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Sunday, March 29, 2009

दम तोड़ती जनता का लंगोट उतारती चुनावी कोरपोरेट राजनीति

दम तोड़ती जनता का लंगोट उतारती चुनावी कोरपोरेट राजनीति

 

पलाश विश्वास


गरीबी में जनमकर गरीबी और भुखमरी में मरने के लिए अभिशप्त भारत की पच्चासी फीसद गुलाम जलता का लंगोट उतार रही है राजनीति।

 

फासिस्ट और साम्राज्यवादी ताकते रंग बिरंगी पार्टियों और जनविरोधी देश विरोधी विचारधाराओं, मनी और मसल पावर से लैस ब्राह्मणवादी कारपोरेट मनुस्मृति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एकजुट है। मीडिया, सिनेमा, मोबाइल और तकनीक के जरिए कत्लगाहों का विस्तार किया जा रहा हे।

 

देशी इल्युमिनिटी इंडिया इंकारपोरेशन की सरकारें और कारपोरेट पार्रटियां अपन जनसंहार कार्यक्रम व अमेरिकी युद्ध अर्थव्वयवस्धा की राजनीति के तहत तथाकथित लोकतंत्र की आड़में एकबार फिर हत्या का लाइसेंस हासिल करने के लिए चुनाव मैदान में हैं।

 

हत्.ारों और अपराधियों , बलात्कारियों और कमीशनखोरों को चुनने के लिए मजबूर हैं हम। जनप्रतिरोध की हर कोशिश का निर्मम दमन तय है। सिंगुर, नंदीग्राम, कलिंगनगर, नवी मंबई, पोलावरम, गोरखालैंड, लालगढ़, नोएडा, बरनाला, दांतेवाडा, कश्मीर और समूटा उत्तरपूर्व भारत गवाह हैं।

 

मायावती को रोकने के लिए एनडीए यूपीए गठजोड़ का किस्सा अब बेपर्दा है।

 

कम्युनिस्ट छलावा किसी से छुपा  नहीं है।

 

कम्युनिस्ट विरोधी, जनविरोधी, क्रांतिविरोधी ताकतों का जमावड़ा हे भारतीय लेफ्ट जो विश्वासघात का अनंत आख्यान है।

 

ग्लोबीकरण, निजीकरण, विनिवेश, पूंजीनिवेश और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए सत्ता पर काबिज रहने की साझा संस्कृति में आप और हम, बेरोजगारी और भुखमरी के शिकार लोग कहां खड़े हैं, इस पर विचार करना जरूरी है।

 

शेयर बाजार, बजट. योजना , कार्यक्रम, रक्षा और सुरक्षा, राष्ट्रीयता और धर्म के नाम पर मिथ्या आंकड़ों के जरिए झूठे रिसेसन के बहाने राष्ट्रीय सेसाधन पूंजीपतियों के हवाले करके हमें आत्महत्या की नियति की ओर धकेल दिया गया है। वैसे तो हम मारे जाने के लिए नियतिबद्ध हैं ही।

 

चुनाव के जरिए सिर्फ अश्व मेध यज्ञ की परंपरा और बलि की रस्म निभायी जारही है।

 

 

सरकारी नौकरियों तक सीमित आरक्षण और कोटा निजीकरण और विनिवेश के अंधड़ में खत्म।

 

 शिक्षा के निजीकरण और फीस में बबेइंतहा बढ़ोतरी के कारण उच्चशिक्षा आरक्षण के बावजूद अब सपना है।

शिक्षित हो भी गए तो क्या नौकरी नहीं मिलनी।

 

 नौकरी मिली भी तो छंटनी तय है।

 

काम के घंटे तय नहीं हैं।

 हायर और फायर नीति से रुबरू नई पीढ़ी को हालात से जूझने की राह बताने की कोई तरकीब नहीं बची।

 

आखिर उसे संबोधित कैसे करें?

 

 मोबाइल और क्ंप्यूटर के कीरण वह पढ़ने सुने की दुनिया से दूर है।

 

मनोरंजन, सेक्स और क्रिकेट, मोबाइल, फैशन, हिंग्लिश बांग्लिश , रैंप, ब्रांड, रैव पार्टी और ड्रग्स में उसकी जान

 

ठात्र युवा आंदोलन नहीं है।

 

किसान मजूर आंदोलन नहीं है।

 

सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग और मंहगाई भत्ता है।

 

कल कारखाने बंद। धंधे चौपट। घर दुआर, जमीन जायदाद, खेत गांव जनपद, मातृभाषा और नागरिकता, जल जंगल और आसमान से बेदखल लोग इंडिया शाइनिंग के शिकंजे में हैं, जहां मुद्रास्फीति शून्य से नीचे बतायी जाती है, पर भोजन, कपड़ा, चिकित्सा, शिक्षा, आवास जैसी बुनियादी जरुरते एफोर्ड नहीं कर सकता आम आदमी।

 

बेटी की शादी हो या बेटे की नौकरी, कोई परिवार चैन से नहीं हैं। किसान पर आयातित खाद, कर्ज, जैविकी बीज का बोझ हे। मजदुरों के हाथ पांव काट दिये गये हैं। विश्व भर में ग्लोबल वार्मिंग का ससर है। मौसम जलवायु बदल रहा है। पर हमारे यहां नैनो की सवारी के जरिए चुनाव लड़ रहे हैं मार्क्सवादी।

 

शत प्रतिशत विदेशी निवेश की छूट के बाद भी स्वस बैंक खाते की बातें कर रहे हैं वे लोग जिन्होंने जवानों के कफन तक बेच डाले। रक्षा सौदों में कमीशनखोरी अंध राष्ट्र वाद के जरिए बेरोकटोक जारी है।

 

ओबामा ने नई अफगान पाक नीति की घोषणा करते हुए चीन. ईरान और भारत को आतंकवाद विरोधी युद्ध में शामिल कर दिया। परमाणु समझौते पर हंगामा बरपाने वाले लोग भी चुप हैं।

 

रामराज का नारा देकर धर्म से राजनीति को जोड़कर राजपूतों को बेदखल करके ब्राह्मण बनिया राज की नींव डालने वाले बापू और अमेरिकी साम्राज्यवाद व संघ का हौआ खड़ा करके वोट हासिल करने वाले वामपंथी मूलनिवासी भारत के असली दुश्मन है।

 

संघ को राम मंदिर खलकर किसने दिया।

 

भाजपा को राष्ट्रीय  राजनीति में भष्मासुर बनाने में मरीचझांपी के मसीहा ज्योति बसु की भूमिका और वाजपेयी के साथ १९८८ में वामपंथियों की रैली अब इतिहास है। जिसकी तार्किक परिणति नरेंद्र मोदी, वरुण गांधी, बाल ठाकरे, राज ठाकरे, तोगाड़िया और माया कोडनानी के जरिए अंजाम लेती नजर आ रही है।

 

तसलिमा नसरीन प्रकरण से वामपंथियों की धर्म निरपेक्षता का भांडा फूटता है तो दोहरी  नागरिकता कानून से दलित शरणार्थी विरोधी मोर्चे में एक साथ लामबंद खड़े दीखते हैं प्रणव, आडवाणी और बुद्धदेव।

 

विनिवेश की सूची तैयार है।

 

स्टेट बैंक. कोल इंडिया. ओएनजीसी, तेल कंपनियां, सेल, जीवन बीमा निगम और बैंक, रेलवे और डाकतार सब निशाने पर है। वेतन आयोग का एरियर अभी नहीं मिला है।

 

अब सफेदफोश भुखमरी की तैयारी है।


स्विस बैंक खातों की बात हो रही है।

 

 पर भुगतान संतुलन को गड़बड़ा कर बेमतलब ऱक्षा सौदों के जरिए अमेरिका, इजराइल और रूस से हथियारों की खरीद पर हमारी निगाह नहीं है।

 

१९२९ की मंदी से उबरने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति रुजवेल्ट ने गरीबी हटाओं कार्यक्रम और गरीबों बेरोजगारों को राहत, रोजगार सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता दीथी। बाजार पर लगाम कसने के लिए सुधार लागू किए थे।

 

ओबामा भी राष््ट्रीयकरण और नियंत्रण की राह पर है। प्रोटेक्शन के जरिए देश में रोजगार ब
ढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

 

पर हमारे यहां मनमोहन और सोनिया की जोड़ी खुला बेलगाम बाजार में संसद और संविधान की हत्या करते हुए देश का सारा संसाधन न्यौछावर कर रही है।

 

चिदंबरम प्रणव, आहलूवालिया. कमलनाथ, वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक में मोजूद विश्वबैंक के पेंशनखोर और अमर्त्य सेन जैसे पूंजीपतियों के पिट्ठू और तमाम नीति निर्धारक, सरकारें, अफसरान और मीडिया, जन प्तिनिधि का नापाक दक्षिणपंथी वामपंथी और दलित पंथी भ्र्ट गठजोड़ हमारी बेमौत मौत से पहले चैन से नही बैछेगी।

 

इसलिए चुनावी महीभारत कोई भी जीते, इस कत्लगाह में हम आखिरकार मारे ही जाएंगे।

 

स्विट्जरलैंड के गुप्त बैंक खातों में भारतीयों का जो धन जमा है वह 25 लाख करोड़ से सत्तर लाख करोड़ रुपये के बीच

 

विवादास्पद बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन हाल ही में भारत आई थीं लेकिन वीजा अवधि बढ़ने के बावजूद सरकार ने उन्हें फिर देश से बाहर भेज दिया। सूत्रों का कहना है कि 46 वर्षीय तसलीमा इस माह की शुरुआत में राजधानी आई थीं। तसलीमा यहां रुक कर रेजीडेंट परमिट संबंधी औपचारिकताएं पूरी करना चाहती थीं। लेकिन, उन्हें सरकार की बेरुखी झेलनी पड़ी।

 

विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महासचिव डा. प्रवीण भाई तोड़गिया ने पीलीभीत से भाजपा प्रत्याशी वरुण गांधी को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह हिंदुओं का दमन है। तोगड़िया ने कहा कि पीलीभीत में हिंदुओं पर मुसलमानों के कारण जो अत्याचार चल रहा है उसका मुनासिब जवाब दिया जाए।

 

आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव ने 'प्रतिज्ञा' की है कि अगर आडवाणी प्रधानमंत्री बन गए तो वह






कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे।

रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव एक चुनाव सभा में बोल रहे थे। अपने चुटीले अंदाज में उन्होंने कहा कि आडवाणी कभी इस देश के पीएम नहीं बन सकते और अगर वह पीएम बन गए तो मैं कभी चुनाव नहीं लड़ूंगा।

उधर लालू के सहयोगी राम विलास पासवान ने कहा है कि हम चुनाव प्रचार के दौरान मनमोहन सिंह को पीएम बनाने के लिए वोट मांगेंगे। उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस के खिलाफ नहीं है और बिहार में एनडीए का सफाया करने के लिए खास रणनीति के तहत चुनाव लड़ रहे हैं।

लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने बिहार में अगला विधानसभा चुनाव भी लालू की पार्टी आरजेडी के साथ लड़ने की घोषणा कर दी है। दोनों पार्टियां बिहार में लोकसभा चुनाव भी मिलकर लड़ रही हैं।

 

एक न्यूज़







चैनल के लिए मार्केट रिसर्च एजेंसी नील्सन की ओर से किए गए सर्वे के मुताबिक अगले लोकसभा चुनाव के बाद यूपीए सबसे बड़ा गठबंधन बनकर उभरेगा और लेफ्ट फ्रंट को काफी नुकसान होगा। सर्वे में यूपीए को 257 , एनडीए को 184 और थर्ड फ्रंट को 96 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गई है। हालांकि यूपीए की सीटों में लालू प्रसाद यादव की आरएलडी , राम विलास पासवान की एलजेपी और समाजवादी पार्टी की सीटें भी शामिल हैं। इन पार्टियों को यूपीए की लिस्ट से निकाल दिया जाए तो वह 210 पर सिमट जाएगी।

सर्वे के अनुसार कांग्रेस 144 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी , वहीं बीजेपी 137 सीटों के साथ थोड़ा ही पीछे रहेगी। लेफ्ट फ्रंट को भारी नुकसान की भविष्यवाणी की गई है और कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा। इसके मुताबिक लेफ्ट फ्रंट को 34 सीटें और तृणमूल कांग्रेस एक सीट से बढ़कर 13 तक पहुंच जाएगी।

आपके हिसाब से यह ओपिनियन पोल कितना सटीक है ? अपनी राय बताने के लिए यहां क्लिक करें।

दक्षिण भारत में तेलुगू देशम पार्टी ( टीडीपी ) और एआईएडीएमके की स्थिति में सुधार का दावा किया गया है। तमिलनाडु की 39 सीटों में से एआईएडीएमके को 9 और डीएमके को 24 सीटें मिलेंगी। एआईएडीएमके के पास एक भी सीट नहीं थी। सर्वे में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश में टीडीपी अपनी स्थिति में सुधार करते हुए 5 से 14 के आंकड़े तक पहुंच जाएगी लेकिन प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से पीछे ही रहेगी। कांग्रेस को 22 सीटें मिलने का आकलन है।

उत्तर प्रदेश पर सबकी नजरें टिकी हैं। इस बारे में सर्वे कहता है कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी ताकत बनी रहेगी लेकिन उसकी सीटों की संख्या 36 से 30 हो जाएगी। बीएसपी को 21 सीटें मिलने की उम्मीद है , जो कि पिछली बार से 2 अधिक है। बीजेपी के साथ गठबंधन करने वाले राष्ट्रीय लोकदल को सबसे अधिक फायदा हो सकता है और उसकी सीटों की संख्या दोगुनी होकर 6 हो सकती है।

लोकसभा चुनाव में किसको कितनी सीटें मिलेंगी, अपना अनुमान बताने के लिए यहां क्लिक करें।

महाराष्ट्र में छत्रप शरद पवार का पावर कम नहीं होने जा रहा है। सर्वे में एनसीपी - आरपीआई - कांग्रेस गठबंधन को 26 और शिवसेना - बीजेपी को 22 सीटें मिलने की बात कही गई है। इसमें से एनसीपी को 13 और शिवसेना को 12 सीटें दी गई हैं। बिहार के बारे में कहा गया है कि लालू प्रसाद यादव को नुकसान होगा लकिन रामविलास पासवान को काफी फायदा होगा। सर्वे में आरजेडी को मात्र 11 सीटें दी गई हैं , जो पिछले बार मिलीं 24 सीटों की आधी भी नहीं है। एलजेपी के बारे में कहा गया है कि उसकी पार्टी के सांसदों की संख्या 4 से बढ़कर 6 हो सकती है। सर्वे के मुताबिक जेडीयू 16 सीटों के साथ बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी।

 

बॉलिवुड में बैड बॉय की छवि बना चुके ऐक्टर सलमान खान भी राजनीति के अखाड़े में उतरने को बेताब हैं। कांग्रेस के एक चुनावी सभा में सलमान खान ने कहा कि उनकी नजर में राहुल गांधी से अच्छा नेता देश में नहीं है और वह उनकी मदद के लिए राजनीति में आने को तैयार हैं। रविवार को लखनऊ से सटे उन्नाव लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अनु टंडन के प्रचार के लिए आए सलमान खान ने कहा कि राहुल गांधी देश के भविष्य हैं और वह उनके साथ काम करना ... 

 

इस साल आयशा टाकिया और अमृता अरोड़ा के बाद अब फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी भी शादी करने जा रही हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वह इस साल के अंत तक अनिवासी भारतीय उद्योगपति राज कुंद्रा से शादी कर लेंगी। डेली मेल की खबर में कहा है कि 33 वर्षीय शिल्पा परंपरागत ढंग से शादी की योजना बना रही है। वह अक्टूबर में शादी करेंगी। हालांकि इस जोड़े ने अभी तक शादी की तारीख का खुलासा नहीं किया है।

 

लम्बी दूरी तक मार करने वाली सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का एक महीने में दौरान दूसरी बार आज पोखरण में सफल परीक्षण किया गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने बताया कि मिसाइल का पूर्वाह्न 11 बजकर 15 मिनट पर सफल परीक्षण किया गया और उसने लक्ष्य को भेदने में कामयाबी हासिल की।

 



मुद्रास्फीति में लगातार गिरावट के बीच प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने शनिवार को कहा कि ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश है। उन्होंने उद्योग जगत को उसकी ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने का आश्वासन दिया है ताकि घरेलू अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंदी का मुकाबला करने में सक्षम बनाया जा सके।

 

भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा दो अप्रैल को एक-दूसरे से होने वाली पहली मुलाकात के दौरान पाकिस्तान के चिंताजनक हालात पर बातचीत करेंगे।

सूत्रों के मुताबिक ओबामा प्रशासन की चिंता का प्रमुख केन्द्र बने पाकिस्तान के मौजूदा हालात के मद्देनजर जी-20 शिखर सम्मेलन के मौके पर मनमोहन और ओबामा की बातचीत बहुत महत्वपूर्ण होगी।

ओबामा ने पिछले शुक्रवार को अफगान पाक नीति का खुलासा करते हुए स्पष्ट किया था कि पाकिस्तान को अपनी सीमा में फल फूल रहे अलकायदा तथा अन्य आतंकवादी संगठनों को जड़ से खत्म करने की प्रतिबद्धता दिखाना होगी।

अगले सप्ताह जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए जाने से पहले सिंह ने शनिवार को प्रमुख उद्योगपतियों के साथ मुलाकात की। बैठक में उन्होंने कहा कि पर्याप्त नकदी और निम्न मुद्रास्फीति के साथ ब्याज दरों में और कमी की गुंजाइश है। उत्पादक आवश्यकताओं के लिए घरेलू ऋण की आपूर्ति निश्चित रूप से उचित लागत पर करनी होगी।

आर्थिक प्रोत्साहन पैकेजों के बाद आर्थिक स्थिति की समीक्षा करते हुए सिंह ने कहा कि इस्पात तथा सीमेंट जैसे क्षेत्रों में सुधार का संकेत है। सामान और सेवाओं के लिए ग्रामीण माँग बढ़ी है और कृषि क्षेत्र का परिदृश्य भी उम्मीद जगाने वाला है।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बैंकों ने इस साल तुलनात्मक रूप से अधिक ऋण दिया है, लेकिन निजी तथा विदेशी बैंकों द्वारा उधारी में कमी आई है।

आर्थिक गिरावट के रोजगार पर असर के बारे में उन्होंने कहा कि हमें आर्थिक गिरावट के कारण रोजगार छिनने की चुनौती से निपटना ही होगा।

सिंह ने कहा कि विश्व भारत की ओर सम्मान तथा उम्मीद के साथ देखता है। सम्मान हमारे संशोधित सुधारों के लिए, जिसका परिणाम न्याय के साथ विकास के रूप में आया और उम्मीद यह कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए विकास का काम करेगा।

उद्योग जगत के दिग्गजों ने कहा कि भारत को वैश्विक संरक्षणवाद का मजबूती से विरोध करना चाहिए। इसके अलावा चीन द्वारा भारत में उत्पादों की डंपिंग का मुद्दा भी बैठक में उठा। भारत, ब्राजील तथा चीन चाहते हैं कि आर्थिक संकट के बाद नई वैश्विक वित्तीय प्रणाली में उनका अधिक दखल हो।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह अहलूवालिया तथा कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर भी बैठक में मौजूद थे।

बैठक में टाटा समूह के प्रमुख रतन टाटा, आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला, आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी केवी कामत, एस्सार समूह के प्रमुख शशि रूइया और फिक्की के अध्यक्ष हर्षपति सिंघानिया उपस्थित थे।

इसके अलावा देश के अन्य प्रमुख उद्योगपति एवं एसोचैम के अध्यक्ष सज्जन जिंदल, गोयनका समूह के आरपी गोयनका, गोदरेज समूह के आदि गादरेज, हीरो समूह के सुनील कांत मुंजाल, भारत फोर्ज के बाबा कल्याणी और सीआईआई के मुख्य संरक्षक तरुण दास भी शामिल थे।

सीआईआई के अध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन ने कहा कि अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में सुधार नजर आ रहा है, जबकि विनिर्माण तथा लघु एवं कुटीर उद्योग आदि क्षेत्र अब भी 'गंभीर संकट' में हैं। फिक्की के अध्यक्ष हर्षपति सिंघानिया ने कहा कि घरेलू विकास दर को बनाए रखने के लिए काफी कुछ करना

 

थर्ड फ्रंट को मजबूत करने में जुटा लेफ्ट फ्रंट केरल में अपने ही फ्र



ंट को संभालने में लगा है। राज्य में सीपीएम का अब्दुल नसीर मदनी की पार्टी पीडीपी से गठजोड़ के फलस्वरूप उठा तूफान थम नहीं रहा। इस गठबंधन को लेकर सीपीएम के मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन और पार्टी के स्टेट सेक्रटरी पी. विजयन के बीच तलवारें खिंची हैं। दोनों नेता चुनाव प्रचार में एक मंच पर आने से कतरा रहे हैं। राज्य में सीपीएम दो धड़ों में बंटा दिखाई दे रहा है।

कोयंबटूर ब्लास्ट के मामले में घेरे में आए पीपल्स डिमॉक्रटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख मदनी और उनकी पत्नी सूफिया मदनी के आतंकवादी तत्वों के साथ संपर्क में रहने को आ रही खबरों के कारण मुख्यमंत्री अच्युतानंदन ने साफ कह दिया है कि मदनी को पूरी तरह से क्लीन चिट नहीं दी जा सकती। लेफ्ट फ्रंट के दूसरे मजबूत घटक सीपीआई ने इस गठबंधन को स्वीकार नहीं किया है।

सीपीआई शुरू से ही मदनी को अतिवादियों के साथ लिंक होने की बात कहकर पीडीपी से दूरी बनाने की नीति पर चलता रहा है। अब जब कि सीपीएम ने पीडीपी से हाथ मिलाया है तो वह उसे कबूल नहीं है। यही वजह है कि लेफ्ट फ्रंट के संयुक्त चुनावी अभियान को लेकर दिक्कतें आ रही हैं।

पार्टी के राज्य सचिव विजयन का कहना है कि मदनी के विचारों में सुधार हो गया है। अब वे अतिवादी विचारों के नहीं हैं, जबकि मुख्यमंत्री अच्युतनांदन यह कहने को तैयार नहीं है कि मदनी पूरी तरह से पाक हैं। उनका कहना है कि इस बारे में जांच पूरी होने पर ही कुछ स्पष्ट कहा जा सकता है। राज्य के गृह मंत्री के. बालकृष्णन विरोधी बयान आया है कि मदनी पर आतंकवादियों से संबद्ध होने को लेकर जो आरोप लगाए गए हैं वे पुराने हैं।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि पीडीपी से हाथ मिलाकर राज्य में मुस्लिम लीग के वोट बैंक को भेदा जा सकता है। कांग्रेस -मुस्लिम लीग गठबंधन को कमजोर करने में सीपीएम पीडीपी को एक तुरुप मान कर चल रहा है जबकि कांग्रेस गठबंधन यूडीएफ लेफ्ट फ्रंट के बीच आई दरार का पूरा फायदा उठा रहा है। उसका चुनाव प्रचार का मुख्य आधार ही मदनी और आतंकवाद हो गया है। अभी तक लेफ्ट फ्रंट मुस्लिम लीग का लेकर सांप्रदायिक पार्टी होने का आरोप लगाता रहा है। लेकिन अब लेफ्ट बैक फुट पर नजर आ रहा है।

सीपीआई का कहना है कि पीडीपी से हाथ मिलाकर विचारों और नीतियों के साथ समझौता किया गया है। लेफ्ट फ्रंट के एक और घटक आरएसपी ने भी पीडीपी से गठजोड़ पर नाराजगी जाहिर की है।




290 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस की इस ब्लाक 2 मिसाइल का यह तीसरा परीक्षण था। परीक्षण के दौरान सेना के सैन्य अभियानों के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एएस सेखों, आर्टिलरी स्कूल के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल राव और अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल वीके तिवारी भी मौजूद थे।

सैन्य इस्तेमाल के लिए विकसित की गई इस मिसाइल के ताजातरीन रूप के परीक्षण के दौरान डीआरडीओ के प्रमुख नियंत्रक ए. शिवथानु भी उपस्थित थे। अधिकारियों ने बताया कि आज परीक्षण के बाद इस प्रक्षेपास्त्र के ब्लाक 2 स्वरूप के विकास का चरण समाप्त हो गया है और यह मिसाइल सेना के शस्त्रागार में शामिल होने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि परीक्षण अपने उद्देश्यों की कसौटी पर खरा उतरा।

इस मिसाइल का तीसरी बार परीक्षण ऐसे वक्त किया गया है जब सेना के गत चार मार्च को हुए इस प्रक्षेपास्त्र के पिछले परीक्षण के विश्लेषण का नतीजा आना बाकी है। इस साल 20 जनवरी को हुए पहले परीक्षण में यह मिसाइल तकनीकी खामी की वजह से लक्ष्य को भेदने में नाकाम रही थी। मिसाइल प्रक्षेपण की शुरुआत तो सफल थी लेकिन बाद में वह राह भटककर लक्ष्य से काफी दूर गिर गई थी।

सूत्रों ने कहा कि मिसाइल के पिछले परीक्षण से पहले प्रक्षेपास्त्र की खामियों को दूर कर लिया गया था और वह 90 किलोमीटर दूर के लक्ष्य को भेदने में कामयाब रही थी। उन्होंने कहा कि ब्लाक 2 मिसाइलों में इस्तेमाल की गई अनूठी तकनीक ने उन्हें औरों से अलग बना दिया है और इससे सेना को इमारतों के बीच छोटे लक्ष्यों को भी भेदने में मदद मिलेगी।

एक अधिकारी ने दावा किया यह नई मिसाइल अनूठी है और इससे हमें अपने लक्ष्यों को भेदने में मदद मिलेगी। भारत इस आधुनिक तकनीक से लैस एकमात्र देश बन गया है। डीआरडीओ के अधिकारियों ने बताया कि सेना द्वारा माँगी गई 240 ब्रह्मोस मिसाइलों की आपूर्ति अगले दो वर्षों में शुरू कर दी जाएगी। सेना ब्लाक 1 मिसाइल की एक रेजीमेंट को अपने शस्त्रागार में पहले ही शामिल कर चुकी है। ब्रह्मोस भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम वाली कम्पनी है।

 

 













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भाजपा नेता वरुण गाँधी पर रासुका





उत्तरप्रदेश सरकार ने रविवार को पीलीभीत संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी वरुण गाँधी पर सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने और शांति को खतरा पैदा करने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगा दिया। इसकसावरुखिलापीलीभीमेदर्प्राथमिकमेहत्या का प्रयास, दंगा फैलाने की कोशिश और अन्य आरोप लगाए गए हैं।

अतिरिक्त कैबिनेट सचिव विजय शंकर पांडेय देर रात बताया कि पीलीभीत के जिलाधिकारी अजय चौहान की रिपोर्ट के आधार पर वरुण गाँधी के खिलाफ रासुका लगाते हुए वरुण को आदेश की प्रति भी तामील कर दी गई है। पांडेय ने बताया कि वरुण गाँधी पर रासुका तामील करने का आदेश राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 की धारा 3 (2) के तहत निर्गत किया गया है।

राज्य सरकार द्वारा आज वरुण पर लगाए गए रासुका के प्रावधानों के चलते वह कम से कम छह महीने तक जमानत हासिल नहीं कर पाएँगे और उन्हें जेल में ही रहना पड़ेगा। उन्हें वहीं से अपना लोकसभा चुनाव लड़ना पड़ेगा।

पांडेय ने बताया कि तीन कारणों से राज्य सरकार ने वरुण पर रासुका लगाए जाने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि वरुण द्वारा गत सात मार्च को पीलीभीत जिले के डालगंज एवं आठ मार्च को बरखेड़ा क्षेत्र में उत्तेजक एवं भड़काऊ भाषण देकर सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने के आरोप की पुष्टि हो गई है।

पांडेय ने बताया कि 28 मार्च को पुलिस अधीक्षक को दिए अपने पूर्वसूचित कार्यक्रम के विपरीत वरुण ने सुनियोजित ढंग से अपने मार्ग और समय को बदल दिया, जिससे लोक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

 सत्यम कम्प्यूटर में करोड़ों रुपए के घोटाले की जाँच कर रही सीबीआई कंपनी के संस्थापक चेयरमैन बी. रामलिंगा राजू तथा अन्य के खिलाफ जल्द ही आरोप पत्र दाखिल कर सकती है।

सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) अपनी जाँच पूरी करने के करीब पहुँच गया है और आरोपी को हिरासत में लिए जाने की 90 दिन की अवधि पूरी होने से पहले अप्रैल के पहले सप्ताह में आरोप पत्र दाखिल कर सकती है।


उल्लेखनीय है कि आरोपी को हिरासत में लिए जाने के 90 दिन के भीतर आरोप पत्र दाखिल करना अनिवार्य होता है। सूत्रों ने बताया कि एजेंसी मामले में दूसरे देशों की सरकारों से सहयोग के लिए अनुरोध पत्र भी तैयार कर रही है।

उनसे राजू के अलावा उसके परिजनों की ओर से किए गए वित्तीय लेन-देन के बारे में सूचना माँगी जाएगी। सीबीआई ने जाँच के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों की सहायता ली है।

उद्योगपति तथा टाटा सन्स के चेयरमैन रतन टाटा को प्रतिष्ठित सर जहांगीर गांधी पदक से सम्मानित किया गया है।

टाटा की अनुपस्थिति में उनकी ओर से टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक बी. मुत्थुरमण ने यह पदक स्वीकार


किया। देश के शीर्ष बिजनेस स्कूलों में शुमार प्रबंधन संस्थान जेवियर


लेबर रिलेशंस इंस्टीट्यूट के 53वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन ओपी भट्ट ने मुत्थुरमण को पदक और प्रशस्ति पत्र सौंपा। सामाजिक और औद्योगिक शांति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की ओर से दिए जाने वाले इस पदक की शुरूआत वर्ष 1965 में की गई थी। इसे पाने वालों की सूची में मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी, जेआरडी टाटा, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीएन भगवती, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीएन संगमा, प्रख्यात न्यायविद् एनए पालखीवाला तथा पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु आदि के नाम शामिल हैं।


 


टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनियों के शेयरों में इस माह अब तक बेहतरीन लाभ दर्ज हुआ। यह लाभ सेंसेक्स में कुल मजबूती की तुलना में लगभग दोगुना है।


 


तीस शेयर आधारित सेंसेक्स में शुक्रवार तक एक माह में 13 प्रतिशत की मजबूती दर्ज की गई। वहीं विश्लेषण से पता चलता है कि इस दौरान टाटा ग्रुप की चार कंपनियों का औसत लाभ इस दौरान 26 प्रतिशत से अधिक रहा। इन कंपनियों में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज, टाटा मोटर्स, टाटा कम्युनिकेशंस तथा टाटा स्टील है।


 


एक ब्रोकरेज फर्म के विश्लेषक ने कहा, टाटा ग्रुप के शेयरों में चमक लौट रही है। नैनो के बाजार में आने की संभावना ने विशेषकर टाटा मोटर्स के शेयरों में तेजी आई।


 


टाटा कम्युनिकेशंस के शेयरों में 27 मार्च को समाप्त एक माह के दौरान 33 प्रतिशत की मजबूती आई। विश्लेषकों का कहना है कि टाटा टेलीसर्विसेज ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी दोकोमो को बेची है जिसकच् अच्छा असर कीमतों पर रहा।


 


महंगाई दर मेï कमी और विदेश मेï तेजी के सकारात्मक संकेतोï के बीच निवेशकोï का बाजार पर भरोसा लौटता दिख रहा है। इस वजह से घरेलू शेयर बाजार एक बार फिर मजबूत हो रहा है। पिछले तीन हफ्ते से लगातार दौड़ लगा रही दलाल स्ट्रीट मेï इस सप्ताह भी तेजी बने रहने के आसार अधिक हैं।

 

मंदी के चलते भले ही ग्लोबल स्तर पर नौकरियों पर संकट बरकरार है, लेकिन अधिकतर घरेलू कंपनियां ऐसे वक्त में परंपराओं को सहेजने में खुद को ज्यादा सहज महसूस कर रही हैं। आर्थिक मंदी की वजह से भले ही नौकरियों पर संकट मंडराता दिख रहा है लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी से परहेज कर रही हैं और बैंकिंग तथा वित्त जैसे कुछ क्षेत्रों में नए रोजगार के अवसर अब भी बने हुए हैं।

 


देशी व विदेशी संस्थागत निवेशकों [एफआईआई] की लिवाली के सहारे घरेलू बाजार मेï लगातार तीसरे सप्ताह भी तेजी बरकरार रही। 27 मार्च को समाप्त सप्ताह के आखिरी सत्र मेï बंबई शेयर बाजार [बीएसई] का सेïसेक्स 10 हजार का स्तर पार कर 10048.49 अंक पर बंद हुआ। यह इसका पिछले 14 सप्ताह का उच्चतम स्तर है। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सेïसेक्स मेï 1081.81 अंकों की तेजी आई। यह इस साल की सबसे बड़ी साप्ताहिक मजबूती है। इसी तरह नेशनल स्टाक एक्सचेïज का निफ्टी भी बीते हफ्ते 301.60 अंक सुधरकर सप्ताहांत को 3108.65 पर बंद हुआ।


 


विश्लेषकों के मुताबिक बाजार के मौजूदा लक्षण तेजी की ओर इशारा करते हैं। हालांकि बाजार विश्लेषकों को शेयर बाजार मेï आई तेजी का कोई ठोस कारण नजर नहीï आ रहा है। उनमेï इस बात को लेकर आम राय नहीï है कि यह तेजी अर्थव्यवस्था मेï सुधार की उम्मीद से है या फिर महज बनावटी है। आम चुनाव नजदीक हैï। माहौल अनिश्चितता का है। आगे सरकार की रणनीति पर कोई स्पष्ट संकेत नहीï दिखाई पड़ रहे हैं। ऐसे मेï बाजार मेï तेजी अस्वाभाविक लग रही है। हालांकि विशेषज्ञों की मानेï तो यह मजबूती मार्च के आखिर तक बनी रह सकती है।


 

उद्योग एवं वाणिज्य मंडल एसोचैम से संबद्ध कंपनियों के मानव संसाधन पेशेवरों के बीच कराए गए एक सर्वेक्षण में यह दिलचस्प नतीजे सामने आए है। इस रिपोर्ट के अनुसार लगभग 90 फीसदी मानव संसाधन पेशेवर नौकरियों में कटौती की धारणा को खारिज करते हुए खर्च घटाने के नए तरीके आजमाने के पक्षधर हैं। उनका कहना है कि मंदी के इस दौर में अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में नौकरी छोड़कर जाने वाले कर्मचारियों की संख्या बेहद कम हो गई है जिसकी वजह से उन्होंने छंटनी रोक दी है, हालांकि बैंकिंग, वित्त और ज्ञान आधारित क्षेत्रों में नई नौकरियों के अवसर अब भी बने हुए है। उनक राय में इन क्षेत्रों की हालत सुधरने और मांग बढ़ने के कारण अब भी नए रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। इसके अलावा इस्पात और सीमेंट क्षेत्र में भी नौकरियां बढ़ने की संभावना है लेकिन अभी संबंधित कंपनियां स्थिति में हो रहे सुधार में मजबूती आने की राह देख रही हैं।

 

मानव संसाधन पेशेवरों ने कर्मचारियों की छंटनी करने की जगह अपनी कंपनियों को कर्मचारियों के वेतन में पांच से लेकर 35 फीसदी तक की कटौती करने की भी सलाह दी है।

 

अपने देश में आमतौर पर तब तक किसी का निवाला छीनने से परहेज बरता जाता है, जब तक पानी सिर के ऊपर नहीं निकलता। नफा-नुकसान के गुणा-भाग में लगीं रहने वालीं कंपनियों ने भी ग्लोबल मंदी के इस दौर में इसी भावना का परिचय दिया है। देश के प्रमुख उद्योग संगठन एसोचैम के एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि आम धारणा के उलट निजी कंपनियों ने अपने कर्मियों की छंटनी पर करीब-करीब ब्रेक लगा दिया है।

 

खास बात यह है कि इस दौर में भी बैंकिंग व वित्ता जैसे क्षेत्रों में नए रोजगार के मौके पैदा हो रहे हैं। यह सर्वे एसोचैम से संबद्ध मानव संसाधन [एचआर] पेशेवरों के बीच कराया गया। इसमें कहा गया है कि छंटनी के बजाय कंपनियां अब अपने ही खर्चो में कटौती के उपाय कर रही हैं। इसके तहत वह कर्मचारियों को दिए जाने वाले बोनस व अन्य सुविधाओं पर रोक के अलावा बिजली, यात्रा और स्टेशनरी पर खर्च में कमी का सहारा ले रही हैं।

 

रिपोर्ट के अनुसार करीब 90 फीसदी एचआर पेशेवर छंटनी के बजाय खर्च घटाने के नए तरीके आजमाने के पक्ष में हैं। इनमें कर्मचारियों के वेतन में 5 से 35 फीसदी तक की कटौती करने की सलाह भी शामिल है। कई कंपनियों के मैनेजमेंट ने मध्यम दर्जे के कर्मियों के वेतन में 10 से 15 और उच्च अधिकारियों के वेतन में 25 से 35 फीसदी तक की कमी की है। वहीं निचले स्तर के कर्मचारियों के वेतन में 5 से 7 फीसदी की मामूली कटौती की गई है।

 

खर्च घटाने के अन्य तरीकों में बिजली बिल में कटौती, स्टेशनरी के दुरुपयोग पर रोक, यात्रा भत्ताों में कमी व जनरेटर का बेहद जरूरी इस्तेमाल जैसे उपाय भी शामिल हैं।

 

खर्चे घटाने के नए तरीके आजमाने का एक कारण यह भी है कि मंदी के इस दौर में अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में नौकरी छोड़कर जाने वाले कर्मचारियों की संख्या बेहद कम हो गई है। बैंकिंग, वित्ता व ज्ञान आधारित क्षेत्रों की हालत सुधरने और मांग बढ़ने के कारण यहां अब भी नए रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। साथ ही स्टील व सीमेंट क्षेत्र में भी नौकरियां बढ़ने की संभावना है, लेकिन अभी संबंधित कंपनियां स्थिति में हो रहे सुधार के मजबूत होने की राह देख रही हैं।


इस सर्वे में शामिल करीब 100 एचआर पेशेवरों ने एक और खुलासा किया। उनके मुताबिक छंटनी न करने का आश्वासन मिलने पर कर्मचारी यूनियनें भी सालाना भत्ताों में कटौती जैसे कदमों पर मैनेजमेंट को समर्थन दे रही हैं। वैसे करीब 20 फीसदी एचआर पेशेवरों के मुताबिक मंदी के इस दौर में भी कुछ कंपनियों ने वेतन में कटौती के साथ ही भत्ताों व अन्य सुविधाओं में कमी करने जैसे उपायों को लागू नहीं किया है।

 

रिपोर्ट जारी करते हुए एसोचैम के अध्यक्ष सज्जन जिंदल ने कहा कि मई 2010 तक अर्थव्यवस्था के फिर से पटरी पर लौटने की उम्मीद है। उसी समय निजी क्षेत्र की कंपनियां अपने कारोबार में तेजी के लिए निवेश करना शुरू करेंगी।

 


अमेरिकी केïद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा वित्तीय प्रणाली मेï भारी-भरकम रकम झोंकने का सकारात्मक असर विश्व भर के शेयर बाजारों मेï देखने को मिला है। समीक्षाधीन सप्ताह के पहले दिन ही शुरूआत अच्छी रही। महंगाई की दर 14 मार्च को समाप्त सप्ताह मेï घटकर 0.27 फीसदी यानी शून्य के करीब पहुंचने और रिजर्व बैïक द्वारा कुछ नए मौद्रिक उपायों की उम्मीद और अल्पकालिक सौदों के निपटान के बीच विदेशी बजारोï से बेहतर संकेत भी मिले।


 


रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव द्वारादेश की अर्थव्यवस्था के मुद्रासंकुचन यानी डिफ्लेशन के कुचक्र मेï नहीï फंसने का भरोसा देने का असर भी बाजार पर दिखा। नई फसल व त्यौहारों के आगमन के उत्साह ने भी सेïसेक्स की रफ्तार पर असर डाला। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान मेटल, बैïकिंग, एफएमसीजी, कैपिटल गुड्स, रीयल एस्टेट और तेल व गैस कंपनियोï के शेयरों मेï लगातार तेजी देखी गई। इसके चलते बाजार को ठोस जमीन मिली। सोमवार को सत्र की शुरुआत मेï सेसेïक्स 457 अंक की तेजी के साथ खुलते हुए सभी पांचोï कारोबारी दिनोï मेï ऊपर बना रहा। इस अवधि मेï देश की टाप-10 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण मेï बीते हफ्ते 91 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस बढ़त मेï अकेले मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज का हिस्सा 32 हजार 963 करोड़ रुपये रहा।



सोनिया व राहुल के खिलाफ प्रत्याशी न उतारने के कर्ज को कांग्रेस चुनावी रणभूमि में ही उतार देगी। कांग्रेस सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव व अखिलेश सिंह यादव के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारेगी।  

 


विवादास्पद बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन हाल ही में भारत आई थीं लेकिन वीजा अवधि बढ़ने के बावजूद सरकार ने उन्हें फिर देश से बाहर भेज दिया।

 


सूत्रों का कहना है कि 46 वर्षीय तसलीमा इस माह की शुरुआत में राजधानी आई थीं। तसलीमा यहां रुक कर रेजीडेंट परमिट संबंधी औपचारिकताएं पूरी करना चाहती थीं। लेकिन, उन्हें सरकार की बेरुखी झेलनी पड़ी। तसलीमा को बताया गया कि आम चुनाव घोषित होने के कारण भारत में स्थायी नागरिकता संबंधी उनके आवेदन पर अब नई सरकार ही कोई फैसला करेगी।


 


'लज्जा' उपन्यास से सुर्खियों में आईं तसलीमा इस्लामी कंट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। सूत्रों ने बताया कि तसलीमा का वीजा 17 फरवरी तक वैध था, जिसे अब 16 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है। वीजा बढ़ने के बाद ही वह भारत आई थीं लेकिन एक सप्ताह बाद ही उन्हें वापस जाना पड़ा।


 


उल्लेखनीय है कि इससे पहले पिछले साल भी तसलीमा करीब एक महीने तक राजधानी में किसी गुप्त ठिकाने पर रुकी थीं। इस दौरान उन्हें किसी से भी मिलने नहीं दिया गया था। बाद में वह 18 मार्च को स्वीडन चली गई थीं।


 


वरुण गांधी के विवादित बयानों से पूरी दूरी कायम रखते हुए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि वरुण पर लग रहे आरोप अभी तक प्रमाणित नहीं हुए हैं।


 


उन्होंने कहा कि पार्टी पहले ही उनके कथित बयानों से अपने को अलग कर चुकी है। हालांकि आडवाणी ने वरुण को टिकट न देने की चुनाव आयोग की सलाह पर आश्चर्य जताया और कहा कि 60 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब आयोग ने इस तरह की बात कही है।


 


रविवार को आडवाणी की विशेष पत्रकार वार्ता का विषय तो विदेशी बैंकों में जमा धन था, लेकिन उन्होंने वरुण के मामले पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट की। आडवाणी ने वरुण की उम्मीदवारी पर साफ किया कि इस बारे में पार्टी ने कानून और संविधान के अनुरूप एकदम सही रवैया अपनाया है।


 


उन्होंने कहा कि जिस सीडी के आधार पर आयोग ने पार्टी को वरुण को उम्मीदवार न बनाने की सलाह दी है, वह सही है या गलत यह प्रमाणित नहीं हुआ है। वरुण का कहना है कि सीडी के साथ छेड़छाड़ हुई है।


 


आडवाणी ने कहा कि आयोग की सलाह को ठुकरा कर पार्टी ने सही रुख अपनाया है और उम्मीद है कि सरकार भी ऐसा करेगी। साथ ही, आडवाणी ने यह उम्मीद भी जताई कि पार्टी के सभी उम्मीदवार अपनी बात कहने में संयम बरतेंगे और चुनावी माहौल में शांति बनी रहेगी।


 


इधर, भाजपा सूत्रों ने भी आगे की रणनीति साफ करते हुए कहा है कि पार्टी चाहती है कि वरुण का मामला अब शांत हो। भाजपा इसे और आगे नहीं बढ़ाना चाहती है। वह चाहती है कि वरुण अब अपने चुनाव पर ध्यान केंद्रित करें।


 


रही बात जेल व जमानत की, तो इस बारे में फैसला अदालत को करना है। पार्टी का मानना है कि वरुण प्रकरण से यह लाभ तो हुआ ही कि अयोध्या आंदोलन के दौरान सक्रिय रहे लोगों में जोश आ गया है।


 


 


भाजपा के चुनावी एजेंडे पर स्विट्जरलैंड के बैंकों में जमा अकूत धन भी आ गया है। इस धन के खुलासे के मामले में संप्रग सरकार की चुप्पी पर पार्टी ने तमाम सवाल खड़े किए हैं और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधा है।


 


इस अभियान की कमान पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने खुद संभाली है। उन्होंने कहा कि स्विट्जरलैंड के गुप्त बैंक खातों में भारतीयों का जो धन जमा है वह 25 लाख करोड़ से सत्तर लाख करोड़ रुपये के बीच है।


 


चुनाव प्रचार अभियान में जनता के बीच जाकर संप्रग के खिलाफ जनमत बनाने में जुटे आडवाणी रविवार को पार्टी मुख्यालय में मीडिया से मुखातिब हुए। विशेष एजेंडे के साथ आए आडवाणी ने दो अप्रैल को जी-20 के शिखर सम्मेलन में भाग लेने लंदन जा रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा है कि वह अमेरिका व अन्य यूरोपीय देशों की तरह स्विस बैंक में जमा भारतीयों का गुप्त धन भारत लाने का प्रयास करें।


इस मामले पर एक साल से प्रधानमंत्री की चुप्पी पर आडवाणी ने कई सवाल खड़े किए। आडवाणी ने साल भर पहले प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर यह मामला उठाया था। उस पत्र में जर्मनी के लीशटेंस्टीन में एसजीटी बैंक में 100 भारतीयों के खाते के नाम हासिल करने को कहा गया था। इस पर तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम का जवाब टालमटोल भरा रहा था।


 


आडवाणी ने कहा कि विदेशों में गुप्त रूप से जमा भारी धन कर चोरी, आपराधिक कृत्य व राजनीतिक घूसखोरी का है। यह धनराशि देश पर विदेशी कर्ज के तीन से दस गुने के बराबर और देश के सकल घरेलू उत्पाद का पचास से 120 फीसदी तक है। सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह इस रकम को देश में लेकर आए। आडवाणी ने कहा कि राजग सत्ता में आया तो यह पैसा भारत लाया जाएगा।


 


इस मामले पर जनमत बनाने के लिए भाजपा अभियान चलाएगी। आडवाणी ने कहा कि पार्टी के स्थापना दिवस, यानी छह अप्रैल से देश भर में व्यापक अभियान चलाया जाएगा।


 


भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर विदेशों में धन जमा कराने वाले लोगों के नाम उजागर करने को कहेंगे। पार्टी ने इस अभियान के लिए एक चार सदस्यीय कार्यबल भी गठित किया है। इसमें एस गुरुमूर्ति, आर वैद्यनाथन, महेश जेठमलानी व अजीत डोभाल शामिल हैं।


 


मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान पर विश्व समुदाय का दबाव बढ़वाने में जुटे भारत के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की बहुप्रतीक्षित अफगान-पाक नीति काफी उपयोगी साबित हो सकती है।


 


शुक्रवार को वाशिंगटन में सार्वजनिक की गई इस नीति में ओबामा ने पाक और अफगानिस्तान में मौजूद आतंक के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट करने का इरादा जताया है। भारतीय कूटनीतिकारों का दावा है कि अमेरिका के इस कदम से नई दिल्ली का आगे का काम आसान होगा।


 


अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ जंगी मुहिम छेड़ने के करीब आठ साल बाद बनाई गई इस अहम नीति को लेकर अमेरिका कितना गंभीर है, इसके संकेत भी भारत को मिलने लगे हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए विशेष अमेरिकी दूत रिचर्ड होलब्रूक विश्व समुदाय को एकजुट करने की कोशिश के तौर पर तमाम देशों की यात्रा अगले हफ्ते से शुरू कर रहे हैं।


इस सिलसिले में सात अप्रैल को वह नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। यहां वह विदेश सचिव शिवशंकर मेनन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन से मंत्रणा करेंगे। मकसद है अफगानिस्तान और पाकिस्तान की जमीन से बढ़ रहे आतंक को खत्म करना।


जाहिर है, मुंबई के हमलावरों को सजा दिलाने और उनके संगठनों को ध्वस्त कराने में जुटे भारत के लिए यह एक अच्छा मौका होगा। भारतीय कूटनीतिकारों की सोच है कि अमेरिकी नीति के खुलासे के बाद पाकिस्तान को भारत के इस आरोप से पल्ला झाड़ने में भी मुश्किल होगी कि लश्कर व जमात-उद-दावा जैसे आतंकी संगठनों की वह शरणगाह बन चुका है। ओबामा की अफगान-पाकिस्तान नीति में यह साफ कहा जा चुका है कि हर आतंक की जड़ पाक की जमीन में ही है।


हालांकि ओबामा ने ऐसा कहते हुए अलकायदा व तालिबान का नाम लिया था, लेकिन भारत को इससे लश्कर का पाक से रिश्ता साबित करने में भी मदद मिलेगी। साउथ ब्लाक के रणनीतिकारों की सोच है कि किसी भी आतंकी संगठन की शरणगाह होने से इस्लामाबाद का इनकार उसे अमेरिका और विश्व समुदाय के सामने दोषी साबित करने के लिए ठोस आधार बन जाएगा, क्योंकि पाक के इस रुख पर अमेरिका यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि इस्लामाबाद आतंकवाद के सफाए में विश्व बिरादरी का सहयोग नहीं करना चाहता है।


ओबामा ने यह संकेत दे भी दिए हैं। नीति के खुलासे के वक्त उन्होंने साफ कह दिया कि पाक सरकार के सहयोग की अपेक्षा अमेरिका को खास तौर पर है। ओबामा का यह कहना भी काफी अहम माना जा रहा है कि 'परमाणु हथियारों से लैस भारत और पाक के बीच तनाव बढ़ना किसी के हित में नहीं है।' जाहिर है ऐसे में अमेरिका पाक को ऐसी कोई हरकत नहीं करने देगा जिससे दक्षिण एशिया के दोनों मुल्कों के बीच तनाव बढ़े।



एक न्यूज़








चैनल के लिए मार्केट रिसर्च एजेंसी नील्सन की ओर से किए गए सर्वे के मुताबिक अगले लोकसभा चुनाव के बाद यूपीए सबसे बड़ा गठबंधन बनकर उभरेगा और लेफ्ट फ्रंट को काफी नुकसान होगा। सर्वे में यूपीए को 257 , एनडीए को 184 और थर्ड फ्रंट को 96 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गई है। हालांकि यूपीए की सीटों में लालू प्रसाद यादव की आरएलडी , राम विलास पासवान की एलजेपी और समाजवादी पार्टी की सीटें भी शामिल हैं। इन पार्टियों को यूपीए की लिस्ट से निकाल दिया जाए तो वह 210 पर सिमट जाएगी।

सर्वे के अनुसार कांग्रेस 144 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी , वहीं बीजेपी 137 सीटों के साथ थोड़ा ही पीछे रहेगी। लेफ्ट फ्रंट को भारी नुकसान की भविष्यवाणी की गई है और कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा। इसके मुताबिक लेफ्ट फ्रंट को 34 सीटें और तृणमूल कांग्रेस एक सीट से बढ़कर 13 तक पहुंच जाएगी।

आपके हिसाब से यह ओपिनियन पोल कितना सटीक है ? अपनी राय बताने के लिए यहां क्लिक करें।

दक्षिण भारत में तेलुगू देशम पार्टी ( टीडीपी ) और एआईएडीएमके की स्थिति में सुधार का दावा किया गया है। तमिलनाडु की 39 सीटों में से एआईएडीएमके को 9 और डीएमके को 24 सीटें मिलेंगी। एआईएडीएमके के पास एक भी सीट नहीं थी। सर्वे में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश में टीडीपी अपनी स्थिति में सुधार करते हुए 5 से 14 के आंकड़े तक पहुंच जाएगी लेकिन प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से पीछे ही रहेगी। कांग्रेस को 22 सीटें मिलने का आकलन है।

उत्तर प्रदेश पर सबकी नजरें टिकी हैं। इस बारे में सर्वे कहता है कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी ताकत बनी रहेगी लेकिन उसकी सीटों की संख्या 36 से 30 हो जाएगी। बीएसपी को 21 सीटें मिलने की उम्मीद है , जो कि पिछली बार से 2 अधिक है। बीजेपी के साथ गठबंधन करने वाले राष्ट्रीय लोकदल को सबसे अधिक फायदा हो सकता है और उसकी सीटों की संख्या दोगुनी होकर 6 हो सकती है।

लोकसभा चुनाव में किसको कितनी सीटें मिलेंगी, अपना अनुमान बताने के लिए यहां क्लिक करें।

महाराष्ट्र में छत्रप शरद पवार का पावर कम नहीं होने जा रहा है। सर्वे में एनसीपी - आरपीआई - कांग्रेस गठबंधन को 26 और शिवसेना - बीजेपी को 22 सीटें मिलने की बात कही गई है। इसमें से एनसीपी को 13 और शिवसेना को 12 सीटें दी गई हैं। बिहार के बारे में कहा गया है कि लालू प्रसाद यादव को नुकसान होगा लकिन रामविलास पासवान को काफी फायदा होगा। सर्वे में आरजेडी को मात्र 11 सीटें दी गई हैं , जो पिछले बार मिलीं 24 सीटों की आधी भी नहीं है। एलजेपी के बारे में कहा गया है कि उसकी पार्टी के सांसदों की संख्या 4 से बढ़कर 6 हो सकती है। सर्वे के मुताबिक जेडीयू 16 सीटों के साथ बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी।

 

बड़ा धोखा है क्रेडिट कार्ड में...
11 Jan 2009, 0046 hrs IST  









 प्रिन्ट ईमेल Discuss शेयर सेव कमेन्ट टेक्स्ट:







नरेश तनेजा/प्रभात गौड़/प्रियंका सिंह
आज के दौर में क्रेडिट कार्ड फैशन स्टेटमेंट की बजाए एक जरूरत बन ग



या है, लेकिन इसका इस्तेमाल करने वाले लोग अक्सर तमाम शिकायतें करते नजर आते हैं। थोड़ी-सी लापरवाही और कुछ नासमझी के चलते लोग अक्सर धोखा उठा बैठते हैं। क्या हैं क्रेडिट कार्ड से जुड़े सामान्य घपले? कार्ड यूज करते वक्त एक आम कस्टमर को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? आमतौर पर लोग क्या गलतियां करते हैं? इसी के बारे में जानते हैं

क्रेडिट कार्ड से संबंधित शिकायतें करने के लिए लोगों को आमतौर पर लोगों के कस्टमर केयर का ही नंबर पता होता है, लेकिन अगर वहां सुनवाई न हो तो आगे भी शिकायत की जा सकती है। शिकायत दर्ज कराने की पूरी प्रक्रिया पर आरबीआई, नई दिल्ली के रीजनल डायरेक्टर आर. गांधी से बातचीत की

क्रेडिट कार्ड से संबंधित शिकायतों की सुनवाई अगर संबंधित बैंक न करे तो क्या करें?

ऐसे में बैंकिंग ओम्बड्समन के ऑफिस में शिकायत की जा सकती है। हर राज्य की रिजर्व बैंक अव इंडिया (आरबीआई) की ब्रांच में यह कार्यालय होता है। कई छोटे राज्यों में दो राज्यों की मिलाकर एक ही ब्रांच होती है। जैसे दिल्ली में दिल्ली और जम्मू-कश्मीर की साझी ब्रांच आरबीआई में है। बैंकिंग ओम्बड्समन में शिकायत तभी दर्ज होगी, जब बैंक आपकी शिकायत पर एक महीने तक कोई कार्रवाई नहीं करता। बैंकिंग ओम्बड्मन में शिकायत या तो लिखित करें या फिर ई मेल करें। साथ ही अपने बैंक को की गई शिकायत की रिसीविंग भी जरूर लगाएं। बैंकिंग ओम्बड्समन की शिकायत ऑनलाइन भी की जा सकती है।

पता : बैंकिंग ओम्बड्समैन, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बिल्डिंग, दूसरी मंजिल, ६ संसद मार्ग, नई दिल्ली

फोन : 011-23725219

ईमेल: bonewdelhi@rbi.org.in

वेबसाइट: www.bankingombudsman.rbi.org.in

ओम्बड्समन के पास शिकायत करने के कितने दिन बाद कार्रवाई पूरी हो जाती है?

वैसे तो ओम्बड्समन के पास की गई शिकायत पर कार्रवाई की कोई टाइम लिमिट नहीं है। फिर भी आमतौर पर तीन महीने के अंदर मामलों का निपटारा हो जाता है।

बिल की ड्यू डेट से कितने दिन पहले कस्टमर को बिल मिल जाना चाहिए? क्या इस बारे में आरबीआई ने कोई नियम बनाए हैं?

आरबीआई ने ऐसे नियम तो नहीं बनाए हैं पर हर बैंक को अपने कस्टमर को इस बारे में पहले ही बता देना चाहिए। यह निर्देश आरबीआई ने सभी बैंकों को पहले से ही दे रखा है कि अपने कस्टमर्स को इस बारे में आगाह कर दे। जो बैंक ऐसा नहीं कर रहे, उनके बारे में आरबीआई के डिपार्टमंट ऑफ बैंकिंग सुपरविजन में शिकायत की जा सकती है।

लेट फीस और उस पर लगने वाले ब्याज के लिए क्या कोई सीलिंग है?

नहीं, सीलिंग का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इस बारे में अभी तक बैंकों पर ही छोड़ा गया है कि वे कितना सर्विस चार्ज या ब्याज लें। लेकिन उन्हें निर्देश दिए जा चुके हैं कि वे इस बारे में शुरू में ही कस्टमर को अपनी शर्ते बता दें और पूरी पारदर्शिता से काम करें। नैशनल कंज्यूमर फोरम ने भी इस बारे में कुछ निर्देश दिए है लेकिन उन पर बैंकों द्वारा केस लड़ा जा रहा है।


इन दिनों क्रेडिट कार्ड रखना लग्जरी या फैशन से कहीं ज्यादा जरूरत बन गया है। यह सुविधाजनक और फायदेमंद दोनों है। लेकिन अक्सर लोग क्रेडिट कार्ड को लेकर तमाम दिक्कतों का सामना भी कर रहे होते हैं।

क्रेडिट कार्ड कैसे-कैसे

कंपनियां आमतौर पर तीन तरह के कार्ड मुहैया कराती हैं - वीजा, मास्टर और एमैक्स। इन तीन कटिगरी में भी गोल्ड, सिल्वर और क्लासिक/इग्जेक्युटिव तीन सब-कटिगरी होती हैं। इन तीनों में मिलनेवाली सुविधाएं अलग-अलग होती हैं।

आमतौर पर गोल्ड कार्ड में सबसे ज्यादा इन्शुअरन्स कवर, बैगेज कवर, डिस्काउंट, रिवॉर्ड पॉइंट और दूसरी सुविधाएं दी जाती हैं। इस पर ब्याज भी सबसे कम वसूला जाता है, लेकिन इसकी फीस व सर्विस चार्ज सबसे ज्यादा होते हैं। कार्ड जारी करने के लिए यों तो कोई खास नियम नहीं हैं लेकिन साधारण कार्ड आमतौर पर उन लोगों के जारी किए जाते हैं, जिनकी सालाना कमाई कम-से-कम 70 हजार रुपये हो, जबकि गोल्ड कार्ड के लिए सालाना कमाई 1.80 लाख रुपये होनी चाहिए।

क्या हैं फायदे

हमेशा अपने साथ कैश लेकर चलना सुविधाजनक नहीं है। ऐसे में क्रेडिट कार्ड सहूलियत भरी शॉपिंग कराता है। क्रेडिट कार्ड कंपनियां अपने कस्टमर्स को एक निश्चित अवधि के लिए फ्री क्रेडिट पीरिअड की सुविधा देती हैं। यह अवधि स्टेटमंट डेट से लेकर पेमंट डेट तक की होती है। आमतौर पर यह 20 दिन का वक्त होता है। इस अवधि में कोई ब्याज नहीं लगता।

आप क्रेडिट लिमिट के अंदर चेक जारी कर सकते हैं और फोन पर ही ड्राफ्ट का ऑर्डर भी दे सकते हैं। ग्लोबल कार्ड के जरिए आप दूसरे देश में खरीदारी कर रुपये में भुगतान कर सकते हैं। क्रेडिट कार्ड कंपनियां दुकानों, होटेलों और एयर टिकिट आदि पर डिस्काउंट ऑफर करती हैं।

पर्सनल एक्सिडंट कवर और बैगेज कवर आदि की सुविधा भी दी जाती है। बैगेज कवर ज्यादातर गोल्ड व इंटरनैशनल क्रेडिट कार्ड पर ही दिया जाता है।कई कंपनियां परचेज प्रॉटेक्शन भी देती हैं। ऐसे में कार्ड से खरीदी गई चीजों के खोने, चोरी होने या आग आदि से नष्ट हो जाने पर आपको उसका बिल नहीं भरना पड़ेगा।

क्रेडिट शील्ड होना भी फायदेमंद है। अगर कार्ड होल्डर की मौत हो जाए और उसके कार्ड पर यह सुविधा है तो उत्तराधिकारी को बिल में कुछ छूट मिल जाती है। कार्ड कंपनियां शॉपिंग पर रिवॉर्ड पॉइंट्स भी देती हैं।

क्या हैं नुकसान

क्रेडिट कार्ड कई बार फिजूल की शॉपिंग की वजह बनता है। खासकर ऐसे लोग कार्ड की बदौलत ज्यादा शॉपिंग कर लेते हैं, जिन्हें शॉपिंग की लत होती है। फ्री क्रेडिट पीरिअड के बाद लगने वाला ब्याज काफी ज्यादा होता है। कार्ड इश्यू करने के लिए कंपनियां आमतौर पर फीस लेती हैं, जो सालाना 400 रुपए से लेकर दो हजार रुपए तक हो सकती है। कार्ड बनवाने के लिए भी कई मामलों में सौ से लेकर एक हजार रुपये तक फीस होती है।

कई बार क्रेडिट कार्ड चोरी हो जाता है या खो जाता है। ऐसे में उसके मिसयूज का डर होता है। इससे बचने के लिए सबसे पहले कस्टमर केयर को फोन करें और अपना कार्ड तुरंत बंद करा दें। इसके लिए एफआईआर या किसी और डॉक्युमंट की जरूरत नहीं होती। लेकिन अगर चोरी के बाद कार्ड से शॉपिंग की गई है या कोई और फ्रॉड किया गया है तो बैंक एफआईआर की कॉपी मांगता है। कार्ड खो जाने या चोरी हो जाने की सूचना देने के बाद लायबिलिटी फीस की एक अधिकतम सीमा निर्धारित है। ज्यादातर बैंकों के मामले में यह सीमा एक हजार रुपये है। लेकिन कार्ड खोने की रिपॉर्ट करने से पहले इसकी कोई सीमा नहीं है। यानी रिपॉर्ट किए जाने के वक्त तक चुराए गए या खोए हुए कार्ड से जो भी शॉपिंग की जाएगी, उसका भुगतान कार्ड होल्डर को करना होगा।

कार्ड कंपनियां आमतौर पर उस लायबिलिटी का जिक्र करती हैं, जो रिपॉर्ट करने के बाद होती है। रिपोर्ट करने से पहले की असीमित फीस को छिपा लिया जाता है।

आम समस्याएं और समाधान .
फॉर्म रिजेक्शन: कई बार कार्ड कंपनी कस्टमर के ऐप्लिकेशन फॉर्म को रिजेक्ट कर देती हैं। ऐसे में कंपनी कस्टमर को लेटर भेजकर सूचित करती है कि उसकी ऐप्लिकेशन कैंसल कर दी गई है। कई बार कंपनियां ये जानकारी नहीं देतीं। फिर कस्टमर द्वारा जमा कराए गए सेल्फ अटैस्टेड डॉक्युमेंट्स के मिसयूज का भी खतरा होता है। ऐप्लिकेशन रिजेक्ट होने पर कंपनी से अपने डॉक्यूमेंट वापस करने को कहें।

अनसॉलिसिटेड कार्ड: कई बार बिना अप्लाई किए ही क्रेडिट कार्ड बनकर आ जाता है। ऐसी हालत में कस्टमर को बैंक में शिकायत दर्ज करानी होगी कि उसकी सहमति बिना ही उसका क्रेडिट कार्ड बना दिया गया। अगर दो से तीन हफ्ते में बैंक का रिस्पॉन्स नहीं आता है तो बैंकिंग ओम्बड्समन को अप्रोच किया जा सकता है। बैंकिंग ओम्बड्समैन की साइट है www.bankingombudsman.rbi.org.in

बिल में देरी: कस्टमर्स को बिल अक्सर जमा होने की ड्यू डेट के बाद बिल मिलता है। ऐसे में कंपनियां लेट फीस चार्ज कर लेती हैं। नियमों के मुताबिक कार्ड यूजर को बिल जमा कराने की अंतिम तारीख से 15 दिन पहले मिल जाना चाहिए। अगर बिल में कुछ गड़बड़ है या बिल ज्यादा आया है तो कस्टमर बैंक से उस ज्यादा बिल का डॉक्युमेंटरी प्रूफ मांग सकता है।

कार्ड कैंसिलेशन: अगर कार्ड बंद कराना हो तो सबसे पहले कस्टमर को पूरा पेमंट करना चाहिए। उसके बाद कार्ड को चार हिस्सों में काटकर एक लिफाफे में बंद कर एटीएम में मौजूद बॉक्स में डाल दिया जाता है। लेकिन कई बार कार्ड कैंसल कराने की गुजारिश के बावजूद कार्ड के चालू रहने और फीस आने की शिकायतें आती रहती हैं। ऐसे में तुरंत बैंक से संपर्क करें और कार्ड बंद करवाएं।

लेट फीस: ड्रॉप बॉक्स में अंतिम तारीख को या उससे पहले चेक डाल देने पर भी कंपनियां लेट फीस लगा देती हैं, जबकि अगर कस्टमर ने ड्यू डेट से पहले चेक ड्रॉप बॉक्स में डाल दिया है तो उस पर लेट फीस नहीं लगाई जानी चाहिए। अगर ऐसा हो रहा है तो अपनी कंपनी से इस बारे में बात करें और लेट फीस को बिल में एडजस्ट कराएं।

ज्यादा बिल: कई बार कस्टमर्स के पास ज्यादा बिल भेज दिया जाता है। ज्यादा बिल आने पर कस्टमर केयर में कॉल करें और बिल के बारे में स्थिति साफ करें। इसके अलावा एक और बात ध्यान रखें। अगर आप अपना पेमंट कैश कर रहे हैं तो कई कार्ड कंपनियां फाइन लगा देती हैं, इसलिए इस बारे में पता कर लें और कोशिश करें कि पेमेंट चेक के माध्यम से ही किया जाए।

इग्जेक्युटिव सुविधा: कार्ड कंपनियों की तरफ से कई बार कस्टमर के पास फोन आता है कि क्या वे उनके बिल की पेमंट के लिए अपना इग्जेक्युटिव भेज दें। कस्टमर को यह सुविधाजनक लगता है और ज्यादातर लोग इसके लिए हामी भर देते हैं। कस्टमर के हां करते ही इग्जेक्युटिव पेमेंट लेने आ जाता है, लेकिन याद रहे इस सुविधा के लिए कई कंपनियां पैसे चार्ज कर लेती हैं।

इन्शुअरन्स प्रीमियम: कुछ प्रीमियम क्रेडिट कार्ड पर कई तरह का कवर भी होता है। अगर कंपनी कस्टमर को बताकर यह सुविधा दे रही है, तब तो ठीक है, लेकिन कई कंपनियां बिना बताए ही कस्टमर को इन्शुअरन्स कवर दे देती हैं और बिना कस्टमर को बताए प्रीमियम की रकम काटी जाती रहती है। कंपनियां इस बात की भी परवाह नहीं करती कि जिस कस्टमर को वह इन्शुअरन्स कवर दे रही हैं, उसने किसी को नॉमिनेट भी किया है कि नहीं।

कैसे करें शिकायत

क्रेडिट कार्ड से जुड़ी कई तरह की दिक्कतें कस्टमरों को झेलनी पड़ती हैं। कोई भी समस्या होने पर कार्ड यूजर को तुरंत शिकायत दर्ज करानी चाहिए। अगर शिकायत कॉल सेंटर में कराई जा रही है तो शिकायत दर्ज कराते वक्त शिकायत नंबर, डेट और उस व्यक्ति का नाम जरूर पता कर लें, जिसे आपने शिकायत लिखाई है। कई बार कस्टमर केयर पर शिकायत की सुनवाई न होने की शिकायतें आती हैं। ऐसे में सीनियर अधिकारी से बात करने को कहा जा सकता है। इग्जेक्युटिव उसी नंबर से आपकी कॉल आगे बढ़ा देते हैं। ऐसा न होने पर कंपनी की साइट्स पर दिए गए ईमेल व नंबरों पर संपर्क किया जा सकता है। अगर खुद बैंक में जाकर शिकायत लिखा रहे हैं तो शिकायत की रिसीविंग जरूर ले लें। आरबीआई की गाइडलाइंस के मुताबिक हर बैंक की एक शिकायत निवारण सेल होती है। शिकायतकर्ता अपने बैंक के ग्रीवांस रिड्रेसल ऑफिसर से भी कॉन्टैक्ट कर सकता है। आरबीआई के मुताबिक इस अफसर का नाम बिल पर लिखा होना चाहिए। बैंक या कॉल सेंटर में दर्ज कराई गई शिकायत पर 30 दिन के अंदर कार्रवाई हो जानी चाहिए। अगर 30 दिन के अंदर बैंक की तरफ से कोई संतोषजनक कदम नहीं उठाया जाता, तो कस्टमर संबंधित ओम्बड्समन से कॉन्टैक्ट कर सकता है। यहां वह मानसिक पीड़ा, पैसे के नुकसान और हरजाने का दावा कर सकता है।
बड़ा धोखा है क्रेडिट कार्ड में...
11 Jan 2009, 0046 hrs IST  









 प्रिन्ट ईमेल Discuss शेयर सेव कमेन्ट टेक्स्ट:







नरेश तनेजा/प्रभात गौड़/प्रियंका सिंह

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/3960978.cms
आज के दौर में क्रेडिट कार्ड फैशन स्टेटमेंट की बजाए एक जरूरत बन ग






या है, लेकिन इसका इस्तेमाल करने वाले लोग अक्सर तमाम शिकायतें करते नजर आते हैं। थोड़ी-सी लापरवाही और कुछ नासमझी के चलते लोग अक्सर धोखा उठा बैठते हैं। क्या हैं क्रेडिट कार्ड से जुड़े सामान्य घपले? कार्ड यूज करते वक्त एक आम कस्टमर को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? आमतौर पर लोग क्या गलतियां करते हैं? इसी के बारे में जानते हैं

क्रेडिट कार्ड से संबंधित शिकायतें करने के लिए लोगों को आमतौर पर लोगों के कस्टमर केयर का ही नंबर पता होता है, लेकिन अगर वहां सुनवाई न हो तो आगे भी शिकायत की जा सकती है। शिकायत दर्ज कराने की पूरी प्रक्रिया पर आरबीआई, नई दिल्ली के रीजनल डायरेक्टर आर. गांधी से बातचीत की

क्रेडिट कार्ड से संबंधित शिकायतों की सुनवाई अगर संबंधित बैंक न करे तो क्या करें?

ऐसे में बैंकिंग ओम्बड्समन के ऑफिस में शिकायत की जा सकती है। हर राज्य की रिजर्व बैंक अव इंडिया (आरबीआई) की ब्रांच में यह कार्यालय होता है। कई छोटे राज्यों में दो राज्यों की मिलाकर एक ही ब्रांच होती है। जैसे दिल्ली में दिल्ली और जम्मू-कश्मीर की साझी ब्रांच आरबीआई में है। बैंकिंग ओम्बड्समन में शिकायत तभी दर्ज होगी, जब बैंक आपकी शिकायत पर एक महीने तक कोई कार्रवाई नहीं करता। बैंकिंग ओम्बड्मन में शिकायत या तो लिखित करें या फिर ई मेल करें। साथ ही अपने बैंक को की गई शिकायत की रिसीविंग भी जरूर लगाएं। बैंकिंग ओम्बड्समन की शिकायत ऑनलाइन भी की जा सकती है।

पता : बैंकिंग ओम्बड्समैन, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बिल्डिंग, दूसरी मंजिल, ६ संसद मार्ग, नई दिल्ली

फोन : 011-23725219

ईमेल: bonewdelhi@rbi.org.in

वेबसाइट: www.bankingombudsman.rbi.org.in

ओम्बड्समन के पास शिकायत करने के कितने दिन बाद कार्रवाई पूरी हो जाती है?

वैसे तो ओम्बड्समन के पास की गई शिकायत पर कार्रवाई की कोई टाइम लिमिट नहीं है। फिर भी आमतौर पर तीन महीने के अंदर मामलों का निपटारा हो जाता है।

बिल की ड्यू डेट से कितने दिन पहले कस्टमर को बिल मिल जाना चाहिए? क्या इस बारे में आरबीआई ने कोई नियम बनाए हैं?

आरबीआई ने ऐसे नियम तो नहीं बनाए हैं पर हर बैंक को अपने कस्टमर को इस बारे में पहले ही बता देना चाहिए। यह निर्देश आरबीआई ने सभी बैंकों को पहले से ही दे रखा है कि अपने कस्टमर्स को इस बारे में आगाह कर दे। जो बैंक ऐसा नहीं कर रहे, उनके बारे में आरबीआई के डिपार्टमंट ऑफ बैंकिंग सुपरविजन में शिकायत की जा सकती है।

लेट फीस और उस पर लगने वाले ब्याज के लिए क्या कोई सीलिंग है?

नहीं, सीलिंग का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इस बारे में अभी तक बैंकों पर ही छोड़ा गया है कि वे कितना सर्विस चार्ज या ब्याज लें। लेकिन उन्हें निर्देश दिए जा चुके हैं कि वे इस बारे में शुरू में ही कस्टमर को अपनी शर्ते बता दें और पूरी पारदर्शिता से काम करें। नैशनल कंज्यूमर फोरम ने भी इस बारे में कुछ निर्देश दिए है लेकिन उन पर बैंकों द्वारा केस लड़ा जा रहा है।


इन दिनों क्रेडिट कार्ड रखना लग्जरी या फैशन से कहीं ज्यादा जरूरत बन गया है। यह सुविधाजनक और फायदेमंद दोनों है। लेकिन अक्सर लोग क्रेडिट कार्ड को लेकर तमाम दिक्कतों का सामना भी कर रहे होते हैं।

क्रेडिट कार्ड कैसे-कैसे

कंपनियां आमतौर पर तीन तरह के कार्ड मुहैया कराती हैं - वीजा, मास्टर और एमैक्स। इन तीन कटिगरी में भी गोल्ड, सिल्वर और क्लासिक/इग्जेक्युटिव तीन सब-कटिगरी होती हैं। इन तीनों में मिलनेवाली सुविधाएं अलग-अलग होती हैं।

आमतौर पर गोल्ड कार्ड में सबसे ज्यादा इन्शुअरन्स कवर, बैगेज कवर, डिस्काउंट, रिवॉर्ड पॉइंट और दूसरी सुविधाएं दी जाती हैं। इस पर ब्याज भी सबसे कम वसूला जाता है, लेकिन इसकी फीस व सर्विस चार्ज सबसे ज्यादा होते हैं। कार्ड जारी करने के लिए यों तो कोई खास नियम नहीं हैं लेकिन साधारण कार्ड आमतौर पर उन लोगों के जारी किए जाते हैं, जिनकी सालाना कमाई कम-से-कम 70 हजार रुपये हो, जबकि गोल्ड कार्ड के लिए सालाना कमाई 1.80 लाख रुपये होनी चाहिए।

क्या हैं फायदे

हमेशा अपने साथ कैश लेकर चलना सुविधाजनक नहीं है। ऐसे में क्रेडिट कार्ड सहूलियत भरी शॉपिंग कराता है। क्रेडिट कार्ड कंपनियां अपने कस्टमर्स को एक निश्चित अवधि के लिए फ्री क्रेडिट पीरिअड की सुविधा देती हैं। यह अवधि स्टेटमंट डेट से लेकर पेमंट डेट तक की होती है। आमतौर पर यह 20 दिन का वक्त होता है। इस अवधि में कोई ब्याज नहीं लगता।

आप क्रेडिट लिमिट के अंदर चेक जारी कर सकते हैं और फोन पर ही ड्राफ्ट का ऑर्डर भी दे सकते हैं। ग्लोबल कार्ड के जरिए आप दूसरे देश में खरीदारी कर रुपये में भुगतान कर सकते हैं। क्रेडिट कार्ड कंपनियां दुकानों, होटेलों और एयर टिकिट आदि पर डिस्काउंट ऑफर करती हैं।

पर्सनल एक्सिडंट कवर और बैगेज कवर आदि की सुविधा भी दी जाती है। बैगेज कवर ज्यादातर गोल्ड व इंटरनैशनल क्रेडिट कार्ड पर ही दिया जाता है।कई कंपनियां परचेज प्रॉटेक्शन भी देती हैं। ऐसे में कार्ड से खरीदी गई चीजों के खोने, चोरी होने या आग आदि से नष्ट हो जाने पर आपको उसका बिल नहीं भरना पड़ेगा।

क्रेडिट शील्ड होना भी फायदेमंद है। अगर कार्ड होल्डर की मौत हो जाए और उसके कार्ड पर यह सुविधा है तो उत्तराधिकारी को बिल में कुछ छूट मिल जाती है। कार्ड कंपनियां शॉपिंग पर रिवॉर्ड पॉइंट्स भी देती हैं।

क्या हैं नुकसान

क्रेडिट कार्ड कई बार फिजूल की शॉपिंग की वजह बनता है। खासकर ऐसे लोग कार्ड की बदौलत ज्यादा शॉपिंग कर लेते हैं, जिन्हें शॉपिंग की लत होती है। फ्री क्रेडिट पीरिअड के बाद लगने वाला ब्याज काफी ज्यादा होता है। कार्ड इश्यू करने के लिए कंपनियां आमतौर पर फीस लेती हैं, जो सालाना 400 रुपए से लेकर दो हजार रुपए तक हो सकती है। कार्ड बनवाने के लिए भी कई मामलों में सौ से लेकर एक हजार रुपये तक फीस होती है।

कई बार क्रेडिट कार्ड चोरी हो जाता है या खो जाता है। ऐसे में उसके मिसयूज का डर होता है। इससे बचने के लिए सबसे पहले कस्टमर केयर को फोन करें और अपना कार्ड तुरंत बंद करा दें। इसके लिए एफआईआर या किसी और डॉक्युमंट की जरूरत नहीं होती। लेकिन अगर चोरी के बाद कार्ड से शॉपिंग की गई है या कोई और फ्रॉड किया गया है तो बैंक एफआईआर की कॉपी मांगता है। कार्ड खो जाने या चोरी हो जाने की सूचना देने के बाद लायबिलिटी फीस की एक अधिकतम सीमा निर्धारित है। ज्यादातर बैंकों के मामले में यह सीमा एक हजार रुपये है। लेकिन कार्ड खोने की रिपॉर्ट करने से पहले इसकी कोई सीमा नहीं है। यानी रिपॉर्ट किए जाने के वक्त तक चुराए गए या खोए हुए कार्ड से जो भी शॉपिंग की जाएगी, उसका भुगतान कार्ड होल्डर को करना होगा।

कार्ड कंपनियां आमतौर पर उस लायबिलिटी का जिक्र करती हैं, जो रिपॉर्ट करने के बाद होती है। रिपोर्ट करने से पहले की असीमित फीस को छिपा लिया जाता है।

आम समस्याएं और समाधान .
फॉर्म रिजेक्शन: कई बार कार्ड कंपनी कस्टमर के ऐप्लिकेशन फॉर्म को रिजेक्ट कर देती हैं। ऐसे में कंपनी कस्टमर को लेटर भेजकर सूचित करती है कि उसकी ऐप्लिकेशन कैंसल कर दी गई है। कई बार कंपनियां ये जानकारी नहीं देतीं। फिर कस्टमर द्वारा जमा कराए गए सेल्फ अटैस्टेड डॉक्युमेंट्स के मिसयूज का भी खतरा होता है। ऐप्लिकेशन रिजेक्ट होने पर कंपनी से अपने डॉक्यूमेंट वापस करने को कहें।

अनसॉलिसिटेड कार्ड: कई बार बिना अप्लाई किए ही क्रेडिट कार्ड बनकर आ जाता है। ऐसी हालत में कस्टमर को बैंक में शिकायत दर्ज करानी होगी कि उसकी सहमति बिना ही उसका क्रेडिट कार्ड बना दिया गया। अगर दो से तीन हफ्ते में बैंक का रिस्पॉन्स नहीं आता है तो बैंकिंग ओम्बड्समन को अप्रोच किया जा सकता है। बैंकिंग ओम्बड्समैन की साइट है www.bankingombudsman.rbi.org.in

बिल में देरी: कस्टमर्स को बिल अक्सर जमा होने की ड्यू डेट के बाद बिल मिलता है। ऐसे में कंपनियां लेट फीस चार्ज कर लेती हैं। नियमों के मुताबिक कार्ड यूजर को बिल जमा कराने की अंतिम तारीख से 15 दिन पहले मिल जाना चाहिए। अगर बिल में कुछ गड़बड़ है या बिल ज्यादा आया है तो कस्टमर बैंक से उस ज्यादा बिल का डॉक्युमेंटरी प्रूफ मांग सकता है।

कार्ड कैंसिलेशन: अगर कार्ड बंद कराना हो तो सबसे पहले कस्टमर को पूरा पेमंट करना चाहिए। उसके बाद कार्ड को चार हिस्सों में काटकर एक लिफाफे में बंद कर एटीएम में मौजूद बॉक्स में डाल दिया जाता है। लेकिन कई बार कार्ड कैंसल कराने की गुजारिश के बावजूद कार्ड के चालू रहने और फीस आने की शिकायतें आती रहती हैं। ऐसे में तुरंत बैंक से संपर्क करें और कार्ड बंद करवाएं।

लेट फीस: ड्रॉप बॉक्स में अंतिम तारीख को या उससे पहले चेक डाल देने पर भी कंपनियां लेट फीस लगा देती हैं, जबकि अगर कस्टमर ने ड्यू डेट से पहले चेक ड्रॉप बॉक्स में डाल दिया है तो उस पर लेट फीस नहीं लगाई जानी चाहिए। अगर ऐसा हो रहा है तो अपनी कंपनी से इस बारे में बात करें और लेट फीस को बिल में एडजस्ट कराएं।

ज्यादा बिल: कई बार कस्टमर्स के पास ज्यादा बिल भेज दिया जाता है। ज्यादा बिल आने पर कस्टमर केयर में कॉल करें और बिल के बारे में स्थिति साफ करें। इसके अलावा एक और बात ध्यान रखें। अगर आप अपना पेमंट कैश कर रहे हैं तो कई कार्ड कंपनियां फाइन लगा देती हैं, इसलिए इस बारे में पता कर लें और कोशिश करें कि पेमेंट चेक के माध्यम से ही किया जाए।

इग्जेक्युटिव सुविधा: कार्ड कंपनियों की तरफ से कई बार कस्टमर के पास फोन आता है कि क्या वे उनके बिल की पेमंट के लिए अपना इग्जेक्युटिव भेज दें। कस्टमर को यह सुविधाजनक लगता है और ज्यादातर लोग इसके लिए हामी भर देते हैं। कस्टमर के हां करते ही इग्जेक्युटिव पेमेंट लेने आ जाता है, लेकिन याद रहे इस सुविधा के लिए कई कंपनियां पैसे चार्ज कर लेती हैं।

इन्शुअरन्स प्रीमियम: कुछ प्रीमियम क्रेडिट कार्ड पर कई तरह का कवर भी होता है। अगर कंपनी कस्टमर को बताकर यह सुविधा दे रही है, तब तो ठीक है, लेकिन कई कंपनियां बिना बताए ही कस्टमर को इन्शुअरन्स कवर दे देती हैं और बिना कस्टमर को बताए प्रीमियम की रकम काटी जाती रहती है। कंपनियां इस बात की भी परवाह नहीं करती कि जिस कस्टमर को वह इन्शुअरन्स कवर दे रही हैं, उसने किसी को नॉमिनेट भी किया है कि नहीं।

कैसे करें शिकायत

क्रेडिट कार्ड से जुड़ी कई तरह की दिक्कतें कस्टमरों को झेलनी पड़ती हैं। कोई भी समस्या होने पर कार्ड यूजर को तुरंत शिकायत दर्ज करानी चाहिए। अगर शिकायत कॉल सेंटर में कराई जा रही है तो शिकायत दर्ज कराते वक्त शिकायत नंबर, डेट और उस व्यक्ति का नाम जरूर पता कर लें, जिसे आपने शिकायत लिखाई है। कई बार कस्टमर केयर पर शिकायत की सुनवाई न होने की शिकायतें आती हैं। ऐसे में सीनियर अधिकारी से बात करने को कहा जा सकता है। इग्जेक्युटिव उसी नंबर से आपकी कॉल आगे बढ़ा देते हैं। ऐसा न होने पर कंपनी की साइट्स पर दिए गए ईमेल व नंबरों पर संपर्क किया जा सकता है। अगर खुद बैंक में जाकर शिकायत लिखा रहे हैं तो शिकायत की रिसीविंग जरूर ले लें। आरबीआई की गाइडलाइंस के मुताबिक हर बैंक की एक शिकायत निवारण सेल होती है। शिकायतकर्ता अपने बैंक के ग्रीवांस रिड्रेसल ऑफिसर से भी कॉन्टैक्ट कर सकता है। आरबीआई के मुताबिक इस अफसर का नाम बिल पर लिखा होना चाहिए। बैंक या कॉल सेंटर में दर्ज कराई गई शिकायत पर 30 दिन के अंदर कार्रवाई हो जानी चाहिए। अगर 30 दिन के अंदर बैंक की तरफ से कोई संतोषजनक कदम नहीं उठाया जाता, तो कस्टमर संबंधित ओम्बड्समन से कॉन्टैक्ट कर सकता है। यहां वह मानसिक पीड़ा, पैसे के नुकसान और हरजाने का दावा कर सकता है।
बड़ा धोखा है क्रेडिट कार्ड में...
11 Jan 2009, 0046 hrs IST  









 प्रिन्ट ईमेल Discuss शेयर सेव कमेन्ट टेक्स्ट:







नरेश तनेजा/प्रभात गौड़/प्रियंका सिंह
आज के दौर में क्रेडिट कार्ड फैशन स्टेटमेंट की बजाए एक जरूरत बन ग



या है, लेकिन इसका इस्तेमाल करने वाले लोग अक्सर तमाम शिकायतें करते नजर आते हैं। थोड़ी-सी लापरवाही और कुछ नासमझी के चलते लोग अक्सर धोखा उठा बैठते हैं। क्या हैं क्रेडिट कार्ड से जुड़े सामान्य घपले? कार्ड यूज करते वक्त एक आम कस्टमर को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? आमतौर पर लोग क्या गलतियां करते हैं? इसी के बारे में जानते हैं

क्रेडिट कार्ड से संबंधित शिकायतें करने के लिए लोगों को आमतौर पर लोगों के कस्टमर केयर का ही नंबर पता होता है, लेकिन अगर वहां सुनवाई न हो तो आगे भी शिकायत की जा सकती है। शिकायत दर्ज कराने की पूरी प्रक्रिया पर आरबीआई, नई दिल्ली के रीजनल डायरेक्टर आर. गांधी से बातचीत की

क्रेडिट कार्ड से संबंधित शिकायतों की सुनवाई अगर संबंधित बैंक न करे तो क्या करें?

ऐसे में बैंकिंग ओम्बड्समन के ऑफिस में शिकायत की जा सकती है। हर राज्य की रिजर्व बैंक अव इंडिया (आरबीआई) की ब्रांच में यह कार्यालय होता है। कई छोटे राज्यों में दो राज्यों की मिलाकर एक ही ब्रांच होती है। जैसे दिल्ली में दिल्ली और जम्मू-कश्मीर की साझी ब्रांच आरबीआई में है। बैंकिंग ओम्बड्समन में शिकायत तभी दर्ज होगी, जब बैंक आपकी शिकायत पर एक महीने तक कोई कार्रवाई नहीं करता। बैंकिंग ओम्बड्मन में शिकायत या तो लिखित करें या फिर ई मेल करें। साथ ही अपने बैंक को की गई शिकायत की रिसीविंग भी जरूर लगाएं। बैंकिंग ओम्बड्समन की शिकायत ऑनलाइन भी की जा सकती है।

पता : बैंकिंग ओम्बड्समैन, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बिल्डिंग, दूसरी मंजिल, ६ संसद मार्ग, नई दिल्ली

फोन : 011-23725219

ईमेल: bonewdelhi@rbi.org.in

वेबसाइट: www.bankingombudsman.rbi.org.in

ओम्बड्समन के पास शिकायत करने के कितने दिन बाद कार्रवाई पूरी हो जाती है?

वैसे तो ओम्बड्समन के पास की गई शिकायत पर कार्रवाई की कोई टाइम लिमिट नहीं है। फिर भी आमतौर पर तीन महीने के अंदर मामलों का निपटारा हो जाता है।

बिल की ड्यू डेट से कितने दिन पहले कस्टमर को बिल मिल जाना चाहिए? क्या इस बारे में आरबीआई ने कोई नियम बनाए हैं?

आरबीआई ने ऐसे नियम तो नहीं बनाए हैं पर हर बैंक को अपने कस्टमर को इस बारे में पहले ही बता देना चाहिए। यह निर्देश आरबीआई ने सभी बैंकों को पहले से ही दे रखा है कि अपने कस्टमर्स को इस बारे में आगाह कर दे। जो बैंक ऐसा नहीं कर रहे, उनके बारे में आरबीआई के डिपार्टमंट ऑफ बैंकिंग सुपरविजन में शिकायत की जा सकती है।

लेट फीस और उस पर लगने वाले ब्याज के लिए क्या कोई सीलिंग है?

नहीं, सीलिंग का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इस बारे में अभी तक बैंकों पर ही छोड़ा गया है कि वे कितना सर्विस चार्ज या ब्याज लें। लेकिन उन्हें निर्देश दिए जा चुके हैं कि वे इस बारे में शुरू में ही कस्टमर को अपनी शर्ते बता दें और पूरी पारदर्शिता से काम करें। नैशनल कंज्यूमर फोरम ने भी इस बारे में कुछ निर्देश दिए है लेकिन उन पर बैंकों द्वारा केस लड़ा जा रहा है।


इन दिनों क्रेडिट कार्ड रखना लग्जरी या फैशन से कहीं ज्यादा जरूरत बन गया है। यह सुविधाजनक और फायदेमंद दोनों है। लेकिन अक्सर लोग क्रेडिट कार्ड को लेकर तमाम दिक्कतों का सामना भी कर रहे होते हैं।

क्रेडिट कार्ड कैसे-कैसे

कंपनियां आमतौर पर तीन तरह के कार्ड मुहैया कराती हैं - वीजा, मास्टर और एमैक्स। इन तीन कटिगरी में भी गोल्ड, सिल्वर और क्लासिक/इग्जेक्युटिव तीन सब-कटिगरी होती हैं। इन तीनों में मिलनेवाली सुविधाएं अलग-अलग होती हैं।

आमतौर पर गोल्ड कार्ड में सबसे ज्यादा इन्शुअरन्स कवर, बैगेज कवर, डिस्काउंट, रिवॉर्ड पॉइंट और दूसरी सुविधाएं दी जाती हैं। इस पर ब्याज भी सबसे कम वसूला जाता है, लेकिन इसकी फीस व सर्विस चार्ज सबसे ज्यादा होते हैं। कार्ड जारी करने के लिए यों तो कोई खास नियम नहीं हैं लेकिन साधारण कार्ड आमतौर पर उन लोगों के जारी किए जाते हैं, जिनकी सालाना कमाई कम-से-कम 70 हजार रुपये हो, जबकि गोल्ड कार्ड के लिए सालाना कमाई 1.80 लाख रुपये होनी चाहिए।

क्या हैं फायदे

हमेशा अपने साथ कैश लेकर चलना सुविधाजनक नहीं है। ऐसे में क्रेडिट कार्ड सहूलियत भरी शॉपिंग कराता है। क्रेडिट कार्ड कंपनियां अपने कस्टमर्स को एक निश्चित अवधि के लिए फ्री क्रेडिट पीरिअड की सुविधा देती हैं। यह अवधि स्टेटमंट डेट से लेकर पेमंट डेट तक की होती है। आमतौर पर यह 20 दिन का वक्त होता है। इस अवधि में कोई ब्याज नहीं लगता।

आप क्रेडिट लिमिट के अंदर चेक जारी कर सकते हैं और फोन पर ही ड्राफ्ट का ऑर्डर भी दे सकते हैं। ग्लोबल कार्ड के जरिए आप दूसरे देश में खरीदारी कर रुपये में भुगतान कर सकते हैं। क्रेडिट कार्ड कंपनियां दुकानों, होटेलों और एयर टिकिट आदि पर डिस्काउंट ऑफर करती हैं।

पर्सनल एक्सिडंट कवर और बैगेज कवर आदि की सुविधा भी दी जाती है। बैगेज कवर ज्यादातर गोल्ड व इंटरनैशनल क्रेडिट कार्ड पर ही दिया जाता है।कई कंपनियां परचेज प्रॉटेक्शन भी देती हैं। ऐसे में कार्ड से खरीदी गई चीजों के खोने, चोरी होने या आग आदि से नष्ट हो जाने पर आपको उसका बिल नहीं भरना पड़ेगा।

क्रेडिट शील्ड होना भी फायदेमंद है। अगर कार्ड होल्डर की मौत हो जाए और उसके कार्ड पर यह सुविधा है तो उत्तराधिकारी को बिल में कुछ छूट मिल जाती है। कार्ड कंपनियां शॉपिंग पर रिवॉर्ड पॉइंट्स भी देती हैं।

क्या हैं नुकसान

क्रेडिट कार्ड कई बार फिजूल की शॉपिंग की वजह बनता है। खासकर ऐसे लोग कार्ड की बदौलत ज्यादा शॉपिंग कर लेते हैं, जिन्हें शॉपिंग की लत होती है। फ्री क्रेडिट पीरिअड के बाद लगने वाला ब्याज काफी ज्यादा होता है। कार्ड इश्यू करने के लिए कंपनियां आमतौर पर फीस लेती हैं, जो सालाना 400 रुपए से लेकर दो हजार रुपए तक हो सकती है। कार्ड बनवाने के लिए भी कई मामलों में सौ से लेकर एक हजार रुपये तक फीस होती है।

कई बार क्रेडिट कार्ड चोरी हो जाता है या खो जाता है। ऐसे में उसके मिसयूज का डर होता है। इससे बचने के लिए सबसे पहले कस्टमर केयर को फोन करें और अपना कार्ड तुरंत बंद करा दें। इसके लिए एफआईआर या किसी और डॉक्युमंट की जरूरत नहीं होती। लेकिन अगर चोरी के बाद कार्ड से शॉपिंग की गई है या कोई और फ्रॉड किया गया है तो बैंक एफआईआर की कॉपी मांगता है। कार्ड खो जाने या चोरी हो जाने की सूचना देने के बाद लायबिलिटी फीस की एक अधिकतम सीमा निर्धारित है। ज्यादातर बैंकों के मामले में यह सीमा एक हजार रुपये है। लेकिन कार्ड खोने की रिपॉर्ट करने से पहले इसकी कोई सीमा नहीं है। यानी रिपॉर्ट किए जाने के वक्त तक चुराए गए या खोए हुए कार्ड से जो भी शॉपिंग की जाएगी, उसका भुगतान कार्ड होल्डर को करना होगा।

कार्ड कंपनियां आमतौर पर उस लायबिलिटी का जिक्र करती हैं, जो रिपॉर्ट करने के बाद होती है। रिपोर्ट करने से पहले की असीमित फीस को छिपा लिया जाता है।

आम समस्याएं और समाधान .
फॉर्म रिजेक्शन: कई बार कार्ड कंपनी कस्टमर के ऐप्लिकेशन फॉर्म को रिजेक्ट कर देती हैं। ऐसे में कंपनी कस्टमर को लेटर भेजकर सूचित करती है कि उसकी ऐप्लिकेशन कैंसल कर दी गई है। कई बार कंपनियां ये जानकारी नहीं देतीं। फिर कस्टमर द्वारा जमा कराए गए सेल्फ अटैस्टेड डॉक्युमेंट्स के मिसयूज का भी खतरा होता है। ऐप्लिकेशन रिजेक्ट होने पर कंपनी से अपने डॉक्यूमेंट वापस करने को कहें।

अनसॉलिसिटेड कार्ड: कई बार बिना अप्लाई किए ही क्रेडिट कार्ड बनकर आ जाता है। ऐसी हालत में कस्टमर को बैंक में शिकायत दर्ज करानी होगी कि उसकी सहमति बिना ही उसका क्रेडिट कार्ड बना दिया गया। अगर दो से तीन हफ्ते में बैंक का रिस्पॉन्स नहीं आता है तो बैंकिंग ओम्बड्समन को अप्रोच किया जा सकता है। बैंकिंग ओम्बड्समैन की साइट है www.bankingombudsman.rbi.org.in

बिल में देरी: कस्टमर्स को बिल अक्सर जमा होने की ड्यू डेट के बाद बिल मिलता है। ऐसे में कंपनियां लेट फीस चार्ज कर लेती हैं। नियमों के मुताबिक कार्ड यूजर को बिल जमा कराने की अंतिम तारीख से 15 दिन पहले मिल जाना चाहिए। अगर बिल में कुछ गड़बड़ है या बिल ज्यादा आया है तो कस्टमर बैंक से उस ज्यादा बिल का डॉक्युमेंटरी प्रूफ मांग सकता है।

कार्ड कैंसिलेशन: अगर कार्ड बंद कराना हो तो सबसे पहले कस्टमर को पूरा पेमंट करना चाहिए। उसके बाद कार्ड को चार हिस्सों में काटकर एक लिफाफे में बंद कर एटीएम में मौजूद बॉक्स में डाल दिया जाता है। लेकिन कई बार कार्ड कैंसल कराने की गुजारिश के बावजूद कार्ड के चालू रहने और फीस आने की शिकायतें आती रहती हैं। ऐसे में तुरंत बैंक से संपर्क करें और कार्ड बंद करवाएं।

लेट फीस: ड्रॉप बॉक्स में अंतिम तारीख को या उससे पहले चेक डाल देने पर भी कंपनियां लेट फीस लगा देती हैं, जबकि अगर कस्टमर ने ड्यू डेट से पहले चेक ड्रॉप बॉक्स में डाल दिया है तो उस पर लेट फीस नहीं लगाई जानी चाहिए। अगर ऐसा हो रहा है तो अपनी कंपनी से इस बारे में बात करें और लेट फीस को बिल में एडजस्ट कराएं।

ज्यादा बिल: कई बार कस्टमर्स के पास ज्यादा बिल भेज दिया जाता है। ज्यादा बिल आने पर कस्टमर केयर में कॉल करें और बिल के बारे में स्थिति साफ करें। इसके अलावा एक और बात ध्यान रखें। अगर आप अपना पेमंट कैश कर रहे हैं तो कई कार्ड कंपनियां फाइन लगा देती हैं, इसलिए इस बारे में पता कर लें और कोशिश करें कि पेमेंट चेक के माध्यम से ही किया जाए।

इग्जेक्युटिव सुविधा: कार्ड कंपनियों की तरफ से कई बार कस्टमर के पास फोन आता है कि क्या वे उनके बिल की पेमंट के लिए अपना इग्जेक्युटिव भेज दें। कस्टमर को यह सुविधाजनक लगता है और ज्यादातर लोग इसके लिए हामी भर देते हैं। कस्टमर के हां करते ही इग्जेक्युटिव पेमेंट लेने आ जाता है, लेकिन याद रहे इस सुविधा के लिए कई कंपनियां पैसे चार्ज कर लेती हैं।

इन्शुअरन्स प्रीमियम: कुछ प्रीमियम क्रेडिट कार्ड पर कई तरह का कवर भी होता है। अगर कंपनी कस्टमर को बताकर यह सुविधा दे रही है, तब तो ठीक है, लेकिन कई कंपनियां बिना बताए ही कस्टमर को इन्शुअरन्स कवर दे देती हैं और बिना कस्टमर को बताए प्रीमियम की रकम काटी जाती रहती है। कंपनियां इस बात की भी परवाह नहीं करती कि जिस कस्टमर को वह इन्शुअरन्स कवर दे रही हैं, उसने किसी को नॉमिनेट भी किया है कि नहीं।

कैसे करें शिकायत

क्रेडिट कार्ड से जुड़ी कई तरह की दिक्कतें कस्टमरों को झेलनी पड़ती हैं। कोई भी समस्या होने पर कार्ड यूजर को तुरंत शिकायत दर्ज करानी चाहिए। अगर शिकायत कॉल सेंटर में कराई जा रही है तो शिकायत दर्ज कराते वक्त शिकायत नंबर, डेट और उस व्यक्ति का नाम जरूर पता कर लें, जिसे आपने शिकायत लिखाई है। कई बार कस्टमर केयर पर शिकायत की सुनवाई न होने की शिकायतें आती हैं। ऐसे में सीनियर अधिकारी से बात करने को कहा जा सकता है। इग्जेक्युटिव उसी नंबर से आपकी कॉल आगे बढ़ा देते हैं। ऐसा न होने पर कंपनी की साइट्स पर दिए गए ईमेल व नंबरों पर संपर्क किया जा सकता है। अगर खुद बैंक में जाकर शिकायत लिखा रहे हैं तो शिकायत की रिसीविंग जरूर ले लें। आरबीआई की गाइडलाइंस के मुताबिक हर बैंक की एक शिकायत निवारण सेल होती है। शिकायतकर्ता अपने बैंक के ग्रीवांस रिड्रेसल ऑफिसर से भी कॉन्टैक्ट कर सकता है। आरबीआई के मुताबिक इस अफसर का नाम बिल पर लिखा होना चाहिए। बैंक या कॉल सेंटर में दर्ज कराई गई शिकायत पर 30 दिन के अंदर कार्रवाई हो जानी चाहिए। अगर 30 दिन के अंदर बैंक की तरफ से कोई संतोषजनक कदम नहीं उठाया जाता, तो कस्टमर संबंधित ओम्बड्समन से कॉन्टैक्ट कर सकता है। यहां वह मानसिक पीड़ा, पैसे के नुकसान और हरजाने का दावा कर सकता है।


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