Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Thursday, May 9, 2013

भंडाफोड़ और गिरफ्तारियों के बावजूद टूटा नहीं शारदा समूह का तिलिस्म!

भंडाफोड़ और गिरफ्तारियों के बावजूद टूटा नहीं शारदा समूह का तिलिस्म!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


भंडाफोड़ और गिरफ्तारियों के बावजूद टूटा नहीं शारदा समूह कातिलिस्म!तिलिस्म भी है ऐसी चीज कि मंत्रोच्चार से टूटा नहीं करता, जैसा कि अमूमन कथाओं में पाया जाता है। सामाजिक यथार्थ इसके उलट है। ३५ साल से वाममोर्चा चिटफंड कारोबार बंद करने की हर जुगत लगाता रहा। हाईकोर्ट में पेश हलफनामे के मुताबिक दीदी की सरकार भी कोई कसर नहीं बाकी छोड़ रही है। ऊपर से  केंद्रीय एजंसियां सक्रिय है। केंद्र और राज्यों में कानून बदले  जा रहे हैं। सीभीआई ने जाल बिछा दिया है। अदालती कारोबार अलग से जारी है। लेकिन हमेशा जैसा होता रहा है , चिटफंड कारोबार बंद हो ही नहीं रहा है। दो चार अपवादों को छोड़कर सब ठाठ से जनता को लूटने में लगे हैं। सुदीप्त के एक हजार बैंकखातों से कुछ नहीं मिल रहा है और न भंडापोड़ और सनसनी से आम निवेशकों को कुछ हासिल हो रहा है। बोस्टन के सर्वर को खंगालने के लिए इंटरपोल की मदद ली जा रही है। पर शारदा साम्राज्य को चलाने वाले लोगों में सुदीप्त और देवयानी, अरविंद और नगेल को छोड़कर ज्यादातर छुट्टे घूम रहे हैं। देवयानी कोछोड़कर सुंदरी ब्रिगेड को छू तक नहीं पायी पुलिस। निशा और ऐंद्रिला के किस्से आ गये, उनका अता पता नहीं है। सुदीप्त की तीन तीन पत्नियां लापता हैं। उसके बेटे को भी खोज नहीं पायी पुलिस। अब खजाने की चाबी किसके पास है, `खुल जा सिमसिम' कहने से तो खुलने से रहा।


शारदा समूह के अनेक अखबार और टीवी चैनलों के बंद होने की खबरें सुर्खियां बनी। पर जो चालू हैं, उनकी तरफ नजर है ही नहीं। सुदीप्त के भाषण अब भी समूह के वेबसाइट पर चालू है, जिसमें वे एजंटों और सहयोगियों को नैतिकता और देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। उनका भाषण है , पर वे तो सींखचों के पीछे हैं, इसके लिए उनकी कुर्सी खाली दिखायी जा रही है। बोस्टन का सर्वर तो अमेरिकी कानून के दायरे में है , पर इस वेबसाइट का क्या?


फिर देशभक्ति और नैतिकता के बहाने कारोबार भी न कोई नयी चीज है और न इसपर अंकुश के लिए कोई कायदा कानून है।विवादों में फंसे होने के बावजूद लोगों से वंदे मातरम और जन गण मण गाने की गुजारिश करने वाले पूरे पन्ने के विज्ञापन दिए हैं, जिससे काफी हद तक यह पता चल जाता है कि समूह ने उन 24,000 करोड़ रुपये का क्या किया, जो उसने सेबी की अनुमति के बिना जुटाए थे। सहारा ने भी एक रहस्यमयी महिला के साथ अपने संबंधों का हवाला दिया लेकिन इस मामले में वह महिला भारत माता थी, जो उसके द्वारा दिए गए विज्ञापनों में दुर्गा और झांसी की रानी के बीच खड़ी हुई थी। कुछ खास कंपनियों में उच्च नैतिक स्तर के पालन का दावा करने की प्रवृत्ति होती है। इसे साबित करने के लिए वे बड़े स्तर पर देशभक्ति या नैतिकता या धर्म या फिर इन सभी का सहारा लेती हैं।राष्ट्रीय बावना दिवस क्या भारत सरकार की इजाजत से मनाया गया जनगणमन अधिनायक का इस्तेमाल कारोबारी हित में करने की इजाजत भी किसने दी । लेकिन ऐसा हो रहा है।​

​​

​अब सुदीप्त सेन भी पुलिस हिरासत में बंद होने के बावजूद एजंटटों और सहयोगियों को जीवन का पाठ पढ़ा रहे हैं। ऐसे एजंटों और सहयोगियों को जो उनके गोरखधंधे में साझेदार तो हैंस, पर पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।


शारदा समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुदीप्त सेन के भाषण का हिस्सा देख लीजिये!`स्वतंत्रता के बाद से लेकर अभी तक हमारा देश बेरोजगारी की समस्या से नहीं उबर पाया है। आज भी देश की 60 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। दुर्भाग्य से आज भी 30 फीसदी से ज्यादा आबादी के पास पीने का साफ पानी नहीं है, लाखों लोग बेघर हैं और देश के सुदूर इलाकों तक बिजली आपूर्ति अब भी एक सपना है, खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में जहां सूरज ढलने के बाद गांव अंधेरे की गिरफ्त में चले जाते हैं। यह देश के आर्थिक विकास की राह में रोड़ा बन गया है। समुदाय को बचाने के लिए हमारा साथ ही देश को इस स्थिति से निकाल सकता है।'


इस वक्तव्य में नया कुछ भी नहीं है। हर समूह की ओर से ऐसे उदात्त वक्तव्य जारी किये जाते हैं, विज्ञापित किये जाते हैं, जिनका नियमन नहीं होता।अब तो ऐसे उदात्त विचारों की बाढ़ सी गयी है। पृथ्वी अब भी अपनी धूरी पर घूम रही है। सिर्फ सुदीप्त के पुलिस हिरासत में बंद हो जाने से न धंधा बंद होता है और न बाजार में आम लोगों की चड्डी तक निकाल लेने वाली गतिविधियों पर कोई रोक लगने वाली है। जांच तो घोयालों की न जान किस काल से चली आ रही है, पर काले धंधे का तिलिस्म इतनी सरलता से नहीं टूटा करता।


No comments: