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Monday, May 13, 2013

सुदीप्त से रिश्ते से क्यों इंकार कर रही है देवयानी​?

सुदीप्त से रिश्ते से क्यों इंकार कर रही है देवयानी​?

क्योंकि उनका हर कदम सुनियोजित है और अपने तिलिस्म को बनाये रखने के लिए है देवयानी का यह पत्र , इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

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​कश्मीर में पति पत्नी परिचय से एक ही होटल के एक ही कमरे से सुदीप्त के साथ गिरफ्तार देवयानी मुखोपाध्याय ने वकीलों के जरिये जो पत्र जारी कियाहै, उससे देवयानी को सरकारी गवाह बनाने की सोच रहे पुलिसवाले भी हैरान है।देवयानी ने पहले ही नौकरी छोड़ देने और शारदा समूह से वेतन न लेने का जो दावा किया है, वह भी गलत निकला है।२००८ में शारदा समूह में  बतौर रिसेप्शनिस्ट नौकरी शुरु करने वाली देवयानी शारदा समूह में निदेशक ही नहीं थी, सुदीप्त के खासमखास होने की वजह से वह नंबर दो हैसियत में थी। उसका यह उत्थान सुदीप्त के साथ गहराते संबंधों की वजह से है, जिसकी बदौलत सुंदरी ब्रिगेड की तमाम सुंदरिोयों को पछाड़ कर वह एक के बाद एक सीढ़िया लांघती चली गयी।शारदा का भंडापोड़ होते न होते वह दोनों पत्नियों के साथ फरार हो गया, लेकिन अब वह कश्मीर में देवयानी मुखोपाध्याय के साथ पकड़ा गया। किसी पत्नी के साथ नहीं।हालांकि देवयानी ने इसका खंडन किया है कि उन्हें एक ही कमरे से पकड़ा गया। इसके अलावा उन्होंने यह दावा भी किया कि अमूमन वे अपने सर के शाथ बिजनेस टूर पर जाती रही हैं, यह सिलसिला सुदीप्त के फरारी के दौरान और वह भी ३५ कंपनियों के निदेशक पदों से हटाये जाने के बाद जारी रहा, यह बात गले से लेकिन उतरती नहीं है।शारदा समूह के आर्थिक लेनदेन में और खासकर पोंजी चक्र के संचालन में देवयानी की भूमिका सर्वविदित है और वे सुदीप्त के बदले चेक पर भी हस्ताक्षर करती थी लेकिन अब उनका दावा है कि समूह के वित्तीय मामलों में उनकी कोई भूमिका ही नहीं थी।सुदीप्त सेन और शारदा भंडाफोड़ के सिलसिले में जिन तमाम लोगों से पुलिस ने अबतक जिरह की है, उनके दिये तथ्यों से एकदम उलट हैं देवयानी के दावे।


सुदीप्तो सेन और देबजनी मुखर्जी सहित उनके दो करीबियों की जमानत याचिका रद्द करते हुए उन्हें पहले मामले में नौ दिनों की पुलिस हिरासत और दूसरे मामले में दो सप्ताह की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। बिधाननगर के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ए.एच.एम. रहमान ने दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।इसके बाद देवयानी ने यह पत्र जारी किया। अब सवाल उठ रहे हैं कि देवयानी ने यह पत्र कब और किसलिए लिखा। उसने पत्र में बतौर निदेशक प्रशासनिक कामकाज संभालने का दावा किया है और कहा है कि समूह के वित्तीय प्रबंधन से उसका कभी कोई लेना देना नहीं था। अभी पुलिस को सुदीप्त के देश विदेश में एक हजार से ज्यादा खातों का पता चला है, एक हजार करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति का भी पता चला है। यह उपलब्धि, समझा जाता है कि देवयानी की निशानदेही पर ही हुई। अगर उसे वित्तीय मामलों से कुछ लेना देना नहीं था तो नकदी और संपत्ति के बारे में उसे इतनी विस्तृत जानकारी कैसे हुई। समझा जाता है कि शारदा समूह का जो तंत्र अब भी बचा हुआ है, उसी में खजाने की चाबी है। उस चाबी को सुरक्षित हाथों में रखे रखने के लिए ही आगे की जिरह  से अपने को बचाने के लिए ही देवयानी ने यह हथकंडा अपनाया है।


सुदीप्त से फिलहाल अलग थलग हैं देवयानी लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि दोनों के बीच तालमेल खत्म हो गया हो। फरारी के वक्त इस सिलसिले में गिरफ्तारी की हालत में जो रणनीति बनायी होगी दोनों ने, उसीपर अमल कर रहेहैं सुदीप्त और देवयानी दोनों, इसमें कोई संदेह नहीं। क्योंकि उनका हर कदम सुनियोजित है और अपने तिलिस्म को बनाये रखने के लिए है देवयानी का यह पत्र,  इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है।


इस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि न्यायिक प्रक्रिया और जांच जब जारी है, तब कोई अभिुक्त को पुलिस हिरासतमें रहते हुए इस तरह पत्र मीडिया को जारी करके अपनी सफाई को मौका देने की छूट कैसे दे दी गयी।


देवयानी ने इस पत्र में दावा किया  है कि कंपनी के कामकाज के बारे में सवाल करने से उसे ३५ कंपनियों के निदेशक पद से एक झटके से हटा दिया गया। यह वक्तव्य कंपनी में उसकी हैसियत साबित करने के लिए काफी है। उसे कंपनी के निदेशक पद से हटा दिये जाने के बावजूद चेक भुगतान के रिकार्ड के मुताबिक उसका वेतन भुगतान  जारी था।इसके अलावा अपनी अकूत संपत्ति बचाने केलिए वह ऐसा बयान नहीं दे रही है, इसका भी सबूत नहीं मिला है। फिर जिसे एकमुश्त ३५ कंपनियों के निदेशक पद से हटा दिया गया हो , वह उसी कंपनी के मालिक के साथ फरार रही और पति पत्नी की तरह देश विदेश घूमती रही, यह दलील गले से नहीं उतरती। सुदीप्त और देवयानी के फरारी के वक्त नेपाल में रहने के बारे में पता चला है। आरोप है कि कोलकाता से फोन मिलने के बाद दोनों भारत लौटे और सुविधा मुताबिक गिरफ्तार हो गये। फरारी से पहले सुदीप्त ने मुकुल राय और कुणाल घोष से भी मुलाकात की थी। सब कुछ इतना योजनाबद्ध था तो यह पत्र उसी साझा योजना का हिस्सा नहीं है, ऐसा कैसे मान जाये?


ढाकुरिया की निवासी देवयानी मुखर्जी का सपना एयर होस्टेस बनना था। इसके लिए उसने बकायदा प्रशिक्षण भी लिया था। हालांकि 27 वर्षीय देवयानी कभी भी एयर होस्टेस नहीं बनी। वर्ष 2007 में देवयानी ने 64 शेक्सपियर सरणी, कोलकाता में शारदा टूर एण्ड ट्रैवेल्स प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय में रिसेप्शनिस्ट व टेलीफोन आपरेटर के तौर पर काम संभाला था।शेक्सपियर सरणी स्थित कार्यालय में आयकर विभाग का छापा पड़ने के कारण इस कार्यालय को साल्टलेक सेक्टर-5 के एएन ब्लाक के मिडलैंड पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया था। वर्ष 2011 में कंपनी के निदेशक का पद संभालने के बाद देवयानी ने इस कार्यालय में केवल युवतियों को ही नियुक्त करना शुरू किया था। देर रात तक कार्यालय में बैठक होती रहती थी। कर्मचारियों के अनुसार बैठक चलने तक सभी लोगों को उपस्थित रहना पड़ता था।बताया जाता है कि सुदीप्त सेन को वर्ष 2000 के मध्य में जोका के सारधा गार्डन का मालिक बनाने में भी देवयानी ने बड़ी भूमिका निभाई थी। सूत्रों के अनुसार 29 जनवरी 1999 में एक परियोजना के प्रमोटर विश्वनाथ अधिकारी की मौत हो गई थी। सेन को इस मामले से बचाने में देवयानी ने अहम भूमिका निभाई थी। इस कारण भी देवयानी सुदीप्त सेन के काफी नजदीक आई।



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