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Wednesday, November 6, 2013

पश्चिम बंगाल सरकार के विज्ञापन में ही नक्सली नेता कानू सान्याल की तस्वीर लग जाने से हड़कंप,परिजनों ने किया विरोध আর্থিক প্রকল্পের বিজ্ঞাপনে কানু সান্যালের ছবি। চূড়ান্ত `গাফিলতি`তে বিতর্কে তোলপাড় রাজ্য


पश्चिम बंगाल सरकार के विज्ञापन में ही नक्सली नेता कानू सान्याल की तस्वीर लग जाने से हड़कंप,परिजनों ने किया विरोध

আর্থিক প্রকল্পের বিজ্ঞাপনে কানু সান্যালের ছবি। চূড়ান্ত `গাফিলতি`তে বিতর্কে তোলপাড় রাজ্য


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


पश्चिम बंगाल सरकार के विज्ञापन में ही नक्सली नेता कानू सान्याल की तस्वीर लग जाने से हड़कंप मच गया है। जीते जी कानू सान्याल ने चरम आर्थिक संकट में जीते रहने के बावजूद दूसरे माओवादी या नक्सली नेताओं की तरह सरकारी मदद नहीं ली और न उन्होंने अपनी विचारधारा बदली।जाहिर है क दिवंगत नक्सली नेता के परिजनों ने सरकारी विज्ञापन में कानू सान्याल की तस्वीर लगाने का कड़ा विरोध किया है।यह विज्ञापन लगभग सभी बड़े अखबारों में प्रकाशित हुआ है और इस मामले को यूं ही रफा दफा करने का कोई उपाय भी नहीं है।दरअसल इस साल अप्रैल में राज्य में शारदा समूह का चिट फंड घोटाला उजागर होने के बाद बनर्जी सरकार की जबरदस्त किरकिरी हुई थी। चिट फंड कंपनियों के फर्जीवाड़े से राज्य के लाखों निवेशकों के करोड़ों रुपये डूब गए। यही कारण है किछोटे निवेशकों को कंपनियों की धोखाधड़ी से बचाने के लिए सरकार ने राज्य में सरकारी बचत योजना शुरू करने की घोषणा की थी।इसी बचत योजना से नत्थी कर दी गयी कानू सान्याल की तस्वीर।


यह तस्वीर चिटफंड कंपनियों से निपटने के लिए ममता बनर्जी घोषित राज्य सरकार की अल्प बचत योजना के विज्ञापन में लगायी गयी है।पहले ही जिन बैंको में इस परियोजना के लिए पैसे जमा होने हैं,उनसे बात किये बिना उनके नाम पर विज्ञापन पर्काशित कर देने से उन बैंकों ने विरोध दर्ज कराया है।रही सही कसर कानू सान्याल की तस्वीर ने पूरी कर दी है।शारदा चिटफंड घोटाले की दंश झेल चुकी राज्य सरकार ने प्रदेश के छोटे निवेशकों को बेईमान कम्पनियों से बचाने के लिए अल्प बचत योजना की घोषणा की है। इस योजना का नाम "सुरक्षित बचत स्कीम" रखा गया है। इसे पांच अक्टूबर से शुरू कर दिया गया है। योजना की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संवाददाताओं को बताया कि इसके लिए एसबीआई समेत चार राष्ट्रीय कृत बैंकों के साथ करार किया गया है।इस बचत योजना में निवेश करने वालों को बैंकों की ब्याज दर के समान ब्याज दिया जाएगा। इसमें व्यक्तिगत और परिवार के नाम से अलग-अलग खाते खोले जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत एकाउन्ट में न्यूनतम एक हजार से अधिकतम एक लाख रूपए का निवेश किया जा सकता है। परिवार के खाते में अधिकतम पांच लाख रूपए तक जमा किए जा सकते हैं।रूपए जमा करने के तीन माह बाद जरूरत पड़ने पर निवेशक अपने रूपए निकाल सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत ऎसे नियम बनाए गए हैं जिसके आधार पर कोई चाहे तो कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल तक के लिए रूपए जमा कर सकता है।


इसमें कोई दो राय नहीं है कि दो साल पहले रहस्यपूर्ण परिस्थितियों में अपने ही घर में फांसी से लटके मिले किंवदंती नक्सली नेता कानू सान्याल को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार मुश्कल में पड़ गयी है।इस विज्ञापन से मां माटी मानुष सरकार के नक्सली माओवादी टांके की चर्चा फिर गरम हो गयी है।


गौरतलब है कि तृणमूल के ही  बागी सांसद कबीर सुमन ने पहले भी परिवर्तन के पीछे माओवादी हाथ का दावा किया है। कबीर सुमन आंदोलन के दौरान परिवर्तन ब्रिगेड के अगुवा थे।यही नहीं,जंगल महल में पुलिस मुठभेड़ में मारे गये माओवादी नेता किशनजी ने खुलेआम ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बनाने का फतवा जारी किया था।जेल में बंद जनगणेर पुलिसिया अत्याचार विरोधी समिति के सर्वेसर्वा युधिष्ठिर महतो के साथ ममता बनर्जी ने एक ही मंच पर जनसभा को संबोधित भी किया है।


कबीर सुमन का तो यहां तक दावा है कि माओवादी नंदी ग्राम और सिंगुर आंदोलन की कमान संभाल रहे थे। यहीं नहीं, सुमन के मुताबिक माओवादी न होते तो परिवर्तन भी नहीं होता।


मां माटी मानुष की सरकार सत्ता में आने के बाद जंगल महल से सशस्त्र सैन्य बल हटाने की कोई पहल नहीं की दीदी ने। जबकि मुख्यमंत्री बनने से पहले वे इसकी लगातार मांग करती रही हैं। किशनजीकी मौत को दीदी फर्जी मुठभेड़ की फसल बताती रही हैं।लेकिन उनकी सरकार ने इस हत्याकांड की जांच का आदेश भी नहीं दिया है। अब भारत में पहलीबार माओवाद प्रभावित किसी अंचल में बंगाल में ड्रोन की निगरानी जारी है। दुर्गापूजा और कालीपूजा के समय तो कोलकाता के आसमान में भी उड़ता रहा है ड्रोन।


ममता बनर्जी की सरकार हर तरीके से माओवाद और नक्सलवाद से अपने को अलग करने में लगी हैं।लेकिन परिवर्तन राज के अफसरान की गलती से पश्चिम बंगाल सरकार के विज्ञापन में ही नक्सली नेता कानू सान्याल की तस्वीर लग गयी है। जिसे लेकर हड़कंप मच गया है।अब सवाल है कि किसकी इजाजत से यह तस्वीर सरकारी विज्ञापन में लगायी गयी है। ऐसा जानबूझकर,सुनियोजिततरीके से हुआ या किसी की गलती से।गलती हुई है तो कैसे और किससे।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चिट फंड घोटाले के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास करते हुए दावा किया है कि केंद्र ने अल्प बचत योजनाओं में ब्याज दर को कम कर दिया जिस वजह से जमाकर्त्ताओं को धोखाधड़ी वाली योजनाओं का रुख करना पड़ा। साप्ताहिक 'मां माटी मानुष' में लिखे अपने एक लेख में ममता ने कहा कि गरीब लोगों और सेवानिवृत्त हो चुके लोग इन चिट फंड में अपनी पूंजी इस उम्मीद के साथ लगाते हैं कि उन्हें बेहतर ब्याज दर मिलेगी।

िसी परिप्रेक्ष्य में दीदी ने राज्य सरकार की ओर से यह बचत योजना चालू की।


उन्होंने कहा कि न सिर्फ केंद्र ने ब्याज दर कम कर दी, बल्कि उसने डाकघर की बचत योजनाओं के एजैंट के लिए कमीशन भी कम कर दिया है। ये सब बातें इस तरह के चिट फंड के फलने-फूलने में मददगार हैं। वहीं पश्चिम बंगाल विधानसभा में आज तृणमूल कांग्रेस सरकार की ओर से तैयार वह नया विधेयक 'वैस्ट बंगाल प्रोटैक्शन ऑफ इंटरैस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स इन फाइनांशियल एस्टैब्लिशमैंट बिल' पारित हो गया जिसमें चिट फंड कंपनियों में निवेश करने वालों के संरक्षण से जुड़े प्रावधान हैं। विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से किए गए वॉकआऊट के बीच यह विधेयक पारित किया गया। वित्त मंत्री मित्रा ने कहा कि नया विधेयक ज्यादा गंभीर एवं सख्त है।




আর্থিক প্রকল্পের বিজ্ঞাপনে কানু সান্যালের ছবি। চূড়ান্ত `গাফিলতি`তে বিতর্কে তোলপাড় রাজ্য





একজন নকশাল নেতা, যিনি দু-বছর আগেই মারা গেছেন। বেঁচে থাকাকালীনও যিনি হাজার সাধ্যসাধনাতেও কখনও কোনও সরকারি আর্থিক সাহায্য নেননি। সেই কানু সান্যালেরই ছবি দিয়ে বাজারে এল সরকারি স্বল্প সঞ্চয় স্কিমের বিজ্ঞাপন। কেন দেওয়া হল এই ছবি? ভেবেচিন্তেই কি এই ছবি ব্যবহার করা হয়েছে? নাকি এর পিছনে কাজ করছে প্রশাসনের চূড়ান্ত গাফিলতি?


কারণ বুঝতে পারছে না নকশাল নেতার পরিবারও। সারদাকাণ্ডের পর এই আর্থিক স্কিম ঘোষণা করেছিলেন মুখ্যমন্ত্রী। আজ প্রায় সবকটি দৈনিক সংবাদপত্রে বড় করে অর্ধেক পাতা জুড়ে সরকারের এই আর্থিক সুরক্ষা প্রকল্পের বিজ্ঞাপন দেওয়া হয়েছে।


এতে যেমন আছে গ্রাম্য গৃহিনীর ছবি, তেমনই মাঠে-ঘাটে কাজ করা মহিলার ছবিও দেওয়া হয়েছে। আর এদেরই পাশে আছে প্রয়াত কানু সানাল্যের ছবিও। এধরনের সরকারি স্কিমের জন্য কানু সান্যালের ছবির ব্যবহারে বেজায় ক্ষুব্ধ তাঁর পরিবার। বিতর্ক শুরু হয়েছে নানা মহলে।   


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