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Wednesday, May 15, 2013

रिटायर होने के बाद कोल इंडिया के एक लाख कर्मचारियों के परिवारों के यहां चूल्हा कैसे जलेगा, किसी को नहीं फिक्र!

रिटायर होने के बाद कोल इंडिया के एक लाख कर्मचारियों के परिवारों के यहां चूल्हा कैसे जलेगा, किसी को नहीं फिक्र!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


कोयलाखानों के राष्ट्रीयकरण के बाद निजी कोयला खानों के अदक्ष और अपढ़ कर्मचारियों को भी व्यापक पैमाने पर कोल इंडिया में जगह मिल गयी थी। कोल इंडिया की माली हालत खस्ती होने के पीछे भारी भरकम कर्मचारी फौज के लिए नये  नेय वेतनमान लागू करते रहने की मजबूरी बतायी जाती रही है। अब अगले चार सालों में कोलइंडिया के इस बोझ से मुक्त हो जाने की संभावना बतायी जा रही है। कर्मचारियों की एक चौथाई तादाद इस अवधि में रिटायर करने वाली है और उनकी जगह कोई नयी नियुक्ति नहीं होनी है।


इस स्थिति को कोल इंडिया की मार्केटिंग में इस्तेमाल करने लगी है सरकार। कर्मचारियों की संख्या में कटौती के साथ साथ जारी रहेगी विनिवेश प्रक्रिया। जिसके तहत इस नव रत्न कंपनी में सरकारी हिस्सेदारी अबतक सिमटकर तीस फीसद रह गयी है। सरकार विनिवेश को लेकर हरकत में आ गई है। कोल इंडिया के विनिवेश प्रस्ताव को 15 दिन में कैबिनेट के पास भेजा जाएगा। सरकार की कोल इंडिया का 10 फीसदी हिस्सा बेचने की योजना है।क कोयला मंत्रालय ने नेवेली लिग्नाइट के 5 फीसदी ऑफर ऑफ सेल को भी मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि जून के पहले हफ्ते में ऑफर फॉर सेल को कैबिनेट से मंजूरी मिल जाएगी और जुलाई अंत तक इश्यू बाजार में आएगा।


जाहिर है कि कर्मचारियों की विदाई के साथ साथ कोल इंडिया के निजीकरण का रास्ता साफ हो जायेगा। भूमि अधिग्रहण कानून , वनाधिकार कानून और खनन अधिनियम में किये जा रहे संशोधन का अंततः कोलइंडिया को लाभ हो या नहीं, इसे खरीदने वाले निजी पूंजी के मुनाफे का रास्ता साफ हो गया है। कोल इंडिया 1970 के दशक में राष्ट्रीयकरण की अपनी सबसे महंगी विरासत से जल्द आजाद हो जाएगी,इसका जश्न शुरु हो चुका है।अगले 3-4 साल में कंपनी के करीब 1 लाख वर्कर्स रिटायर होने वाले हैं। इससे उसके खर्च में बड़ी कमी आएगी। इससे कंपनी का कामकाज भी ज्यादा कारगर और उत्पादकता बढ़ाने वाला हो जाएगा,ऐसे दावे किये जा रहे हैं।कर्मचारियों की संख्या में बड़ी कमी आने से उत्पादन लागत में सैलरी और वेजेज की हिस्सेदारी अभी के 46 फीसदी से घटकर 35-40 फीसदी के बीच रह जाएगी। इससे कोयला उत्पादन लागत  में भी कम से कम 10 फीसदी गिरावट आने की उम्मीद है। हर शिफ्ट में प्रति व्यक्ति उत्पादकता भी अभी के 4.5 टन से बढ़कर कम से कम 9 टन पहुंच जाएगी।


अभी कोल इंडिया  में 3.45 लाख वर्कर्स हैं।करीब एक चौथाई वर्कर्स के रिटायरमेंट से कंपनी को ऑपरेशन में मशीनों का इस्तेमाल बढ़ाने और प्रॉडक्शन को आउटसोर्स करने में मदद मिलेगी। इससे कंपनी के एंप्लॉयीज की औसत उम्र 50 साल से घटकर 45 साल से नीचे आ जाएगी।


अब भारत सरकार का जोर कोयला खनन में आधुनिकीकरण और तकनीक के इस्तेमाल पर है। इससे स्थानीय लोगों के लिए नौकरी देने की प्रथमिकता अपने आप खारिज हो जाती है। इसके साथ ही तीन चार साल में जो एक लाख के करीब कर्मचारी कोल इंडिया से रिटायर करने वाले हैं,उनके परिजनों को अब पहले की तरह कोलइंडिया में नौकरी पाने की कोई संभावना नहीं है। इसलिए कोयला खानों से कोयलांचलवासियों के रोजगार मिलने की कथ का अंत होना तय है।


रिटायर कर्मचारियों के परिजनों के लिए वैकल्पिक रोजगार की केंद्र या राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई योजना नहीं बनी है और न बनने की संभावना है। कोलांचल में जो ट्रेडयूनियनें कर्मचारी आंदोलन का कमानसंभाले हुए हैं, उन्हे वीआरएस लेने के लिए मजबूर कर्मचारियों के हक में खड़ा होते नहीं देखा गया तो रिटायर होने के बाद इन एक लाख कर्मचारियों के परिवारों के यहां चूल्हा कैसे जलेगा, इसकी चिंता होने की उम्मीद नहीं की जा सकती।


मसलन राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे ने कहा कि आरसीएमएस कोल इंडिया की समस्त अनुषांगिक कंपनियों में कार्यरत है। इसकी सदस्यता दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। श्री दुबे ने कहा कि अवैधानिक कार्यो में संलिप्तता पाए जाने पर एनसीएल के कुछ नेताओं का निष्कासन कर दिया गया है। निष्कासित नेताओं द्वारा यह कहा जाना कि एनसीएल में आरसीएमएस नही चलेगी, पूर्णतया भ्रामक है। कोल माइंस व आउट सोर्सिग के तहत कार्यरत ठेका श्रमिकों को राष्ट्रीय कोयला वेतनमान समझौते नवम का वेतन दिलाने हेतु संघ द्वारा कोलकाता उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है।



मसलन  पिछले चार माह से कोल इंडिया द्वारा घोषित असंगठित मजदूर के नए वेतनमान को लेकर कई दौर की वार्ता हो चुकी है। पिछले दिनों हुई वार्ता में तय हुआ था कि 29 अप्रैल तक बढ़े हुए दर से वेतनमान दिया जायेगा। लेकिन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।


मसलन बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के तत्वावधान में रविवार को गिद्दी उत्खनन कार्यशाला में पीट मीटिंग का आयोजन किया गया। मिथिलेश सिंह ने कहा कि कोल इंडिया प्रबंधन ने पुन: 10 प्रतिशत शेयर बेचने की घोषणा की है। जिससे कंपनी को निजीकरण करने की साजिश की बू आ रही है। मजदूरों को एकजुट होकर इसका विरोध करने की जरूरत है। मजदूरों की लड़ाई लडऩे वाले एक यूनियन में रहकर आने वाली समस्याओं का विरोध करें। कोल इंडिया चेयरमैन एस नरसिंह राव के मुताबिक, 'इनमें से ज्यादातर ऐसे वर्कमैन हैं, जो 1975 में कोल प्रोडक्शन के नेशनलाइजेशन के वक्त सीआईएल को विरासत के रूप में मिले। उस वक्त कंपनी में आने के लिए वर्कमैन की न्यूनतम उम्र 18 साल थी। 2017 तक ये सभी एंप्लॉयीज 42 साल की सर्विस पूरी करने के बाद रिटायर हो जाएंगे। इससे वर्कमैन की कुल संख्या 3.45 लाख से घटकर करीब 2.5 लाख रह जाएगी।'


कर्मचारियों के अलावा कंपनी के रोल पर करीब 20,000 अधिकारी हैं।जिनके वेतन, भत्तों और उनपर होने वाल खर्च पर अभी कोई आंकड़ा नहीं है।इस तरह कोयलांचल का यह परिदृश्य अंततः अवैध खनन और कोयला तस्करी के नये तरीके ईजाद करने के लिए परिपक्व हैं।


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