Follow palashbiswaskl on Twitter

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity Number2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

What Mujib Said

Jyoti Basu is dead

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti Devi were living

Friday, August 2, 2013

सब्जियों के भाव आसमान चूमे, सीसीआई देशभर में छापे मारेगी तो बंगाल दीदी के भरोसे!

सब्जियों के भाव आसमान चूमे, सीसीआई देशभर में छापे मारेगी तो बंगाल दीदी के भरोसे!




बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पंचायत चुनावों से पहले 140 रुपये किलो भाव से आम जनता को चिकन परोस रही थी। वे मुंबई में उद्योगपतियों से संवाद करके आये तो शायद किचन में सब्जियों की खोज भी करें।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​  


गैस और दाल-सब्जियों के भाव आसमान को छू रहे हैं।हांकि देश के नेता जनता को बारह रुपये ताली से लेकर एक रुपये में भरपेट भोजन की राह बताते हुए थाली पर अमीरी परोस रहे हैं। हकीकत यह है कि कहां वर्षा तो कहीं अनावृष्टि या पिर अल्पवृष्टि याफिर बाढ़ की वजह से दल सब्जी समेत भोजन में ही गरीबों की रोजाना ाय़ खप रही है तो मध्यम वर्ग और खासतौर पर नौकरी पेशा लोगों को सरकारी आंकड़ों के विपरीत पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा है। कुपोषण का शिकार होने लगा है पूरा देश क्योंकि कृषि उपज में अनाज और दलहन की किल्लत तो पहले से थी ही, अब सब्जीबाजार भी मंडियों और गोदामों का गुलाम हो गया। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पंचायत चुनावों से पहले 140 रुपये किलो भाव से आम जनता को चिकन परोस रही थी। वे मुंबई में उद्योगपतियोंसे संवाद करके आये तो शायद किचन में सब्जियों की खोज भी करें।कोलकाता में निम्न दबाव की वजह से रुक रुक कर बरसात का मौसम बन रहा है जबकि बारिश अभी झमाझम बरसी है नहीं। बारिश के पार शरद और शीत के इंतजार में है रसोई।जबकि सब्जियां रुला रही हैं इन दिनों।बाजार में मांग बहुत है,लेकिन आपूर्ति कम है।मुश्किल तो यह है कि कोलकाता ही नहीं राजधानी दिल्ली तक में, वाणिज्य. राजधानी कोलकाता और दूसरे शहरों में सब्जियां गायब होने लगी है। चिंतित हैं प्रधानमंत्री, कृषि मंत्री और प्रतिस्पर्द्धा आयोग सीसीआई।अब सीसीआई ने देश भर में सब्जी मंडियों पर छापा मारकर बाजार भाव नियंत्रित करने का ्हम फैसला कर लिया है। महाराष्ट्र सरकार ने तो सब्जियों के बाव तीस फीसद करने के फरमान बी जारी कर दिये। हालांकि बाजार पर इसका असर होता दीख नहीं रहा।बंगाल में बाजार भावों पर दीदी की कड़ी नजर रहती हैं और अब देखना यह है कि इस संगीन हालात के मद्देनजर वह क्या कदम उठाती हैं।इससे पहले भी पश्चिम बंगाल में सब्जी की कीमतें घटाने पर विचार करके ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नेसब्जी की कीमतों को कम करने के लिए गृह, कृषि और अन्य विभागों के सचिवों समेत रिटेल ट्रेडरों से बातचीत की हैं।


सीसीआई के मुताबिक महानगरों और नगरों में टमाटर,प्याज और बैंगन के दाम कम से कम चालीस फीसद बढ़ गये हैं और दूसरी सब्जियां  भी बेलगाम है।कृत्तिम अभाव पैदा करके जमाकोर पूरी आम जनता को कुपोषण का शिकार बना रहे हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।कोलकाता,मुंबई और राजधानी दिल्ली समेत कहीं बी किसी भी शहर में।वित्त मंत्रालय को बढ़ती मंहगाई से नीति निर्धारण में बेहद तकलीफ हो रही है और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीतियों पर दबाव बनी हुई है। सब्जियों के बाव भारतीयअर्थतंत्र का खेल बिगाड़ने लगे हैं।सीसीआई ने वायदा किया है कि किसानों, खुदरा विक्रेताओं और मंडीवालों से सही बर्ताव किया जायेगा और यह सुनिश्चित अवश्य किया जायेगा कि रसोई में फिर सब्जी की बहार हो और उपभोक्ताओं की तपिश भी कुछ कम हो।


अखिल भरतीय सब्जी उत्पादकों के संगठन आल इंडिया वेजेटेबिल्स ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीरामगढावे की दलीली है कि देश के अनेक हिस्सों में भारी वर्षा की वजह से कम से कम साठ फीसद फसल खेतों में ही सड़ गयी है,जिसकी वजह से यह संकट खड़ा हो गया है। ऩयी सब्जियां ही आते ही बाजार में उबाल ठंडा पड़ जायेगा।अब सब्जियों का चेन स्थानीय न होकर राष्ट्रव्यापी है। मसलन बंगाल से आलू के इंतजार में राजधानी दिल्ली में आलू प्याज में तब्दील होने को है। वहीं, बंगाल को नासिक से प्याज आता है। प्याज निर्यातकों के जरिये भी बाजार में फिर आयातित होने लगा है।गिरते रुपये से फायदेमंद निर्यात की वजह से सब्जियां बाहर भेजने से भी बड़े खिलाजड़ी बाज नहीं आ रहे हैं,जबकि राष्ट्रीय सब्जी सप्लाई चेन उन्हींके गिरफ्त में है।इसलिए इसके आसार कम है कि मंडियों पर दबिश से कोई तात्कालिक समाधान हो ही जायेगा।




सब्जियों के भावों में यकायक बढ़ोतरी हो गई है। उन्होंने 3-4 दिन की सब्जियां 300 रुपए खर्च करके ली.ऐसी शिकायतें अब आम है। खुले मार्केट में तो आलू, प्याज और टमाटर के रेट आसमान छूने लगे हैं।महंगाई के चलते प्याज और टमाटर तो आम लोगों की रसोई से बाहर हो गई है।हा है। यही टमाटर सब्जी मंडी से बाहर होते ही 60 से 70 रुपये बिकने लगा है। प्याज तो पिछले कुछ माह से ही लोगों के पसीने निकाल रहा है। जून में 20 रुपये किलो बिकने वाला प्याज अब थोक भाव में 30 रुपये किलो बिक रहा है।बढती हुई मुद्रास्पीति के पीछे सब्जियों की उबाल को भी बड़ी वजह माना जा रहा है और जाहिर है तमाम वित्तीय प्रबंधकों और प्रशासकों के होश उड़े हुए हैं।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार सचल दुकानों के जरिए कोलकाता में चिकेन, सब्जी, मछली और फलों की बिक्री कर कीमतों पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही है। ऐसे कई सरकारी 'उचित दर' सचल वैन कोलकाता में कई स्थानों पर देखे जा सकते हैं। करीब 21 ऐसे वाहनों पर ऑर्गनिक पदार्थ लगे हुए चिकेन बिक रहे हैं। आठ वाहनों पर मछली और रमजान की शुरुआत के साथ ही करीब आधे दर्जन वाहनों पर फल बेचे जा रहे हैं।


कृषि और इससे सम्बंधित सेक्टरों पर मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप मजुमदार ने कहा, "चिकेन की कीमत 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थी। तब हमने इसके बारे में सोचा। योजना के दो मकसद थे-कीमतों पर नियंत्रण और सड़क किनारे पशु पक्षियों की अवैध हत्या पर रोक।"


मजुमदार ने कहा कि इन सचल बिक्री केंद्रों के शुरू होने के बाद से चिकेन की कीमत घटकर 150 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। सरकार ने कीमत की यही सीमा तय कर रखी है।


सफलता के साथ चिकेन बेचने के बाद अब सरकार ने सचल केंद्रों के जरिए मछलियों की भी बिक्री शुरू कर दी है। मत्स्य पालन मंत्री चंद्र नाथ सिन्हा ने कहा, "शहर के विभिन्न बाजारों में आठ केंद्रों के जरिए हम रोज आठ कुंटल मछलियां थोक मूल्य पर बेच रहे हैं।"


इन केंद्रों पर मछलियों की कीमत साधारण बाजार भाव से 25 से 30 फीसदी नीचे होती है। सिन्हा ने कहा कि पंचायत चुनाव के बाद इन गतिविधियों का प्रसार दूसरे जिलों में भी करने की कोशिश की जाएगी।


मुस्लिमों के पवित्र रमजान महीने की शुरुआत के साथ ही अब ऐसे सचल केंद्रों के जरिए फल भी बेचे जा रहे हैं। मजूमदार ने कहा, "हम पहले आलू और सब्जियां बेच चुके हैं। अब उनकी कीमतें नियंत्रण में हैं। ये केंद्र कारोबारियों को स्पष्ट संदेश देते हैं- 'महंगाई मत बढ़ाइए'।"


सब्जियों के भाव आसमान छू रहे है, ऐसे में लोगों कोदलहन का ही सहारा है| अगर वो भी महंगे हो जायेंगे तो लोगों के खाने के लाले हो जायेंगे| लेकिन केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार द्वारा दिए गये बयांन से लोगों की चिंता दूर हुई है| शरद पवार ने कहा कि सरकार आयातित दलहनपर आयात शुल्क नहीं लगाएगी| सब्जियों की कीमतों में तेजी अस्थाई है तथा जल्द ही आपूर्ति बढऩे से दाम घट सकते है|

इसी बीच भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के स्थापना दिवस के मौके पर शरद पवार ने संवाददाताओं से कहा कि दालों के आयात पर शुल्क लगाने का सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि चालू खरीफ में अनुकूल मौसम से फसलों की बुवाई में भारी बढ़ोतरी हुई है तथा आगामी दिनों में भी मौसम अनुकूल रहने का अनुमान है। ऐसे में खरीफ में खाद्यान्न उत्पादन में भारी बढ़ोतरी की संभावना है।


उन्होंने कहा कि सब्जियों की कीमतों में आई तेजी चिंताजनक है, लेकिन जल्द ही सब्जियों की आपूर्ति बढ़ेगी और दाम कम होंगे। अच्छी वर्षा के कारण चालू खरीफ में अभी तक देशभर में 517.65 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है|

उन्होंने कहा कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार से आयात पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाने की सिफारिश की थी। दरअसल दलहन की घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के लिए हमें सालाना करीब 30 से 35 लाख टन दालों का आयात म्यांमार, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका आदि देशों से करना पड़ता है।



और तो और, प्रधानमंत्री ने नेशनल काउंसिल आफ एप्लायड इकनोमिक रिसर्च सेंटर (एनसीएईआर) के सदस्यों के साथ इस सिलसिले में  बातचीत की है और  बढ़ते कृषि उत्पादों के दाम पर विचारविमर्श किया है|

प्रधानमंत्री ने एनसीएईआर आर्थिक विशेषज्ञों से बढ़ते कृषि दाम की समस्या का समाधान ढूंढने के लिए कहा है| उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में सबसे अच्छा दौर आना अभी बाकी है। इस बैठक में सदस्यों ने कहा कि कृषि लागत बढ़ने की वजह से मुद्रास्फीति बढ़ी है। मनरेगा और कृषि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में नियमित वृद्धि के चलते पिछले 4-5 साल में कृषि लागत 20 प्रतिशत तक बढ़ी है।


न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे निचले वर्ग को सशक्त बनाना हमारा उद्देश्य है| जिसके चलते मनरेगा जैसी योजना का निर्माण किया गया और न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ाये गए| प्रधानमंत्री ने अर्थशास्त्रियों को कृषि उत्पादों के दाम कम करने पर उपाय सुझाने को कहा है|









No comments: