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Wednesday, September 12, 2012

photos illegal mining accident in sonbhadra



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photos of illegal mining of obra that left many workers killed on 27th feb 2012
Mar 4, 2012
by Roma
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महामहिम राज्यपाल,
द्वारा जिलाधिकारी
जनपद सोनभद्र,
उ.प्र
दिनांक 4 मार्च 2012


अवैध खादानों के उपर राष्ट्रीय वनजन श्रमजीवी मंच का बयान एवं मांग



सोनभद्र बिल्ली - मारकुंडी में शारदा मंदिर स्थित अवैध खनन में 27 फरवरी 2012 को हुई ह्दृय विदारक घटना व इन अवैध खनन क्षेत्र में 3 मार्च 2012 को राष्ट्रीय वनजन श्रमजीवी मंच के उच्च स्तरीय जांच दल ने एक जांच की। ओबरा स्थित शारदा मंदिर के पीछे 27 फरवरी 2012 को हुई खनन क्षेत्र में सबसे बड़े हादसे में सैंकड़ों मज़दूरों के मारे जाने की आंशका है। बिल्ली मारकुड़ी में चल रही कम से कम 300 खादानें लीज़ समाप्त होने के बाद भी ज़ारी हैं और कई कई खादानें तो पाताल लोक में बदल दी गई हैं जहां पर 100 फीट से भी ऊपर खनन अभी इस घटना तक ज़ारी था। परिजनों के दबाव पर फिर से राहत कार्य को शुरू किया गया जिसमें एक और शव प्राप्त हुआ है। घटना स्थल से मशीनों को घटना के एक दिन बाद ही हटा दिया गया था लेकिन स्थानीय ग्रामीणों द्वारा जांच के लिए दबाव बनाया गया व दोबारा से मशीनों को लगा कर फिर से शवों को ढूढ़ने का कार्य शुरू किया गया है। जांच दल ने दौरा कर यह पाया गया कि -

1.    खादान के अंदर जहां पर पहाड़ दरका था वहां पर प्रशासन द्वारा शवों को निकालने के लिए समुचित कार्यवाही नहीं की जा रही। मौके पर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौजूद नहीं मिला और न ही कोई विशेषज्ञ जो कि इस कार्य को करा सके। वहां पर पुलिस की कुछ टुकड़ीयां खड़ी हैं वरना यह कोई नहीं जानता कि क्या हो रहा है।
2.    जिस तरह से पहाड़ दरका है उसे हटाने के लिए बड़ी मशीनों की आवश्यकता है जिसको अभी तक जि़ला प्रशासन द्वारा नहीं मंगवाया गया है। तीन छोटी के्रनों के पास इतनी क्षमता नहीं है कि वो बड़ी चटटानों को हटा सके इसके लिए कम से कम 80 टन की के्रनों को लाना चाहिए जो कि एनसीएल, जेपी व हिंडाल्को में मौजूद है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन द्वारा जानबूझ कर इन राहत कार्यो में देरी की जा रही है।
3.    कार्य की प्रगति को देखते हुए लग रहा है कि जिला प्रशासन इस मामले को दबाने की कयास कर रही है ताकि शव अंदर ही दबे रहें व सच्चाई बाहर न आ सके।
4.    उक्त खादान जहां पर हादसा हुआ है वह लीज़ समाप्त हो चुकी है  व निष्प्रयोज्य हो चुकी हैं लेकिन फिर भी बड़े पैमाने पर कार्य होता रहा। इस अवैध खनन में खनन विभाग, वनविभाग, राजस्व विभाग, श्रम विभाग, पुलिस विभाग, कुछ स्थानीय पत्रकार, जिला प्रशासन, विधायक, व सत्तारूढ़ सरकार भी दोषी है। लेकिन अभी तक कार्यवाही केवल स्थानीय लोगों पर ही हुई है व पुलिस एवं वनविभाग के कुछ नीचले स्तर के अधिकारीयों को निलंबित किया गया है।
5.    जबकि कार्यवाही यहां के खनन अधिकारी, डीएफओ, श्रम आयुक्त, राजस्व अधिकारीयों, प्रदुषण अधिकारीयों, ठेकेदारों के उपर होनी चाहिए व इनको भी एफआईआर में नामजद किया जाना चाहिए।
6.    इन खादानों को चलाने में एक बड़ी भूमिका जे.पी कम्पनी है जिसके द्वारा यहां पर सभी विभागों को खरीद कर प्राकृतिक संपदा की अबाध लूट की जा रही है। इस कम्पनी के तमाम करार रदद किए जाने चाहिए, कम्पनी के मालिकों पर हत्या, प्राकृतिक संसाधनों की लूट के लिए लूट और डकैती के मामले दर्ज किए जाए।
7.    जिन 16 लोगों के नाम प्राथमिकी दर्ज की गई हैं उनको अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है जो कि खुलेआम घूम रहे हैं व पुलिस द्वारा कहा जा रहा है कि सब लोग फरार है इसलिए कोई गिरफ्तारी नहीं हो पा रही है।
8.    इन खादानों में आए दिन मौतें होती रहती है जिसे स्थानीय पुलिस थानों एवं ठेकेदारों की सांठ गांठ से सौदेबाज़ी कर ग़रीब मज़दूरों को कुछ मुआवज़ा देकर मामले को दबाया जाता रहा है लेकिन अभी तक इस प्राकृतिक संसाधनों की बेतहाशा लूट पर कोई भी उच्च स्तरीय जांच नहीं की गई है।
9.    यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बेहद ही संवेदनशील इलाका है जिसमें वैध खादानों के लिए भी स्वीकृति प्रदान नहीं की जानी चाहिए।
10.     सोनभद्र में हो रही पत्थर खादानों, कोयला खादानों के तहत रेलवे विभाग ने भी कई कड़े पत्र शासन को लिखे है जिसमें विभाग ने इन खादानों से रेलवे लाईनों पर किसी भी बड़ी दुर्घटना को होने के भी संकेत दिए हैं।
11.    राजस्व विभाग, वनविभाग व खनन विभाग को मालूम ही नहीं कि किस विभाग की भूमि पर यह खनन हो रहा था इन विभागों द्वारा एक दूसरे पर दोषारोपण किया जा रहा है। जबकि पुराने रिकार्डो को खंगाला जाए तो पता चल जाएगा कि यह सारी भूमि वनविभाग के रिकार्डो में दर्ज है।
12.    इस संबध में मंच मांग करता है कि सोनभद्र के अवैध खनन पर सीबीआई जांच होनी चाहिए व इस अवैध खनन के संबध में जुड़े पिछले व मौजूदा सभी विभागों व अधिकारीयों पर अपराधिक मुकदमें दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए।
13.    इन खादानों में श्रम विभाग की भूमिका न के बराबर है श्रमिकों के  श्रम अधिकारों की पूरी तरह से अनदेखी हो रही है। यहां पर सभी मज़दूर आविदवासी एवं दलित व ग़रीब तबकों से इन खादानों पर काम करने के लिए मजबूर होते हैं उनके लिए काम करने की जगह पर किसी भी प्रकार की सुरक्षा नहीं है, न आपातकाल से निपटने के लिए उनको उपकरण दिए जाते हैं, स्वास्थ के दृष्टिकोण से न उनको कपड़े व मास्क दिए जाते हैं, उनसे निर्धारित अवधि से ज्यादा काम लिया जाता है, महिला मज़दूरों के लिए किसी प्रकार की व्यव्स्था नहीं है, बच्चों के लिए के्रश नहीं है, पानी पीने व किसी भी प्रकार की सुविधा इन मज़दूरों को नहीं दी जाती। इनकी दिहाड़ी भी ठेकेदारों द्वारा हड़प ली जाती है और कड़ी मशक्कत के बाद भी मुश्किल से एक मज़दूर दिन में केवल 100 रू ही कमा पाते हैं जो कि नरेगा में मिल रही मज़दूरी से भी कम है।
14.    अगर ग़रीब आदिवासीयों को उनके जंगल में वनाधिकार मिल जाते, लघुवनोपज पर वनविभाग का एकाधिकार समाप्त कर उनको मिल जाता, वनों में वनविभाग, पुलिस व ठेकेदारों का उत्पीड़न कम करने में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाते, एवं नरेगा के तहत पूरे वर्ष काम मिलता रहता तो यह मज़दूर किसी भी कीमत पर इन खादानों में अपनी जान की कीमत लगा कर कभी काम न करते। इन सारे अधिकारों को देने के लिए सरकार, प्रशासन व वनविभाग की किसी भी प्रकार की राजनैतिक इच्छा नहीं है बल्कि इन्हें अधिकार न मिल सकें इसके लिए वनविभाग द्वारा आए दिन आदिवासीयों व दलितों पर झूठी कार्यवाही कर उनके घर जलाये जाते हैं, उनकी फसलें उजाड़ी जाती हैं, उनकी हत्या की जाती है, उनको मारा पीटा जाता है, उनको झूठे मुकदमों के तहत जेल भेजा जाता है। जिसकी वजह से आदिवासी एवं ग़रीब तबके के लोग इन असुरक्षित खादानों में काम करने पर मजबूर होते हैं। इस जनपद में आदिवासीयों एवं दलितों के ऊपर लगभग 20 हजार मुकदमें केवल वनविभाग द्वारा किए गए है जिनमें 80 फीसदी महिलाए हैं जिन्हें वनविभाग द्वारा माफिया घोषित किया हुआ है। लेकिन अवैध खनन एवं जंगलों के अवैध कटान पर वनविभाग द्वारा माफियाओं, अधिकारीयों, कम्पनीयों, ठेकेदारेां, पुलिस विभाग आदि पर किसी भी प्रकार के मुकदमें दर्ज नहीं किए जाते और न ही इतनी बड़ी लूट करने के लिए अभी तक कोई जेल में गया है।
15.    इन अवैध खादानों ने सोनभद्र के स्वच्छ वातावरण को दूषित कर के रख दिया है जिससे यहां प्रदुषण के अंदर जहरीले तत्वों की मात्रा इतनी बढ़ चुकी है कि वह पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ के लिए काफी हानिकारक हो गई है जिससे कई भंयकर बिमारीयों जैसे टी.बी, सीलीकोसिस, कैंसर आदि फैल रहा है जिसके लिए इस जिले से लेकर बनारस तक उपचार की भी कोई व्यवस्था नहीं है।
16.    इस सम्बन्ध में कई जांचों को अलग अलग विभिन्न स्तर पर किए जाने की आवश्कता है जिसमें एक उच्च स्तरीय जांच पर्यावरण मंत्रालय द्वारा की जानी चाहिए व यहां पर कराये जा रहे अवैध खनन के बारे में एक श्वेत पत्र ज़ारी किया जाना चाहिए।
17.     एक जांच पर्यावरण वैज्ञानिकों एवं इन मुददों से सरोकार रखने वाले अंतराष्ट्रीय संगठनों से कराई जानी चाहिए व इन रिर्पोटों के आधार पर यहां पर पर्यावरण बचाने की मुहिम को तेज़ करना चाहिए।
18.    यहां के पर्यावरण के असली प्रहरी आदिवासीयों का महज़ सस्ते मज़दूर नहीं बल्कि उनको पर्यावरण बचाने की मुहिम में सिपाहीयों की तरह उन्हें सम्मानपूवर्क काम दिया जाए व उनके सराहनीय योगदान के लिए उन्हें पुरस्कृत किया जाए व तमाम ठेकेदारों, माफियाओं, भ्रष्ट अधिकारीयों को सज़ा के तहत उन्हें जेल भेजा जाए।

धन्यवाद

रोमा  शांता भटटाचार्य   सोकालोदेवी   विनोद पाठक  रमाशंकर  राधकांत दिवेदी   विजय विनीत 

--
NFFPFW / Human Rights Law Centre
c/o Sh. Vinod Kesari, Near Sarita Printing Press,
Tagore Nagar
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Uttar Pradesh
Tel : 91-9415233583, 05444-222473
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