगी बल्कि मौजूदा बाजार पर ही काबिज हो जाएंगी। ऐसे में खुदरा बाजार से जुड़े 4 करोड़ लोगों पर इसका असर पड़ेगा।

-विदेशी कंपनियां अपने बाजार से ही सामान खरीदेंगी और ऐसे में घरेलू बाजार से नौकरी छिनेगी।

-इस मसले पर भारत और चीन की तुलना गलत है। चीन विदेशी कंपनियों का सबसे बड़ा सप्लायर है और भारत में रिटेल में एफडीआई होने पर चीन का ही सामान यहां बिकेगा।

-जिस सप्लाई चेन के बनने की बात सरकार खुद कर रही है वो काम भी उसी का है। अगर सरकार सप्लाई चेन दुरस्त कर दे तो किसानों को इसका फायदा बिना एफडीआई के ही मिलने लगेगा।

रिटेल में एफडीआई के समर्थन में दिए जाने वाले तर्क

-एफडीआई से अगले तीन साल में रिटेल सेक्टर में एक करोड़ नई नौकरियां मिलेंगी।

-किसानों को बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी और अपने सामान की सही कीमत भी।

-कंज्यूमर को क्या फायदा– लोगों को कम दामों पर विश्व स्तर की चीजें उपलब्ध होंगी।

-छोटे दुकानदारों को नुकसान या फायदा– छोटे दुकानदार को कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि बड़ी कंपनियों और छोटे दुकानदारों के कारोबार करने का तरीका अलग-अलग है।

-विदेशी कंपनियां सप्लाई चेन सुधारेंगी तो खाद्य सामग्री का खराब होना थमेगा।

-सामान कम खराब होगा तो इससे खाद्य महंगाई भी सुधरेगी।

-विदेशी कंपनियों को कम से कम 30 फीसदी सामान भारतीय बाजार से ही लेना होगा। इससे देश में नई तकनीक आएगी। लोगों की आय बढ़ेगी और इसका फायदा औद्योगिक विकास दर को मिलेगा।

देश की बड़ी कंपनियों को पहले ही रिटेल में आने की इजाजत है। चीन हो या फिर इंडोनेशिया जहां भी रिटेल में एफडीआई को मंजूरी दी गई वहां एग्रो-प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के दिन फिर गए।

गौरतलब है कि रिटेल में एफडीआई के पिछले प्रस्ताव के मुताबिक विदेशी कंपनियां सिर्फ उन शहरों में ही अपने स्टोर खोल सकेंगी जिनकी आबादी दस लाख या उससे ज्यादा है। 2011 के जनसंख्या आंकलन के मुताबिक पूरे देश के करीब 8000 शहरों में से सिर्फ 53 ही ऐसे शहर हैं जहां की आबादी दस लाख या उससे ज्यादा है।

-रिटेल में एफडीआई का विरोध करने वाले कहते हैं कि ये विदेशी निवेश नौकरियां छीन लेगा। उनका तर्क है कि सुपरमार्केट छोटी किराना की दुकानों को निगल जाते हैं। अमेरिका और यूरोप में तो छोटी दुकानें खत्म ही हो चुकी हैं।

अन्ना हजारे ने अपने भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम की दिशा राजनीति की ओर मुड़ने से असहमति होने का संकेत देते हुए शुक्रवार को कहा कि राजनीति से बदलाव नहीं आएगा और जनता काफी हद तक मानती है कि पार्टी बनाने की या चुनाव लड़ने की जरूरत नहीं है।

हजारे ने अपने उन समर्थकों से यह बात कही जिन्होंने उनके गांव रालेगण सिद्धी में जाकर उन्हें अपनी गत रविवार को हुई बैठक के बारे में जानकारी दी जिसमें तय हुआ था कि हजारे से एक नये आंदोलन के लिए नेतृत्व करने का अनुरोध किया जाएगा।

हजारे के करीबी सहयोगी सुरेश पठारे ने कहा कि राजनीतिक दल बनाने के विरोधी शिवेंद्र सिंह चौहान के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने हजारे से मिलकर अपनी बात रखी। हजारे ने अपनी यही बात दोहराई कि राजनीतिक दल बनाने या चुनाव लड़ने में वह शामिल नहीं होंगे।

पूर्ववर्ती टीम अन्ना के सदस्य रहे और बाद में मतभेदों के चलते अलग हो गये चौहान और उनके साथी कार्यकर्ताओं ने सोशल नेटवर्किंग साइटों पर एक वीडियो डाला है जिसमें हजारे को यह कहते सुना जा सकता है कि संसद में अच्छे और ईमानदार लोगों को भेजने की और इसके लिए मतदान प्रतिशत 90 प्रतिशत तक बढ़ाने की जरूरत है। (एजेंसी)

उन्होंने वीडियो में कहा कि हम इसे कैसे हासिल करेंगे। हम पार्टी या समूहों में शामिल नहीं हैं। यह आंदोलन आंदोलन ही रहेगा। आंदोलन के सदस्य यथावत रहेंगे। आंदोलन से जो बदलाव आएगा वो राजनीति से नहीं आएगा। मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं।

सरकार ने गुरुवार को डीजल और रसोई गैस के दाम बढ़ाकर जनता पर सबसे बड़ा महंगाई बम फोड़ा है। सरकार के खिलाफ लोग प्रदर्शन करने सड़कों पर उतर आए हैं। सरकार का तर्क है कि तेल कंपनियों को नुकसान हो रहा है लेकिन जनता का कहना है कि इतनी महंगाई में दाम बढ़ाने की जरूरत क्या है? आज कानपुर और अमृतसर में सरकार के फैसले के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।

अन्ना टीम के अहम रणनीतिकार अरविंद केजरीवाल ने डीजल के दाम बढ़ने और गैस सिलेंडर की सीमा तय किए जाने के फैसले पर राजनीतिक दलों की आलोचना की है। बकौल केजरीवाल, दाम बढ़ते ही सभी राजनीतिक दलों का नाटक शुरू हो गया है। केजरीवाल यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि एक रुपए का भी रोलबैक होता है तो सभी चुप हो जाएंगे।

यूपीए के सहयोगी आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि देश की स्थिति ठीक नहीं है। पूरे देश में सुखा है। ऐसे में जब किसानों को सस्ते डीजल की जरूरत है, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था।

बीजेपी नेता वैंकेया नायडू ने कहा है कि यह आम आदमी के ऊपर बहुत बड़ा हमला है। डीजल के दाम बढ़ने से सब कुछ मंहगा होगा। कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ वाली कहावत पहले थी लेकिन अब ऐसा हो गया है कि कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ विश्वास घात।

डीजल और रसोई गेस के दामों में हुई बढ़ोतरी के खिलाफ बीजेपी गुजरात में कल से सड़क पर उतरेगी। बड़े दाम के खिलाफ ममता बनर्जी कल से सड़क पर उतरेंगी। टीएमसी के छोटे बड़े नेता भी सड़क पर उतरेंगे।

समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा, यह फैसला कांग्रेस के ताबूत मेंआखिरी कील होगा। हम कांग्रेस को इसपर समर्थन नहीं करेंगे। अग्रवाल ने कहा हमने कोलकाता में मंहगाई के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। इसके लिए कठोर निर्णय लेना पड़ा तो लेंगे।

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, तेल बेचने वाली कंपनियों का घाटा इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि उसकी भरपाई कर पाना मुश्किल हो जाता है। इस लिए सरकार को सभी पर भार बढ़ाना पड़ता है। वहीं यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने कहा है कि दाम बढ़ाने का फैसला गलत समय पर लिया गया है।

मालूम हो कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के रुख के बीच डीजल की बिक्री पर नुकसान बढ़कर 19.26 रुपए प्रति लीटर पहुंच गया था, जिससे बाद सरकार की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि डीजल का दाम बढ़ाना जरुरी हो गया था।

उत्पादन लागत करीब 28 प्रतिशत बढ़ने के बावजूद पिछले साल जून से डीजल, घरेलू रसोई गैस और केरोसिन के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं। डीजल, घरेलू एलपीजी और केरोसिन की बिक्री, लागत से काफी नीचे करने की वजह से इंडियन ऑइल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम को रोज 560 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सरकार को डीजल पर 19.26 रुपए प्रति लीटर, केरोसिन 34.34 रुपए प्रति लीटर और घरेलू एलपीजी 347 रुपए प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा था। तीनों कपंनियों को 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष में करीब 1,92,951 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है।

तमिलनाडु के कुडनकुलम स्थित परमाणु संयंत्र में ईंधन भरने की तैयारियों को रोके जाने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी लगातार दूसरे दिन भी समुद्र के अंदर सत्याग्रह पर डटे रहे। सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी मानव श्रृंखला बनाकर समुद्र के बीचों बीच खड़े हुए हैं।

पीपुल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी के नेता पुष्पारायण ने कहा कि महिलाएं और पुरुष बारी-बारी से जल सत्याग्रह कर रहे हैं। पुलिस ने कहा कि आंदोलन के अगुवा और संयोजक एसपी उदय कुमार के करीबी सहयोगी सतीश कुमार को शुक्रवार को चेन्नई से गिरफ्तार किया गया है। सतीश को मछुआरों को आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए उकसाने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस ने कहा कि उदय कुमार की तलाश की जा रही है। तटरक्षक बल के एयरक्राफ्ट और जहाज इदिंतकराई के पास समुद्र में प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। परमाणु संयंत्र विरोधी प्रदर्शनकारियों ने मध्य प्रदेश के ग्रामीणों की तर्ज पर बृहस्पतिवार को अपना जल सत्याग्रह शुरू किया था। परमाणु संयंत्र विरोधी गतिविधियों में वृद्धि को देखते हुए पुलिस ने पूरे कुडानकुलम कस्बे में रैपिड एक्शन फोर्स के साथ ही चार हजार से अधिक पुलिस कर्मियों को भी तैनात किया है।

No comments: